राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-984/2012
(जिला उपभोक्ता फोरम, जालौन स्थान उरई द्वारा परिवाद संख्या 136/11 में पारित निर्णय दिनांक 29.03.12 के विरूद्ध)
ब्रांच मैनेजर, इलाहाबाद बैंक, ब्रांच उमरी, जिला जालौन। ....अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम्
श्रीकृष्ण पुत्र श्री शिवगनेश ग्राम बाबूपुरा, पोस्ट उमरी, परगना
माधौगढ़ जिला जालौन .........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 श्री राज कमल गुप्ता, पीठासीन सदस्य।
2. मा0 श्री महेश चन्द, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री शरद कुमार शुक्ला, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : प्रत्यथी के पुत्र श्री सत्य प्रकाश।
दिनांक 15.11.2017
मा0 श्री राज कमल गुप्ता, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम जालौन स्थान उरई द्वारा परिवाद संख्या 136/11 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दि. 29.03.2012 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है। जिला मंच ने निम्न आदेश पारित किया है:-
'' वादी का परिवाद विपक्षी संख्या 2 के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्या को आदेशित किया जाता है कि वह वादी के जिम्मे कथित बकाया मु0 16358/- रूपये की वसूली न करे और उक्त धनराशि माफ करते हुए वादी को अदेयता प्रमाणपत्र जारी करें। है। मुकदमें के तथ्यों व परिस्थितियों को देखते हुए उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय वहन करें।''
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी एक किसान है। उसने बैंक से ग्रीन कार्ड बनवाया था और विपक्षी संख्या 2 बैंक से रू. 25000/- ऋण के रूप में लिया था। परिवादी के अनुसार दि. 21.12.04 तक उस पर केवल रू. 8453/- बकाया थे, वह दिसम्बर 2002 से फतेहगढ़ जेल में निरूद्ध था। बुंदेलखंड में भीषण सूखे की वजह से भारत सरकार ने किसान के हित के लिए ऋण माफी योजना लागू की थी। विपक्षी संख्या 2 बैंक ने परिवादी को सूचित किया था कि भारत सरकार के ऋण माफी योजना के अंतर्गत परिवादी का शेष ऋण माफ कर दिया गया है और अब कोई शेष नहीं है, लेकिन कोई एन.ओ.सी नहीं दी गई, परन्तु दि. 26.12.10 को एक वसूली नोटिस प्राप्त हुई।
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जिला मंच के समक्ष विपक्षी संख्या 2 ने अपना लिखित कथन प्रस्तुत कर परिवाद का प्रतिवाद किया और यह अभिकथन किया कि परिवादी बैंक का उपभोक्ता नहीं है। परिवादी ने विपक्षी संख्या 2 की शाखा से किसान क्रेडिट कार्ड योजना के अंतर्गत रू. 25000/- का ऋण दि. 16.10.2000 को लिया था, जिस पर 12 प्रतिशत न्यूनतम ब्याज छमाही की दर से देना था। परिवादी ने पूर्ण बकाए का भुगतान नहीं किया। परिवादी के पुत्र ने दि. 21.05.2006 को बैंक को पत्र लिखा था जिसमें उसके द्वारा बताया गया था कि उसके पिता श्रीकृष्ण जेल में सजा काट रहे हैं और ऋण की अदायगी किश्तों में जमा करने की बात कही। बैंक ने उसको अवगत कराया कि उसके पिता पर रू. 16358/- ऋण का बकाया है, उसकी अदायगी रू. 250/- मासिक किश्तों में 2 वर्ष के अंदर जमा करें, लेकिन उसके इस प्रस्ताव का कोई पालन नहीं हुआ।
जिला मंच ने दोनों पक्षों के अभिकथनों के आधार पर मुख्य विवाद का बिन्दु यह पाया कि क्या विपक्षीगण ने परिवादी को कृषि ऋण राहत योजना वर्ष 2008 का लाभ न देकर विधिक त्रुटि की है और परिवादी से वह कोई धनराशि वसूल पाने का अधिकारी है या नहीं।
पीठ ने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता तथा प्रत्यर्थी श्रीकृष्ण के पुत्र सत्य प्रकाश को सुना गया। परिवादी श्रीकृष्ण ने पत्र लिखकर आयोग को सूचित किया है कि उसका पुत्र सत्य प्रकाश इस प्रकरण में पैरवी करेगा, क्योंकि वह अपनी अक्षमता के कारण उपस्थित नहीं हो पा रहा है।
जिला मंच का निर्णय दि. 29.03.12 का है और प्रतिलिपि दि. 04.04.12 को जारी की गई है। अपील दि. 15.05.12 को प्रस्तुत की गई है, इस प्रकार अपील लगभग 11 दिन विलम्ब से प्रस्तुत की गई है अपीलार्थी ने विलम्ब को क्षमा किए जाने हेतु प्रार्थना पत्र दिया है जो शपथपत्र से समर्थित है। अपीलार्थी ने अपने प्रार्थना पत्र व शपथपत्र में विलम्ब के पर्याप्त कारण दर्शाए हैं, अत: विलम्ब को क्षमा किया जाता है।
