(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1202/2004
Sri Bhagwan Das Kushwah S/O Sri Bhole Ram Kushwah
Versus
Sri Rishi Kumar Gupta C/O Rishi Gyan Kendra
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री बृजेन्द्र चौधरी, विद्धान अधिवक्ता
दिनांक :11.06.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-552/1999, श्री भगवान दास बनाम श्री ऋषि कमार गुप्ता में विद्वान जिला आयोग, (प्रथम) आगरा द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 06.05.2004 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर केवल प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना गया। अपीलार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवादी द्वारा कोचिंग प्राप्त करने करने के उद्देश्य से विपक्षी संस्थान में जमा की गयी फीस को वापस करने का अनुरोध इस आधार पर निरस्त किया है कि परिवादी स्वयं अध्ययन के दौरान पढ़ाई छोड़कर चले गये, इसलिए विपक्षी का कोई उत्तरदायित्व फीस वापस करने का नहीं है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार मेडिकल टेस्टों में प्रवेश दिलाने के लिए विपक्षी द्वारा कोचिंग संचालित की जाती है। परिवादी ने भी कोचिंग प्राप्त करने के लिए 32,000/-रू0 जमा किया था, परंतु कोचिंग संतोषजनक नहीं लगने पर तथा योग्य शिक्षक न होने के कारण तथा एक ही हॉल के अंदर 120 विद्यार्थियों को पढ़ाने के कारण परिवादी कोचिंग से संतुष्ट नहीं हुआ, इसलिए कोचिंग को छोड़कर चला आया। कोचिंग को अधूरा छोड़कर आने में विपक्षी को जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा उत्तरदायित्व नहीं ठहराया गया है क्योंकि परिवादी ने स्वयं परिवाद पत्र में कथन किया है कि कोचिंग की अव्यवस्थाओं के कारण कोचिंग अधूरी छोड़ी गयी, जबकि विपक्षी ने यह कथन किया है कि यथार्थ में परिवादी के पुत्र को कोई प्रवेश ही नहीं दिया गया और उसका प्रवेश लेने के लिए आवेदन निरस्त कर दिया गया क्योकि परिवादी के पुत्र केवल द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण हुआ, जबकि प्रथम श्रेणी में पास विद्यार्थी को ही कोचिंग के लिए प्रवेश दिया जाता था। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा यह भी निष्कर्ष दिया गया कि शिक्षण संस्थान से संबंधित विवाद को सुनिश्चित करने का अधिकार उपभोक्ता आयोग को नहीं है यद्यपि विपक्षी को एक शिक्षण संस्थान नहीं माना जा सकता, परंतु चूंकि विपक्षी के स्तर से सेवा में कमी कारित होना स्थापित नहीं है। अत: इस आधार पर निर्णय/आदेश को परिवर्तित करने का कोई आधार नहीं है। तदनुसार अपील खारिज होने योग्य है।
आदेश
अपील खारिज की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्ताराण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2