Rajasthan

Churu

61/2014

Kishna Ram - Complainant(s)

Versus

Sri Ganpat Fiance - Opp.Party(s)

DRS

15 Dec 2014

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 61/2014
 
1. Kishna Ram
S/o Mula ram Jat Vill Lakchar sar Teh. Ratangarh Churu
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Shiv Shankar PRESIDENT
  Subash Chandra MEMBER
  Nasim Bano MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

प्रार्थी की ओर से श्री धन्नाराम सैनी अधिवक्ता उपस्थित।  अप्रार्थीगण की ओर से श्री नासिर खान अधिवक्ता उपस्थित। प्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में परिवाद के तथ्यों केा दौहराते हुए तर्क दिया कि प्रार्थी ने अप्रार्थीगण से एक पिकअप वाहन फाईनेन्स करवाया था। अप्रार्थीगण द्वारा प्रार्थी को 2,25,000 रूपये का फाईनेन्स किया जाकर 11,925 रूपये मासिक किश्त बताते हुए कुल 25 किश्तों में फायनेन्सशुदा राशि का भुगतान करना था। प्रार्थी अधिवक्ता ने तर्क दिया कि प्रार्थी ने अप्रार्थीगण को फाईनेन्सशुदा राशि का भुगतान मय ब्याज 2,48,750 रूपये किया जा चूका है। प्रार्थी की ओर अप्रार्थीगण की कोई भी राशि बकाया नहीं है। प्रार्थी ने समस्त किश्त जमा करवाने के पश्चात अप्रार्थीगण से एन.ओ.सी. की मांग की परन्तु अप्रार्थीगण ने प्रार्थी को एन.ओ.सी. जारी नहीं की वरन् प्रार्थी को बार-बार आश्वासन दिया जाता रहा जिस पर प्रार्थी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से एक विधिक नोटिस भी अप्रार्थीगण को प्रेषित कर अपने वाले की एन.ओ.सी. की मांग की। नोटिस प्राप्ति के बावजूद भी अप्रार्थीगण के द्वारा प्रार्थी को उसके वाहन की एन.ओ.सी. जारी नहीं की। अप्रार्थीगण का उक्त कृत्य स्पष्ट रूप से सेवादोष है। इसलिए प्रार्थी अधिवक्ता ने परिवाद स्वीकार करने का तर्क दिया। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने प्रार्थी अधिवक्ता के तर्कों का विरोध करते हुए प्रार्थी ने प्रश्नगत वाहन फाईनेन्स करवाने के साथ-साथ प्रार्थी ने एक अन्य वाहन जो प्रार्थी के दोस्त रामकुमार पुत्र श्री दीपाराम ने अप्रार्थीगण से फाईनेन्स करवाया था जिसमें प्रार्थी ने बतौर गारण्टी देते हुए यह स्वीकार किया था कि यदि रामकुमार के द्वारा किश्त अदा नहीं की जाती है तो उसकी समस्त अदायगी की जिम्मेवारी प्रार्थी की होगी। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने तर्क दिया कि वर्तमान में रामकुमार पुत्र श्री दीपाराम की ओर 2,54,000 रूपये बकाया निकलते है। जबतक उक्त राशि अप्रार्थीगण फाईनेन्स विभाग को प्राप्त नहीं हो जाती तब तक प्रार्थी को जमानत पत्र के अनुसार उसके वाहन हेतु एन.ओ.सी. जारी नहीं की जा सकती। अप्रार्थीगण ने प्रार्थी के साथ कोई सेवादोष नहीं किया। उक्त आधार पर परिवाद खारिज करने का तर्क दिया।

           प्रार्थी की ओर से परिवाद के समर्थन में स्वंय का शपथ-पत्र, खण्डन शपथ-पत्र, विधिक नोटिस, रसीद दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किये है। अप्रार्थीगण की ओर रोहित नौलावा का शपथ-पत्र, जमानत पत्र, आर.सी., ट्रांसफर लैटर, ऋण खाता रामकुमार दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किये है। पत्रावली का ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। उभय पक्षों के तर्कों पर मनन किया गया। मंच का निष्कर्ष निम्न प्रकार है।

