Uttar Pradesh

StateCommission

A/110/2022

Shriram Life Insurance Co. Ltd - Complainant(s)

Versus

Sri Krishna Gupta - Opp.Party(s)

Abhishek Bhatanagar

20 Jan 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/110/2022
( Date of Filing : 18 Feb 2022 )
(Arisen out of Order Dated 29/10/2021 in Case No. C/2018/11 of District Banda)
 
1. Shriram Life Insurance Co. Ltd
Hyderabad
...........Appellant(s)
Versus
1. Sri Krishna Gupta
S/o Late Bal Krishan Gupta R/o Mohalla Balkhandi Naaka
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 20 Jan 2023
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(सुरक्षित)                                                                                  

अपील संख्‍या:-110/2022

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, बॉदा द्धारा परिवाद सं0-11/2018 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 29.10.2021 के विरूद्ध)

श्रीराम लाइफ इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड, रामकी सेलेनियम, रजि0 एण्‍ड हैड आफिस पंचम तल, प्‍लॉट नंबर 31 और 32 आंध्रा बैंक प्रशिक्षण केन्‍द्र, वित्‍तीय जिला, गाचीबोवली, हैदराबाद-500032 द्वारा जनरल मैनेजर।

........... अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम              

श्री कृष्‍ण गुप्‍ता, पुत्र स्‍व0 बाल कृष्‍ण गुप्‍ता, निवासी मोहल्‍ला बालखंडी नाका (चौधरी धाम के पास) बॉदा।

…….. प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष              

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता         : श्री अभिषेक भट्नागर

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता           : श्री अजय कुमार चतुर्वेदी

दिनांक :- 31-01-2023

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/विपक्षी श्रीराम लाइफ इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड द्वारा इस आयोग के सम्‍मुख धारा-41 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, बॉदा द्वारा परिवाद सं0-11/2018 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 29.10.2021 के विरूद्ध योजित की गई है।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/बीमा कम्‍पनी से श्रीराम न्‍यू श्री लाइफ प्‍लान क्रय किया गया था, जिससे श्रीराम क्रिटिकल इलनेस कवर राइडर भी सम्मिलित है तथा इस पालिसी के लिए अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी से प्रपोजन फार्म भरवाकर फर्स्‍ट प्रीमियम की धनराशि रू0 43,888.00

-2-

जमा कराकर पालिसी सं0- एनपी-136112007372 प्रत्‍यर्थी/परिवादी के पक्ष में जारी किया। उक्‍त पालिसी दिनांक 20.12.2017 तक वैध एवं प्रभावी है और बीमाधारक को पालिसी के दौरान कोई बीमारी होने पर जिनको अपीलार्थी/विपक्षीगण ने अपनी पालिसी में अंकित किया है, पर पालिसी शर्तों के अनुसार मु0 2,00,000.00 देय है।  

प्रत्‍यर्थी/परिवादी को दिनांक 10.8.2017 की रात 1.00 बजे अचानक सीने में दर्द हुआ एवं प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने दिनांक 11.8.2017 को रतनदीप हॉस्पिटल में दिखाया, जहॉ इलाजोपरांत दिनांक 12.8.2017 को प्रत्‍यर्थी/परिवादी को हृदय रोग संस्‍थान, कानपुर के लिए रैफर किया गया। दिनांक 14.8.2017 को प्रत्‍यर्थी/परिवादी के हृदय की जॉच की गई एवं Coronary Angiography तथा Cardiology जॉच करने के पश्‍चात डॉक्‍टर ने Recurrent Angina Pain के साथ हृदय में ब्‍लॉकेज होने की रिपोर्ट दी और जल्‍द से जल्‍द आपरेशन कराने की सलाह दी। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने दिनांक 18.8.2017 व 17.9.2017 को अपीलार्थी/विपक्षीगण की शाखा में Critical illness Rider Claim के अन्‍तर्गत C.I. Rider Claim हेतु पालिसी बाण्‍ड, बैंक पासबुक आधार कार्ड व इलाज के प्रपत्रों सहित क्‍लेम का आवेदन किया था, परन्‍तु अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को C.I. Rider Benefits का भुगतान पालिसी में दी गई Some proposed धनराशि मु0 2,00,000.00 का भुगतान नहीं किया गया, जिससे प्रत्‍यर्थी/परिवादी अपने हार्ट का आपरेशन नहीं करा सका है, जो कि पालिसी की शर्तो के उल्‍लंघन के साथ-साथ अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी की सेवा में कमी व प्रत्‍यर्थी/परिवादी के साथ धोखाघड़ी की गई, जिसके संबंध में प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षीगण को अपने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से नोटिस दिया गया। परन्‍तु अपीलार्थी/विपक्षीगण

