मौखिक
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ०प्र० लखनऊ
अपील संख्या- 828/2007
मैसर्स सोनी इण्डिया प्रा०लि०
बनाम
श्री रघुबीर सिंह तोमर व अन्य
दिनांक: 18.05.2023
माननीय सदस्य श्री विकास सक्सेना द्वारा उदघोषित
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी मैसर्स सोनी इण्डिया प्रा०लि० की ओर से विद्वान जिला आयोग, प्रथम आगरा द्वारा परिवाद संख्या-134/2002 रघुबीर सिंह तोमर बनाम भारत एजेन्सी एवं सोनी इण्डिया प्रा०लि० में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 19-02-2007 के विरूद्ध योजित की गयी है।
विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
" परिवाद स्वीकृत कर विपक्षीगण को निर्देश दिया जाता है कि वह आदेश पारित होने के 45 दिन के अन्दर प्रश्नगत टी०वी० को पूर्णत: ठीक कराएं तथा सेवा में त्रुटि व परिवादी के मानसिक उत्पीड़न के बावत 2000/-रू० क्षतिपूर्ति एवं 1000/-रू० वाद व्यय का भुगतान करें।
निर्धारित अवधि में आदेश का अनुपालन न करने पर विपक्षीगण संयुक्त रूप से अथवा पृथक-पृथक टी०वी० की कीमत 17,700/-रू० परिवादी को वापस करेंगे तथा परिवादी से पुराना टी०वी० प्राप्त करेंगे। "
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जिला आयोग के उपरोक्त निर्णय एवं आदेश से क्षुब्ध होकर अपीलार्थी मैसर्स सोनी इण्डिया प्रा०लि० द्वारा यह अपील योजित की गयी है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता सुश्री फुहार गुप्ता उपस्थित हुयीं। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है।
पीठ द्वारा अपीलार्थी की विद्वान अधिवक्ता के तर्क को विस्तार से सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का सम्यक परिशीलन एवं परीक्षण किया गया। हमारे द्वारा विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का भी अवलोकन किया गया।
अपीलार्थी द्वारा अपील इस कथन के साथ प्रस्तुत की गयी है कि प्रत्यर्थी द्वारा क्रय किया गया सोनी टी०वी० प्रत्यर्थी संख्या-2 मैसर्स भारत एजेन्सी से क्रय किया गया था। परिवादी की ओर से यह कथन किया गया है कि कुछ ही दिनों बाद टी०वी० में करेण्ट आने लगा तथा आवाज भर्राने लगी, आवाज स्पष्ट नही आ रही थी जिसकी शिकायत विपक्षी संख्या-1 भारत एजेन्सी से की गयी किन्तु टी०वी० ठीक नहीं किया जा सका।
विद्वान जिला आयोग ने इस आधार पर परिवाद स्वीकार किया है कि परिवादी के टी०वी० क्रय किये जाने के एक वर्ष के अन्दर ही टी०वी० में खराबी आना शुरू हो गयी। विद्वान जिला आयोग ने जिस एक्सपर्ट रिपोर्ट का उल्लेख अपने निर्णय में किया है ऐसी कोई
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विशेषज्ञ आख्या/रिपोर्ट पत्रावली पर उपलब्ध नहीं है साथ ही जिला आयोग द्वारा अपने निर्णय में कहीं भी यह स्पष्ट रूप से अंकित नहीं किया गया है कि किस विशेषज्ञ द्वारा टी०वी० में पहले से ही खराबी होने का उल्लेख किया गया है।
अपीलार्थी द्वारा प्रस्तुत जॉब कार्ड जो प्रश्नगत टी०वी० के सम्बन्ध में एकमात्र अभिलेख है जिसमें यह उल्लेख किया गया है कि सेट ओके, आवाज ओके। जॉब कार्ड में ग्राहक ने हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। इस प्रकार अभिलेखों से यह स्पष्ट है कि परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि टी०वी० में क्या तकनीकी समस्या थी जिसके आधार पर सोनी निर्माता सोनी इण्डिया प्रा०लि० का पूर्ण रूप से उत्तरदायित्व निर्धारित किया जा सके, जबकि यह परिवादी का उत्तरदायित्व है कि वह यह स्पष्ट करें। परिवाद पत्र में टी०वी० के सम्बन्ध में जो कमियां दर्शायी गयी है वह टी०वी० ठीक से न लगाए जाने एवं सेटिंग ठीक न होने के कारण भी आ सकती हैं। अत: मात्र परिवादी द्वारा किये गये कथनों के आधार पर प्रश्नगत टी०वी० में प्रारम्भ से ही निर्माण संबंधी दोष होना सिद्ध नहीं माना जा सकता है।
विद्वान जिला आयोग ने ऊपर उल्लिखित तथ्यों को अनदेखा करते हुए निर्णय एवं आदेश पारित किया है जो अपास्त होने योग्य है, तदनुसार प्रस्तुत अपील स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश अपास्त किया जाता है।.
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प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।...
(विकास सक्सेना) (सुधा उपाध्याय)
सदस्य सदस्य
कृष्णा–आशु0 कोर्ट नं0 3