           प्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में मुख्य तर्क यह दिया है कि प्रार्थी ने अपने वाहन पिकअप संख्या आर.जे. 10 जी.ए. 4883 पर लिये गये फायनेन्स राशि का भुगतान अप्रार्थीगण को पूर्ण रूप से कर दिया है फिर भी अप्रार्थीगण प्रार्थी को उक्त वाहन की एन.ओ.सी. जारी नहीं कर रहे है। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने प्रार्थी अधिवक्ता के तर्कों का विरोध किया और तर्क दिया कि प्रार्थी द्वारा रामकुमार पुत्र श्री दीपाराम के द्वारा लिये गये ऋण हेतु गारण्टी दी हुई है कि यदि उक्त रामकुमार द्वारा किश्त अदा नहीं कर दी जाती है तो उसकी अदायगी की जिम्मेवारी प्रार्थी की होगी। बहस के समर्थन में अप्रार्थी अधिवक्ता ने इस मंच का ध्यान जमानत पत्र की ओर दिलाया जिसका ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। उक्त जमानत पत्र पर प्रार्थी किशनाराम व रामकुमार के हस्ताक्षर है। जमानत पत्र में प्रार्थी ने रामकुमार पुत्र श्री दीपाराम के द्वारा लिये गये वाहन एम.एच. 06 जी. 6266 पर ऋण की अदायगी हेतु गारण्टर के रूप में हस्ताक्षर किये है। उक्त जमानत पत्र की चरण संख्या 3, ता 7 इस प्रकार है। (3) यहकि मैंने तृतीय पक्ष द्वारा हस्ताक्षरित समस्त शर्तें अच्छी प्रकार से समझ ली है। मेरे द्वारा गारंटी दी जाती है कि तृतीय पक्ष सभी शर्तों की पालना करते हुए उपरोक्त ऋण राशि मय ब्याज के समय पर चुकाता रहेगा। (4) यहकि तृतीय पक्ष द्वारा शर्तों की पालना न करने या उपरोक्त ऋण लिये वाहन की किश्तें न चुकाने अथवा विलम्ब करने पर मेरे स्वंय द्वारा उपरोक्त वाहन द्वितीय पक्ष के जयपुर स्थित कार्यालय में लाकर सौंप दी जायेगी। (5) यहकि तृतीय पक्ष द्वारा किश्तें न देने की स्थिति में द्वितीय पक्ष कम्पनी का बकाया ऋण मय ब्याज मेरे द्वारा चुकाया जायेगा। (6) यहकि जब तक तृतीय पक्ष द्वारा द्वितीय पक्ष से लिया गया उपरोक्त सम्पूर्ण ऋण मय ब्याज नहीं चुका दिया जाता, मैं मेरा वाहन पंजीयन संख्या एम.एच. 17 के. 9236 जो कि द्वितीय पक्ष से फाईनेन्स है, के नोड्यूज (35 न. फार्म) हेतु भी मांग व उज्र नहीं करूंगा। (7) यहकि तृतीय पक्ष द्वारा ऋण न चुकाने की स्थिति में द्वितीय पक्ष कम्पनी को यह भी अधिकार होगा कि मेरे स्वंय के उपरोक्त वाहन की समय पर किश्तें जमा करवाने के पश्चात भी मेरा वाहन जो द्वितीय पक्ष से ही फाईनेन्स है को अपने अधिकार में ले लेंवे और तृतीय पक्ष के बकाया रूपयों की वसूली इस वाहन से कर लेवें। अप्रार्थीगण द्वारा प्रस्तुत उपरोक्त जमानत-पत्र से स्पष्ट है कि प्रार्थी ने रामकुमार पुत्र श्री दीपाराम के वाहन के पेटे अपनी गारण्टी के तौर पर अप्रार्थीगण को बकाया राशि के पेटे प्रार्थी के वाहन की एन.ओ.सी. नहीं जारी करने हेतु अधिकृत किया हुआ है। मंच की राय में प्रार्थी व अप्रार्थीगण अपने द्वारा निष्पादित ऋण अनुबन्ध-पत्र व जमानत पत्र से बंधे हुऐ है। इसलिए अप्रार्थीगण द्वारा रामकुमार पुत्र श्री दीपाराम के द्वारा लिये गये वाहन की किश्तें बकाया होने पर प्रार्थी के वाहन की एन.ओ.सी. गारण्टर होने के कारण जारी न करना कोई सेवादोष नहीं है। इसलिए प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्ध खारिज किये जाने योग्य है।

           अतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्ध खारिज किया जाता है। पक्षकारान प्रकरण व्यय स्वंय अपना-अपना वहन करेंगे। पत्रावली फैसला शुमार होकर दाखिल दफ्तर हो।

 

 
 
[HON'BLE MR. Shiv Shankar]
PRESIDENT
 
[ Subash Chandra]
MEMBER
 
[ Nasim Bano]
MEMBER

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