(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-485/2007
प्रोपराइटर, प्रकाश कोल्ड स्टोरेज, टेड़ी बगिया, आगरा तथा एक अन्य
बनाम
राम खिलाड़ी पुत्र श्री सुख लाल, निवासी गढ़ी उमराव, जिला हाथरस
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री एस.के. श्रीवास्तव।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक : 13.03.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-446/1999, राम खिलाड़ी बनाम प्रबंधक प्रकाश कोल्ड स्टोरेज तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, प्रथम आगरा द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 29.1.2007 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री एस.के. श्रीवास्तव को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से पर्याप्त सूचना के बावजूद कोई उपस्थित नहीं है।
2. परिवाद पत्र के अवलोकन से जाहिर होता है कि परिवादी दिनांक 17.3.1999 को 220 बोरा आलू लेकर विपक्षी के शीतगृह में पहुँचा तब उसे दिनांक 20.3.1999 को बुलाया गया तथा शिवांग
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कोल्ड स्टोरेज सासनी के लिए पत्र लिखकर दिया गया और वहां आलू रखने के लिए कहा गया, परन्तु शिवांग कोल्ड स्टोरेज ने भी माल नहीं रखा। परिवादी पुन: आलू के बोरे लेकर विपक्षी के कोल्ड स्टोरेज में पहुँचा, लेकिन विपक्षी ने आलू रखने से मना कर दिया, इसलिए परिवादी का अंकन 15,000/-रू0 आलू ले जाने में खर्च हुआ तथा अंकन 45,000/-रू0 का आलू खराब हो गया।
3. इन तथ्यों के अवलोकन से स्पष्ट हो जाता है कि परिवादी द्वारा कभी भी शीतगृह में आलू नहीं लाया गया। दोनों पक्षों के मध्य उपभोक्ता एवं सेवाप्रदाता के संबंध स्थापित नहीं हैं। जिस समय परिवादी द्वारा एक रसीद देना कहा जाता है, उस समय किसी प्रकार का शुल्क अदा नहीं किया गया और यह रसीद देने के पश्चात शिवांग कोल्ड स्टोरेज में जाने के लिए कहा गया यानी यह रसीद जिसका उल्लेख विद्वान जिला आयोग ने अपने निर्णय/आदेश में किया है, आलू रखने का नहीं है, जबकि स्वंय परिवादी ने कथन किया है कि शिवांग कोल्ड स्टोरेज में आलू लेकर गया वहां भी आलू नहीं लिया गया। किसी भी शीतगृह में आलू रखा जाना, उस शीतगृह की भण्डारण क्षमता पर निर्भर करता है। यदि भण्डारण क्षमता कम है तब किसी दूसरे शीतगृह में आलू रखने का सुझाव दिया जा सकता है, परन्तु सुझाव देने का तात्पर्य यह नहीं है कि पक्षकारों के मध्य उपभोक्ता एवं सेवाप्रदाता के संबंध स्थापित हो चुके हैं, क्योंकि परिवादी द्वारा यथार्थ में आलू शीतगृह में कभी भी रखे ही नहीं गये, इसलिए आलू ले जाने में खर्च रूपये की मांग करना और आलू खराब होने के कारण उसकी कीमत की मांग करना अनुचित है, इसलिए
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विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्त होने और प्रस्तुत अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
4. प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 29.1.2007 अपास्त किया जाता है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस कीजाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3