राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तर प्रदेश, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-१०५३/२०२२
(जिला उपभोक्ता आयोग (द्वितीय), आगरा द्धारा परिवाद सं0-१३/२०१८ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक १०-०८-२०२२ के विरूद्ध)
होली पब्लिक ग्रुप आफ स्कूल, सिकन्दरा रोड, थाना-सिकन्दरा, आगरा, यू0पी0, द्वारा चेयरमेन।
........... अपीलार्थी/विपक्षी।
बनाम
राकेश गुप्ता पुत्र स्व0 श्री बुदसेन निवासी-जल विहार कालोनी, मऊ रोड खन्दारी बाईपास आगरा।
............ प्रत्यर्थी/परिवादी।
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :- श्री संजय कुमार वर्मा विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :- कोई नहीं।
दिनांक :- ०२-११-२०२२.
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी होली पब्लिक ग्रुप आफ स्कूल द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग (द्वितीय), आगरा द्धारा परिवाद सं0-१३/२०१८ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक १०-०८-२०२२ के विरूद्ध योजित की गई है।
वाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी के कथनानुसार उसके पुत्र अंकित गुप्ता ने ११वीं कक्षा में प्रवेश हेतु विपक्षी होली पब्लिक ग्रुप आफ स्कल सिकन्दरा रोड थाना सिकन्दरा आगरा में साइंस स्ट्रीम में दिनांक १९-०७-२०१७ को सम्पर्क किया। उसी दिन परिवादी के पुत्र अंकित गुप्ता को साइंस स्ट्रीम में प्रवेश दिया गया तथा प्रवेश
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शुल्क व अन्य शुल्क की मद में १६,०७५/- रू० जमा कराकर रसीद परिवादी को दे दी गई। दिनांक २०-०७-२०१७ को जब परिवादी का पुत्र स्कूल ग्रया तो उपस्थित शिक्षकों ने परिवादी के पुत्र को अनावश्यक रूप से यह कहते हुए कि आप का प्रवेश लेट हुआ है तथा पढ़ाई छूट चुकी है इसलिए तुम पढ़ाई पूरी नहीं कर पाओगे, अनुचित दवाब बनया गया तथा यह कहा गया कि तुम इस साल पढ़ाई मत करो। विपक्षी के शिक्षकों के इस व्यवहार से परिवादी का पुत्र गम्भीर अवसाद से ग्रसित हो गया। परिवादी ने अपने पुत्र का डॉ0 सी0बी0 सिंह से दिनांक २४-०७-२०१७ से दिनांक २२-१०-२०१७ तक इलाज कराया। स्वस्थ होने का प्रमाण पत्र भी डॉक्टर द्वारा दिनांक २२-१०-२०१७ को जारी किया गया। परिवादी का पुत्र पुन: दिनांक २२-१०-२०१७ को स्वस्थता प्रमाण पत्र लेकर विद्यालय अध्ययन हेतु गया तो गया तो विद्यालय के प्रिन्सिपल व शिक्षक द्वारा परिवादी के पुत्र को क्लास में प्रवेश करने से मना कर दिया गया तथा यह कहा गया कि ११वीं कक्षा के सी0बी0एस0सी0 बोर्ड में रजिस्ट्रेशन भेजे जा चुके हैं इसलिए अब तुम्हारा रजिस्ट्रेशन नहीं भेजा जा सकेगा। इस अनुचित व्यवहार से परिवादी का पुत्र पुन: गम्भीर अवसाद से ग्रसित हो गया। तब दिनांक ३०-१०-२०१७ को परिवादी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से विपक्षी को नोटिस प्रेषित किया जिसका विपक्षी ने न तो कोई उत्तर दिया और न ही परिवादी के पुत्र को विद्यालय में ११वीं कक्षा में प्रवेश दिया और न ही नोटिस के अन्तर्गत मांगी गयी फीस व क्षतिपूर्ति वापस की। विवश होकर परिवादी ने परिवाद विद्वान जिला फोरम के सम्मुख योजित किया।
विपक्षी को विद्वान जिला फोरम द्वारा परिवाद के सम्बन्ध में नोटिस दिनांक १६-०२-२०१८ को प्रेषित की गई। दिनांक ०७-०२-२०१९ को विपक्षी की ओर से अधिवक्ता श्री पवन कुमार गौतम तथा अधिवक्ता श्री सुधाकर त्यागी द्वारा वकालतनामा मय प्रार्थना पत्र विद्वान जिला फोरम के सम्मुख प्रस्तुत किया गया परन्तु दिनांक १५-०७-२०१९ तक विपक्षी के द्वारा लिखित कथन प्रस्तुत न करने पर परिवाद की कार्यवाही एक पक्षीय की गई।
विद्वान जिला फोरम ने अधिवक्ता परिवादी को सुनने एवं सम्पूर्ण प्रपत्रों व
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साक्ष्यों पर विस्तार से विचार करने के उपरान्त निम्न आदेश पारित किया :-
‘’ परिवादी का परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी द्वारा अपने पुत्र अंकित गुप्ता के प्रवेश हेतु जमा करायी गयी फीस अंकन १६,०७५/- रू० को जमा करने की तिथि १९-०७-२०१७ (जैसा कि जमा रसीद में डेट १९-०७-२०१७ अंकित है) से वास्तविक भुगतान की तिथि तक १२ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज के साथ परिवादी को अदा करना सुनिश्चित करे। इसके अतिरिक्त विपक्षी परिवादी को मानसिक, शारीरिक व आर्थिक क्षति की क्षतिपूर्ति के रूप में अंकन २०,०००/- रू० भी अदा करना सुनिश्चित करे। वाद की परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे। ‘’
इस निर्णय से क्षुब्ध होकर वर्तमान अपील प्रस्तुत की गई है।
