जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-प्रथम, लखनऊ।
वाद संख्या 248/2015
समीर सिंह, आयु लगभग 285 वर्ष,
पुत्र श्री चंदन लाल,
निवासी- ग्राम- लखैचा,
पोस्ट- बरौली जाटा, जिला- बाराबंकी,
उ0प्र0
......... परिवादी
बनाम
1. प्रबंधक शिव,
जी-25, 26 श्रीराम टावर,
अशोक मार्ग, लखनऊ।
2. निदेशक,
सिंटेक टेक्नोलाॅजी प्रा0 लि0,
एफ-2, ब्लाक नं.-बी-1,
ग्राउंड फ्लोर मोहन कोआपरेटिव
इन्डस्ट्रिल स्टेट, मथुरा रोड,
नई दिल्ली।
3. प्रोपराइटर,
नेहा टेक्नोलाॅजीज,
मदन मोहन मालवीय मार्ग
अपोजिट पी0के0 भवन,
हजरतगंज, जिला- लखनऊ।
उ0प्र0
..........विपक्षीगण
उपस्थितिः-
श्री विजय वर्मा, अध्यक्ष।
श्रीमती अंजु अवस्थी, सदस्या।
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निर्णय
परिवादी द्वारा यह परिवाद विपक्षीगण से प्रश्नगत मोबाइल के स्थान पर उसी मूल्य का मोबाइल प्राप्त करने, मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में रू.30,000.00, शारीरिक क्षति के रूप में रू.20,000.00 तथा आर्थिक क्षति के रूप में रू.50,000.00 दिलाने हेतु प्र्र्र्र्र्र्र्र्रस्तुत किया गया है।
संक्षेप में परिवादी का कथन है कि उसने विपक्षी सं0 1 से मोबाइल फोन दिनांक 07.08.2014 को रू.10,300.00 में लिया था। उपरोक्त मोबाइल लेने के कुछ समय पश्चात् ही उसमें खराबी आ गयी और मोबाइल अपने आप लगातार वाइब्रेट करने लगा जिसकी सूचना परिवादी ने विपक्षी सं0 1 की दुकान पर जाकर दी जिस पर विपक्षी सं0 1 द्वारा उसे बताया गया कि विपक्षी सं0 3 विपक्षी सं0 2 का अधिकृत सर्विस सेंटर है और उक्त मोबाइल में जो भी खराबी है वह वहीं से ठीक होगी। परिवादी ने दिनांक 06.01.2015 को विपक्षी सं0 3 के पास जाकर उक्त मोबाइल को दिखाया और उसकी खराबी को बताया तो विपक्षी सं0 3 ने यह बताया कि उक्त मोबाइल में रिपेयरिंग में रू.611.00 खर्च होगा जिस पर परिवादी ने रू.300.00 नकद जमा किया तथा 03.02.2015 को मोबाइल फोन प्राप्त करते समय शेष रू.311.00 भी अदा किये। मोबाइल प्राप्त करने के बाद उक्त मोबाइल में कई खराबियां आ गयी जैसे कैमरा, फोन का सही न चलना जिसकी शिकायत परिवादी ने पुनः विपक्षी सं0 3 को दिनांक 13.02.2015 को की जिस पर मोबाइल को विपक्षी सं0 3 के द्वारा पुनः जमा करा लिया गया। विपक्षी सं0 3 ने फोन ठीक करने के बजाय उसमें कई खराबियां व कमियां पैदा कर दी और जब भी परिवादी मोबाइल लेने विपक्षी सं0 3 के पास गया तो उसे बताया गया वे फोन जल्दी ठीक कर देंगे अथवा इसको बदलकर दूसरा फोन दिया जायेगा, जबकि विपक्षी सं0 3 द्वारा न तो फोन ठीक करके दिया गया और न ही उसे बदला गया, जबकि परिवादी को उक्त मोबाइल पर एक साल की वारंटी दी गयी थी और यह कहा गया था कि यदि मोबाइल फोन के फंक्शन काम करना बंद कर दे तो उसे बदलकर दूसरा मोबाइल उसे दिया जायेगा। परिवादी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से विपक्षीगण को दिनांक 15.05.2015 को नोटिस भेजा। परिवादी ने विपक्षीगण से अपनी समस्या को बताया, परंतु उनके द्वारा न तो उक्त मोबाइल ठीक करके दिया गया और न ही उक्त मोबाइल को बदलकर दूसरा मोबाइल दिया गया।
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अतः परिवादी द्वारा यह परिवाद विपक्षीगण से प्रश्नगत मोबाइल के स्थान पर उसी मूल्य का मोबाइल प्राप्त करने, मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में रू.30,000.00, शारीरिक क्षति के रूप में रू.20,000.00 तथा आर्थिक क्षति के रूप में रू.50,000.00 दिलाने हेतु प्र्र्र्र्र्र्र्र्रस्तुत किया गया है।
विपक्षीगण को नोटिस भेजी गयी, परंतु उनकी ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ, अतः उनके विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही आदेश दिनांक 10.09.2015 द्वारा की गयी।
परिवादी की ओर से अपना शपथ पत्र मय 6 प्रपत्र दाखिल किये गये।
