राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील सं0-२०६६/२००६
(जिला मंच, एटा द्वारा परिवाद संख्या-५५/८०/९९ सन् १९९७ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०१-०८-२००६ के विरूद्ध)
मै0 रघुबर कोल्ड स्टोरेज द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर सुनील कुमार गुप्ता, कायमगंज रोड, अलीगंज, एटा।
............ अपीलार्थी/विपक्षी।
बनाम
प्रवेश पुत्र श्री अभिनन्दन, निवासी ग्राम बरना, पोस्ट बरना, जिला एटा।
............ प्रत्यर्थी/परिवादी।
समक्ष:-
१- मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
२- मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री ए0के0 सिंह विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री आर0के0 मिश्रा विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक :- १९-०४-२०१७.
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला मंच, एटा द्वारा परिवाद संख्या-५५/८०/९९ सन् १९९७ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०१-०८-२००६ के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी के कथनानुसार उसने अपीलार्थी के कोल्ड स्टोरेज में रसीद सं0-२४९८ से लौट नं0 २५३५ पर ३३ बोरा, रसीद सं0-२४९९ से लौट नं0-२५३४ पर १२ बोरा, लौट नं0-२४४३ पर ४९ बोरा एवं लौट नं0-२६५८ पर ४० बोरा आलू दिनांक २७-०८-१९९६ को कुल मिलाकर १३४ बोरा आलू जमा किया था। परिवादी के परिवार में शादी थी अत: २९ मई को अपीलार्थी से सम्पर्क कर ०३ बोरा आलू निकाला। आलू निकालते समय अपीलार्थी द्वारा २०००/- रू० जमा कराया गया व २४४३/४९ बोरा व २६५८/४० बोरा की रसीदें भी जमा करा ली गयीं। ०३ बोरा आलू देकर व रसीदें जमा कराकर कह दिया गया कि शेष आलू आपको समय पर दे दिया जायेगा, किन्तु आल नोटिस दिए जाने के बाबजूद नहीं दिया
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गया। अत: परिवाद जिला मंच के समक्ष १३१ बोरा आलू अथवा उसकी कीमत दिलाए जाने हेतु योजित किया गया।
विद्वान जिला मंच ने प्रत्यर्थी/परिवादी का परिवाद स्वीकार करते हुए अपीलार्थी कोल्ड स्टोरेज को निर्देशित किया कि वह आदेश की तिथि के एक माह के अन्दर परिवादी को १३१ बोरा आलू की कीमत ५००/- रू० प्रति बोरा के हिसाब से ६५,५००/- रू० इसमें से अपीलार्थी का किराया १३४ बोरा का ५५/- रू० प्रति बोरा के हिसाब से ७,३७०/- रू० परिवादी के पिता व भाई अभिनन्दन व ब्रजेश द्वारा अपीलार्थी से ६,०००/- रू० नकद लिए, इस प्रकार कुल ६५,५००/- रू० में से १३३७०/- रू० काटकर शेष धनराशि ५२,१३०/- रू० तथा इस धनराशि पर दिनांक ०१-१०-१९९६ से ०६ प्रतिशत ब्याज आदेश की तिथि से भुगतान की तिथि तक अदा करे। इसके अतिरिक्त वाद व्यय एवं शारीरिक मानसिक कष्ट की क्षतिपूर्ति के रूप में १०००/- रू० परिवादी को अदा करे।
इस निर्णय से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी है।
हमने अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री ए0के0 सिंह एवं प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री आर0के0 मिश्रा के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि मई १९९६ में प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा ०३ बोरा आलू प्राप्त किया गया। यह तथ्य स्वयं परिवादी स्वीकार करता है। अपीलार्थी के कथनानुसार अगस्त १९९६ में प्रत्यर्थी/परिवादी ने ४९ बोरा आलू रसीद सं0-२४४३/४९ तथा ४० बोरा आलू रसीद सं0-२६५८/४० द्वारा प्राप्त किया। इस प्रकार अगस्त १९९६ तक प्रत्यर्थी/परिवादी ने कुल ९२ बोरा आलू प्राप्त कर लिया। कुल ४२ बोरा आलू ही शेष था। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि परिवाद के अभिकथनों में प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा यह स्वीकार किया गया है कि रसीद सं0-२४४३/४९ तथा रसीद सं0-२६५८/४० से प्रत्यर्थी/परिवादी के यहॉं जमा किया गया। ये रसीदें आलू जमा करते समय जारी की गयी थी तथा आलू वापस प्राप्त करते समय जमा की जाती हैं। अकारण इन रसीदोंको प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी को वापस किए जाने का कोई औचित्य नहीं था। वस्तुत: आलू प्राप्त करने के उपरान्त ये रसीदें अपीलार्थी को प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा वापस की गयीं। इस तथ्य
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को छिपाते हुए परिवाद प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा योजित किया गया। प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद के अभिकथनों में जमा किए आलू के किराये की कोई धनराशि अदा किया जाना अभिकथित नहीं किया है। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि विद्वान जिला मंच ने उपरोक्त तथ्यों पर विचार न करते हुए प्रश्नगत निर्णय पारित किया है। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि विद्वान जिला मंच ने स्वत: आलू की कीमत ५००/- रू० प्रति कुन्तल बिना किसी तर्कसंगत आधार के निर्धारित की है। प्रश्नगत निर्णय के अवलोकन से यह विदित होता है कि परिवाद सम्पूर्ण तथ्यों को स्पष्ट न करते हुए योजित किया गया है। ऐसी परिस्थिति में अधिवक्ता अपीलार्थी के तर्क में बल प्रतीत होता है। विद्वान जिला मंच ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का उचित परिशीलन न करते हुए प्रश्नगत निर्णय पारित किया है। तद्नुसार प्रस्तुत अपील स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। जिला मंच, एटा द्वारा परिवाद संख्या-५५/८०/९९ सन् १९९७ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०१-०८-२००६ अपास्त करते हुए परिवाद निरस्त किया जाता है।
इस अपील का व्यय-भार उभय पक्ष अपना-अपना स्वयं वहन करेंगे।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(उदय शंकर अवस्थी)
पीठासीन सदस्य
(गोवर्द्धन यादव)
सदस्य
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट नं.-३.