मेरे द्वारा द्वारा अपलीर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री संजय कुमार वर्मा को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखों एवं प्रश्नगत निर्णय का परिशीलन व परीक्षण किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री संजय कुमार वर्मा ने कथन किया कि परिवादी के पुत्र अंकित गुप्ता ने ११वीं कक्षा में प्रवेश लेने के पश्चात् केवल एक सप्ताह ही क्लास अटेण्ड कीं और उसके पश्चात् वह स्कूल नहीं आया। जब परिवादी का पुत्र निरन्तर अनुपस्थित चल रहा था तब दिनांक १०-०९-२०१७ व २२-०८-२०१७ के पत्रों द्वारा परिवादी को सूचित किया गया। विपक्षी की ओर से सेवा में कोई कमी नहीं की गई अत्एव विद्वान जिला फोरम द्वारा आदेशित क्षतिपूर्ति २०,०००/- रू० की धनराशि की कोई देयता अपीलार्थी पर नहीं बनती है। उक्त धनराशि पर १२ प्रतिशत की दर से जो ब्याज की अदायगी हेतु आदेशित किया गया है वह भी विधि सम्मत नहीं है जिसे अपास्त किया जाना आवश्यक है।
प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश के निष्कर्ष में विद्वान जिला फोरम द्वारा यह स्पष्ट पाया गया कि परिवादी द्वारा अपने पुत्र को विपक्षी के विद्यालय में ११वीं कक्षा में प्रवेश
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दिलाकर दिनांक १९-०७-२०१७ को प्रवेश शुल्क व अन्य शुल्क के मद में अंकन १६,०७५/- रू० जमा कराकर रसीद प्राप्त की गयी। विद्वान जिला फोरम के सम्मुख परिवादी अपने परिवाद को साबित करने में सफल रहा।
प्रश्नगत निर्णय दिनांकित १०-०८-२०२२ के अवलोकन से स्पष्ट पाया जाता है कि परिवाद की कार्यवाही में विपक्षी के अधिवक्तागण सर्व श्री पवन कुमार गौतम तथा सुधाकर त्यागी द्वारा वकालतनामा मय प्रार्थना पत्र विद्वान जिला फोरम के सम्मुख प्रस्तुत किया गया परन्तु दिनांक १५-०७-२०१९ तक विपक्षी के द्वारा लिखित कथन प्रस्तुत नहीं किया गया। स्पष्ट पाया जाता है कि विपक्षी द्वारा परिवाद की कार्यवाही में भाग सक्रिय रूप से न लेकर हीला-हवाली की गई और अपने कर्तव्य के निवर्हन में लापरवाही की गई। अपीलीय स्तर पर भी अपीलार्थी द्वारा ऐसा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है जिससे यह स्पष्ट हो सके कि परिवादी के पुत्र को विद्यालय में अध्ययन हेतु आने से उनके द्वारा नहीं रोका गया। स्पष्टत: अपीलार्थी के स्तर पर सेवा में कमी परिलक्षित होती है। विधिक नोटिस दिए जाने के बाबजूद भी परिवादी द्वारा जमा करायी गई फीस की धनराशि भी उसे वापस नहीं की गई किन्तु उपरोक्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए हम यह पाते हैं कि विद्वान जिला फोरम द्वारा पारित आदेश के अन्तर्गत फीस की धनराशि पर १२ प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज की अदायगी का आदेश पारित किया गया है। ब्याज की यह दर बहुत अधिक है, जिसे घटाकर ०९ प्रतिशत किया जाना न्यायोचित होगा और इसी प्रकार क्षतिपूर्ति के रूप में जो २०,०००/- रू० की अदायगी का आदेश दिया गया है उसके स्थान पर १०,०००/- रू० परिवादी को दिलाया जाना न्यायोचित होगा। तद्नुसार विद्वान जिला फोरम का उपरोक्त आदेश संशोधित करते हुए अपील आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग (द्वितीय), आगरा द्धारा परिवाद सं0-१३/२०१८ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश
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दिनांक १०-०८-२०२२ इस प्रकार संशोधित किया जाता है कि विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी द्वारा अपने पुत्र अंकित गुप्ता के प्रवेश हेतु जमा करायी गयी फीस अंकन १६,०७५/- रू० को जमा करने की तिथि १९-०७-२०१७ (जैसा कि जमा रसीद में डेट १९-०७-२०१७ अंकित है) से वास्तविक भुगतान की तिथि तक ०९ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज के साथ परिवादी को अदा करना सुनिश्चित करे। इसके अतिरिक्त विपक्षी परिवादी को मानसिक, शारीरिक व आर्थिक क्षति की क्षतिपूर्ति के रूप में अंकन १०,०००/- रू० भी अदा करना सुनिश्चित करे। शेष निर्णय की पुष्टि की जाती है।
इस आयोग के निबन्धक से अपेक्षा की जाती है कि अपीलार्थी द्वारा प्रस्तुत अपील योजित किए जाते समय अधिनियम की धारा-४१ के अन्तर्गत जो धनराशि जमा की गई हो वह सम्पूर्ण धनराशि अर्जित ब्याज सहित विधि अनुसार एक माह में सम्बन्धित जिला आयोग को प्रेषित की जावे ताकि जिला आयोग द्वारा इस निर्णय के अनुसार परिवादी को देय धनराशि के भुगतान के सम्बन्ध में विधि अनुसार कार्यवाही की जा सके।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
प्रमोद कुमार,
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-१,
कोर्ट नं0-१.