प्रकरण क्र.सी.सी./14/171
प्रस्तुती दिनाँक 31.05.2014
जसवंत सिंह आ प्रीतपाल सिंह, निवासी-मकान नं 750/3, शास्त्री नगर कैंप 1 भिलाई तह. व जिला-दुर्ग (छ.ग.)
- - - - परिवादी
विरूद्ध
1. श्रीमान प्रबंधक, श्रीराम जनरल इंश्योरेंस कंपनी लि.मि. प्रधान कार्यालय- ई.8 ई.पी.आई.पी, रिको इंडस्ट्रियल एरिया, सीतापुर, जयपुर राजस्थान 302022 स्थानीय कार्यालय- शाॅप नं.17, मौर्या चंद्रा टाॅकीज के पास, चैहान स्टेट, जी.ई.रोड, सुपेला, भिलाई तह व जिला-दुर्ग (छ.ग.)
- - - - अनावेदकगण
आदेश
(आज दिनाँक 26 मार्च 2015 को पारित)
श्रीमती मैत्रेयी माथुर-अध्यक्ष
परिवादी द्वारा अनावेदक से बीमाकृत वाहन की क्षतिपूर्ति राशि 5,48,500रू. मय ब्याज, मानसिक कष्ट हेतु10,000रू., वाद व्यय 4,000रू व अन्य अनुतोष दिलाने हेतु यह परिवाद धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत प्रस्तुत किया है।
परिवाद-
(2) परिवादी का परिवाद संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी के द्वारा अपनें वाहन ट्रक का बीमा अनावेदक बीमा कंपनी से दिनंाक 28.08.13 से दि.27.08.14 की अवधि के लिए कराया था। परिवादी का उक्त वाहन दिनांक 09.09.13 को दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिसमें वाहन क्षतिग्रस्त हो गया। परिवादी के द्वारा अनावेदक बीमा कंपनी को इसकी सूचना प्रदान की गई तथा दस्तावेजी कार्यवाही पूर्ण की गई। अनावेदक के सर्वेयर के द्वारा वाहन में क्षति का आंकलन 7,32,956रू किया गया तथा 5,48,500रू भुगतान किए जानें का अभिमत प्रदान किया गया था जिसे परिवादी को प्रदान नहीं किया गया है परिवादी के द्वारा अपनें अधिवक्ता के माध्यम से अनावेदक को विधिक नोटिस दिनंाक 01.04.14 को प्रेषित किया गया जिसका कोई जवाब अनावेदक के द्वारा नहंी दिया गया। इस प्रकार अनावेदक के द्वारा की गई सेवा में कमी के लिए 5,48,500रू वाहन की क्षतिूपर्ति राशि व 10,000 मानसिक संताप हेतु, 4000रू वाद व्यय इस प्रकार कुल 5,62,500रू अनावेदक से दिलाया जावे।
जवाबदावाः-
(3) अनावेदक क्र1 का जवाबदावा इस आशय का प्रस्तुत है कि अनावेदक बीमा कंपनी के द्वारा अपनें सर्वेयर श्री धनंजय वी.एकारे से वाहनका सेर्व कराया गया। उसके द्वारा वाहन में 5,48,500रू का नेट लाॅस असेस्ड किया गया है। परिवादी द्वारा अपनें वाहन को श्री राम ट्रांसर्पोट फायनेंस कंपनी से फायनेंस में क्रय किया गया है। बीमा कंपनी के द्वारा परिवादी की सहमति से वाहन क्षति की क्षतिपूर्ति राशि 5,00,000रू परिवादी के फायनेंसर कंपनी के लोन एकाउंट मे दिनंाक 01.08.14 को जमा किया गया है। इस प्रकार बीमा कंपनी अन्य किसी राशि को परिवादी को प्रदान करनें हेतु उत्तरदायी नहीं है। अतः परिवादी का दावा निरस्त किया जावे।
(5) उभयपक्ष के अभिकथनों के आधार पर प्रकरण मे निम्न विचारणीय प्रश्न उत्पन्न होते हैं, जिनके निष्कर्ष निम्नानुसार हैं:-
