राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित।
अपील संख्या-2301/2000
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, कानपुर देहात द्वारा परिवाद संख्या-705/1999 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 16-08-2000 के विरूद्ध)
M/s Kanpur Tractors Private Limited (Now at present Known as M/s KTL Ltd.) 14/145. Chunniganj, Kanpur Nagar, through its General Manager, Sri S.K. Kapoor.
अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-2
बनाम्
- Sri. Prakash Narain Agnihotri, adult, son of late sidh Gopal Agnihotri, resident of House No.119/379 Ram Nagar, Darshanpurwa, Kanpur Nagar.
प्रत्यर्थी/अपीलार्थी
- Hon'ble District Consumers Redressal Forum, Kanpur Dehat.
प्रत्यर्थी
- M/s Maruti Udyog Ltd, through its Law Officer,11 Floor, Jeevan Prakash, 25 Kastorba Gandhi Marg, New Delhi.. प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-1
समक्ष :-
1- मा0 श्री जितेन्द्र नाथ सिन्हा, पीठासीन सदस्य।
2- मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य।
1- अपीलार्थी की ओर से उपस्थित - कोई नहीं।
2- प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित - कोई नहीं।
दिनांक : 31-10-2014
मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय
अपीलाथी ने प्रस्तुत अपील विद्धान जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, कानपुर देहात द्वारा परिवाद संख्या-705/1999 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 16-08-2000 के विरूद्ध प्रस्तुत की है, जिसमें परिवाद पत्र आंशिक रूप से स्वीकार किया गया और विपक्षी संख्या-2 मेसर्स कानपुर ट्रैक्टर्स को आदेश दिया गया कि वह इस निर्णय की तिथि से 60 दिन के अंदर परिवादी को आर्थिक क्षति के रूप में रू0 12,173.40 तथा शारीरिक एवं मानसिक क्षतिपूर्ति हेतु रू0 5,000/-रू0 तथा परिवाद व्यय के रूप में
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रू0 500/- का भुगतान करें। व्यतिक्रम की अवस्था में उपरोक्त सम्पूर्ण देय धनराशि पर दिनांक 02-12-1991 से 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज परिवादी पाने का अधिकारी होगा, से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी है।
संक्षेप में इस केस के तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी श्री प्रकाश अग्निहोत्री ने एक मारूती कार विपक्षी संख्या-2 मे0 कानपुर ट्रैक्टर्स लि0 के माध्यम से विपक्षी संख्या-1 मे0 मारूती उघोग लि0 के यहॉं दिनांक 02-01-1991 को बुक कराया और 1,12,430/-रू0 विपक्षी संख्या-2 के माध्यम से जमा किया। विपक्षी संख्या-2, विपक्षी संख्या-1 के अधिकृत विक्रेता हैं। परिवादी का कथन है कि विपक्षी संख्या-2 का एक पत्र दिनांक 29-03-1991 उसे प्राप्त हुआ जिसमें कहा गया कि परिवादी द्वारा बुक किया गया वाहन प्राप्त हो गया है अत: परिवादी अपनी डिलेवरी ले ले। उक्त पत्र में परिवादी से यह भी अपेक्षा की गयी कि वह अवशेष धनराशि विपक्षी के यहॉं जमा करके प्रश्नगत वाहन की डिलेवरी प्राप्त कर ले। परिवादी दिनांक 30-03-1991 को विपक्षी संख्या-2 के