अपीलार्थी ने अपने अपील आधार में कहा है कि जिला मंच ने बिना अपीलार्थी को सुने हुए अपना निर्णय दिया है, जिला मंच का निर्णय तथ्यों के विपरीत है, परिवादी Other Farmers की श्रेणी में आता है। अपीलार्थी ने यह अभिकथन किया कि Other Farmers की
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श्रेणी में वे कृषक आते हैं जिनके पास दो हेक्टेयर से अधिक भूमि है। भारत सरकार द्वारा जारी Debt waiver scheme 2008 के अंतर्गत Other Farmers के लिए ऋण की पूर्ण माफी की श्रेणी में नहीं आते हैं, ऐसे कृषक ओटीएस स्कीम के अंदर आते हैं, जिसमें वे 25 प्रतिशत छूट पाने के अधिकारी हैं, यदि कृषक 75 प्रतिशत ऋण की धनराशि जमा कर देते हैं।
यह तथ्य निर्विवाद है कि परिवादी सीमांत या लघु कृषक की परिभाषा में नहीं आता है वह Other Farmers की श्रेणी में आता है। जिला मंच ने परिवादी के इस कथन पर विश्वास करते हुए अपना निर्णय दिया है कि किसी भी भूमि जोत के होते हुए और भूमि जोत के आकार पर ध्यान दिए बिना ऐसे मामले में जिसमें किसानों का मूल ऋण रू. 50000/- से अधिक नहीं है उस मामले में उस किसान को छोटे और सीमान्त किसान के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा, जिसकी मूल राशि रू. 50000/- से अधिक न हो। पत्रावली पर उपलब्ध Agricultural Debt waiver and Debt Relief Scheme 2008 उपलब्ध है, जिसमें सीमांत कृषक, लघु कृषक व Other Farmers की परिभाषा दी गई है। इस योजना के स्पष्टीकरण में प्रस्तर-3 व 4 में निम्न प्रकार अंकित है:-
3. "In the case of a farmer who has obtained investment credit for allied ativities where the principal loan amount does not exceed Rs. 50,000.00, he would be classified as "small and marginal farmer" and, where the principal amount exceeds Rs.50,000, he would be classified as 'other farmer', irrespective in both cases of the size of the land holding, if any.
4. Direct agricultural loan taken under a Kissan Credit Card would also be covered under this Scheme subject to these Guidelines."
जिला मंच ने उन्हीं परिभाषाओं के आधार पर परिवादी को ऋण माफी का पात्र मान लिया है, जबकि Debt waiver and Debt Relief Scheme के प्रावधान अलग से दिए गए हैं जो निम्न प्रकार हैं:-
"In the case of 'other farmers', there will be a one time settlement (OTS) Scheme under which the farmer will be given a rebate of 25 per cent of the 'eligible amount' subject to the condition that the farmer pays the balance of 75 per cent of the 'eligible amount';
Provided that in the case of revenue districts 'other farmers' will be given OTS rebate of 25 per cent' of the 'eligible amount' or Rs.20,000, whichever is higher, subject to the condition that the farmer pays the balance of the 'eligible amount'."
उक्त प्रावधान से यह स्पष्ट है कि Other Farmers की श्रेणी में आने वाले कृषक ओटीएस योजना के अंतर्गत ही राहत पाने के अधिकारी थे जो 25 प्रतिशत तक थी और
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इसके लिए भी उन्हें कुछ शर्त का अनुपालन करना था, अत: परिवादी द्वारा जो अपनी धनराशि के पूर्ण माफी का अनुरोध किया है वह मान्य नहीं है। पत्रावली पर ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है कि परिवादी सीमान्त व लघु कृषक की श्रेणी में आता है। उपरोक्त विवेचना के दृष्टिगत हम पाते हैं कि जिला मंच का निर्णय त्रुटिपूर्ण है और निरस्त किए जाने योग्य है। परिवादी नियमानुसार यदि अभी भी यह योजना प्रभावी है तो राहत प्राप्त कर सकता है। तदनुसार अपील स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। जिला मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश दि. 29.03.12 निरस्त किया जाता है।
पक्षकारान अपना-अपना अपीलीय व्यय स्वयं वहन करेंगे।
निर्णय की प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्ध कराई जाए।
(राज कमल गुप्ता) (महेश चन्द)
पीठासीन सदस्य सदस्य
राकेश, आशुलिपिक
कोर्ट-5