(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1678/2011
(जिला आयोग, बाराबंकी द्वारा परिवाद संख्या-119/2006 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 19.7.2011 के विरूद्ध)
प्रबंधक खुशी आटो फाइनेंस, फैजाबाद रोड, डाक्टर वर्मा की कोठी के सामने, जनपद बाराबंकी।
अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
श्री राम वर्मा पुत्र ईश्वर लाल, निवासी ग्राम रायपुर, परगना प्रतापगंज, पोस्ट दादरा सफदरगंज, जिला बाराबंकी।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री ए.के. पाण्डेय।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 09.07.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-119/2006, श्री राम वर्मा बनाम प्रबंधक खुशी आटो फाइनेंस में विद्वान जिला आयोग, बाराबंकी द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 19.7.2011 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षी को निर्देशित किया है कि परिवादी से खींचे गए ट्रक को 45 दिन के अन्दर वापस लौटाने का आदेश पारित किया है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी ने अंकन 1,85,000/-रू0 का ऋण स्वीकृत कराकर एक ट्रक अक्टूबर 2005 में क्रय किया था, जिसकी प्रथम किस्त नवम्बर 2005 में देय थी। सम्पूर्ण ऋण 30 किस्तों में प्रत्येक माह अंकन 9,250/-रू0 किस्त के अनुसार अदा किया जाना था। परिवादी द्वारा जनवरी 2006 तक किस्त अदा की जाती रही, परन्तु फरवरी 2006 में अस्वस्थ होने के कारण तथा पुत्री के विवाह के कारण किस्त की अदायगी नहीं हो सकी। परिवादी द्वारा दिनांक 18.4.2006 को अंकन 9,300/-रू0 जमा किए गए। मई 2006 की किस्त अदा नहीं कर पाया। विपक्षी के कर्मचारियों द्वारा जबरन नोटिस दिए बिना दिनांक 2.6.2006 को वाहन छीन लिया गया। परिवादी ने दिनांक 12.6.2006 को पुन: अंकन 9,250/-रू0 अदा किया, इसके बाद दिनांक 22.6.2006 को भी अंकन 9,250/-रू0 अदा किए गए हैं, परन्तु ट्रक वापस नहीं किया गया, इसलिए ट्रक प्राप्ति के लिए परिवाद प्रस्तुत किया गया।
4. विपक्षी को ऋण स्वीकृत करना, ट्रक विक्रय करना स्वीकार है, परन्तु आगे कथन किया गया कि समय पर किस्तों का भुगतान नहीं किया गया। परिवादी ने स्वंय अण्डर टेकिंग लिखकर दिया था कि यदि दिनांक 30.6.2006 तक किस्तों का भुगतान नहीं कर पाता है तब विपक्षी ट्रक की नीलामी करने के लिए स्वतंत्र होगा। यह विवाद मध्यस्थ के माध्यम से निपटाया जाना चाहिए था।
5. पक्षकारों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि नोटिस दिए बिना वाहन को जब्त करना अवैध है। तदनुसार वाहन को वापस लौटाने का आदेश पारित किया गया है।
6. लिखित कथन में यह उल्लेख है कि चूंकि स्वंय परिवादी ने समय पर किस्त का भुगतान नहीं किया, इसलिए वाहन को कब्जे में लिया गया है, परन्तु पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य के अवलोकन से ज्ञात होता है कि परिवादी द्वारा दिनांक 28.1.2006 को अंकन 9,300/-रू0 जमा किए गए। फरवरी एवं मार्च माह में किस्त अदा नहीं की गई। इसके पश्चात परिवादी द्वारा 8.4.2006 को अंकन 9,300/-रू0 तथा दिनांक 12.6.2006 को अंकन 9,250/-रू0 तथा दिनांक 22.6.2006 को अंकन 9,250/-रू0 जमा किए गए हैं। अत: इन तिथियों पर किस्त जमा करने के पश्चात कभी भी 90 दिन की अवधि में किस्त अदा करने में बाधा कारित नहीं हुई है। नोटिस देने का तथ्य स्थापित नहीं है, इसलिए बलपूर्वक वाहन को परिवादी से जब्त कर लेने की कार्यवाही विधि विरूद्ध है। अत: विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
7. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2