यहॉं डिलेवरी लेने गया और विपक्षी संख्या-2 के यहॉं मांगी गयी धनराशि मु0 10,000/-रू0 जमा किया। विपक्षी संख्या-2 ने रू0 500/- की सुविधा परिवादी को प्रदान किया। परिवादी ने धनराशि जमा करने के पश्चात विपक्षी संख्या-2 से डिलेवरी देने हेतु कहा परन्तु विपक्षी संख्या-2 ने परिवादी को वाहन की डिलेवरी नहीं दिया। दिनांक 31-03-1991 को समाचार पत्रों में यह सूचना प्रकाशित हुई कि मारूती-800 वाहन की कीमत बढ़ने वाली है फलस्वरूप परिवादी पुन: दिनांक 01-04-1991 एवं 2-4-91 को विपक्षी संख्या-2 के यहॉं गया और अनुरोध किया कि परिवादी द्वारा बुक किया गया वाहन उसे तत्काल प्रदान किया जाय। और यह भी अनुरोध किया कि यदि सफेद रंग का वाहन उपलब्ध न हो तो किसी भी रंग का वाहन उसे दिया जाय क्योंकि मारूती की कीमत बढ़ने वाली है। विपक्षी संख्या-2 द्वारा परिवादी के अनुरोध को स्वीकार नहीं किया गया और वाहन उपलब्ध होते हुए भी विपक्षी संख्या-2 परिवादी को वाहन की आपूर्ति नहीं की गयी।
विपक्षी संख्या-1 ने मारूती उघोग लि0 द्वारा परिवाद पत्र का विरोध मुख्यत: इस आधार पर किया कि परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-1(1)(डी) के अन्तर्गत उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है। परिवादी द्वारा जो परिवाद पत्र दाखिल किया गया है वह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-14(1) के अन्तर्गत परिवाद की श्रेणी में आता है। परिवादी ने प्रस्तुत परिवाद पत्र के माध्यम से रू0 34,481.83 ब्याज सहित वापस लेने की मांग किया है जो प्रश्नगत कार की बढ़ी हुई कीमत का अंतर है, इस प्रकार का अनुतोष उपभोक्ता फोरम द्वारा परिवादी को प्रदान नहीं
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किया जा सकता। इस प्रकार के अनुतोष के लिए परिवादी को सिविल वाद संस्थित करना चाहिए था। परिवादी ने सफेद रंग की कार बुक किया था परन्तु सफेद रंग की कार उपलब्ध न होने के कारण परिवादी को कथित तिथि पर प्रदान न की जा सकी। परिवादी को यह प्रस्ताव दिया गया था कि यदि वह बेयर्स ब्लू रंग की कार चाहे तो वह ले सकता है परन्तु परिवादी ने केवल सफेद रंग की कार लेने के लिए बल दिया। सफेद रंग की कार जब उपलब्ध हुई तब परिवादी को प्रदान की गयी। इस बीच मारूती उघोग लि0 द्वारा मारूती-800 कारों की कीमत बढ़ा दी गयी थी। परिवादी और विपक्षी के बीच संविदा के अनुसार तथा विपक्षी संख्या-1 द्वारा निर्धारित शर्तों के अनुसार जिस दिन कार की आपूर्ति की जाती है उसी दिन की कीमत क्रता से ली जाती है। फलस्वरूप परिवादी को जिस दिन कार उपलब्ध करायी गयी उसी दिन की कीमत परिवादी से ली गयी थी। विपक्षी द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। परिवादी ने कार की पूरी कीमत कार लेने के बाद जमा की थी। विद्धान जिला मंच को प्रस्तुत परिवाद की सुनवाई का अधिकार नहीं है अत: परिवाद पत्र खारिज होने योग्य है।
