Rajasthan

Ajmer

CC/217/2014

HANSHA CHAUHAN - Complainant(s)

Versus

SRI RAM GENRAL INS - Opp.Party(s)

ADV.S.P.GANDHI

10 Nov 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/217/2014
 
1. HANSHA CHAUHAN
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. SRI RAM GENRAL INS
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 10 Nov 2016
Final Order / Judgement

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण,         अजमेर

श्रीमति हंसा चैहान पत्नी श्री दिनेष चैहान, निवासी- षिव चैक, नाले के पास, पालबीचला, अजमेर-305001
                                                -         प्रार्थिया

                            बनाम

1. श्रीराम लाईफ इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, 235/4, बोम्बे वाली कोठी, पावर हाउस के सामने, जयपुर रोड़, अजमेर जरिए इसके ष्षाखा प्रबन्धक -305001
2. श्रीराम लाईफ इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, रजिस्टर्ड कार्यालय 3-6478 तृतीय मंजिल, आनन्द एस्टेट, लिपटी रोड़, हिम्मतनगर, हैदराबाद- 500029
                                                -       अप्रार्थीगण
                 परिवाद संख्या 217/2014  

                            समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                 2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
3. नवीन कुमार               सदस्य

                           उपस्थिति
                  1.श्री सूर्यप्रकाष गांधी, श्री लक्ष्मण सिंह एवं अमित गांधी,
                   अधिवक्तागण, प्रार्थिया
                  2.श्री आलोक डोभाल, अधिवक्ता अप्रार्थी 

