राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(सुरक्षित)
अपील संख्या:-974/2012
(जिला उपभोक्ता फोरम, दितीय गाजियाबाद द्धारा परिवाद सं0-55/2011 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 16.4.2012 के विरूद्ध)
The New India Assurance Company Ltd., having its Registered Head Office at 87, Mahatma Gandhi Road, Fort Mumbai and one of its Divisional Office situated at Ghaziabad alongwith the Branch Office, situated at Modi Nagar through its Deputy Manager (T.P.Hub.)
........... Appellant/ Opp. Party
Versus
Shri Om Jindal, S/o Shri Deep Chand Jindal, R/o Plot No. 14, Suchetapuri, Govindpuri Modi Nagar, Pargana Jalalabad, Tehsil & P.S. Modi Nagar, Distt. Ghaziabad.
……..…. Respondent/ Complainant
समक्ष :-
मा0 श्री रामचरन चौधरी, पीठासीन सदस्य
मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री बी0पी0 दूबे
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : श्री प्रतीक सक्सेना
दिनांक : 02-02-2018
मा0 श्री रामचरन चौधरी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
मौजूदा अपील जिला उपभोक्ता फोरम, दितीय गाजियाबाद द्धारा परिवाद सं0-55/2011 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 16.4.2012 के विरूद्ध योजित की गई है, जिसमें जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा निम्न आदेश पारित किया गया है:-
"........विपक्षी बीमा कम्पनी, परिवादी को उसके बीमित ट्रक सं0-यू0पी014 एम 2789 के दिनांक 25.01.2002 को दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से तथा उक्त वाहन पूर्णत: क्षतिग्रस्त हो जाने से उसकी नुकसानी के क्षतिपूर्ति के रूप में परिवादी के साल्वेज बेसिस के आधार पर दो
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लाख रूपये की राशि क्षतिपूर्ति के रूप में उक्त राशि पर दिनांक 01.01.2003 से ता अदायगी दिनांक तक 07 (सात) प्रतिशत साधारण ब्याज की दर से ब्याज की राशि जोडकर जितनी राशि होवे, उतनी राशि इस परिवाद के परिवाद व्यय एक हजार रूपये के साथ हिसाब लगाकर निर्णय दिनांक से तीस दिवस की अवधि में विपक्षी बीमा कम्पनी परिवादी को अदा करें। विपक्षी बीमा कम्पनी स्वयं का प्रतिवाद व्यय वहन करेगी।”
संक्षेप में इस केस के तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी गाड़ी एल0पी0टी0 709 ई0 टाटा 38 नम्बर यू0पी0 14 एम 2789 का पंजीकृत स्वामी है एवं प्रश्नगत वाहन दिनांक 25.01.2002 को कादराबाद में दुर्घटनाग्रस्त हो गयी, जिसकी सूचना थाना मोदीनगर को दी गयी और प्रतिवादी को भी इसकी सूचना समय से दी गयी। उक्त दुर्घटना में गाड़ी पूर्णतया क्षतिग्रस्त हो गयी, जिसमें 3,31,674.00 रू0 का भुगतान हुआ एवं उक्त गाड़ी प्रतिवादी बीमा कम्पनी में दिनांक 28.10.2001 से 27.12.2002 तक पूर्णतया बीमित थी। दिनांक 29.01.2002 को समस्त औपचारिकताएं पूर्ण करते हुए परिवादी ने क्लेम फार्म प्रतिवादी को दिया, लेकिन प्रतिवादी बीमा कम्पनी ने क्लेम का भुगतान नहीं किया और सेवा में कमी की, जिसके लिए एक नोटिस भी दिनांक 11.7.2002 को प्रतिवादी को दिया गया, परन्तु प्रतिवादी बीमा कम्पनी द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई, अत: परिवादी द्वारा प्रतिवादी बीमा कम्पनी से क्षतिपूर्ति के रूप में 3,31,674.00 रू0 मय ब्याज का अनुतोष दिलाये जाने हेतु जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष परिवाद संस्थित किया गया है।
प्रतिवादी बीमा कम्पनी की ओर से जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत कर यह कथन किया गया है कि दिनांक 25.01.2002 को उक्त वाहन मोदीनगर में दुर्घटनाग्रस्त नहीं हुआ बल्कि दिनांक 11.11.2001 की रात्रि 3.00 बजे मोदीनगर से