विपक्षी संख्या-2 कानपुर ट्रैक्टर्स द्वारा परिवाद पत्र का विरोध इस आधार पर किया गया है कि परिवादी ने दिनांक 02-01-1991 को विपक्षी के यहॉं मारूती 800 कार की आपूर्ति हेतु बुक किया और परिवादी ने रू0 1,12,430/-रू0 का बैंक ड्राफ्ट मे0 मारूती उघोग लि0 के नाम दिया।परिवादी और विपक्षी के बीच यह तय हुआ था कि अवशेष धनराशि परिवादी को जिस दिन कार की आपूर्ति की जायेगी उस दिन की प्रचलित कीमत परिवादी द्वारा देय होगी। परिवादी को दिनांक 29-03-1991 के पत्र द्वारा यह सूचित किया गया कि परिवादी यदि चाहे तो ब्लू रंग की कार अवशेष धनराशि का भुगतान करके ले सकता है। परिवादी ने विपक्षी को बताया कि वह सफेद रंग की कार ही लेना चाहता है। जिसे उसने बुक किया है। सफेद रंग की कार उस समय उपलब्ध नहीं थी फलस्वरूप सफेद रंग की कार उपलबध होने पर परिवादी को दिनांक 10-04-1991 को प्रदान की गयी इसके पूर्व मारूती उघोग लि0 द्वारा मारूती 800 कारों की कीमत दिनांक 03-04-1991 को बढ़ा दी गयी। फलस्वरूप परिवादी से कार की कीमत जिस दिन उसने खरीदा उस दिन की प्रचलित कीमत के अनुसार ली गयी। परिवादी का कथन कि उसने प्रश्नगत वाहन की सम्पूर्ण धनराशि का भुगतान दिनांक 30-03-1991 को कर दिया था निराधार एवं असत्य है। परिवादी को प्रश्नगत वाहन बुक करते समय दिनांक 02-01-1991 को बता दिया गया था कि वाहन की शेष कीमत वाहन क्रय करने की तिथि पर जो उसकी
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कीमत प्रचलित होगी उसके अनुसार परिवादी से लिया जायेगा। परिवादी ने पूरी कीमत का भुगतान नहीं किया। परिवादी को सफेद वाहन के अतिरिक्त ब्लू वाहन देने का प्रस्ताव विप्क्षी द्वारा किया गया था परन्तु परिवादी ने लेने से इंकार कर दिया। परिवादी ने परिवाद पत्र की धारा-14 में जो कथन किया वह असत्य है। विपक्षी द्वारा वरिष्ठता सूची के आधार पर कारों की आपूर्ति क्रेताओं को की गयी है। किसी भी क्रेता को जिसने वाहन परिवादी द्वारा बुक की गयी तिथि के बाद किया है उसे परिवादी के पहले वाहन नहीं दिया गया है। परिवादी ने केवल सफेद रंग की कार लेने की इच्छा की जो कि उपलब्ध न होने पर नहीं दी जा सकी। परिवादी को जिस समय सफेद रंग की कार की आपूर्ति की गयी उस समय कार की कीमत बढ़ गयी थी। फलस्वरूप परिवादी बढ़ी हुई कार की कीमत देने के लिए बाध्य था। उनकी ओर से कोई सेवा में कमी नहीं की गयी है।
उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्तागण अनुपस्थित। चूंकि यह अपील वर्ष 2000 से लम्बित है अत: अपील का निस्तारण गुणदोष के आधार पर किया जा रहा है।
हमने पत्रावली तथा विद्धान जिला मंच के आदेश का भली-भॉंति परिशीलन किया।
प्रस्तुत परिवाद में विद्धान जिला मंच ने विपक्षी संख्या-2 की सेवा में कमी मानते हुए विपक्षी संख्या-2 मेसर्स कानपुर ट्रैक्टर्स को आदेश दिया है कि वह इस निर्णय की तिथि से 60 दिन के अंदर परिवादी को आर्थिक क्षति के रूप में रू0 12,173.40 तथा शारीरिक एवं मानसिक क्षतिपूर्ति हेतु रू0 5,000/-रू0 तथा परिवाद व्यय के रूप में रू0 500/- का भुगतान करें। व्यतिक्रम की अवस्था में उपरोक्त सम्पूर्ण देय धनराशि पर दिनांक 02-12-1991 से 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज परिवादी पाने का अधिकारी होगा।
पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों के भली-भॉंति परिशीलन से यह स्पष्ट है कि परिवादी/प्रत्यर्थी ने दिनांक 02-01-1991 को विपक्षी संख्या-2 के माध्यम से विपक्षी संख्या-1 के यहॉं मु0 1,12,430/-रू0 जमा कर वाहन बुक कराया। दिनांक 29-03-1991 को विपक्षी संख्या-2 ने परिवादी/प्रत्यर्थी से कहा कि बुक किया गया वाहन प्राप्त हो गया है अत: उसकी डिलेवरी ले ले। यह पत्र पत्रावली पर उपलब्ध है।
