मौखिक
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या-2529/1999
(जिला उपभोक्ता फोरम, मेरठ द्वारा परिवाद संख्या-874/1997 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 05.08.1999 के विरूद्ध)
मेरठ डेवलेपमेंट अथारिटी, मेरठ द्वारा सेक्रेटरी।
अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम्~
आलोक शर्मा पुत्र श्री दीना नाथ शर्मा, निवासी मकान नं0-एल-969 शास्त्री नगर, मेरठ।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय श्री जितेन्द्र नाथ सिन्हा, पीठासीन सदस्य।
2. माननीय श्री संजय कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री बी0पी0 दुबे, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री सुशील कुमार शर्मा, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 02.02.2017
माननीय श्री संजय कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रकरण पुकारा गया। वर्तमान अपील, विपक्षी/अपीलार्थी की ओर से परिवाद संख्या-874/1997, आलोक शर्मा बनाम मेरठ विकास प्राधिकरण में जिला फोरम, मेरठ द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 05.08.1999 के विरूद्ध योजित की गयी है, जिसके अन्तर्गत जिला फोरम द्वारा निम्नलिखित आदेश पारित किया गया है :-
‘’ एतद् द्वारा विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे परिवादी को उसके द्वारा जमा की गयी राशी जमा करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 15
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प्रतिशत ब्याज के साथ एक माह में अदा करें। विपक्षी परिवादी को इस परिवाद का खर्चा 500/- रू0 भी अदा करें। ‘’
उपरोक्त वर्णित निर्णय/आदेश से क्षुब्ध होकर विपक्षी/अपीलार्थी की ओर से वर्तमान अपील योजित की गयी है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री बी0पी0 दुबे तथा प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री सुशील कुमार शर्मा उपस्थित हैं। वर्तमान अपील वर्ष 1999 से निस्तारण हेतु लम्बित है, अत: पीठ द्वारा समीचीन पाया गया कि वर्तमान अपील का निस्तारण गुणदोष के आधार पर कर दिया जाये। तदनुसार विद्वान अधिवक्तागण उभय पक्ष को विस्तार से सुना गया एवं प्रश्नगत निर्णय/आदेश तथा उपलब्ध अभिलेखों का गम्भीरता से परिशीलन किया गया।
प्रश्नगत प्रकरण में अविवादित रूप से परिवादी/प्रत्यर्थी को प्रश्नगत योजना के अन्तर्गत भवन उपलब्ध नहीं कराया गया। अविवादित रूप से परिवादी/प्रत्यर्थी द्वारा भवन प्राप्त किये जाने हेतु अभिवचित धनराशि विपक्षी/अपीलार्थी के यहां जमा की गयी थी। अत: मुकदमें की सम्पूर्ण परिस्थितियों को देखते हुए हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि परिवादी/प्रत्यर्थी जमा की गयी धनराशि मय ब्याज पाने का अधिकारी है। इस सन्दर्भ में जिला फोरम द्वारा जो निष्कर्ष दिया गया है, उसमें किसी प्रकार की त्रुटि होना नहीं पायी जाती है, परन्तु जिला फोरम द्वारा अभिवचित धनराशि पर 15 प्रतिशत की दर से ब्याज दिलाये जाने हेतु जो अनुतोष प्रदान किया गया है, वह अविवादित रूप से अधिक है, क्योंकि विपक्षी/अपीलार्थी एक सार्वजनिक संस्था है और वह जनहित में कार्य करती है। ऐसी स्थिति में 15 प्रतिशत ब्याज के स्थान पर 06 प्रतिशत ब्याज संशोधित किया जाना न्यायसंगत होगा। तदनुसार प्रस्तुत अपील अंशत: स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
वर्तमान अपील अंशत: स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता फोरम, मेरठ द्वारा परिवाद संख्या-874/1997, आलोक शर्मा बनाम मेरठ विकास प्राधिकरण में
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पारित निर्णय/आदेश दिनांक 05.08.1999 के अन्तर्गत आदेशित 15 प्रतिशत ब्याज के स्थान पर 06 प्रतिशत ब्याज संशोधित किया जाता है। शेष आदेश की पुष्टि की जाती है।
(जितेन्द्र नाथ सिन्हा) (संजय कुमार)
पीठासीन सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2