                              
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः- 02.12.2016
 
1.       प्रार्थिया द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार  हंै कि उसके  पुत्र द्वारा परिवाद की चरण संख्या 1 में वर्णित दिनंाक व बीमा पाॅलिसी  लिए जाने के बाद उसके बीमार हो जाने की वजह से  बीमा प्रीमियम की किष्त जमा नही ंकराने के कारण बीमा एजेण्ट द्वारा दी गई सूचना के आधार पर पाॅलिसी को कालातीत होने से बचाने के लिए   दिनंाक 20.1.2012 को रू. 6000/- का चैक दिए जाने के बावजूद  उसके पुत्र का दिनांक 28.10.2013 को देहान्त हो जाने  पर समस्त औपचारिकतांए पूर्ण करते हुए पेष किए गए क्लेम  राषि  अदा नही ंकरने और  इस संबंध  में जानकारी प्राप्त करने पर अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा यह बताया गया कि उसके पुत्र की पाॅलिसी लैप्स हो गई है और  उसके नाम से नई बीमा पाॅलिसी जारी कर दी गई है । जबकि उसके नाम से नई पाॅलिसी प्राप्त करने हेतु कोई औपचारिकताएं पूर्ण नहीं की गई । प्रार्थिया ने  दिनंाक 19.4.2014 को नोटिस देते हुए बीमा क्लेम दिलाए जाने की मांग की  किन्तु अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा कोई सुनवाई नहीं किए जाने पर उसने परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में प्रार्थिया ने स्वयं का षपथपत्र पेष किया है । 
2.       अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जवाब प्रस्तुत कर  प्रारम्भिक आपत्तियों में दर्षाया गया है कि प्रार्थिया के पुत्र द्वारा श्रीरीाम पेंषन प्लान-।।  ली गई थी  इस पाॅलिसी का प्रीमियम अद्र्ववार्षिक था । किन्तु उक्त पाॅलिसी पैटे  केवल एक ही प्रीमियम राषि का भुगतान किया गया ।  जिसके कारण बीमा पाॅलिसी लैप्स हो गई ।  प्रष्नगत बीमा पाॅलिसी के नियम व ष्षर्तो का हवाला देते हुए खारिज किए गए क्लेम को उचित ठहराया व मदवार जवाब में  इन्हीं तथ्यों को समावेष करते हुए कथन किया है कि प्रार्थिया द्वारा दिनंाक 24.1.2012 को  श्री राम लाइफ प्लान प्राप्त करने हेतु  प्रपोजल फार्म भरते हुए रू. 6000/- का चैक  उक्त बीमा पाॅलिसी पेटे  दिया गया था और इसी आधार पर प्रार्थिया के पक्ष में उक्त बीमा पाॅलिसी जारी की गई थी ।  प्रार्थिया के पुत्र द्वारा प्रष्नगत बीमा पाॅलिसी जो प्रीमियम जमा नही ंकराए जाने के कारण कालातीत हो गई थी, को नवीनीकृत नहीं करवाया था ।  उक्त पाॅलिसी के नियम व षर्तो के अनुसार  पाॅलिसी के नीमिनी को किसी प्रकार का लाभ प्राप्त नहीं होने के कारण सही रूप से बीमा क्लेम खारिज कर उत्तरदाता ने कोई सेवा में कमी नहीं की है ।  अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है ।    
3.      प्रार्थिया पक्ष का कथन है कि उसके पुत्र द्वारा अप्रार्थी बीमा कम्पनी से ली गई बीमा पाॅलिसी व इसकी प्रथम छःमाही किष्तें उसी समय भरने के बाद   उसके बीमार होने व  समय पर किष्तें अदा नहीं करने पर बीमा एजेण्ट द्वारा  इस संबंध में सम्पर्क करने पर उसके द्वारा अपने खाते से रू. 6000/- का चैक दिया गया था । कुछ समय बाद उसके पुत्र की दिनंाक 28.10.2013 को मृत्यु हो जाने के बाद जब क्लेम हेतु सम्पर्क किया गया तो उसे बताया गया कि उक्त पाॅलिसी लैप्स हो चुकी है तथा प्रार्थिया की स्वयं की नई पाॅलिसी हेतु प्रपोजल फार्म भरे जाने की जानकारी दी गई थी ।  वास्तव में उसके द्वारा उसके पुत्र की पाॅलिसी बाबत् किष्तों का भुगतान किया गया है, जबकि तथाकथित एजेण्ट ने उक्त राषि को प्रार्थिया की स्वयं की  नई पाॅलिसी बना कर प्रपोजल फार्म में भी उसके जाली हस्ताक्षर कर नई पाॅलिसी जारी कर दी है । इस आषय का नोटिस भी दिया गया किन्तु न तो जवाब दिया गया और ना ही उसके  पुत्र की पाॅलिसी पर  देय क्लेम की अदयगी नहीं की गई है । ऐसा करते हुए बीमा कम्पनी द्वारा सेवा में कमी का परिचय दिया गया हैं ।  
4.    अप्रार्थी बीमा कमपनी ने इन तथ्यों का खण्डन किया व तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रार्थिया के पुत्र द्वारा  केवल एक प्रीमियम किष्त का भुगतान किया गया है, बाकी की प्रीमियम का भुगतान नहीं किया गया है।  समय पर भुगतान नहीं किए जाने के कारण पाॅलिसी लैप्स हो चुकी थी  व इस आधार पर क्लेम खारिज किया गया है । वास्तव मे ंप्रार्थिया द्वारा  दिया गया चैक  स्वयं की पाॅलिसी हेतु दिया गया था । इसी आधार पर प्रार्थिया को पाॅलिसी जारी की गई थी । उसके द्वारा पाॅलिसी के नियम एवं ष्षर्तो  पर सन्तुष्ट होकर   ही प्रपोजल फार्म में हस्ताक्षर किए  जाकर  प्रीमियम के रूप में चैक दिया गया  था ।  कुल मिलाकर उनका तर्क रहा है कि क्लेम सही रूप से खारिज किया गया है  । 
