Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/98/2015

OM PRAKASH - Complainant(s)

Versus

SRI RAM TRANSPORT CO.LTD. - Opp.Party(s)

YOGENDRA PRASAD YADAV

12 Oct 2018

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum
Azamgarh(U.P.)
 
Complaint Case No. CC/98/2015
( Date of Filing : 27 May 2015 )
 
1. OM PRAKASH
AZAMGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. SRI RAM TRANSPORT CO.LTD.
AZAMGARH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE KRISHNA KUMAR SINGH PRESIDENT
 HON'BLE MR. RAM CHANDRA YADAV MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 12 Oct 2018
Final Order / Judgement

1

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 98 सन् 2015

   प्रस्तुति दिनांक 27.05.2015

निर्णय दिनांक  12.10.2018

ओम प्रकाश यादव पुत्र सूर्यबली यादव, ग्राम व पोस्ट- तमौली, थाना- रानी की सराय, तहसील- सदर, जनपद- आजमगढ़। ................ ..........................................................................................याची।

बनाम

  1. श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेन्स कम्पनी लिo, थर्ड फ्लोर, हाउस नं. 585 एबव विशाल मेगामार्ट, प्लाट नं- 384, सिविल लाइन्स, आजमगढ़ द्वारा क्षेत्रीय प्रबन्धक।
  2. श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेन्स कंपनी लिo फर्स्ट फ्लोर- 101-, 105 बीविंग, शिव चैम्बर्स सेक्टर- 11 सीबीआई. बेलापुर, नवी मुम्बई- 400614 द्वारा प्रधान मैनेजिंग डायरेक्टर।
  3. श्रीराम ट्रान्सपोर्ट फाइनेन्स कंपनी लिo- मुहल्ला- इकबाल अब्बासी, सूरजदीप काम्प्लेक्स, जायलीन रोड, दैनिक जागरण तिराहा, लखनऊ। द्वारा रीजनल मैनेजिंग डायरेक्टर।
  4. श्रीराम ट्रान्सपोर्ट फाइनेन्स कम्पनी लिo, शान्तिवन काम्पलेक्स सिंगरा पेट्रोल पम्प , अरविन्द मेडिकल हाल के सामने, वाराणसी। द्वारा मण्डलीय प्रबन्धक।

       ...............................................................................विपक्षीगण।

 

उपस्थितिः- अध्यक्ष- कृष्ण कुमार सिंह, सदस्य- राम चन्द्र यादव

 

निर्णय

अध्यक्ष- “कृष्ण कुमार सिंह”-

     परिवादी ने परिवाद पत्र प्रस्तुत कर यह कहा है कि वह विपक्षी गण का उपभोक्ता है और वे उपभोक्ता संरक्षण अधिनयम 1986 की धारा 2(1)(O) के तहत अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं और याची धारा 2(1)(D) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत विपक्षीगण का उपभोक्ता है। याची ने विपक्षी संख्या 01 के यहां से अपने वाहन ट्रक संख्या यू.पी.64टी./2107 के लिए दिनांक 10.11.2014 को मुo 3,60,000/- रुपये का फाइनेन्स करवाया, जिसकी शर्तों के अनुसार 15,950/- रुपये प्रतिमाह किश्त निर्धारित की गयी और यह किश्त 20.12.2014 से शुरू होकर 20.06.2017 तक देनी नियत की गयी।

2

विपक्षी संख्या 01 ने नियमित रूप से दिनांक 20.12.2014 को मुo 18,500/- रुपया, दिनांक 20.01.2015 को 16,000/- रुपया, दिनांक 20.02.2015 को 16,000/- रुपया, दिनांक 20.03.2015 को 14,000/- रुपये तथा दिनांक 01.04.2015 को 2,200/- रुपये का भुगतान किया और अग्रिम देय तिथि दिनांक 20.04.2015 को नियत थी। परन्तु उक्त तिथि के पूर्व ही दिनांक 08.04.2015 को विपक्षी संख्या 04 द्वारा बनारस शहर बाईपास टेंगरामोड़ से याची का उपरोक्त वाहन बिना कोई पूर्व सूचना के अकारण अवैध तरीके से अपनी अभिरक्षा में कर लिया गया। उनके द्वारा कोई उल्लिखित प्रमाण पत्र भी नहीं दिया गया। ऐसा होने से परिवादी को 5,000/- रुपये रोज का नुकसान हो रहा है। परिवादी ने विपक्षी गण से वाहन को अवमुक्त कराने हेतु बार-बार प्रयास किया जाता रहा, लेकिन उन्होंने अवमुक्त नहीं किया। अतः याची ने दिनांक 29.04.2015 को जरिए रजिस्टर्ड डॉक प्रेषित किया। जिसका कोई जवाब नहीं दिया गया। विपक्षीगण द्वारा नोटिस प्राप्त होने के बाद न तो जवाब, न तो कोई कारण प्रस्तुत किया गया। याचना में परिवादी ने यह कहा है कि उसे याचिका दाखिल करने की तिथि से 2,81,000/- रुपया मय 18% चक्रवृद्धि ब्याज की दर से अदा किया जाए और उन्हें यह भी आदेश दिया जाए कि वह निरुद्ध वाहन को परिवादी के हक में अवमुक्त कर दें। परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

