Uttar Pradesh

StateCommission

A/2001/487

Agra Development Authority - Complainant(s)

Versus

Sri Kushal Pal Singh - Opp.Party(s)

R. K. Gupta

09 Jul 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2001/487
( Date of Filing : 19 Mar 2001 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Agra Development Authority
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Sri Kushal Pal Singh
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 09 Jul 2021
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील संख्‍या-487/2001

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, द्वितीय आगरा द्वारा परिवाद संख्‍या-112/1995 में पारित निर्णय दिनांक 16.02.2001 के विरूद्ध)

आगरा डेवलपमेन्‍ट अथारिटी जयपुर हाउस, आगरा द्वारा सेक्रेटरी।

                                         ...........अपीलार्थी@विपक्षी

बनाम

श्री कुशल पाल सिंह पुत्र श्री यशराम सिंह निवासी 17/133 ए,

राजनगर लोहामन्‍डी वार्ड, आगरा।                  .......प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

1. मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री आर0के0 गुप्‍ता, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित   : कोई नहीं।

दिनांक 14.07.2021

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.   परिवाद संख्‍या 112/95 कुशल पाल सिंह बनाम आगरा विकास प्राधिकरण में पारित निर्णय/आदेश दि. 16.02.2000 के विरूद्ध यह अपील आगरा विकास प्राधिकरण द्वारा प्रस्‍तुत की गई है। परिवाद को स्‍वीकार करते हुए आदेशित किया गया है कि निर्णय की तिथि के 45 दिन के अंदर परिवादी के पक्ष में भवन संख्‍या 23 एम.आई.जी. यातायात नगर आगरा का पंजीकरण करा दे तथा परिवादी को भी निर्देशित किया जाता है कि वह पंजीकरण हेतु आवश्‍यक औपचारिकता 15 दिन के अंदर पूर्ण करे।

2.   इस निर्णय व आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि जिला उपभोक्‍ता मंच ने अपने निर्णय में यह अंकित किया है कि स्‍वयं परिवादी असावधान था और देरी के लिए उत्‍तरदायी था। उसने समय पर कीमत एवं ब्‍याज अदा नहीं की है। परिवादी ने स्‍वयं निबंधन के लिए अपना दायित्‍व पूरा नहीं किया। प्रारंभ में केवल अनुमानित कीमत बताई गई थी।

-2-

3.   केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश का अवलोकन किया गया।

4.   परिवादी को आवंटित भवन संख्‍या 23 एम.आई.जी. यातायात नगर आगरा की कीमत रू. 110000/- थी। परिवादी द्वारा रू. 43000/- आवंटन से पूर्व जमा कराए गए थे, बाकी धनराशि 6 वर्षों में छमाही किश्‍तों में जमा किए जाने थे। प्रत्‍येक किश्‍त रू. 8323.40 पैसे की थी। अंकन रू. 39000/- कब्‍जे की किश्‍त लीजरेन्‍ट आदि के रूप में जमा किए जाने थे। दि. 10.09.87 को कब्‍जा लेने का प्रस्‍ताव दिया गया। परिवादी द्वारा कब्‍जा ले लिया गया। मकान में अनेक कमियां थीं, जिन्‍हें विपक्षी को बताया गया। विपक्षी ने मरम्‍मत का आश्‍वासन दिया, लेकिन कोई कार्य नहीं किया और परिवादी ने स्‍वयं मरम्‍मत कराया, जिसमें एक लाख रूपये खर्च हो गए। परिवादी ने दि. 16.03.93 को रू. 18000/-, 22.06.93 को रू. 99501/- जमा किया, इस प्रकार परिवादी ने कुल रू. 160521/- जमा किया है।

5.   विपक्षी का कथन है कि प्रारंभ में भवन का अनुमानित मूल्‍य अंकन रू. 110000/- बताया गया था। कब्‍जा देना स्‍वीकार किया गया है। परिवादी द्वारा जमा की जो राशि बताई गई है उसका जमा होना भी स्‍वीकार किया गया है, परन्‍तु यह कथन किया गया है कि परिवादी ने किश्‍त जमा करने में देरी की है। परिवादी पर रू. 20000/- बकाए थे तथा रू. 30100/- भवन की कीमत बढ़ गई थी। सीवरेज तथा स्‍टांप के रूप में रू. 5443/- जमा करने हैं।  

6.   जिला उपभोक्‍ता मंच ने दोनों पक्षकारों के साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात यह निष्‍कर्ष दिया गया कि परिवादी द्वारा किश्‍त जमा करने में जो देरी की गई है उस किश्‍त राशि पर केवल ढाई प्रतिशत अधिक ब्‍याज वसूली

 

-3-

जा सकती है और कब्‍जा देने के पश्‍चात कीमत बढ़ाने का कोई औचित्‍य नहीं है, ऐसा किया जाना प्राकृतिक नियम के विरूद्ध है।

7.   इस निर्णय के अवलोकन से स्‍पष्‍ट हो जाता है कि जिला उपभोक्‍ता मंच ने मकान की वास्‍तविक कीमत की किश्‍ते अदा करने में देरी पर ब्‍याज की राशि की कोई गणना नहीं की है, यह निष्‍कर्ष भी विधिसम्‍मत नहीं है कि कब्‍जा देने के पश्‍चात भवन की कीमत में बढ़ोत्‍तरी नहीं की जा सकती। किसी भी प्राधिकरण द्वारा आवंटन के समय अनुमानित कमी दर्शाई जाती है। यदि वास्‍तविक कीमत कब्‍जा प्रदान करने के पश्‍चात निकलती है तब आवंटी इस वास्‍तविक कीमत के अनुसार भुगतान करने के लिए बाध्‍य है, अत: जिला उपभोक्‍ता मंच का निष्‍कर्ष विधिसम्‍मत नहीं है। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

08.  अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय इस रूप में परिवर्तित किया जाता है कि परिवादी भवन की वास्‍तविक कीमत अदा करने के पश्‍चात अपने पक्ष में पंजीकरण कराने के लिए अधिकृत है।

          उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्‍यय भार स्‍वयं वहन करेंगे।

     आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

         

       (राजेन्‍द्र सिंह)                      (सुशील कुमार)                                                                                                                                                 सदस्‍य                             सदस्‍य         

राकेश, पी0ए0-2

कोर्ट-3

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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