(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-3190/2002
मैसर्स गोदरेज एप्लाइंस लिमिटेड बनाम संजय जैन, पार्टनर खण्डेलवाल ग्लास इण्डस्ट्रीज
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
दिनांक : 17.09.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-161/2000, संजय जैन बनाम महाप्रबंधक, गोदरेज जी एप्लाइंस लि0 तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, हाथरस द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 18.11.2002 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री विकास अग्रवाल की कनिष्ठ सहायक सुश्री पलक सहाय गुप्ता तथा प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री मोहन अग्रवाल को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवादी को विक्रय किए गए ए.सी. को परिवर्तित करने, अन्यथा इनकी कीमत अंकन 1,09,509/-रू0 9 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस लौटाने का आदेश पारित किया है।
3. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि विपक्षीगण से दिनांक 15.3.2000 को तीन ए.सी. क्रय किए गए, जिन पर 12 महीने की वारण्टी प्रदान की गई थी, परन्तु ए.सी. घोषित गुणवत्ता के अनुरूप नहीं पाए गए। ए.सी. लगाने पर इन सभी ए.सी. से पानी निकलने लगा, जिसके कारण कमरे के गद्दे, कार्पेट खराब हो गए तथा इनकी रेलिंग चलते-चलते बंद हो जाती है। ए.सी. के लगने से कोई लाभ नहीं हुआ, बल्कि हानि कारित हुई है। बच्चों की पढ़ाई बाधित हुई। कंपनी को शिकायत की गई, परन्तु ए.सी. परिवर्तित नहीं किए गए, इसलिए उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया गया।
4. विपक्षीगण का कथन है कि 12 महीने की अवधि में किसी भी पार्ट में खराबी होने पर उनको परिवर्तित किया जा सकता है, परन्तु यदि ए.सी. का सही प्रयोग नहीं किया गया या विद्युत सप्लाई उचित
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नहीं है तब वारण्टी शून्य हो जाती है। इसी प्रकार अगर वोल्टेज 230 +10 से ज्यादा आता है तो ए.सी. खराब होने पर कोई वारण्टी नहीं होती। टेक्निशियन द्वारा देखने पर पाया गया कि ए.सी. सही रूप से कार्य कर रहे थे और इनमें कोई कमी नहीं थी।
5. विद्वान जिला आयोग ने साक्ष्यों की व्याख्या करने के पश्चात यह पाया कि ए.सी. के संबंध में एक्सपर्ट रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, जो विश्वसनीय है और इस रिपोर्ट के अनुसार ए.सी. को त्रुटिपूर्ण पाया गया। तदनुसार ए.सी. बदलने के आदेश पारित किए गए या इसकी कीमत वापस लौटाने का आदेश पारित किया गया।
6. अपील के ज्ञापन तथा मौखिक तर्कों का सार यह है कि ए.सी. में निर्माण संबंधी त्रुटि होने का कोई सबूत पत्रावली पर मौजूद नहीं है। एम.जी. पालीटेक्निकल प्रिंसिपल इलेक्ट्रानिक्स इंजीनियर नहीं हैं, इसलिए उनके द्वारा विशेषज्ञ रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की जा सकती।
7. प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि रिपोर्ट इलेक्ट्रानिक्स इंजीनियर द्वारा तैयार की गई है। प्रिंसिपल द्वारा केवल रिपोर्ट अग्रसारित की गई है, क्योंकि प्रिंसिपल विभाग के हेड हैं। विद्वान जिला आयोग द्वारा इस संबंध में साक्ष्य की विस्तृत व्याख्या की गई है। इलेक्ट्रानिक इंजीनियर की रिपोर्ट को विचार में लेते हुए निर्माण संबंधी त्रुटि को स्थापित पाया गया। विद्वान जिला आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई साक्ष्य के आधार पर ही निर्णय/आदेश पारित किया गया है, यह निर्णय/आदेश किसी भी दृष्टि से साक्ष्य की अनुचित व्याख्या पर आधारित होना नहीं पाया जाता है। तदनुसार इस निर्णय/आदेश में परिवर्तन का कोई आधार नहीं है। अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
8. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2