     कागज संख्या 6/2 नोटिस की छायाप्रति, कागज संख्या 6/1 डॉक रजिस्ट्री की रसीद, कागज संख्या 6/4 फॉर्म ऑफ सर्टीफिकेट, कागज संख्या 6/3 सर्टीफिकेट ऑफ फिटनेस, कागज संख्या 6/6 परमिट, 6/7 इन्श्योरेन्स की छायाप्रति, 6/8 ड्रॉइविंग लाइसेंस की छायाप्रति, 6/9 लोन की रसीद का डुप्लीकेट, 6/10, 6/11, 6/12, 6/13 लोन की रसीद की डुप्लीकेट।

     कागज संख्या 10क² श्रीराम कम्पनी फाइनेन्स लिमिटेड की ओर से प्रस्तुत जवाबदावा है। इस जवाबदावा में विपक्षी ने परिवाद पत्र में किए गए कथन के पैरा 1 ता 9 से इन्कार किया है। विशेष कथन में यह कहा है कि वह रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की दिशा निर्देशों के अनुसार नए व पुराने व्यावसायिक वाहनों के लिए ऋण सुविधा हायर परचेज एग्रीमेन्ट अपनी शाखाओं के माध्यम से सम्पूर्ण भारत में उपलब्ध करवाता है। जिसका रजिस्टर्ड ऑफिस चेन्नई में है। ट्रान्सपोर्ट के पॉवर ऑफ एटॉर्नी होल्डर आशीष कुमार उपाध्याय हैं। ऋण अनुबन्ध के शर्तों के अनुसार शिकायत कर्ता और विपक्षीगण के

3

मध्य ऋण की धनराशि या लेखा में किसी प्रकार की त्रुटि या कोई अन्य विवाद होने पर निपटारा आर्बिट्रेटर द्वारा किए जाने का प्रावधान किया गया है। ऋण अनुबन्ध संख्या AZGRHO411080001 दिनांक 10.11.2014 को शाखा कार्यालय आजमगढ़ द्वारा 3,60,000/- रुपये का लोन उमेश यादव का प्रदान किया गया था। जिसका भुगतान 31 किश्तों में कुल 4,96,998/- रुपया किया जाना था। परिवादी ने मार्च 2015 तक ही किश्तें अदा किया। उसके बाद परिवादी के ट्रक को अपनी अभिरक्षा में लेने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता है। जिस नुकसान का उल्लेख परिवाद पत्र में किया गया है उसके लिए विपक्षी उत्तरदायी नहीं है। परिवादी कोई भी अनुतोष पाने के अधिकृत नहीं है। अतः परिवाद खारिज किया जाए। प्रतिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है। विपक्षी की ओर से पॉवर ऑफ एटॉर्नी की छायाप्रति प्रस्तुत की गयी है।

     किसी भी पक्ष द्वारा लिखित बहस प्रस्तुत नहीं की गयी है।

     चूंकि उभय पक्ष अनुपस्थित हैं। अतः उनके बिना सुनवाई के, परिवाद पुराना होने के कारण पत्रावली निर्णय में संरक्षित की गयी है। विपक्षी ने यह कहा है कि अनुबन्ध में आर्बिट्रेसन द्वारा निर्णय होना था। अतः फोरम को इस परिवाद के विचारण का क्षेत्राधिकार हासिल नहीं है। इस सन्दर्भ में यदि हम निर्णय “स्काई पैक कोरियर लिo अन्य बनाम टाटा केमिकल लिमिटेड AIR 2000 SC 2008” का अवलोकन करें तो निर्णय में माननीय उच्चतम न्यायालय ने यह अभिधारित किया है कि यदि क्लेम में आर्बिट्रेशन क्लास भी समाहित हो तो भी फोरम को सुनवाई का क्षेत्राधिकार हासिल है। अतः ऐसी परिस्थिति में विपक्षी ने जो परिवाद पत्र में कथन किया है। वह पोषणीय नहीं है।

     परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि उसने बीमा विपक्षी संख्या 01 से करवाया था। परिवाद पत्र के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि दिनांक 08.04.2015 तक ही उसके द्वारा किश्तें जमा की गयी थीं। परिवादी ने परिवाद पत्र पर ऐसा कोई सबूत प्रस्तुत नहीं किया है कि उसका ट्रक विपक्षी गण ने जब्त कर लिया है। इस बात का उल्लेख कर देना आवश्यक है कि परिवादी ने विपक्षी संख्या 01 से इन्श्योरेन्स बीमा करवाया था। लेकिन उसकी नोटिस के अवलोकन से यह स्पष्ट हो रहा है कि उसने विपक्षी संख्या 01 ता 04 को नोटिस भेजा था। परिवादी किस विपक्षी से अनुतोष की याचना करता है। इस बात को स्पष्ट करने में वह असमर्थ रहा है।

 

4

     उपरोक्त विवेचन से मेरे विचार से परिवाद अस्वीकार होने योग्य है।

आदेश

परिवाद अस्वीकार किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 

राम चन्द्र यादव                  कृष्ण  कुमार सिंह

(सदस्य)                          (अध्यक्ष)

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE KRISHNA KUMAR SINGH]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. RAM CHANDRA YADAV]
MEMBER

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