इससे स्पष्ट है कि दिनांक 29-03-2001 से पहले उक्त वाहन विपक्षी संख्या-2 को प्राप्त हो गया था इसलिए बकाया धनराशि रू0 10,448/-रू0 की मांग लिखी गयी है। अत: 500/-रू0 कमीशन के मद में छूट तथा 10,000/-'रू0 परिवादी ने दिनांक 30-03-1991 को जमा किये, परन्तु परिवादी को
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विपक्षी संख्या-2 द्वारा वाहन की डिलीवरी नहीं दी गयी। विपक्षी संख्या-2 द्वारा परिवादी/प्रत्यर्थी से दिनांक 30-03-1991 को पूरी कीमत जमा कराने के बाद वाहन की डिलीवरी न देना सेवा में कमी है।
अपीलार्थी द्वारा यह कहा गया कि परिवादी सिर्फ सफेद रंग की कार लेना चाहता था और दिनांक 29-03-1991 के पत्र पर कलर के बाद सीएस/ब्लू लिखा था इसके खण्डन में परिवादी ने अपने शपथ पत्र पर यह कहा है कि परिवादी दिनांक 01-04-1991 से दिनांक 02-04-1991 को विपक्षी के अधिकारियों से कहा कि उसे किसी भी रंग का वाहन दे दिया जाये क्योंकि मारूती की कीमत बढ़ने वाली है तथा दिनांक 29-03-1991 के पत्र पर सीएस/ब्लू वाद में बढ़ाया गया है।
इस पत्र के परिशीलन से यह स्पष्ट है कि ऊपर हाथ की लिखावट से इस शब्द की लिखावट बिल्कुल भिन्न दिखायी दे रही है। इस प्रकार दिनांक 30-03-1991 को पूरी धनराशि जमा करने के बाद वाहन न देना विपक्षी की सेवा में कमी है। प्रश्नगत आदेश में यह तथ्य भी स्पष्ट है कि विपक्षी/अपीलार्थी ने परिवादी से रू0 12,173.40 पैसे अधिक प्राप्त कर लिया था और यह धनराशि परिवादी/प्रत्यर्थी पाने का अधिकारी है। अत: इस संदर्भ में जिला मंच का यह निष्कर्ष कि अपीलार्थी/विपक्षी 12,173.40 पैसे की धनराशि परिवादी/प्रत्यर्थी को वापस करे, का निष्कर्ष विधि अनुकल है। वर्तमान प्रकरण में अधिक ली गयी धनराशि का दिलाये जाने का आदेश पारित किया गया है। ऐसी स्थिति में अलग से क्षतिपूर्ति का अनुतोष उचित नहीं प्रतीत होता है अत: 5,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति के बावत पारित आदेश अपास्त किये जाने योग्य है तद्नुसार अपील अंशत: स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्धान जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, कानपुर देहात द्वारा परिवाद संख्या-705/1999 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 16-08-2000 में जो 5000/-रू0 क्षतिपूर्ति का आदेश दिया गया है उसे अपास्त किया जाता है शेष आदेश की पुष्टि की जाती है।
उभयपक्ष अपना-अपना अपीलीय व्ययभार स्वयं वहन करेंगे।
( जितेन्द्र नाथ सिन्हा ) ( बाल कुमारी )
पीठासीन सदस्य सदस्य
कोर्ट नं0-5
प्रदीप मिश्रा
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित।
अपील संख्या-2301/2000
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, कानपुर देहात द्वारा परिवाद संख्या-705/1999 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 16-08-2000 के विरूद्ध)
M/s Kanpur Tractors Private Limited (Now at present Known as M/s KTL Ltd.) 14/145. Chunniganj, Kanpur Nagar, through its General Manager, Sri S.K. Kapoor.
अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-2
बनाम्
- Sri. Prakash Narain Agnihotri, adult, son of late sidh Gopal Agnihotri, resident of House No.119/379 Ram Nagar, Darshanpurwa, Kanpur Nagar.
प्रत्यर्थी/अपीलार्थी
- Hon'ble District Consumers Redressal Forum, Kanpur Dehat.
प्रत्यर्थी
- M/s Maruti Udyog Ltd, through its Law Officer,11 Floor, Jeevan Prakash, 25 Kastorba Gandhi Marg, New Delhi.. प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-1
समक्ष :-
1- मा0 श्री जितेन्द्र नाथ सिन्हा, पीठासीन सदस्य।
2- मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य।
1- अपीलार्थी की ओर से उपस्थित - कोई नहीं।
2- प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित - कोई नहीं।
दिनांक : 31-10-2014
मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय
अपीलाथी ने प्रस्तुत अपील विद्धान जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, कानपुर देहात द्वारा परिवाद संख्या-705/1999 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 16-08-2000 के विरूद्ध प्रस्तुत की है, जिसमें परिवाद पत्र आंशिक रूप से स्वीकार किया गया और विपक्षी संख्या-2 मेसर्स कानपुर ट्रैक्टर्स को आदेश दिया गया कि वह इस निर्णय की तिथि से 60 दिन के अंदर परिवादी को आर्थिक क्षति के रूप में रू0 12,173.40 तथा शारीरिक एवं मानसिक क्षतिपूर्ति हेतु रू0 5,000/-रू0 तथा परिवाद व्यय के रूप में
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रू0 500/- का भुगतान करें। व्यतिक्रम की अवस्था में उपरोक्त सम्पूर्ण देय धनराशि पर दिनांक 02-12-1991 से 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज परिवादी पाने का अधिकारी होगा, से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी है।
संक्षेप में इस केस के तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी श्री प्रकाश अग्निहोत्री ने एक मारूती कार विपक्षी संख्या-2 मे0 कानपुर ट्रैक्टर्स लि0 के माध्यम से विपक्षी संख्या-1 मे0 मारूती उघोग लि0 के यहॉं दिनांक 02-01-1991 को बुक कराया और 1,12,430/-रू0 विपक्षी संख्या-2 के माध्यम से जमा किया। विपक्षी संख्या-2, विपक्षी संख्या-1 के अधिकृत विक्रेता हैं। परिवादी का कथन है कि विपक्षी संख्या-2 का एक पत्र दिनांक 29-03-1991 उसे प्राप्त हुआ जिसमें कहा गया कि परिवादी द्वारा बुक किया गया वाहन प्राप्त हो गया है अत: परिवादी अपनी डिलेवरी ले ले। उक्त पत्र में परिवादी से यह भी अपेक्षा की गयी कि वह अवशेष धनराशि विपक्षी के यहॉं जमा करके प्रश्नगत वाहन की डिलेवरी प्राप्त कर ले। परिवादी दिनांक 30-03-1991 को विपक्षी संख्या-2 के यहॉं डिलेवरी लेने गया और विपक्षी संख्या-2 के यहॉं मांगी गयी धनराशि मु0 10,000/-रू0 जमा किया। विपक्षी संख्या-2 ने रू0 500/- की सुविधा परिवादी को प्रदान किया। परिवादी ने धनराशि जमा करने के पश्चात विपक्षी संख्या-2 