राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील सं0-998/2015
(जिला उपभोक्ता आयोग, इलाहाबाद द्वारा परिवाद सं0-208/2010 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 28-04-2015 के विरूद्ध)
1. एक्जक्यूटिव इंजीनियर, गंगा पार विद्युत वितरण मण्डल-द्वितीय, यूपीएसईबी, जार्ज टाउन, इलाहाबाद।
2. सुपरिण्टेण्डिंग इंजीनियर (जीएम), इलैक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीबूशन डिवीजन-द्वितीय, 57, जार्ज टाउन, इलाहाबाद।
...........अपीलार्थीगण/विपक्षीगण।
बनाम
श्री श्याम सुन्दर पाण्डेय, निवासी ग्राम रामपुर, पोस्ट हथिगहॉं, जिला इलाहाबाद।
............ प्रत्यर्थी/परिवादी।
समक्ष:-
1. मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री इसार हुसैन विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं।
दिनांक : 30-05-2023.
मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील, जिला उपभोक्ता आयोग, इलाहाबाद द्वारा परिवाद सं0-208/2010 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 28-04-2015 के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में अपीलार्थी का कथन है कि प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश विधि विरूद्ध, मनमाना है। विद्वान जिला आयोग अभिकथनों और अभिलेखों को समझने में असमर्थ रहा है।
परिवादी ने दिनांक 09-04-2010 को एक परिवाद प्रस्तुत किया था उसने घरेलू उपयोग हेतु लगभग 25 वर्ष पूर्व विपक्षी से विद्युत कनेक्शन लिया था जिसका कनेक्शन संख्या-041340 है। उक्त कनेक्शन परिवादी के पिता के नाम से था जिनकी मृत्यु हो गई। परिवादी के कनेक्शन में विद्युत मीटर नहीं लगाया गया, कई बार मीटर लगाने के लिए कहे जाने के बाबजूद भी मीटर विपक्षी ने नहीं लगाया। इसके बाबजूद भी परिवादी विपक्षी के विद्युत बिलों का भुगतान समय से करता रहा। नवम्बर, 2005 में बिना किसी नोटिस या सूचना के परिवादी का विद्युत कनेक्शन विच्छेदित करके केबिल खम्भे से विपक्षी द्वारा निकलवा दिया गया। पूछने पर बताया गया कि पोल ठीक जगह नहीं लगा है इसलिए इसे हटाया जा रहा है। यथाशीघ्र नया पोल लगवाकर पुन: विद्युत कनेक्शन चालू किया जायेगा लेकिन काफी समय बीत जाने के बाबजूद भी विपक्षी द्वारा न तो नया पोल लगवाया गया और न ही कनेक्शन दिया गया। परिवादी ने लिखित शिकायत विपक्षी के यहॉं दी लेकिन कोई कार्यवाही विपक्षी द्वारा नहीं की गई। विद्युत कनेक्शन विच्छेदित किए जाने के बाबजूद भी विद्युत बिल परिवादी को भेजा जाता रहा। इस सन्दर्भ में भी परिवादी ने शिकायत की लेकिन विपक्षीगण ने कोई ध्यान नहीं दिया। इसी बीच सन् 2007 में विपक्षी द्वारा यह आश्वासन दिया गया कि यदि बकाया विद्युत बिल परिवादी भुगतान कर दे तो उसका कनेक्शन चालू कर दिया जाएगा। इस पर परिवादी ने 2005 से विद्युत विच्छेदन किए जाने की बात कही लेकिन इसके बाबजूद भी भुगतान करने पर कनेक्शन लगाने का आश्वासन विपक्षी ने दिया। मजबूर होकर दिनांक 27-05-2007 को सम्पूर्ण बकाया 2274/- रू0 का भुगतान परिवादी ने कर दिया लेकिन इसके बाबजूद भी परिवादी का कनेक्शन आज तक नहीं लगाया गया। परिवादी ने दिनांक 08-02-2010 को जरिए अधिवक्ता वैधानिक नोटिस दिया इसके बाबजूद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई और मार्च, 2010 में 5,171/- रू0 का बिल विपक्षीगण ने प्रेषित कर दिया।
विद्वान जिला आयोग ने यह समझने में भूल की कि प्रत्यर्थी बिजली भुगतान से व्यथित है लेकिन इस मामले में लगभग साढ़े चार वर्ष पश्चात् परिवाद प्रस्तुत किया गया, अत: परिवाद कालबाधित है। विद्वान जिला आयोग ने इस सम्बन्ध में गलत निष्कर्ष दिया है। अत: माननीय राज्य आयोग से निवेदन है कि विद्वान जिला आयोग का प्रश्नगत निर्णय अपास्त करते हुए अपील स्वीकार की जाए।
हमारे द्वारा अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता की बहस विस्तार से सुनी गई तथा पत्रावली का सम्यक रूप से परिशीलन किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से नोटिस की पर्याप्त तामीली के बाबजूद कोई उपस्थित नहीं हुआ।
परिवादी ने कहा है कि नवम्बर, 2005 में उसका विद्युत कनेक्शन विच्छेदित किया गया। इसके पश्चात् परिवादी ने दिनांक 10-02-2010 को अपने अधिवक्ता के माध्यम से वैधानिक नोटिस दी किन्तु विद्युत विच्छेदन कर दिया गया।
लगभग चार पॉंच वर्ष पश्चात् विपक्षी को नोटिस दिया और तत्पश्चात् परिवाद प्रस्तुत किया। स्पष्ट है कि परिवाद अत्यधिक विलम्ब से प्रस्तुत किया गया था। विद्वान जिला आयोग को इसे देखना चाहिए था। इसके अतिरिक्त गॉंव में बिजली का बिल मासिक आधार पर लिया जाता है और मीटर नहीं लगाया जाता है और निश्चित शुल्क प्राप्त किया जाता है जो प्रत्यर्थी से भी प्राप्त किया जा रहा था किन्तु मीटर नहीं लगाया गया था।
अत: ऐसी स्थिति में हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश विधि सम्मत नहीं है और
अपास्त होने योग्य है। तदनुसार वर्तमान अपील स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
वर्तमान अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग, इलाहाबाद द्वारा परिवाद सं0-208/2010 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 28-04-2015 अपास्त किया जाता है।
अपील व्यय उभय पक्ष पर।
इस आयोग के निबन्धक से अपेक्षा की जाती है कि वर्तमान अपील योजित किए जाते समय धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत अपीलार्थी द्वारा जमा सम्पूर्ण धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी के पक्ष में विधि अनुसार एक माह में अवमुक्त कर दी जाए।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
दिनांक : 30-05-2023.
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-1,
कोर्ट नं.-2.