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी गयी एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
इस प्रकरण में परिवादी ने विपक्षी सं0 1 से एक मोबाइल फोन दिनांक 07.08.2014 को खरीदा था जिसमें कुछ दिनों बाद ही खराबी आ गयी और जब इस संबंध में परिवादी ने विपक्षी सं0 1 से संपर्क किया तो उसने बताया कि विपक्षी सं0 3 विपक्षी सं0 2 का अधिकृत सर्विस सेंटर है और यह खराबी वहीं से ठीक होगी। परिवादी ने दिनांक 06.01.2015 को विपक्षी सं0 3 को अपना मोबाइल ठीक करने हेतु दिया जिस पर उनके द्वारा रू.611.00 खर्च की बात बतायी गयी। परिवादी ने धनराशि का भुगतान करके मोबाइल को ठीक होने के उपरांत प्राप्त किया, किंतु उसके बाद से पुनः मोबाइल में कई खराबियां आ गयी जिस पर परिवादी द्वारा विपक्षी सं0 3 के यहां मोबाइल जमा किया गया जहां से उसे न तो मोबाइल ठीक करके दिया गया और न ही बदलकर दूसरा मोबाइल दिया गया। परिवादी की ओर से मोबाइल खरीदने की रसीद की प्रति दाखिल की गयी जिससे स्पष्ट होता है कि उसके द्वारा दिनांक 07.08.2014 को रू.10,800.00 एक मोबाइल विपक्षी सं. 1 से खरीदा गया था। परिवादी ने विपक्षी सं0 3 के यहां मरम्मत हेतु मोबाइल देने की रसीद की प्रति दाखिल की है जिससे स्पष्ट होता है कि उसने अपना मोबाइल मरम्मत हेतु दिनांक 13.02.2015 को विपक्षी सं0 3 के यहां दिया था। परिवादी की ओर से विपक्षी सं0 3 के यहां धनराशि जमा करने की रसीद दाखिल की है जिससे स्पष्ट होता है कि
उसके द्वारा दिनांक 06.01.2015 को रू.300.00 एवं दिनांक 03.02.2015 को रू.311.00 विपक्षी सं0 3 के यहां मोबाइल की मरम्मत हेतु जमा किये गये थे। परिवादी की ओर से रजिस्टर्ड नोटिस की प्रति दाखिल
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की गयी जिससे स्पष्ट होता है कि परिवादी द्वारा विपक्षीगण को मई 2015 को रजिस्टर्ड नोटिस भेजी गयी थी। विपक्षीगण को रजिस्टर्ड नोटिस भेजी गयी, परंतु कोई उपस्थित नहीं हुआ, अतः उनके विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही, आदेश दिनांक 10.09.2015 द्वारा की गयी। परिवादी की ओर से अपना शपथ पत्र दाखिल करके परिवाद के कथनों का समर्थन किया गया है। विपक्षीगण की ओर से न तो कोई उपस्थित हुआ न लिखित कथन दाखिल किया गया और न ही प्रति शपथ पत्र दाखिल करके परिवादी के कथनों का खंडन किया गया है। ऐसी स्थिति में परिवादी द्वारा दाखिल अभिलेखों एवं शपथ पत्र पर कहे गये कथनों पर अविश्वास करने का कोई कारण नहीं है। परिवादी द्वारा दाखिल किये गये अभिलेखों से स्पष्ट है कि विपक्षीगण द्वारा उसे एक खराब मोबाइल सेट विक्रय किया गया और उसकी मरम्मत भी नहीं की जा सकी जो विपक्षीगण की सेवा में कमी एवं अनुचित व्यापार प्रक्रिया का द्योतक है। परिणामस्वरूप, परिवादी विपक्षीगण से उसी मूल्य का नया मोबाइल सेट प्राप्त करने का अधिकारी है। साथ ही उसे इस संबंध में जो मानसिक एवं शारीरिक कष्ट हुआ है उसके लिए वह क्षतिपूर्ति एवं वाद व्यय भी प्राप्त करने का अधिकारी है।
आदेश
परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को संयुक्त व पृथक रूप से आदेशित किया जाता है कि वे परिवादी को उसी मूल्य का नया मोबाइल सेट प्रदान करें। यदि वे ऐसा करने में असमर्थ हो तो वे परिवादी को रू.10,300.00 (रूपये दस हजार तीन सौ मात्र) मय 9 प्रतिशत ब्याज परिवाद दाखिल करने की तिथि से अंतिम भुगतान की तिथि तक अदा करें।
साथ ही विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे परिवादी को क्षतिपूर्ति के रूप में रू.3,000.00 (रूपये तीन हजार मात्र) तथा वाद व्यय के रूप में रू.2,000.00 (रूपये दो हजार मात्र) भी अदा करें।
विपक्षीगण उपरोक्त आदेश का अनुपालन एक माह में करें।
(अंजू अवस्थी) (विजय वर्मा)
सदस्य अध्यक्ष
दिनांकः 19 जनवरी, 2016