राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या :1091/2003
(जिला मंच, आजमगढ़ द्धारा परिवाद सं0-421/1995 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 27.08.2002 के विरूद्ध)
M/s. Mahindra & Mahindra Limited. Tractor Division, Worli Road 13, Mumbai.
........... Appellant/Opp. Party
Versus
1 Sri Govind Rai, S/o Sri Ram Swaroop Rai
2 Sri Vinod Rai, S/o Banwari Rai
3 Priyanka Rai, D/o Late Ram Swaroop Rai
4 Smt. Kalawati Devi, W/o Late Ram Swaroop Rai, All R/o Mauza Bhuwan Buzurga, Tehsil Sagri, P.S. Jianpur, District Azamgarh.
5 M/s Bharat Agricultural Corporation, Mohalla Sapurdadinpur, Near Belaisa Road, Azamgarh through its partner/proprietor.
……..…. Respondents/Complainants.
समक्ष :-
मा0 श्री रामचरन चौधरी, पीठासीन सदस्य
मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री काशी नाथ शुक्ला
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : श्री प्रतुल श्रीवास्तव
दिनांक : 20.03.2017
मा0 श्री रामचरन चौधरी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील जिला उपभोक्ता फोरम, आजमगढ़ द्वारा परिवाद सं0-421/1995 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 27.8.2002 के विरूद्ध योजित की गई है, जिसमें जिला उपभोक्ता फोरम, आजमगढ़ द्वारा निम्न आदेश पारित किया गया है:-
"याचिका स्वीकार की जाती है। विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि वह याची को रू0 1,50,000.00 व खरीददारी की तारीख दिनांक 01.12.1992 से भुगतान की तिथि तक 10 प्रतिशत ब्याज व क्षतिपूर्ति का रू0 10,000.00 एक माह के अन्दर देंगे। याची को यह आदेश दिया जाता है कि वह पैसा मिलने के समय ही खरीदा गया ट्रैक्टर व कल्टीवेटर आदि विपक्षी सं0-1 को लौटा देगा।"
-2-
संक्षेप में केस के तथ्य इस प्रकार है कि मृतक रामस्वरूप राय ने दिनांक 01.12.1992 को एक ट्रैक्टर महेन्द्रा एण्ड महेन्द्रा, माडल-225 डी0आई0, 25 हार्स पावर, नं0-एस0के0 3188 मय कल्टीवेटर आदि के विपक्षी सं0-1 से रू0 1,50,000.00 में खरीदा था, जिसकी एक वर्ष की गारण्टी थी। विपक्षी सं0-2 ट्रैक्टर की निर्माता कम्पनी है। उपरोक्त ट्रैक्टर चलाने पर पता चला कि उसके इंजन में खराबी है और उसमें मोबिल आयल की खपत अधिक हो रही है तथा उसके टायर की गोटी भी अधिक घिस रही है, इसलिए ट्रैक्टर को मरम्मत हेतु विपक्षी सं0-1 के यहॉ लाना पडा और वहॉ यह बताया गया कि ट्रैक्टर की उपरोक्त शिकायत अपने आप कुछ दिनों में समाप्त हो जायेगी, परन्तु जब उपरोक्त कमी दूर नहीं हुई तो दिनांक 30.3.1993, 30.8.1994 व 20.10.1994 को विपक्षी सं0-1 से ट्रैक्टर की कमियों को दूर करने के लिए कहा गया, किन्तु फिर भी उपरोक्त कमियों को दूर नहीं किया गया और मामूली मरम्मत की जाती रही। दिनांक 23.12.1994 को विपक्षी सं0-1 ने विवादित ट्रैक्टर का पम्प गीयर बदल दिया, परन्तु ट्रैक्टर की खराबी को दूरी नहीं किया, जिसके कारण दिनांक 12.8.1995 को वाराणसी के विपक्षी सं0-2 के एक इंजीनियर ने ट्रैक्टर को चेक किया और बताया कि इंजन में मैनुफैक्चरिंग डिफेक्ट और पहिये की रिंग टेढ़ी है, जो कि मैनुफैक्चरिंग डिफेक्ट है और यदि इन दोनों को बदल दिया जाय