-3-

द्वारा उसका कोई जवाब नहीं दिया गया न ही क्‍लेम धनराशि का भुगतान किया गया, अत्एव विवश होकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षीगण से क्‍लेम की धनराशि मय ब्‍याज तथा क्षतिपूर्ति का अनुतोष दिलाये जाने हेतु परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया।

अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख परिवाद पत्र के अभिकथनों से इंकार किया गया तथा परिवाद को निरस्‍त किये जाने की प्रार्थना की गई।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍य पर विस्‍तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

"परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि वे परिवादी को एक माह के अन्‍दर पालिसी में कवर की गई बीमित राशि मु0 2,00,000.00 का भुगतान करें। इसके अतिरिक्‍त मानसिक प्रताड़ना हेतु मु0 3,000.00 व वाद व्‍यय हेतु 2,000.00 भी उक्‍त अवधि में परिवादी को अदा करें। अन्‍यथा परिवादी को नियमानुसार धनराशि वसूल करने का अधिकारी होगा।" 

जिला उपभोक्‍ता आयोग के प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/ विपक्षी बीमा कम्‍पनी द्वारा प्रस्‍तुत अपील योजित की गई है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: तथ्‍य और विधि के विरूद्ध है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह भी कथन किया गया कि बीमाधारक द्वारा अपनी बीमारी के संबंध में कोई सूचना नहीं दी गई थी। यह भी कथन किया गया कि बीमा पालिसी में जो

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राइडर लिये गये थे, उनमें एक्‍सीडेन्‍टल राइडर (दुर्घटना जनित मृत्‍यु), पारिवारिक आय (पालिसीधारक की दुर्घटना में मृत्‍यु होने पर) एवं गम्‍भीर बीमारी कवर थी। यह भी कथन किया गया कि गम्‍भीर बीमारी अर्थात कैंसर, हार्ट अटैक, स्‍ट्रोक, किडनी फैलोर, कोर्नरी आर्टरी बाईपास सर्जरी (हृदय की बाईपास सर्जरी) एवं मेजर आरगन ट्रान्‍सप्‍लान्‍ट कवर हैं।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा विशेष रूप से यह तर्क प्रस्‍तुत कियागया कि एन्जियोग्रामी एक प्रोसीजर है न कि बीमारी इस तथ्‍य का अपने प्रश्‍नगत‍ निर्णय में जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा परीक्षण नहीं किया गया है।

यह भी कथन किया गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा कोर्नरी एन्जियोंग्राफी की बीमारी के सम्‍बन्‍ध में जो दावा प्रस्‍तुत किया गया, वह पालिसी की शर्तों के अनुसार हार्ट अटैक के अन्‍तर्गत कवर नहीं होता है। यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थी द्वारा सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की गई है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता की ओर से जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश को अपास्‍त किये जाने की प्रार्थना की गई है।

प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: विधि के अनुकूल है और उसमें किसी प्रकार के हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा पीठ का ध्‍यान अपील की पत्रावली के पृष्‍ठ सं0-41 श्रीराम लाइफ इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड के क्रिटिकल इलनेस कवर राइडर UIN 128 BO1OVO2 में उल्लिखित प्रस्‍तर हार्ट अटैक की धारा-(i) में टिपकल चेस्‍ट पेन (Typical Chest) व धारा-(vii) में उल्लिखित एनजाइना पेक्‍टोरिस (Angina Pectoris) जिसका अर्थ है

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हार्ट में साधारण दर्ज होना तथा पृष्‍ठ सं0-54 एल0पी0एस0 कार्डियोजॉजी संस्‍थान जी0एस0वी0एम0 मेडिकल कालेज, कानपुर के डिस्‍चार्ज समरी की ओर आकर्षित किया गया, जिसमें अंतिम परीक्षण/निदान रिकरन्‍ट एनजाइना (Recurrent Angina) का होना पाया गया। यह भी कथन किया गया रिकरन्‍ट एनजाइना की समस्‍या हृदय रोग के अन्‍तर्गत आती है, जो कि बीमा पालिसी के अन्‍तर्गत आच्‍छादित है एवं धनराशि के भुगतान से बचने एवं भुगतान को लम्बित रखने के उद्देश्‍य से अपील प्रस्‍तुत की गई है, जिसको निरस्‍त किये जाने की प्रार्थना प्रत्‍यर्थी की ओर से की गई।