5.    हमने  परस्पर तर्क सुन लिए हैं एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों का भी ध्यानपूर्वक अवलोकन कर लिया गया है । 
6.    उपलब्ध अभिलेख के अनुसार प्रार्थिया के पुत्र द्वारा अप्रार्थी बीमा कम्पनी से दिनंाक 20.6.2010 को श्रीराम पेंषन प्लान -।। की  पाॅलिसी प्राप्त कर इसकी प्रथम प्रीमियम रू. 3000/- की राषि जमा करवाई गई  थी। प्रीमियम  की देयता अद्र्ववार्षिक  थी । स्वयं प्रार्थिया ने स्वीकारा किया है कि उक्त पाॅलिसी लिए जाने के बाद उसके पुत्र के बीमार हो जाने के कारण किष्त राषि  समय पर नहीं भरी गई थी ।  अभिवचनों से  यह सिद्व रूप से प्रकट हुआ है कि उक्त पाॅलिसी  में मात्र एक किष्त जमा हुई है । पाॅलिसी की टम्र्स एण्ड कण्डीषन के अनुसार किष्त की ड्यू डेट पाॅलिसी के षिड्यूल में बताई गई है व इसे जमा कराने के लिए अलग से कोई स्मरण पत्र जारी नहीं किया जावेगा, ऐसा ष्षर्तो में उल्लेखित है  । कहने का तात्पर्य यह है कि  पाॅलिसी होल्डर के लिए यह अपेक्षित है कि वह ली गई पाॅलिसी में ड्यू डेट  के अन्दर ही  प्रीमियम की राषि जमा कराएगी। ष्षर्तो के अनुसार ग्रेस पीरियड के रूप में 1 माह  का समय भी प्रदान किया गया हेै। इस प्रकार उक्त पाॅलिसी की प्रथम किष्त जमा करवाने के बाद द्वितीय किष्त दिनंाक 28.12.2010को , तृतीय किष्त दिनंाक 28.06.2011 को, चतुर्थ किष्त दिनंाक 28.12.2011 को  व पांचवी किष्त दिनांक  28.6.2012 को देय हो गई थी। स्वयं प्रार्थिया ने उक्त  ड्यू हुई  किष्तों के संदर्भ में बीमा कम्पनी के एजेण्ट को दिनंाक 20.1.2012 को रू. 6000/- का चैक दिया है जो उसके अनुसार बकाया किष्तों के भुगतान बाबत् था ।  यहां यह उल्लेखनीय है कि इस  तिथि तक उसके पुत्र की उक्त पालिसी की  3 किष्ते ड्यू हो चुकी थी तथा  तदानुसार इसका कुल भुगतान रू. 9000/- था तथा इसमें देरी से जमा कराए जाने बाबत् पैनेल्टी की राषि का भी भुगतान सम्मिलित था ।  उसके लिए यह अपेक्षित था कि वह 3 किष्तों के बाबत् कम से कम रू. 9000/- की राषि तो आवष्यक रूप से जमा कराती किन्तु उसके द्वारा ऐसा नहीं किया गया है । जो तथाकथित पाॅलिसी उसके नाम से जारी हुई है, में प्रथम किष्त के रूप में रू. 6087/-  देय बताए गए है । इस प्रकार माना जा सकता है कि उसके द्वारा उक्त पाॅलिसी के संदर्भ में  ही वह चैक जारी किया गया था ।  हालांकि प्रस्ताव पत्र में अपने हस्ताक्षरों को नहीं होना मानते हुए  इन्कार किया है तथा इन्हें जाली बनाना कथन किया है किन्तु इस संबंध में उसकी ओर से किसी प्रकार की कोई विधिक कार्यवाही अमल  में नहीं  लाई  गई है । प्रस्ताव पत्र में अंकित  हस्ताक्षर व चैक एवं परिवाद में किए गए हस्ताक्षर हूबहू मेल खाते है । कहा जा सकता है कि प्रार्थिया के पुत्र द्वारा  पाॅलिसी लिए जाने व एक प्रीमियम किष्त चुकाए जाने के बाद बकाया किष्तों का समय पर भुगतान नहीं हुआ है व ऐसी स्थिति में उक्त पाॅलिसी लैप्स हो चुकी थी । यदि ऐसे भुगतान के अभाव में पाॅलिसी  लैप्स हो चुकी है तो इस संबंध में अप्रार्थी बीमा कम्पनी को किसी प्रकार का कोई भुगतान बाबत् दायित्व नहीं बनता है । यदि इनके द्वारा उक्त क्लेम को अस्वीकार किया गया है अथवा दिए जाने से मना किया गया है तो उनकी ओर से सेवा में किसी प्रकार की कमी का कोई परिचय नहीं दिया गया है ।  हम अप्रार्थी की ओर से प्रस्तुत  विनिष्चय ;2013द्ध4 ब् च्त्;छब्द्ध553 भ्ंतपेी ज्ञनउंत ब्ींकीं टे  डंदंहमतए ठंरंर ।ससपंद्र स्पमि प्देनतंदबम ब्व स्जक में प्रतिपादित सिद्वान्तों से सहमत है । जिसके अन्तर्गत प्रीमियम की राषि ड्यू होने व इस तथ्य को स्वीकार किए जाने के बाद खारिज किए गए क्लेम को माननीय राष्ट्रीय आयोग ने उचित पाया है ।     
7.    कुल मिलाकर सार यह है कि उपरोक्त विवेचन के प्रकाष में प्रार्थिया को परिवाद अस्वीकार होकर खारिज होने योग्य है एवं आदेष है कि 
                             -ःः आदेष:ः-
 8.           प्रार्थिया का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार  किया जाकर  खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
            आदेष दिनांक 02.12.2016 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।


 (नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    
           
               

 

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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