राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-1994/2008
(जिला उपभोक्ता फोरम, द्वितीय आगरा द्वारा परिवाद संख्या-142/2003 में पारित निर्णय दिनांक 22.07.2008 के विरूद्ध)
दौलत सिंह उर्फ दौलत राम पुत्र श्री लाल सिंह ग्राम एण्ड पोस्ट मुरतिया
जिला आगरा। .....अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
श्रीराम कोल्ड स्टोरेज तिहरा ग्वालियर रोड जिला आगरा द्वारा प्रापेराइटर/
मैनेजिंग पार्टनर। ......प्रत्यर्थी/विपक्षी
समक्ष:-
1. मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री आर0के0 गुप्ता, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री प्रशांत अग्रवाल, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 04.03.2022
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या 142/2003 दौलत सिंह बनाम श्रीराम कोल्ड स्टोरेज में पारित निर्णय व आदेश दिनांक 22.07.2008 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा क्षतिपूर्ति के लिए प्रस्तुत किया गया परिवाद खारिज किया गया है।
2. परिवाद के तथ्य के अनुसार परिवादी ने दि. 20.03.2003 को 603 आलू की बोरियां विपक्षी कोल्ड स्टोरेज में जमा कराई थी। दि. 28.10.03 को आलू निकालने के लिए गया तो पाया कि सभी आलू खराब हो चुके थे, तब विपक्षी ने बाजार भाव के अनुसार 15 दिन के अंदर भुगतान करने के लिए कहा। परिवादी ने दि. 12.11.03 को आलू की कीमत का रूपया मांगा तब विपक्षी ने इंकार कर दिया। परिवादी ने जो आलू रखा था वह बीज का आलू था, इसलिए अगले वर्ष आलू की खेती नहीं कर पाया, जिसके कारण काफी नुकसान हुआ, अत: उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया गया।
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3. लिखित कथन में आलू के भंडारण को स्वीकार किया गया है। प्रत्येक बोरे का वजन 50 किलोग्राम बताया गया और यह कहा गया कि स्वयं परिवादी आलू लेने नहीं आया, क्योंकि आलू की कीमत कम थी, जबकि भंडारण शुल्क अधिक हो रहा था।
4. परिवादी द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात जिला उपभोक्ता मंच द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि परिवादी ने आलू के बीज के संबंध में कोई खसरा खतौनी नहीं लगाई और यह साबित नहीं किया कि उसके पास कितनी भूमि थी और अगले वर्ष उसने आलू के बजाय क्या बोया था, इसलिए बीज का आलू खराब होने के मद में कोई प्रतिकर देना नहीं पाया गया। आलू की मात्रा तथा उसकी कीमत के संबंध में यह निष्कर्ष दिया गया है कि इस बिन्दु पर सिविल न्यायालय द्वारा निष्कर्ष दिया जा सकता है। तदनुसार परिवाद खारिज कर दिया गया।
5. इस निर्णय व आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय विधि विरूद्ध है। परिवादी ने अतिरिक्त शपथपत्र में स्पष्ट उल्लेख किया था कि आलू के प्रत्येक बोरे का वजन 70 किलो था न कि 50 किलो और उस समय आलू के प्रत्येक बोरे की कीमत रू. 248.90 पैसे थी और कुल 603 बोरे की कीमत रू. 131785/- थी। भंडारण शुल्क अंकन रू. 27436/- था। इस प्रकार बकाया राशि अंकन रू. 104344/- प्राप्त करने के लिए परिवादी अधिकृत था।
6. स्वयं लिखित कथन के पैरा न0 10 और 11 में विपक्षी ने 307 आलू के बोरे 9777 रूपये प्रति बोरे की दर से और 300 बोरे रू. 32430 प्रति बोरे की दर से विक्रय करने का कथन किया है, जबकि विपक्षी को परिवादी के
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आलू विक्रय करने का कोई अधिकार नहीं था, परन्तु जिला उपभोक्ता मंच ने इन सब तथ्यों को विचार में नहीं लिया।
7. दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं को सुना। प्रश्नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली का अवलोकन किया गया।
8. परिवादी का कथन है कि उसने विपक्षी के कोल्ड स्टोरे में कुल 603 बोरियां रखी थीं। इन आलुओं की बोरियों को जमा करने की रसीद भी परिवाद पत्र के साथ जिला उपभोक्ता मंच के समक्ष प्रस्तुत की गई जो इस पत्रावली में भी मौजूद है।
9. विपक्षी को यह तथ्य स्वीकार है कि 603 बोरी आलू रखी गई थी। प्रत्येक बोरे की कीमत 50 किलोग्राम बताई है तथा भंडारण शुल्क 85 रूपये होना कहा गया है। चूंकि स्वयं परिवादी ने प्रत्येक आलू के बोरे का वजन अपने परिवाद पत्र में अंकित नहीं किया है, इसलिए लिखित कथन में आलू के बोरे का जो वजन बताया गया है वह वजन स्वीकृति के आधार पर मान्य किया जाना चाहिए, अत: जिला मंच के समक्ष इस बिन्दु पर स्पष्ट निष्कर्ष दिया जा सकता था कि प्रत्येक आलू के बोरे का वजन 50 किलोग्राम था।
