एकपक्षीय आदेश
1. शिकायतकर्ता सुधीर कुमार ने इस आशय का शिकायत दाखिल किया कि वह टाटा सूमो कार विपक्षी टाटा यसराज मोटर एजेंसी मुजफ्फरपुर से दिनांक 28.02.2011 को ख़रीदा। जिसमें 375000 रु० नगद एवं 295000 रु० का भुगतान चेक के माध्यम से किया जो कि स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया कादिराबाद दरभंगा से लोन रूप में प्राप्त किया।
शिकायतकर्ता का यह भी कथन है कि गाड़ी चलाने के दरम्यान ड्राइवर द्वारा ट्रक से बचाने के क्रम में बायां साइड ट्रक में ठोकर लग गया, जिसमें गाड़ी का बोनेट, बाएं साइड का गेट, रेडियेटर, मेन फ्रंट ग्लास बायां साइड मिरर, बायां हेड लाइट, फाइबर गार्ड अगले हिस्से का सभी सामान बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया।
2. शिकायतकर्ता का यह भी कथन है कि गाड़ी क्षतिग्रस्त होने के पश्चात यसराज मोटर के दरभंगा एवं मुजफ्फरपुर दोनों कार्यालय को लिखित सूचना दिया गया। विपक्षीगण द्वारा प्रश्नगत वाहन को विपक्षी एजेंसी में भेजने के लिए कहा गया। जहां प्रश्नगत वाहन के क्षतिग्रस्त हिस्से को बिना भुगतान के बदलना था। जब बीमा कंपनी सर्वेयर रिपोर्ट के बाद खर्चा का भुगतान कर देगी। प्रश्नगत वाहन नेशनल इन्सुरेंस कंपनी के द्वारा बीमित था।
3. परिवादी का यह भी कथन है कि वह विपक्षी द्वारा यसराज एजेंसी दरभंगा तथा मुजफ्फरपुर क्षतिग्रस्त कार के साथ गया तथा क्षतिग्रस्त वाहन एजेंसी को क्षतिग्रस्त हिस्से को बदलने के लिए आवश्यक हिस्से को मरम्मत के लिए हस्तगत कर दिया।
4. परिवादी का भी कथन है कि कुछ समय के बाद परिवादी ने जाकर एजेंसी के मैनेजर से प्रश्नगत वाहन को हस्तगत करने का अनुरोध किया। लेकिन विपक्षीगण द्वारा कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया। विपक्षीगण द्वारा परिवादी से 25000 रु० प्रश्नगत वाहन के मरम्मत के लिए माँगा गया। परिवादी ने विरोध के बाद 25000 रु० का भुगतान विपक्षी को कर दिया। उसके लगभग तीन माह बाद परिवादी को काफी परेशान करके वाहन को मरम्मत करके वाहन को परिवादी को हस्तगत किया गया।
5. परिवादी का यह भी कथन है कि वाहन प्राप्त करने के बाद उसके संज्ञान में यह बात आयी कि प्रश्नगत वाहन के क्षतिग्रस्त हिस्से के स्थान पर पुराने वाहन का हिस्सा लगाकर तथा कुछ हिस्से को बैल्डिंग आदि कर के परिवादी को हस्तगत कर दिया गया है। क्षतिग्रस्त हिस्से के स्थान पर नया पार्ट पुर्जा नहीं लगाया गया है। वाहन के कुछ क्षतिग्रस्त हिस्से को बिना मरम्मति के छोड़ दिया गया।
6. परिवादी का यह भी कथन है कि उसे जबरदस्ती प्रश्नगत वाहन को जो कि ख़राब दशा में थी, उसे हस्तगत कर दिया गया।