तभी ट्रैक्टर ठीक काम कर सकता है और यह काम कम्पनी द्वारा तभी किया जायेगा जब ओवर हालिंग करने वाले इंजीनियर उसके बारे में विपक्षी सं0-2 को अपनी रिपोर्ट देगें, परन्तु जब प्रतिवादीगण की ओर से कोई कार्यवाही नहीं की गई, तब विवश होकर प्रतिवादीगण को एक विधिक नोटिस भेजा गया और फिर प्रतिवादीगण से रू0 3,50,000.00 क्षतिपूर्ति के दिलाये जाने हेतु जिला मंच के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया गया है। जिला उपभोक्ता फोरम, आजमगढ़ द्वारा प्रतिवादीगण को रजिस्टर्ड डाक द्वारा नोटिस भेजा गया, परन्तु न तो कोई प्रतिवादी उपस्थित हुआ और न ही को ब्यान तहरीरी दाखिल की गई।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री काशी नाथ शुक्ला तथा प्रत्यर्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री प्रतुल श्रीवास्तव उपस्थित हुए, अत: इस सम्बन्धमें दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया तथा जिला उपभोक्ता फोरम के निर्णय/आदेश दिनांकित 27.8.2002 का अवलोकन किया गया तथा अपील आधार का अवलोकन किया गया।
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अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह कहा गया कि उन्हें जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष प्रतिवाद पत्र दाखिल करने का मौका नहीं दिया गया और न ही उनकी ओर से कोई साक्ष्य प्रस्तुत किया गया है।
जिला उपभोक्ता फोरम के निर्णय/आदेश दिनांकित 27.8.2002 का अवलोकन किया गया, जिससे यह स्पष्ट है कि जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा प्रतिवादीगण को नोटिस भेजा गया, परन्तु उनकी ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ और न ही कोई बयान तहरीरी ही दाखिल की गई है।
दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्तागण को सुनने के उपरांत हम यह पाते हैं कि जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष प्रतिवादीगण की तरफ से कोई उपस्थित नहीं आया और न ही कोई प्रतिवाद पर दाखिल किया गया तथा प्रतिवादीगण के विरूद्ध एक पक्षीय निर्णय पारित किया गया है, इसलिए केस के तथ्यों परिस्थितियों में हम यह पाते हैं कि प्रतिवादीगण को अपना प्रतिवाद पत्र दाखिल करने एवं सुनवाई का अवसर दिया जाना न्यायोचित होगा। अत: अपीलार्थी की अपील स्वीकार होने एवं जिला उपभोक्ता फोरम को पुन: सुनवाई हेतु प्रति-प्रेषित किये जाने योग्य है।
आदेश
अपीलार्थी की प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है तथा जिला उपभोक्ता फोरम, आजमगढ़ द्वारा परिवाद सं0-421/1995 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 27.8.2002 को निरस्त करते हुए प्रकरण जिला उपभोक्ता फोरम को इस निर्देश के साथ प्रति-प्रेषित किया जाता है कि प्रतिवादीगण को प्रतिवाद पत्र दाखिल करने एवं उभय पक्षों को पुन: साक्ष्य/सुनवाई का समुचित अवसर प्रदान करते हुए प्रकरण का निस्तारण गुण-दोष के आधार पर यथाशीघ्र करना सुनिश्चित करें।
उभय पक्ष जिला उपभोक्ता फोरम, आजमगढ़ के समक्ष सुनवाई हेतु दिनांक 25.4.2017 को उपस्थित हो।
उभय पक्ष अपीलीय व्यय भार स्वयं वहन करेगें।
(रामचरन चौधरी) (संजय कुमार)
पीठासीन सदस्य सदस्य
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-2