10. अपीलार्थी का यह कथन है कि भंडारण शुल्क रू. 27436/- था, जबकि आलू की कीमत कम थी, इसलिए स्वयं परिवादी आलू लेने नहीं आया। इस संबंध में एक नोटिस भी प्रेषित कराया गया था, परन्तु परिवादी नोटिस के बावजूद आलू लेने नहीं आया और आढ़तिया के माध्यम से आलू विक्रय करने का कथन किया गया है। नोटिस दि. 01.12.03 की प्रति पत्रावली पर मौजूद है। इस नोटिस में उल्लेख है कि 603 आलू की बोरियों की डिलेवरी दि. 31.10.03 को लेनी थी और भंडारण शुल्क 85 रूपये प्रति कुन्तल था, जो अदा नहीं किया गया, इसलिए भंडारण शुल्क मांग करते हुए आलू उठाने
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का अनुरोध किया गया, अन्यथा बाजार भाव से आलू विक्रय करने का कथन किया गया। जिला उद्यान अधिकारी को भी इस आशय की शिकायत की गई है। कोल्ड स्टोरेज कंपनी द्वारा इस आलू को विक्रय करने के दस्तावेज भी प्रस्तुत किए गए हैं, जिनके अवलोकन से ज्ञात होता है कि दो बार आलू विक्रय करने के पश्चात केवल आलू का मूल्य क्रमश: रू. 9770/- और रू. 3243.59 पैसे प्राप्त हुआ है। ये विक्रय दि. 25.12.03 और 15.12.03 को किए गए हैं। नोटिस दि. 01.12.03 को दिया गया है, जबकि परिवादी का कथन है कि वह दि. 28.10.03 को अपना आलू निकालने गया था, परन्तु आलू की फसल खराब हो चुकी थी और आलू की बोरियों में एक-एक फुट के किल्ले निकल आए थे। उनकी फोटो भी कैमरे में ली गई। शपथपत्र के साथ आलू की बोरियों के लिए गए फोटोग्राफ भी शामिल किए गए। परिवादी ने शपथपत्र से इस तथ्य को साबित किया कि वह दि. 28.10.03 को अपना आलू निकालने के लिए गया था। इस प्रकार अपीलार्थी की ओर से नोटिस भेजने, आलू विक्रय करने की कार्यवाही दि. 28.10.03 को की गई, अत: अपीलार्थी का यह तर्क ग्राह्य करने योग्य नहीं है कि स्वयं परिवादी समय पर आलू निकालने के लिए नहीं आया। परिवादी ने इस आशय का शपथपत्र प्रस्तुत किया है कि वह दि. 28.10.03 को आलू निकालने के लिए कोल्ड स्टोर में गया था और आलू को सड़ी हुई हालत में पाया था। आलू को सही स्थिति में रखने का उत्तरदायित्व अपीलार्थी कोल्ड स्टोरेज के पास है।
11. आलू के वजन पर निष्कर्ष दिया जा चुका है, जिसके अनुसार अपीलार्थी की स्वीकृति के आधार पर माना जा सकता है कि प्रत्येक बोरे में 50 किलो आलू था। अब इस बिन्दु पर विचार किया जाता है कि तत्समय आलू की कीमत क्या थी। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है
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कि दि. 26.07.10 को जिला उद्यान अधिकारी आगरा से आलू के मूल्य की कीमत प्राप्त की गई है। प्रथम श्रेणी के आलू की कीमत 660 प्रति कुन्तल और बीज के आकार के साइज के आलू की कीमत 330 प्रति कुन्तल है। परिवादी ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि चूंकि आलू उच्च श्रेणी का था, इसलिए जिला उद्यान अधिकारी द्वारा उपलब्ध कराई गई निचले स्तर की कीमत यानी 330 प्रति कुन्तल तत्समय आलू की कीमत होना माना जा सकता है।
12. उपरोक्त विवेचना का निष्कर्ष यह है कि परिवादी द्वारा 603 बोरी आलू के जमा करना, इसके वजन 301 कुन्तल एवं 50 किलो निकलता है तथा आलू की कीमत 330 प्रति कुन्तल निकलती है। इस प्रकार कुल कीमत रू. 90450/- निकलती है। यह तथ्य भी स्थापित है कि आलू के भंडारण की कीमत परिवादी द्वारा अदा नहीं की गई है तथा लिखित कथन में आलू की जो कीमत बताई गई है उससे भी इंकार नहीं किया है। भंडारण शुल्क का मूल्य कुल अंकन रू. 27436/- बकाया है, अत: इस राशि में से रू. 27436/- घटाने में अंकन रू. 63014/- कोल्ड स्टोर पर आलू की कीमत के रूप में बकाया है, अत: प्रत्यर्थी कोल्ड स्टोरेज इस राशि को अदा करने के लिए उत्तरदायी है, परन्तु केस एवं तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए इस राशि पर ब्याज के संबंध में काई आदेश देना उचित नहीं है, क्योंकि स्वयं परिवादी ने भी भंडारण शुल्क का भुगतान समय पर नहीं किया है।
आदेश
13. अपील स्वीकार की जाती है। प्रत्यर्थी को आदेशित किया जाता है कि वह अपीलार्थी/परिवादी को उसके द्वारा जमा की गई आलू की कीमत के रूप में रू. 63014/- 03 माह के अंदर अदा करें। 03 माह के अंदर अदा न करने
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पर इस राशि पर 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अंतिम भुगतान की तिथि तक ब्याज देय होगा।
उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्यय भार स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की
वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार) सदस्य सदस्य
निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार) सदस्य सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-2