7. परिवादी का यह भी कथन है कि उसे विश्वसनीय सूत्रों से ज्ञात हुआ कि विपक्षी यसराज मोटर्स से नेशनल इन्सुरेंस कंपनी मुजफ्फरपुर शाखा से 170000 रु० प्राप्त कर लिया है। और परिवादी से 25000 रु० जबरदस्ती मरम्मति के नाम पर लिया। इस प्रकार विपक्षी द्वारा परिवादी से प्रश्नगत वाहन के मरम्मति के नाम पर 195000 रु० प्राप्त कर लिया गया है। और वाहन को ठीक से मरम्मत भी नहीं किया गया तथा ख़राब दशा में उसे हस्तगत करा दिया गया, जिससे परिवादी को काफी असुविधा एवं नुकसान हुआ।
8. परिवादी का यह भी कथन है कि उसे मुजफ्फरपुर आने जाने में 5000 रु० खर्चा हुआ तथा मानसिक एवं शारीरिक क्षति हुआ।
9. परिवादी का यह कथन है कि विपक्षीगण के इस कृत्य से उसे मानसिक एवं शारीरक क्षति हुआ। बीमा कंपनी से विपक्षी प्रो० यसराज मोटर द्वारा धोखाधड़ी करके 195000 रु० प्रश्नगत वाहन के मरम्मति के नाम पर ले लिया गया।
अतः अनुरोध है कि फोरम द्वारा विपक्षी को आदेश दिया जाये कि वह प्रश्नगत वाहन में जो भी खराबी है। उसे दूर करे तथा जो पुराने क्षतिग्रस्त सामान के बदले जो सामान लगाया है, उसके स्थान पर नया सामान लगावें, और विपक्षी द्वारा प्रश्नगत वाहन के मरम्मति के नाम पर लिये गये धनराशि को वापस कर दें एवं विपक्षीगण द्वारा किये गए सेवा में त्रुटि के कारण पहुंचे मानसिक एवं आर्थिक क्षतिपूर्ति के रूप में 100000 रु० का भुगतान एवं अन्य जो भी खर्चा फोरम आवश्यक समझे विपक्षी से दिलाने का कष्ट करे।
विपक्षी की तरफ से कोई उपस्थित नहीं हुआ विपक्षी को निबंधित डाक से नोटिस भेजा गया था। निबंधित डाक से भेजा गया नोटिस वापस नहीं आया और विपक्षी भी उपस्थित होकर अपना व्यान तहरीर दाखिल नहीं किया। विपक्षीगण के आचरण से लगता है कि वह लोग नोटिस प्राप्त करके जानबूझ कर फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं हो रहे है।ऐसी स्थिति में विपक्षीगण पर नोटिस का तामिला घोषित किया जाता है। विपक्षीगण को इस बात की सूचना थी कि उनके विरुद्ध परिवादी ने केस दाखिल किया है, इस बात की पुष्टि परिवादी के आवेदन दिनांक 13.10.2012 जो कि विपक्षीगण द्वारा दिया गया प्रतिउत्तर दिनांक 20.03.2013 से हो जाता है। ऐसी स्थिति में विपक्षीगण पर एकपक्षीय सुनवाई प्रारंभ किया।
परिवादी ने अपने केस के समर्थन में एनेक्सचर-1 जो कि गाड़ी का ओनर बुक है, एनेक्सचर-02 जो कि प्रश्नगत वाहन का बीमा पॉलिसी दाखिल किया। तथा मौखिक साक्ष्य के रूप में परिवादी सुधीर कुमार का शपथ पर परिक्षण कराया।