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अलीगढ़ जाते समय खुर्जा के पास मुंडा खेड़ा चौराहे के पास अलीगढ़ से आते हुए वाहन सं0 यू0पी0 15 ई-5838 के टकरा जाने से दुर्घटनाग्रस्त हुआ था, जिसकी रिपोर्ट थाना खुर्जा बुलन्दशहर में परिवादी ने ड्राइवर लीलू पुत्र हरिराम ने दर्ज करायी थी। दिनांक 11.11.2001 को श्री परमेश्वर सिंह वरिष्ठ फोरमैन उ0प्र0 परिवहन निगम खुर्जा डिपो ने वाहन सं0-यू0पी0 14 एम 2789 के मुकदमें के अन्तर्गत तकनीकी मुआयना किया था, जिसके अनुसार उक्त वाहन सामने से बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। परिवादी ने फर्जी क्लेम प्राप्त करने के उद्देश्य से यह वाद प्रस्तुत किया है। दिनांक 28.10.2001 को उक्त वाहन हेतु कोई कवर नोट जारी नहीं किया गया। उक्त वाहन का बीमा दिनांक 28.12.2001 से 27.12.2002 तक वैध था, दुर्घटना खुर्जा में दिनांक 11.11.2001 को हुई थी, इसलिए बीमा कम्पनी का कोई दायित्व नहीं है। परिवादी ने यह परिवाद सही तथ्यों को छिपाकर गलत व फर्जी तथ्यों के आधार पर योजित किया है। परिवादी कोई अनुतोष पाने का हकदार नहीं है और परिवाद सव्यय खारिज किए जाने योग्य है।
इस सम्बन्ध में जिला उपभोक्ता फोरम के प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांकित 16.4.2012 तथा आधार अपील का अवलोकन किया गया एवं अपीलार्थी बीमा कम्पनी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री बी0पी0 दूबे तथा प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री प्रतीक सक्सेना उपस्थित आये। उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का अवलोकन किया गया है।
मौजूदा केस में संलग्नक-2 पृष्ठ सं0-35 पर सर्वेयर की रिपोर्ट है, जिसमें यह कहा गया है कि “Loss was found extensive and likely to be settled on Total Loss Basis.” इस केस में प्रश्नगत वाहन दिनांक 11.11.2001 के पूर्व भी दुर्घटनाग्रस्त हुआ था और उसे सही कर बनवा लिया गया था और उसकी रिपोर्ट भी दर्ज करायी गई
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थी, लेकिन जो मौजूदा समय में प्रतिकर की मॉग की गई है, वह अलग दुर्घटना दिनांक 25.01.2002 को हुई है और उसी के सम्बन्ध में मौजूदा केस किया गया है और जिस समय दुर्घटना हुई उसम समय वाहन बीमित था और इस बारे में कोई विवाद नहीं है।
मौजूदा केस में जिला उपभोक्ता फोरम ने यह पाया है कि पूर्णत: क्षतिग्रस्त होकर वाहन की नुकसानी लगभग 3,31,674.00 रू0 होना दर्शाया गया है एवं इस नुकसानी के औचित्य के सम्बन्ध में विचार करने पर इस मामले में उपरोक्त वाहन की सर्वे रिपोर्ट जो सर्वेयर श्रीजीवन लाल अग्रवाल द्वारा दी गयी है तथा प्रतिवादी की ओर से 17सी/14 की लगायत 17सी/20 पेश की गयी है, महत्वपूर्ण है जिससे अध्ययन से उक्त वाहन का साल्वेज बेसिज के आधार पर जिसमें साल्वेज बेसिस की कीमत का आंकलन 1,80,000.00 रू0 किया गया है, साल्वेज बेसिस के आधार पर क्लेम का सैटिलमैंट दो लाख रूपये औचित्यपूर्ण होने की राय दी गयी है, इसी सर्वे रिपोर्ट में विभिन्न डीलर्स से क्षतिग्रस्त वाहन के विक्रय हेतु सम्पर्क करने या डीलर्स द्वारा तुरन्त विक्रय करने पर क्षतिग्रस्त वाहन की कीमत 1,80,000.00 रू0 ऑफर किया है, अत: उपरोक्त परिस्थिति में साल्वेज बेसिस के आधार पर परिवादी द्वारा वाहन पूर्ण क्षतिग्रस्त होने पर उसकी नुकसानी राशि जो 3,31,674.00 रू0 बतायी गयी है, के स्थानपर प्रस्तुत मामले के तथ्यों एवं परिस्थितियों में परिवादी को वाहन की नुकसानी हेतु क्षतिपूर्ति के लिए 1,80,000.00 रूपये की साल्वेज हटाकर साल्वेज बेसिस के आधार पर प्रतिवादी बीमा कम्पनी से परिवादी को दो लाख रूपये की क्षतिपूर्ति दिलाया जाना औचित्यपूर्ण है, जिसे अदा न करके प्रतिवादी बीमा कम्पनी द्वारा सेवा में कमी की गई है।
जिला उपभोक्ता फोरम ने यह भी पाया है कि परिवादी को वाहन की नुकसानी हेतु क्षतिपूर्ति के लिए 1,80,000.00 रू0 की साल्वेज को हटाकर साल्वेज बेसिस के आधार पर प्रतिवादी बीमा कम्पनी से
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परिवादी को दो लाख रूपये की क्षतिपूर्ति दिया जाना औचित्यपूर्ण है और जिसे अदा न करके प्रतिवादी बीमा कम्पनी द्वारा सेवा में कमी की गई है।
केस के तथ्यों व परिस्थितियों तथा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुनने के उपरांत हम यह पाते हैं कि जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा जो निर्णय/आदेश पारित किया गया है, वह सारे साक्ष्यों व अभिलेखों का विस्तृत वर्णत करते हुए पारित किया गया है, जो कि विधि सम्मत और तर्क पूर्ण है और उसमें किसी प्रकार के हस्तक्षेप की कोई गुनजाइश नहीं है। तद्नुसार अपीलार्थी की अपील खारिज किए जाने योग्य है।
आदेश
अपीलार्थी की अपील खारिज की जाती है।
उभय पक्ष अपीलीय व्यय भार स्वयं वहन करेगें।
(रामचरन चौधरी) (बाल कुमारी)
पीठासीन सदस्य सदस्य
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-5