जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर
परिवाद सं. 274/2015
मोहम्मद षाबीर पुत्र जहूर मोहम्मद, जाति-भडभुंजा मुसलमान, निवासी-न्यू गेट घोसीनाडा नागौर हाल कुम्हारी दरवाजा के अन्दर नागौर, तहसील व जिला-नागौर। -परिवादी
बनाम
1. श्रीराम ट्रांसपोर्ट एण्ड फाईनेन्स कम्पनी लि., लाईफ लाईन हाॅस्पिटल के पास, सर्किट हाउस के पीछे, नागौर, तहसील व जिला-नागौर।
2. पंजीयन एवं जिला परिवहन अधिकारी नागौर (आर.जे. 21)।
-अप्रार्थीगण
समक्षः
1. श्री ईष्वर जयपाल, अध्यक्ष।
2. श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।
3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।
उपस्थितः
1. श्री देवेन्द्रराज कल्ला, अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।
2. श्री ष्याम कुमार व्यास, अधिवक्ता, वास्ते अप्रार्थी संख्या 1, अप्रार्थी संख्या 2 की ओर से कोई नहीं।
अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986
निर्णय
दिनांक 06.04.2016
1. यह परिवाद अन्तर्गत धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 संक्षिप्ततः इन सुसंगत तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया गया कि परिवादी अपने टेªक्टर संख्या आर.जे.एस. 8107 पर ऋण लेने के लिए दिनांक 28.11.2007 को अप्रार्थी संख्या 1 के कार्यालय में गया। जहां पर परिवादी ने अप्रार्थी संख्या 1 को 2,000/- रूपये षुल्क देकर ऋण सुविधा प्राप्त करने की कार्यवाही की। इस दौरान अप्रार्थीगण के कर्मचारी वगैरा ने ऋण प्राप्ति से पूर्व ही परिवादी के ट्रेक्टर की असल आर.सी. पर हाईपोथिकेषन का नोट अप्रार्थी संख्या 2 की सील लगाकर अंकित कर दिया। जिसकी जानकारी उस वक्त परिवादी को नहीं रही। उक्त ऋण की कार्यवाही के बाद भी अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा परिवादी को चाही गई राषि का ऋण नहीं देकर केवल 50,000/- रूपये की ऋण सुविधा उपलब्ध कराई जिसे परिवादी ने अस्वीकार कर दिया। इसी के साथ परिवादी एवं अप्रार्थीगण के बीच ऋण सम्बन्धी कार्यवाही समाप्त हो गई। कार्यवाही समाप्त होने पर परिवादी ने अप्रार्थी संख्या 1 से प्रोससिंग चार्ज के रूप में वसूल गये 2,000/- रूपये वापिस मांगे तो अप्रार्थी संख्या 1 ने देने से मना कर दिया। इसके बाद अपने ट्रेक्टर के रजिस्ट्रेषन प्रमाण-पत्र की अवधि बढाने अर्थात् आर.सी. रिन्यू कराने अप्रार्थी संख्या 2 के कार्यालय में गया तो अप्रार्थी संख्या 2 ने इस आधार पर रिन्यू करने से मना कर दिया कि उसकी आर.सी. में अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा लगाया हुआ हाईपोथिकेषन का नोट अंकित है। इस पर परिवादी को बडा आघात पहुंचा कि बिना ऋण राषि प्राप्ति किये उसके ट्रेक्टर की आर.सी. में हाईपोथिकेषन का नोट कैसे अंकित कर दिया? अप्रार्थीगण के इस कृत्य से परिवादी के टेªक्टर की आर.सी. रिन्यू नहीं हो सकी। इस पर परिवादी अप्रार्थी संख्या 1 के कार्यालय में गया तथा षिकायत की कि उसे जब ऋण की राषि ही उपलब्ध नहीं कराई गई तो उसके ट्रेक्टर की आर.