Uttar Pradesh

Faizabad

CC/157/2013

PUSHPA SINGH - Complainant(s)

Versus

SRI RAM TRAN. - Opp.Party(s)

07 May 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/157/2013
 
1. PUSHPA SINGH
RES- VILL-PO. PITHLA PAR. KHANDASA TEH MILKIPUR DISFZD
...........Complainant(s)
Versus
1. SRI RAM TRAN.
NEAR PUBLIC HOSPITAL BAIPASS RAI BARELY ROAD USRU FZD
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA MEMBER
 HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।

    

उपस्थित -     (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
        (2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य

              परिवाद सं0-157/2013

               
पुष्पा सिंह पत्नी श्री विजय सेन सिंह निवासी ग्राम व पोस्ट पिठला परगना खण्डासा तहसील मिल्कीपुर जनपद फैजाबाद।                                                                   .............. परिवादी
बनाम
प्रबन्धक श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेन्स कम्पनी लि0 निकट पब्लिक हास्पिटल बाईपास रायबरेली रोड उसरु फैजाबाद।
                                                                              ..........  विपक्षी
निर्णय दिनाॅंक 13.05.2015            
उद्घोषित द्वारा: श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य।
                        निर्णय
    परिवादिनी के परिवाद का संक्षेप इस प्रकार है कि परिवादिनी ने वाहन संख्या यू पी 42 टी 2775 ट्रक को विपक्षी से रिफाइनेन्स करा कर रुपये 4,30,000/- ऋण ले कर खरीदा जिसकी वह स्वामिनी है। परिवादिनी निर्धारित किश्तें जमा कर रही थी, इसी बीच परिवादिनी अपने इलाज के लिये बाहर चली गयी जिस कारण दो किश्तें समय से नहीं दे सकी। विपक्षी ने परिवादिनी के कथित ट्रक जिसकी कीमत रुपये 8,00,000/- थी को अपने गुण्डों से दिनंाक 25.11.2010 को जबरन ख्ंिाचवा कर अपने कब्जे में ले लिया और विपक्षी उक्त वाहन को चलवा कर धन अर्जित करने लगा मगर वाहन का कोई टैक्स जमा नहीं किया। माननीय न्यायालय के आदेश के अनुसार विपक्षी बिना विधिक कार्यवाही के वाहन को अपने कब्जे मंे नहीं ले सकता, इस प्रकार विपक्षी ने परिवादिनी को सामाजिक, मानसिक व आर्थिक हानि पंहुचायी है। परिवादिनी के विरुद्ध उपसंभागीय परिवहन कार्यालय फैजाबाद द्वारा बकाये टैक्स का वसूली प्रमाण पत्र जारी हो गया है। परिवादिनी ने विपक्षी से बार बार मौखिक व लिखित रुप में बकाया धनराशि जमा करा कर वाहन वापस करने को कहा। मगर विपक्षी ने परिवादिनी को प्रश्नगत वाहन वापस नहीं किया और न ही बकाये की धनराशि की कोई सूचना ही दी। परिवादिनी को विपक्षी के कृत्य से प्रति दिन लगभग रुपये 500/- की हानि हो रही है और परिवादिनी के सामने रोजी रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है। परिवादिनी ने विपक्षी को कई बार जन सूचना अधिकार अधिनियम के तहत कई बार लिखा पढ़ी की मगर विपक्षी ने उसका कोई उत्तर नहीं दिया। अन्त में परिवादिनी ने अपने अधिवक्ता के जरिए विपक्षी को कानूनी नोटिस दिनंाक 26.02.2013 दिया जिसका भी विपक्षी ने कोई उत्तर नहीं दिया और कोई भी बकाया भी नहीं बताया। विपक्षी द्वारा कोई सहयोग न करने पर परिवादिनी को अपना परिवाद दाखिल करना पड़ा। परिवादिनी को विपक्षी से वाहन के बकाये का स्टेटमंेट दिलाया जाय, रुपये 500/- प्रति दिन के हिसाब से क्षतिपूर्ति दिलायी जाय, ट्रक की कुल कीमत में से बकाया घटा कर बची रकम परिवादिनी को दिलायी जाय, परिवादिनी को ट्रक वापस दिलाया जाय, आर्थिक व मानसिक क्षति के लिये रुपये 2,00,000/- तथा परिवाद व्यय रुपये 1,00,000/- दिलाया जाय। 
    विपक्षी के विरुद्ध परिवाद की सुनवाई एक पक्षीय रुप से सुने जाने का आदेश दिनांक 28.09.2013 को किया जा चुका था और विपक्षी पर तामीला पर्याप्त मानी जा चुकी थी। परिवादिनी ने अपनी एक पक्षीय बहस दाखिल की तथा अपनी बहस दिनांक 22.04.2015 को कर दी और पत्रावली निर्णय हेतु दिनांक 07-05-2015 को नियत की गयी। निर्णय वाले दिन दिनांक 07.05.2012 को विपक्षी ने एक पक्षीय आदेश दिनांक 28.09.2013 को वापस लिये जाने का प्रार्थना पत्र दिया किन्तु उक्त प्रार्थना पत्र पर बल देने के लिये दिनांक 13.05.2015 तक विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। अतः पत्रावली का भली भंाति परिशीलन के बाद परिवाद का निर्णय गुण दोष के आधार पर किया। 