फोरम ने परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना तथा अभिलेख का अवलोकन किया। परिवादी ने प्रश्नगत वाहन को मेसर्स टाटा यसराज मोटर्स एजेंसी मुजफ्फरपुर से दिनांक 28.02.2011 को खरीद किया था तथा उक्त वाहन दिनांक 28.06.2011 को दुर्घटना के कारण क्षतिग्रस्त हो गया विपक्षी कंपनी ने परिवादी से 25000 रु० दुर्घटना ग्रस्त वाहन के मरम्मति के नाम पर ले लिया।चूँकि उक्त वाहन दिनांक 16.03.2011 से दिनांक 15.03.2012 तक बीमित था और दुर्घटना दिनांक 28.06.2011 को हुआ ऐसी स्थिति में प्रश्नगत वाहन बीमित था।चूँकि दुर्घटना बीमा अवधि के अंदर हुआ है, इस कारण प्रश्नगत वाहन के दुर्घटना होने तक वाहन में जो भी क्षति हुआ है उसके मरम्मत आदि समस्त खर्चा की जबाबदेही बीमा कंपनी की थी। परिवादी द्वारा मांगे गए सूचना के अधिकार से यह भी स्पष्ट है कि विपक्षी ने प्रश्नगत क्षतिग्रस्त वाहन के मरम्मति पर किये गए समस्त खर्च को बीमा कंपनी से ले लिया है।
परिवादी का यह कथन है कि बीमा कंपनी से प्रश्नगत क्षतिग्रस्त वाहन के मरम्मत एवं उसके क्षतिग्रस्त हिस्से को बदलने आदि का सारा खर्च विपक्षी ने बीमा कंपनी से ले लिया है, लेकिन प्रश्नगत वाहन के क्षतिग्रस्त स्थान पर नया की जगह पुराना सामान लगा दिया है । चूंकि विपक्षी के तरफ से कोई उपस्थित नहीं हुआ। ऐसी स्थिति में परिवादी ने जो साक्ष्य प्रस्तुत किया उस पर अविश्वास करने का कोई कारण प्रतीत नहीं होता होता है।
परिवादी द्वारा यसराज मोटर लिमिटेड मुजफ्फरपुर को प्रश्नगत वाहन के मरम्मति के लिए दिनांक 01.10.2011 को 25000 रु० का भुगतान किया गया था। इनकी पुष्टि एनेक्सचर-3 से हो जाती है। जबकि प्रश्नगत वाहन दुर्घटना की तिथि को बीमित था। और विपक्षी टाटा यसराज मोटर कंपनी द्वारा नेशनल इन्सुरेंस कंपनी से उस पर किये गए, समस्त खर्चा का भुगतान ले लिया गया था।
उपरोक्त साक्ष्य एवं तथ्यों के आधार पर यह फोरम इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि विपक्षी टाटा यसराज मोटर एजेंसी मुजफ्फरपुर के द्वारा परिवादी से प्रश्नगत क्षतिग्रस्त वाहन के मरम्मति के बदले 25000 रु० कि जो धनराशि ले लिया गया था उसे विपक्षी यसराज मोटर परिवादी को वापस करे। चूँकि विपक्षी ने बीमा कंपनी से क्षतिग्रस्त वाहन मरम्मति पर किये गए सारे खर्च को वसूल लिया है।
विपक्षी टाटा यसराज मोटर लिमिटेड को यह आदेश दिया जाता है कि वह परिवादी के क्षतिग्रस्त वाहन वाहन के जिस हिस्से को निकल कर नया के बदले पुराना लगाया है जिसकी पुष्टि शमीम मोटर्स वर्कशॉप लहेरियासराय, दरभंगा द्वारा दिए गए रिपोर्ट से भी होती है, और नया का मूल्य ले लिया है, वह पुराना हिस्सा निकाल कर उसके स्थान पर नया सामान लगावें एवं विपक्षी यसराज मोटर को यह भी आदेश दिया जाता है कि वह परिवादी को मानसिक एवं आर्थिक क्षति के रूप में 20000 रु० तथा सेवा में त्रुटि के लिए 25000 रु० और वाद खर्चा के रूप में 10000 रु० परिवादी को दो माह के अंदर भुगतान कर दें। ऐसा नहीं करने पर आदेश की तिथि से 8% वार्षिक ब्याज की दर से उपरोक्त धनराशि विधिक प्रक्रिया से वसूला जायेगा।