से डिलेवरी देने हेतु कहा परन्तु विपक्षी संख्या-2 ने परिवादी को वाहन की डिलेवरी नहीं दिया। दिनांक 31-03-1991 को समाचार पत्रों में यह सूचना प्रकाशित हुई कि मारूती-800 वाहन की कीमत बढ़ने वाली है फलस्वरूप परिवादी पुन: दिनांक 01-04-1991 एवं 2-4-91 को विपक्षी संख्या-2 के यहॉं गया और अनुरोध किया कि परिवादी द्वारा बुक किया गया वाहन उसे तत्काल प्रदान किया जाय। और यह भी अनुरोध किया कि यदि सफेद रंग का वाहन उपलब्ध न हो तो किसी भी रंग का वाहन उसे दिया जाय क्योंकि मारूती की कीमत बढ़ने वाली है। विपक्षी संख्या-2 द्वारा परिवादी के अनुरोध को स्वीकार नहीं किया गया और वाहन उपलब्ध होते हुए भी विपक्षी संख्या-2 परिवादी को वाहन की आपूर्ति नहीं की गयी।
विपक्षी संख्या-1 ने मारूती उघोग लि0 द्वारा परिवाद पत्र का विरोध मुख्यत: इस आधार पर किया कि परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-1(1)(डी) के अन्तर्गत उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है। परिवादी द्वारा जो परिवाद पत्र दाखिल किया गया है वह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-14(1) के अन्तर्गत परिवाद की श्रेणी में आता है। परिवादी ने प्रस्तुत परिवाद पत्र के माध्यम से रू0 34,481.83 ब्याज सहित वापस लेने की मांग किया है जो प्रश्नगत कार की बढ़ी हुई कीमत का अंतर है, इस प्रकार का अनुतोष उपभोक्ता फोरम द्वारा परिवादी को प्रदान नहीं
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किया जा सकता। इस प्रकार के अनुतोष के लिए परिवादी को सिविल वाद संस्थित करना चाहिए था। परिवादी ने सफेद रंग की कार बुक किया था परन्तु सफेद रंग की कार उपलब्ध न होने के कारण परिवादी को कथित तिथि पर प्रदान न की जा सकी। परिवादी को यह प्रस्ताव दिया गया था कि यदि वह बेयर्स ब्लू रंग की कार चाहे तो वह ले सकता है परन्तु परिवादी ने केवल सफेद रंग की कार लेने के लिए बल दिया। सफेद रंग की कार जब उपलब्ध हुई तब परिवादी को प्रदान की गयी। इस बीच मारूती उघोग लि0 द्वारा मारूती-800 कारों की कीमत बढ़ा दी गयी थी। परिवादी और विपक्षी के बीच संविदा के अनुसार तथा विपक्षी संख्या-1 द्वारा निर्धारित शर्तों के अनुसार जिस दिन कार की आपूर्ति की जाती है उसी दिन की कीमत क्रता से ली जाती है। फलस्वरूप परिवादी को जिस दिन कार उपलब्ध करायी गयी उसी दिन की कीमत परिवादी से ली गयी थी। विपक्षी द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। परिवादी ने कार की पूरी कीमत कार लेने के बाद जमा की थी। विद्धान जिला मंच को प्रस्तुत परिवाद की सुनवाई का अधिकार नहीं है अत: परिवाद पत्र खारिज होने योग्य है।