    परिवादिनी ने अपने पक्ष के समर्थन में अपना शपथ पत्र, वाहन के पंजीकरण प्रमाण पत्र की छाया प्रति, जन सूचना अधिकार अधिनियम के तहत दिये गये पत्र दिनांक 11.07.2011 की छाया प्रति, जन सूचना अधिकार अधिनियम के तहत दिये गये अुनस्मारक पत्र दिनांक 23.09.2011 की छाया प्रति, राज्य सूचना आयोग में की गयी अपील दिनांक 26.11.2011 की छाया प्रति, मुख्य सूचना आयुक्त को दिये गये स्मरण पत्र दिनांक 25.11.2011, 21.06.2012 की छाया प्रतियां, विपक्षी द्वारा वाहन को खींचे जाने की सूचना के पत्र दिनांक 25.11.2010 की छाया प्रति, सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी द्वारा जारी वसूली प्रमाण पत्र दिनांक 22.05.2012 की छाया प्रति, विपक्षी को दिये गये नोटिस दिनांक 26.02.2013 की छाया प्रति, साक्ष्य में परिवादिनी ने अपना शपथ पत्र, परिवादिनी की लिखित बहस तथा सूची पर विपक्षी के यहां जमा की गयी रकम की मूल रसीदें दाखिल की हैं जो शामिल पत्रावली हैं। परिवादिनी ने अपने परिवाद में कथन किया है कि उसके ट्रक की कीमत रुपये 8,00,000/- थी मगर परिवादिनी ने इस बात का कोई साक्ष्य दाखिल नहीं किया है। परिवादिनी ने विपक्षी से ट्रक के लिये रुपये 4,30,000/- का ऋण लिया था और परिवादिनी ने विपक्षी को रुपये 3,06,950/- दिनांक 31.08.2010 तक जमा कर दिये थे, जिनकी मूल रसीदें परिवादिनी ने सूची पर दाखिल की हैं। परिवादिनी ने अपने परिवाद में यह कहीं नहीं लिखा है कि उसको विपक्षी को भुगतान करने के लिये कितने रुपये की मासिक किश्त देनी थी तथा कुल कितना रुपया अदा करना था और कितने प्रतिशत ब्याज पर ऋण लिया गया था। परिवादिनी ने अपने परिवाद में यह भी कहीं नहीं लिखा है कि उसने ऋण किस तारीख में लिया था। किन्तु विपक्षी ने परिवादिनी का वाहन बिना किसी सूचना के अपने लोगों द्वारा जबरदस्ती खिंचवा लिया यह दाखिल प्रपत्रों से प्रमाणित है। विपक्षी को परिवादिनी को पहले सूचना देनी चाहिए थी कि वह अपना बकाया जमा करे अन्यथा वाहन खींच लिया जायेगा। इस प्रकार का कोई पत्र विपक्षी ने परिवादिनी को नहीं लिखा है। इस प्रकार विपक्षी ने परिवादिनी का वाहन बिना सूचना खींच कर अपनी सेवा में कमी की है। परिवादिनी के पंजीकरण प्रमाण पत्र पर श्रीराम फाइनेन्स का नाम हाइपोथिकेशन में चढ़ा है। परिवादिनी ने विपक्षी को रुपये 3,06,950/- जमा कर दिये थे। परिवादिनी का वाहन विपक्षी के कब्जे में है अतः विपक्षी परिवादिनी से बकाये की अन्य रकम पाने का अधिकारी नहीं हैं। चूंकि परिवादिनी के वाहन की कीमत रुपये 8,00,000/- थी और परिवादिनी रुपये 3,06,950/- जमा कर चुकी थी इसलिये परिवादिनी क्षतिपूर्ति पाने की अधिकारिणी है। परिवादिनी ने वाहन खींचने की सूचना संभागीय परिवहन विभाग को नहीं दी थी इसलिये परिवादिनी परिवहन विभाग का टैक्स अदा करने के लिये जिम्मेदार है। परिवादिनी परिवहन विभाग का टैक्स अदा कर के परिवहन विभाग में यह लिख कर दें कि आगे का टैक्स विपक्षी करेंगे। फोरम को परिवहन विभाग की आर.सी. रोकने का अधिकार नहीं है। परिवादिनी ने यह प्रमाणित कर दिया है कि विपक्षी ने अपनी सेवा में कमी की है। परिवादिनी का परिवाद विपक्षी के विरुद्ध अंाशिक रुप से स्वीकार एवं अंाशिक रुप से खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
    परिवादिनी का परिवाद विपक्षी के विरुद्ध अंाशिक रुप से स्वीकार एवं अंाशिक रुप से खारिज किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादिनी को क्षतिपूर्ति के मद में रुपये 2,00,000/- (रुपये दो लाख मात्र) तथा परिवाद व्यय के मद में रुपये 3,000/- (रुपये तीन हजार मात्र) आदेश की दिनांक से 30 दिन के अन्दर करें। विपक्षी यदि परिवादिनी को रुपये दो लाख का भुगतान निर्धारित अवधि 30 दिन में नहीं करता है तो क्षतिपूर्ति की धनराशि पर परिवाद दाखिल करने की दिनांक से तारोज वसूली की दिनंाक तक 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज का भी भुगतान करेगा। 
          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)              
              सदस्य                  सदस्या                   अध्यक्ष      
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 13.05.2015 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।

          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)           
              सदस्य                  सदस्या                    अध्यक्ष

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY]
MEMBER

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