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Smt. Sampati Devi filed a consumer case on 11 Feb 2015 against Sri Ram General Insurance Co, ltd. in the Jaipur-IV Consumer Court. The case no is CC/141/2013 and the judgment uploaded on 17 Mar 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर चतुर्थ, जयपुर
पीठासीन अधिकारी
डाॅ. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा, अध्यक्ष
डाॅ. अलका शर्मा, सदस्या
श्री अनिल रूंगटा, सदस्य
परिवाद संख्या:-141/2013 (पुराना परिवाद संख्या 101/2011)े
श्रीमती सम्पति देवी पत्नी स्वर्गीय श्री मंगलराम जाट, निवासी- ग्राम महापुरा, तहसील सांगानेर, जिला जयपुर ।
परिवादिनी
बनाम
श्रीराम जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड जरिये प्रबन्धक, कार्यालय-ई-8, एपीप रीको, सीतापुरा, जयपुर ।
विपक्षी
उपस्थित
परिवादिनी की ओर से श्री भंवर चैधरी/श्री ओ.पी.चैधरी, एडवोकेट
विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से श्री देवेन्द्र मोहन माथुर, एडवोकेट
निर्णय
दिनांकः- 11.02.2015
यह परिवाद, परिवादिनी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी के विरूद्ध दिनंाक 23.12.2010 को निम्न तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया हैः-
परिवादिनी के पति श्री मंगलराम जाट ने वाहन ट्रक स्वराज माजदा नम्बर आर.जे.14-जीए-0031 क्रय किया था । परिवादिनी के पति का स्वर्गवास हो जाने के पश्चात् परिवादिनी ने उक्त वाहन को अपने नाम से स्थानान्तरित करवा लिया हैं । यह वाहन विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां दिनांक 02.06.2009 से 01.06.2010 तक की अवधि के लिए बीमित था । जिसका बीमा पाॅलिसी संख्या 10003/31/10/042032 था । इसी बीच यह वाहन दिनंाक 08.04.2010 को दुर्घटनागग्रस्त हो गया । जिसके संबंध में पुलिस थाना मदनगंज अजमेर में रिपोर्ट दर्ज करवाई गई । वाहन की मरम्मत पर कुल 2,81,119/-रूपये व्यय हुए । जिसका बीमा क्लेम परिवादिनी ने समस्त औपचारिकताऐं पूर्ण करते हुए मय आवष्यक दस्तावेज विपक्षी बीमा कम्पनी के समक्ष पेश । लेकिन बार-बार निवेदन करने के बावजूद विपक्षी बीमा कम्पनी ने परिवादिनी को बीमा क्लेम राषि का भुगतान नहीं किया । जो विपक्षी बीमा कम्पनी का सेवादोष है और इस सेवादोष के आधार पर परिवादिनी अब विपक्षी बीमा कम्पनी से परिवाद के मद संख्या 12 में अंकित सभी अनुतोष प्राप्त करने की अधिकारिणी हैं ।
विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से दिये गये जवाब में कथन किया गया है कि परिवादिनी कोे विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा सर्वे रिपोर्ट के अनुसार उसकी पूर्ण सहमति पर अंगूठा निषानी लगवाकर थ्नसस - थ्पदंस ैमजजसमउमदज के रूप में क्लेम राशि जरिये चैक संख्या 49608 राशि 50,000/-रूपये व चैक संख्या 49534 राशि 2,680/-रूपये दिनांक 16.06.2010 अदा की जा चुकी हैं । परिवादिनी स्वच्छ हाथों से मंच के समक्ष नहीं आई हैं । अतः परिवाद, परिवादिनी निरस्त किया जावें ।
परिवाद के तथ्यों की पुष्टि में परिवादिनी श्रीमती सम्पति देवी ने स्वयं का शपथ पत्र एवं प्रदर्श-1 से प्रदर्श-14 दस्तावेज प्रस्तुत किये । जबकि विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से जवाब के तथ्यों की पुष्टि में श्री नुपुर जैन का शपथ पत्र एवं प्रदर्श आर-1 एवं प्रदर्ष आर-3 दस्तावेज कुल 08 पृष्ठों में प्रस्तुत किये गये ।
बहस अंतिम सुनी गई एवं पत्रावली का आद्योपान्त अध्ययन किया गया ।
विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से निम्न न्याय सिद्धान्त पेश किये गयेः-
01ण्प्प्प् ;2014द्ध ब्च्श्र 285 ;छब्द्ध
02ण्प्प्प् ;2014द्ध ब्च्श्र 77 ;छब्द्ध
03ण्प्प् ;2014द्ध ब्च्श्र 280 ;छब्द्ध