1. क्या परिवादी, अनावेदक से दुर्घटनाग्रस्त वाहन की क्षतिपूर्ति राशि 5,48,500रू. मय ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है? केवल आंशिक राशि 48,500रू. पाने का हकदार है।
2. क्या परिवादी, अनावेदक से मानसिक परेशानी के एवज में 10,000रू. प्राप्त करने का अधिकारी है? नहीं
3. अन्य सहायता एवं वाद व्यय? आदेशानुसार परिवाद स्वीकृत
निष्कर्ष के आधार
(6) प्रकरण का अवलोकन कर सभी विचारणीय प्रश्नों का निराकरण एक साथ किया जा रहा है।
फोरम का निष्कर्षः-
(7) परिवादी का तर्क है कि बीमा अवधि के दौरान अभिकथित वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया था जिसकी सूचना परिवादी नें अविलंब अनावेदक को दी थी। अनावेदक के द्वारा क्षतिग्रस्त वाहन का स्पाट सर्वे तथा फाईनल सर्वे कराया गया तथा अनावेदक के सर्वेयर के द्वारा वाहन में हुई क्षति का अंतिम निर्धारण किया गया तथा अपनी रिपोर्ट अनावेदक संस्था के समक्ष भुगतान हेतु प्रस्तुत की गई लेकिन परिवादी को वाहन की क्षतिधन का भुगतान नहीं किया गया जबकि क्षति का आंकलन 7,32,956रू किया गया था तथा भुगतान हेतु आंकलन 5,48,500रू का किया गया जिसके संबंध में अनावेदक के द्वारा कोई संतोषपूर्ण जवाब नहीं दिया गया, जबकि अनावेदक बीमा कंपनी को अधिवक्ता मार्फत नोटिस भी दी गई थी।
(8) अनावेदक का तर्क है कि सर्वे में वाहन में नेट लाॅस 5,48,500रू का आंकलन किया गया और परिवादी की सहमति से परिवादी नें जो श्री राम ट्रांसपोर्ट फायनेंस कंपनी लिमि. के लोन एकाउंट में दिनांक 01.08.14 को जमा कर दी है। इस प्रकार अनावेदक के द्वारा किसी प्रकार सेवा में निम्नता कारित नहीं की गई है।
(9) प्रकरण का अवलोकन कर हम पाते है कि सर्वे रिपोर्ट एनेंक्सर ए.3 है जिसमें नेट लाॅस 5,48,500रू है अनावेदक का तर्क है कि उसनें 5,00,000रू परिवादी के लोन खाते में जमा कर दिए है अर्थात स्पष्ट है कि 48,500रू अनावेदक नें कम जमा किए है। सर्वे रिपोर्ट पर अविश्वास का कारण नहीं है फलस्वरूप हम यह अभिनिर्धारित करते है कि अनावेदक नें परिवादी को शेष राशि अदा न कर सेवा में निम्नता की है।
(10) चंूकि अनावेदक नें 5,00,000रू की राशि परिवदी के लोन खाते में जमा कर दी है इसलिए हम परिवादी को मानसिक वेदना के फलस्वरूप रकम दिलाया जाना उचित नहीं पाते है।
(11) प्रकरण के तथ्य एवं परिस्थितियों के आधार पर हम
हम परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद स्वीकार करते है और यह आदेश देते हैं कि अनावेदक, परिवादी को आदेश दिनांक से एक माह की अवधि के भीतर निम्नानुसार राशि अदा करे:-
(अ) अनावेदक, परिवादी को 48,500रू. ( अड़तालीस हजार पांच सौ रूपये) अदा करे।
(ब) अनावेदक द्वारा निर्धारित समयावधि के भीतर उपरोक्त राशि का भुगतान परिवादी को नहीं किये जाने पर अनावेदक, परिवादी को आदेश दिनांक से भुगतान दिनांक तक 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज अदा करने के लिए उत्तरदायी होगा।
(स) अनावेदक, परिवादी को वाद व्यय के रूप में 2,000रू. (दो हजार रूपये) भी अदा करे।