Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/102/2014

RAMKESH - Complainant(s)

Versus

SRI RAM GENERAL INSURANCE - Opp.Party(s)

SUBHASH CHANDRA VISWAKARMA

12 Aug 2021

ORDER

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 102 सन् 2014

प्रस्तुति दिनांक 05.05.2014

                                                                                              निर्णय दिनांक 12.08.2021

रामकेश यादव पुत्र श्री हरिलाल यादव ग्राम जगदीशपुर थाना व तहसील फूलपुर, जनपद- आजमगढ़।

     .........................................................................................परिवादी।

बनाम

     श्रीराम जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड कारपोरेशन ऑफिस ई-8     इपिक रिको इण्डस्ट्रियल एरिया सीतापुरा, जयपुर, 302022 राजस्थान।      

  •  

उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”

  •  

कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि उसका वाहन ट्रक संख्या यू.पी.44जे.-5780 (टाटा) का बीमा विपक्षी के यहाँ से दिनांक 26.10.2013 को करवाया गया था। जिसमें परिवादी के क्षतिग्रस्त व दुर्घटना होने पर पूरी जिम्मेदारी क्षतिपूर्ति बीमा कम्पनी की थी। बीमा कवर लेते समय परिवादी ने कुल मुo31,387.00 रुपया कैस दिया था। परिवादी का वाहन दुर्घटना में क्षतिग्रस्त हो गया। वाहन क्षतिग्रस्त होने पर परिवादी ने बीमा कम्पनी में ट्रक के क्षतिग्रस्त होने की सूचना दी व बीमित ट्रक के दुर्घटना व क्षतिग्रस्त होने पर बीमा कम्पनी रिस्क कवर हेतु बीमा धनराशि की मांग की किन्तु बीमा कम्पनी के द्वारा कहा गया कि आप अपने वाहन को अपने खर्च पर सही करवा लें, सही करवाने में जो खर्च लगेगा उसका भुगतान आपके बिल बाउचर देने के उपरान्त आपको कर दिए जाएगा। परिवादी ने बीमा कम्पनी के कहे अनुसार उसके क्षतिग्रस्त ट्रक को अपने खर्चे पर पूरी तरह से सही करवाया व सामान व फिटिंग व बाडी मेकर डैटिंग में किए गए खर्च की रसीद प्राप्त कर बीमा कम्पनी को दिया किन्तु आज तक परिवादी के द्वारा वाहन के सही करवाने का खर्च धनराशि मुo 1,64,837.50 का दावा का निपटारा बीमा कम्पनी ने नहीं किया। परिवादी ने अपने ट्रक यू.पी.44जे.5780 टाटा को बीमा इसलिए करवाया था कि ट्रक दुर्घटना व क्षतिग्रस्त होने के उपरान्त गाड़ी को सही करवाने में या दुर्घटना में किसी की मृत्यु हो जाए तो बीमा कम्पनी रिस्क कवर उठाए। बीमा कम्पनी अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट रही है। अतः विपक्षी को आदेशित किया जाए कि वह परिवादी को परिवादी के बाबत पॉलिसी के अनुसार वाहन क्षतिग्रस्त होने के उपरान्त सही करवाने में हुआ खर्च मुवलिक

1,64,837.50 रुपया अदा करे।  

परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 6/1 आर.सी. की छायाप्रति, कागज संख्या 6/2 इन्श्योरेन्स की छायाप्रति, कागज संख्या 6/3 प्रदूषण नियंत्रित प्रमाण पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 6/4 नेशनल परमिट हेतु जमा पैसे की रसीद की छायाप्रति, कागज संख्या 6/5 ऑथराइजेशन सर्टिफिकेट ऑफ एन.पी. का छायाप्रति, कागज संख्या 6/7 आयकर विभाग द्वारा प्रदत्त प्रमाण पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 6/8 डी.एल. की छायाप्रति, कागज संख्या 6/9 ता 6/16 रसीदों की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।   

कागज संख्या 13क विपक्षी संख्या 01 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि याची का पिटीशन ऐक्ट द्वारा प्रेसक्राइब्ड नहीं है। उसके विरुद्ध कोई भी वाद कारण उत्पन्न नहीं हुआ है। वह कन्ज्यूमर की परिभाषा में नहीं आता है। सूचना प्राप्त करने के पश्चात् सर्वेयर नियुक्त किया गया और उसने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत किया और उसने यह बताया कि 29,352/- रुपए की क्षति हुई है। परिवादी गलत आधार पर पैसा लेना चाहता है। अतः खारिज किया जाए। 

विपक्षी संख्या 01 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

विपक्षी की ओर से कागज संख्या 24ग मोटर क्लेम अप्रूवल सीट की छायाप्रति, कागज संख्या 24/2 सर्वेयर बिल की छायाप्रति, कागज संख्या 24/3 सर्वेयर की रिपोर्ट प्रस्तुत किया गया है।

परिवादी अनुपस्थित रहा। अतः विपक्षी को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। परिवादी ने अपने परिवाद पत्र के साथ सर्वेयर की रिपोर्ट नहीं लगाया है। जबकि विपक्षी द्वारा अपने जवाबदावा के साथ सर्वेयर की रिपोर्ट लगायी गयी है। विधि का यह सुस्थापित सिद्धान्त है कि किसी वाहन जो कि क्षतिग्रस्त हो गया है, के क्षति का मूल्यांकन प्राइवेट व्यक्ति नहीं कर सकता है, उसका मूल्यांकन सर्वेयर ही कर सकता है। इस सन्दर्भ में यदि हम न्याय निर्णय “न्यू इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड बनाम सुहास गजानन उनेने 1(2019) सी.पी.जे. 307 एन.सी.” का अवलोकन करें तो इस न्याय निर्णय में माo राष्ट्रीय आयोग ने यह अभिधारित किया है कि सर्वेयर की रिपोर्ट विश्वसनीय रिपोर्ट है। इस सन्दर्भ में यदि हम एक अन्य न्याय निर्णय “पन्सुरी पुरूभाई, गुलाभाई एवं अन्य बनाम ब्रान्च मैनेजर ओरिएण्टल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड 2015 (2) सी.पी.आर. 501 एन.सी.” में यह अभिधारित किया गया है कि यदि सर्वेयर ने किसी क्षति का आकलन किया है तो उससे इन्कार नहीं किया जा सकता है। परिवाद पत्र में कहीं भी इस बात का उल्लेख नहीं किया गया है कि परिवादी ने अपने ट्रक का उपयोग अपनी रोजी-रोटी कमाने के लिए किया था। ऐसी स्थिति में यह माना जाएगा कि ट्रक का उपयोग वह व्यावसायिक हित से किया जा रहा था। यहाँ इस बात का भी उल्लेख कर देना आवश्यक है कि माo उच्चतम न्यायालय के निर्णय के अनुसार परिवादी को युक्त-युक्त समय में बीमा कम्पनी को सूचना भेजी जानी थी। इस सन्दर्भ में कोई कागजात पत्रावली में नहीं है। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है। 

आदेश

                                                             परिवाद पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 

 

                                                                         गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण कुमार सिंह  

                                                       (सदस्य)                            (अध्यक्ष)

 

            दिनांक 12.08.2021

                                                यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

 

                                               गगन कुमार गुप्ता                  कृष्ण कुमार सिंह

                                                                 (सदस्य)                              (अध्यक्ष)

 

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