प्रस्तुत प्रकरण में यद्यपि परिवादिनी की ओर से उसके वाहन की क्लेम राषि 2,81,119/-रूपये बताई गई हैं । परन्तु विवादित दुर्घटनाग्रस्त वाहन का सर्वे किये जाने पर उसमें पाये गये नुकसान के आधार पर विपक्षी बीमा कम्पनी की छमज स्पंइपसपजल 55,329/-रूपये बताई गई हैं । इसलिए माननीय उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली एवं माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्ली द्वारा दिये गये विभिन्न निर्णयों के प्रकाश में सर्वे रिपोर्ट को मान्यता देते हुए हमारे विनम्र मत में विपक्षी बीमा कम्पनी को परिवादिनी को सर्वे रिपोर्ट के अनुरूप 55,329/-रूपये बीमा क्लेम राशि उपलब्ध करानी चाहिये थी । जो विपक्षी बीमा कम्पनी के स्तर पर बाद में परिवादिनी को अदा की गई है अथवा नहीं ? इस विषय को लेकर विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से कोई सारभूत साक्ष्य और पेमेन्ट रसीद आदि प्रस्तुत नहीं की गई हैं । विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादिनी का बीमा क्लेम 50,000/-रूपये पर थ्नसस - थ्पदंस ैमजजसमउमदज के रूप में तय कर दिया गया हो, इस विषय को लेकर जो प्रदर्श-3 दस्तावेज विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से प्रस्तुत किया गया है उसमें यद्यपि परिवादिनी की अंगूठा निशानी है लेकिन इस राषि का चैक के माध्यम से परिवादिनी को भुगतान किया जा चुका है, यह सिद्ध नहीं होता हैं क्योंकि इस संबंध में विपक्षी बीमा कम्पनी ने चैक की प्रति या भुगतान वाउचर आदि प्रस्तुत नहीं किया हैं और मात्र थ्नसस - थ्पदंस ैमजजसमउमदज का बहाना लेकर प्रकरण के निस्तारण को विलम्बित करने का प्रयास किया हैं ।
विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से जो न्याय सिद्धान्त पेष किये गये हैं उनके तथ्य प्रकरण के तथ्यों से सुसंगता नहीं रखते हैं । इसलिए उनकी पृथक से विवेचन की आवष्यकता नहीं हैं ।
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर विपक्षी बीमा कम्पनी ने परिवादिनी को सर्वेयर रिपोर्ट के अनुरूप वाहन की क्षतिपूर्ति अदा नहीं करके सेवादोष कारित किया हैं और इस सेवादोष के आधार पर परिवादिनी अब विपक्षी बीमा कम्पनी से सर्वेयर द्वारा आंकलित नुकसान राशि 55,329/-रूपये वाहन की क्षतिपूर्ति के रूप में प्राप्त करने की अधिकारिणी हैं । परिवादिनी 55,329/-रूपये की राशि पर विपक्षी बीमा कम्पनी से परिवाद पेश करने के दिन से वसूली के दिन तक 9 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज भी प्राप्त कर सकेगी । परिवादिनी को विपक्षी बीमा कम्पनी के इस सेवादोष से हुए आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक संताप की क्षतिपूर्ति के रूप में 5,500/-रूपये तथा परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रूपये पृथक से अदा करने के आदेष दिये जाते हैं ।
आदेश
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवाद, परिवादिनी विपक्षी बीमा कम्पनी के विरूद्ध स्वीकार किया जाकर आदेश दिया जाता है कि परिवादिनी विपक्षी बीमा कम्पनी से सर्वेयर द्वारा आंकलित नुकसान राशि 55,329/-रूपये वाहन की क्षतिपूर्ति के रूप में प्राप्त करने की अधिकारिणी हैं । परिवादिनी 55,329/-रूपये की राषि पर विपक्षी बीमा कम्पनी से परिवाद पेश करने के दिन से वसूली के दिन तक 9 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज भी प्राप्त कर सकेगी । परिवादिनी को विपक्षी बीमा कम्पनी के उपरोक्त सेवादोष से हुए आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक संताप की क्षतिपूर्ति के रूप में 5,500/-रूपये तथा परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रूपये पृथक से अदा करने के आदेश दिये जाते हैं ।
विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेश दिया जाता है कि वह उक्त समस्त राशि परिवादिनी के रिहायशी पते पर जरिये डी.डी./रेखांकित चैक इस आदेश के एक माह की अवधि में उपलब्ध करवायेगी ।
अनिल रूंगटा डाॅं0 अलका शर्मा डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय आज दिनांक 11.02.2015 को पृथक से लिखाया जाकर खुले मंच में हस्ताक्षरित कर सुनाया गया ।
अनिल रूंगटा डाॅं0 अलका शर्मा डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
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