सी. में हाईपोथिकेषन का नोट कैसे अंकित कर दिया। इस पर अप्रार्थी संख्या 1 ने गलती स्वीकार करते हुए कहा कि हमारी गलती हो गई, अब आप कुछ दस्तावेज व षपथ-पत्र पेष करो ताकि उक्त नोट हटा दिया जाये। जिस पर परिवादी ने अप्रार्थी संख्या 1 के कार्यालय में वांछित दस्तावेज भी जमा करवाये। इसके बाद भी परिवादी नोट हटवाने के लिए दो माह तक अप्रार्थीगण के कार्यालय में चक्कर काटता रहा तथा अप्रार्थीगण उसे झूंठे आष्वासन देते रहे। आखिर में नवम्बर, 2015 में अप्रार्थी संख्या 1 के कार्यालय से परिवादी को साफ मना कर दिया गया कि उसके ट्रेक्टर की आर.सी. में लगा नोट नहीं हटाया जायेगा। इस पर परिवादी को घोर मानसिक पीडा हुई कि बिना ऋण लिए उसकी आर.सी. में हाईपोथिकेषन नोट कैसे लग गया? अप्रार्थीगण ने इस बारे में उसकी कोई सुनवाई नहीं की। अप्रार्थीगण के उक्त कृत्य से परिवादी को अनावष्यक आर्थिक एवं मानसिक क्षति हुई। अप्रार्थीगण के उक्त कृत्य से परिवादी को मंच में आना पडा। अतः अप्रार्थीगण को आदेषित किया जाव कि वे परिवादी के ट्रेक्टर की आर.सी. से हाईपोथिकेषन नोट को हटावें तथा उससे प्रोसेसिंग फीस के रूप में लिये गये 2,000/- रूपये भी ब्याज सहित दिलाये जावे तथा परिवाद में अंकितानुसार अनुतोश दिलाया जावे।
2. अप्रार्थी संख्या 1 की ओर से दिनांक 30.12.2015 को अधिवक्ता श्री ष्याम कुमार व्यास ने वकालतनामा पेष कर जवाब के लिए समय चाहा, लेकिन उसके बाद पर्याप्त अवसर दिये जाने के बावजूद कोई जवाब पेष नहीं किया गया। अप्रार्थी संख्या 2 बावजूद तामिल न्यायालय में उपस्थित नहीं आया तथा न ही कोई जवाब पेष किया गया।
3. बहस अंतिम योग्य अधिवक्ता पक्षकारान सुनी गई। अभिलेख का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।
4. परिवादी द्वारा अपने परिवाद में किये गये अभिकथनों के समर्थन मंे स्वयं का षपथ-पत्र पेष करने के साथ ही अपने वाहन ट्रेक्टर नम्बर आर.जे.एस. 8107 के पंजीयन प्रमाण-पत्र की फोटो प्रति भी पेष की। परिवादी द्वारा वाहन के पंजीयन प्रमाण-पत्र पर हाईपोथिकेषन का नोट अंकित है। जबकि परिवादी के कथनानुसार अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा परिवादी को कोई ऋण सुविधा उपलब्ध नहीं करवाई गई थी तथा न ही परिवादी ने किसी प्रकार का कोई ऋण प्राप्त किया था। परिवादी द्वारा किये गये अभिकथनों एवं प्रस्तुत षपथ-पत्र के खण्डन में अप्रार्थी पक्ष की ओर से न तो कोई जवाब पेष हुआ है तथा न ही किसी प्रकार की कोई साक्ष्य पेष हुई है। ऐसी स्थिति में परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद पर अविष्वास करने का कोई कारण पत्रावली पर नहीं हैै। ऐसी स्थिति में परिवादी का परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
5. परिणामतः परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद अन्तर्गत धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 का अप्रार्थीगण के विरूद्ध स्वीकार किया जाकर आदेष दिया जाता है कि परिवादी के वाहन ट्रेक्टर नम्बर आर.जे.एस. 8107 के पंजीयन प्रमाण-पत्र से हाईपोथिकेषन का नोट अविलम्ब हटाया जावे। यह भी आदेष दिया जाता है कि अप्रार्थीगण परिवादी को 2,500/- रूपये परिवाद व्यय के भी अदा करें।
6. आदेष आज दिनांक 06.04.2016 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
नोटः- आदेष की पालना नहीं किया जाना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 27 के तहत तीन वर्श तक के कारावास या 10,000/- रूपये तक के जुर्माने से दण्डनीय अपराध है।
।बलवीर खुडखुडिया। ।ईष्वर जयपाल। ।राजलक्ष्मी आचार्य।
सदस्य अध्यक्ष सदस्या