(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-499/2007
यूनाइटेड प्राविन्सेस सुगर कंपनी लि0 बनाम रामदास राय पुत्र राम किशुन राय
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
दिनांक: 06.11.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-310/2006, रामदास राय बनाम प्रबंधक यूनाइटेड सुगर कं0लि0 में विद्वान जिला आयोग, कुशीनगर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 6.3.2007 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री निलीश आनन्द तथा प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री उमेश कुमार श्रीवास्तव को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया।
विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए डी.सी. का मूल्य अंकन 55,000/-रू0 व गन्ने का मूल्य अंकन 3,600/-रू0 तथा मानसिक कष्ट एवं वाद व्यय के रूप में अंकन 2,000/-रू0 अदा करने का आदेश पारित किया है।
परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी का गन्ना विपक्षी सुगर मिल द्वारा क्रय किया गया, जिसकी पर्ची निर्गत की गई। परिवादी अपना गन्ना ट्रैक्टर (डी.सी.) पर लादकर विपक्षी के केन्द्र पर ले जाकर खड़ा कर दिया। चूंकि विपक्षी के पास गुन्ना ढुलाई का साधन नहीं था, इसलिए परिवादी अपना गन्ना मय डी.सी. निर्धारित स्थान पर छोड़कर चला आया, परन्तु प्रात: जब गन्ना तौल कराने के लिए गया तब वहां डी.सी. मय गन्ना मौजूद नहीं था, इसलिए डी.सी. का मूल्य एवं गन्ने का मूल्य प्राप्त करने के लिए उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया गया।
प्रस्तुत केस के तथ्यों के अवलोकन से ही स्पष्ट हो जाता है कि परिवादी द्वारा कोई समान विपक्षी से क्रय नहीं किया गया न ही विपक्षी की सेवाएं प्राप्त की गईं, अपितु विपक्षी को गन्ना विक्रय किया गया है, जिसकी वसूली के लिए वह सिविल न्यायालय के समक्ष समुचित कार्यवाही कर सकते हैं। प्रश्नगत प्रकरण में पक्षकारों के मध्य सेवाप्रदाता एवं सेवाग्राह्यता के संबंध नहीं हैं, इसलिए उपभोक्ता परिवाद संधारणीय नहीं था। विद्वान जिला आयोग ने गैर उपभोक्ता परिवाद पर अपना निर्णय/आदेश पारित किया है, जो अपास्त होने और प्रस्तुत अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्त किया जाता है तथा गैर उपभोक्ता परिवाद खारिज किया जाता है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2