विपक्षी संख्या-2 कानपुर ट्रैक्टर्स द्वारा परिवाद पत्र का विरोध इस आधार पर किया गया है कि परिवादी ने दिनांक 02-01-1991 को विपक्षी के यहॉं मारूती 800 कार की आपूर्ति हेतु बुक किया और परिवादी ने रू0 1,12,430/-रू0 का बैंक ड्राफ्ट मे0 मारूती उघोग लि0 के नाम दिया।परिवादी और विपक्षी के बीच यह तय हुआ था कि अवशेष धनराशि परिवादी को जिस दिन कार की आपूर्ति की जायेगी उस दिन की प्रचलित कीमत परिवादी द्वारा देय होगी। परिवादी को दिनांक 29-03-1991 के पत्र द्वारा यह सूचित किया गया कि परिवादी यदि चाहे तो ब्लू रंग की कार अवशेष धनराशि का भुगतान करके ले सकता है। परिवादी ने विपक्षी को बताया कि वह सफेद रंग की कार ही लेना चाहता है। जिसे उसने बुक किया है। सफेद रंग की कार उस समय उपलब्ध नहीं थी फलस्वरूप सफेद रंग की कार उपलबध होने पर परिवादी को दिनांक 10-04-1991 को प्रदान की गयी इसके पूर्व मारूती उघोग लि0 द्वारा मारूती 800 कारों की कीमत दिनांक 03-04-1991 को बढ़ा दी गयी। फलस्वरूप परिवादी से कार की कीमत जिस दिन उसने खरीदा उस दिन की प्रचलित कीमत के अनुसार ली गयी। परिवादी का कथन कि उसने प्रश्नगत वाहन की सम्पूर्ण धनराशि का भुगतान दिनांक 30-03-1991 को कर दिया था निराधार एवं असत्य है। परिवादी को प्रश्नगत वाहन बुक करते समय दिनांक 02-01-1991 को बता दिया गया था कि वाहन की शेष कीमत वाहन क्रय करने की तिथि पर जो उसकी
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कीमत प्रचलित होगी उसके अनुसार परिवादी से लिया जायेगा। परिवादी ने पूरी कीमत का भुगतान नहीं किया। परिवादी को सफेद वाहन के अतिरिक्त ब्लू वाहन देने का प्रस्ताव विप्क्षी द्वारा किया गया था परन्तु परिवादी ने लेने से इंकार कर दिया। परिवादी ने परिवाद पत्र की धारा-14 में जो कथन किया वह असत्य है। विपक्षी द्वारा वरिष्ठता सूची के आधार पर कारों की आपूर्ति क्रेताओं को की गयी है। किसी भी क्रेता को जिसने वाहन परिवादी द्वारा बुक की गयी तिथि के बाद किया है उसे परिवादी के पहले वाहन नहीं दिया गया है। परिवादी ने केवल सफेद रंग की कार लेने की इच्छा की जो कि उपलब्ध न होने पर नहीं दी जा सकी। परिवादी को जिस समय सफेद रंग की कार की आपूर्ति की गयी उस समय कार की कीमत बढ़ गयी थी। फलस्वरूप परिवादी बढ़ी हुई कार की कीमत देने के लिए बाध्य था। उनकी ओर से कोई सेवा में कमी नहीं की गयी है।
उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्तागण अनुपस्थित। चूंकि यह अपील वर्ष 2000 से लम्बित है अत: अपील का निस्तारण गुणदोष के आधार पर किया जा रहा है।
हमने पत्रावली तथा विद्धान जिला मंच के आदेश का भली-भॉंति परिशीलन किया।
प्रस्तुत परिवाद में विद्धान जिला मंच ने विपक्षी संख्या-2 की सेवा में कमी मानते हुए विपक्षी संख्या-2 मेसर्स कानपुर ट्रैक्टर्स को आदेश दिया है कि वह इस निर्णय की तिथि से 60 दिन के अंदर परिवादी को आर्थिक क्षति के रूप में रू0 12,173.40 तथा शारीरिक एवं मानसिक क्षतिपूर्ति हेतु रू0 5,000/-रू0 तथा परिवाद व्यय के रूप में रू0 500/- का भुगतान करें। व्यतिक्रम की अवस्था में उपरोक्त सम्पूर्ण देय धनराशि पर दिनांक 02-12-1991 से 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज परिवादी पाने का अधिकारी होगा।
पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों के भली-भॉंति परिशीलन से यह स्पष्ट है कि परिवादी/प्रत्यर्थी ने दिनांक 02-01-1991 को विपक्षी संख्या-2 के माध्यम से विपक्षी संख्या-1 के यहॉं मु0 1,12,430/-रू0 जमा कर वाहन बुक कराया। दिनांक 29-03-1991 को विपक्षी संख्या-2 ने परिवादी/प्रत्यर्थी से कहा कि बुक किया गया वाहन प्राप्त हो गया है अत: उसकी डिलेवरी ले ले। यह पत्र पत्रावली पर उपलब्ध है।
इससे स्पष्ट है कि दिनांक 29-03-2001 से पहले उक्त वाहन विपक्षी संख्या-2 को प्राप्त हो गया था इसलिए बकाया धनराशि रू0 10,448/-रू0 की मांग लिखी गयी है। अत: 500/-रू0 कमीशन के मद में छूट तथा 10,000/-'रू0 परिवादी ने दिनांक 30-03-1991 को जमा किये, परन्तु परिवादी को
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विपक्षी संख्या-2 द्वारा वाहन की डिलीवरी नहीं दी गयी। विपक्षी संख्या-2 द्वारा परिवादी/प्रत्यर्थी से दिनांक 30-03-1991 को पूरी कीमत जमा कराने के बाद वाहन की डिलीवरी न देना सेवा में कमी है।
अपीलार्थी द्वारा यह कहा गया कि परिवादी सिर्फ सफेद रंग की कार लेना चाहता था और दिनांक 29-03-1991 के पत्र पर कलर के बाद सीएस/ब्लू लिखा था इसके खण्डन में परिवादी ने अपने शपथ पत्र पर यह कहा है कि परिवादी दिनांक 01-04-1991 से दिनांक 02-04-1991 को विपक्षी के अधिकारियों से कहा कि उसे किसी भी रंग का वाहन दे दिया जाये क्योंकि मारूती की कीमत बढ़ने वाली है तथा दिनांक 29-03-1991 के पत्र पर सीएस/ब्लू वाद में बढ़ाया गया है।
इस पत्र के परिशीलन से यह स्पष्ट है कि ऊपर हाथ की लिखावट से इस शब्द की लिखावट बिल्कुल भिन्न दिखायी दे रही है। इस प्रकार दिनांक 30-03-1991 को पूरी धनराशि जमा करने के बाद वाहन न देना विपक्षी की सेवा में कमी है। प्रश्नगत आदेश में यह तथ्य भी स्पष्ट है कि विपक्षी/अपीलार्थी ने परिवादी से रू0 12,173.40 पैसे अधिक प्राप्त कर लिया था और यह धनराशि परिवादी/प्रत्यर्थी पाने का अधिकारी है। अत: इस संदर्भ में जिला मंच का यह निष्कर्ष कि अपीलार्थी/विपक्षी 12,173.40 पैसे की धनराशि परिवादी/प्रत्यर्थी को वापस करे, का निष्कर्ष विधि अनुकल है। वर्तमान प्रकरण में अधिक ली गयी धनराशि का दिलाये जाने का आदेश पारित किया गया है। ऐसी स्थिति में अलग से क्षतिपूर्ति का अनुतोष उचित नहीं प्रतीत होता है अत: 5,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति के बावत पारित आदेश अपास्त किये जाने योग्य है तद्नुसार अपील अंशत: स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्धान जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, कानपुर देहात द्वारा परिवाद संख्या-705/1999 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 16-08-2000 में जो 5000/-रू0 क्षतिपूर्ति का आदेश दिया गया है उसे अपास्त किया जाता है शेष आदेश की पुष्टि की जाती है।
उभयपक्ष अपना-अपना अपीलीय व्ययभार स्वयं वहन करेंगे।
( जितेन्द्र नाथ सिन्हा ) ( बाल कुमारी )
पीठासीन सदस्य सदस्य
कोर्ट नं0-5
प्रदीप मिश्रा