मेरे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण को विस्‍तार पूर्वक सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।

मेरे द्वारा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश तथा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍ता द्व्‍य के तर्कों को सुनने एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि अपीलार्थी की बीमा पालिसी के अन्‍तर्गत विभिन्‍न प्रकार की बीमारियों को कवर किया गया है, जिसमें कैंसर, हार्ट अटैक, स्‍ट्रोक किडनी फैलोर कोरोनरी बाईपास सर्जरी के मेजर आरगन ट्रान्‍सप्‍लॉट आते हैं। बीमित अवधि के दौरान दिनांक 10.8.2017 को प्रत्‍यर्थी/परिवादी के सीने में अचानक दर्द की शिकायत होने पर इलाज हेतु दिनांक 11.8.2017 को कानपुर के रतनदीप अस्‍पताल में दिखाया गया, जहॉ से उसे हृदयरोग संस्‍थान कानपुर हेतु रैफर कर दिया गया एवं डॉक्‍टर द्वारा ब्‍लाकेज होने के कारण आपरेशन की सलाह दी गई तथा एन्जियोग्राफी में 70 प्रतिशत तक ब्‍लाकेज दर्शाया गया एवं डॉक्‍टर द्वारा अपनी रिपोर्ट में कोरोनरी डिजीज बताया गया, जो कि हार्ट की बीमारी से सम्‍बन्धित है एवं हृदय ब्‍लाकेज का शीघ्र आपरेशन कराने की सलाह प्रत्‍यर्थी/परिवादी

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को दी गई। अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा जारी की गई पालिसी के अन्‍तर्गत हार्ट अटैक भी सम्मिलित है, जो गम्‍भीर रोग के राइडर के अन्‍तर्गत कवर होता है।

यहॉ यह भी उल्‍लेखनीय है कि परिवादी को कोरानरी आर्टरी डिसीज का मरीज होना उल्लिखित किया गया है, जिसे एन्‍जायइना पैक्‍ट टोरिट या चेस्‍ट पेन कहा जाता है। एन्‍जायइना में सीने में दर्द होता है यह हार्ट अटैक के साथ सीने पर दबाव की तरह महसूस हो सकता है। यह जानलेवा हृदय समस्‍या का संकेत होता है जिसमें धमनियों को खेलने के लिए आपरेशन करना आवश्‍यक होता है तथा जिसके कारण हार्ट अटैक हो सकता है। उपरोक्‍त सम्‍बन्‍ध में विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपने प्रश्‍नगत निर्णय में विस्‍तार से चर्चा करते हुए जो निष्‍कर्ष अंकित किया गया है, वह मेरे विचार से तथ्‍य और विधि के अनुकूल है तथा उसमें किसी प्रकार के हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता अपीलीय स्‍तर पर प्रतीत नहीं होती है।

यहॉ इस तथ्‍य भी उल्‍लेख करना उचित होगा कि प्राय: यह पाया जाता है कि बीमा कम्‍पनी द्वारा बीमा पालिसी निर्गत करते समय बीमा पालिसी से सम्‍बन्धित बहुत सारे लाभ बताये जाते हैं एवं पालिसी में उल्लिखित वास्‍तविक शर्तों को नहीं बताया जाता है और जनसामान्‍य बीमा कम्‍पनी के लाभों से प्रभावित होकर बीमा पालिसी प्राप्‍त कर लेता है। बीमा पालिसी का प्रीमियम प्राप्‍त करने के पश्‍चात यदि किसी पालिसीधारक को कोई परेशानी या समस्‍या उत्‍पन्‍न होती है तो पालिसीधारक को बीमित धनराशि या उसके वॉछित भुगतान को प्राप्‍त करने के सम्‍बन्‍ध में अनेकों कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है और इसी प्रकार का कृत्‍य प्रस्‍तुत मामले में भी बीमाधारक/परिवादी के साथ किया गया है, जो न केवल अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी की दूषित मंशा को

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उजागर करता है वरन अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्रदान की जाने वाली सेवा में त्रुटि/कमी को भी प्रकट करता है।

तद्नुसार प्रस्‍तुत अपील बलहीन होने के कारण निरस्‍त की जाती है, साथ ही अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी को आदेशित किया जाता है कि वे उपरोक्‍त निर्णय/आदेश का अनुपालन 30 दिन की अवधि में किया जाना सुनिश्चित करें।

उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को नियमानुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जावे।

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वइ इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

                                    (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                     

                                              अध्‍यक्ष                                                                                                                                

हरीश सिंह

वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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