Uttar Pradesh

Kanpur Nagar

CC/105/2010

PUSHPLATA GUPTA - Complainant(s)

Versus

SRGP - Opp.Party(s)

19 Apr 2017

ORDER

 
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।
 
   अध्यासीनः   डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष
पुरूशोत्तम सिंह...............................................सदस्य
              
 
 
उपभोक्ता वाद संख्या-105/2010
पुश्पलता गुप्ता, पत्नी श्री सत्य प्रकाष गुप्ता निवासिनी मकान नं0-119/231 ओम नगर दर्षनपुरवा कानपुर नगर।
                                  ................परिवादिनी
बनाम
एस.आर.जी.पी. इण्डस्ट्रीज लि0, 365 हैरिसगंज कानपुर नगर।
                           ...........विपक्षी
परिवाद दाखिला तिथिः 04.02.2010
निर्णय तिथिः 07.06.2017
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1.   परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि विपक्षी को आदेषित किया जाये कि प्रष्नगत दुकान षाप नं0-48 द्वितीय तल गैंजेज नगर टाटमिल चौराहा कानपुर नगर का कब्जा व स्वामित्व का अन्तरण परिवादिनी के पक्ष में करे, परिवादिनी एवं उसके परिवार वालों को हुई षारीरिक एवं मानसिक क्षति हेतु रू0 1,00,000.00 अदा करे, दिनांक 01.10.06 से दुकान कब्जा परिवादिनी को दिये जाने की तिथि तक रू0 20,000.00 प्रतिमाह की दर से परिवादिनी को व्यवसायिक क्षति की पूर्ति विपक्षी से करायी जाये, अधिवक्ता फीस रू0 10000.00 एवं परिवाद व्यय रू0 2500.00 अदा करे।
2. परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादिनी का कथन यह है कि परिवादिनी द्वारा विपक्षी के विज्ञापन को देखकर दिनांक 13.11.05 को दुकान नं0-48 द्वितीय तल पर सेक्टर नं0-8 बी, बुक की गयी। विपक्षी द्वारा परिवादिनी को सितम्बर, 2006 तक उपरोक्त दुकान का कब्जा देने की बात कही गयी और कहा कि रू0 50000.00, समस्त किष्तों के भुगतान के बाद स्वामित्व अंतरण प्रपत्र निश्पादित किया जायेगा। परिवादिनी द्वारा समस्त किष्तें दिनांक 03.11.06 तक भुगतान कर  दी गयी,  किन्तु विपक्षी 
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टालमटोल करता रहा। दिसम्बर, 2007 में परिवादिनी को एक पत्र दिनांकित 01.12.07 विपक्षी का प्राप्त हुआ, जिसमें डिफरेंस धनराषि रू0 15042.00 एवं ब्याज रू0 5114.00 कुल मिलाकर रू0 20156.00 की मांग की गयी। इसके बाद एस.आर.जी.पी. कारपोरेषन लि0 द्वारा अपने पत्र दिनांकित 20.12.07 के माध्यम से परिवादिनी से पुनः रू0 22077.00 की मांग की गयी। परिवादिनी ने अपनी आपत्ति दिनांक 31.12.07 को विपक्षी को लिखित रूप से प्रस्तुत करते हुए कहा कि उसकी डील विपक्षी से है। एस.आर.जी.पी. कारपोरेषन लि0 से नहीं है तथा कब्जा देने व स्वामित्व हस्तांतरण की बात कही। तब विपक्षी ने परिवादिनी को कब्जा देने एवं स्वामित्व हस्तांतरण देने के लिए कुछ कागजों पर हस्ताक्षर करवा लिये और कहा कि 31.03.08 तक कब्जा व स्वामित्व अन्तरण कर दिया जायेगा और इसकी सूचना आपको पत्र द्वारा भेजी जायेगी। किन्तु परिवादिनी को पुनः विपक्षी द्वारा 2-3 महीने और प्रतीक्षा करने के लिए कहा गया। बार-बार टालते हुए जून 2009 में विपक्षी द्वारा परिवादिनी को बताया गया कि उसने पूरा रू0 50000.00 जमा नहीं किया है। परिवादिनी द्वारा रू0 50000.00 जमा करने का प्रमाण विपक्षी को दिखाने पर फिर प्रतीक्षा करने की बात कही और दिनांक 26.12.09 को विपक्षी ने परिवादिनी को उक्त दुकान का कब्जा व स्वामित्व सौंपने से मना कर दिया। इस प्रकार विपक्षी द्वारा सेवा में त्रुटि कारित की गयी है। जिससे परिवादिनी तथा उसके घर वालों को षारीरिक तथा मानसिक पीड़ा के साथ व्यवसाय करने से वंचित रहना पड़ा तथा उसे व्यवसाय से हानि दिनांक 01.10.06 से होने लगी। फलस्वरूप परिवादिनी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3. विपक्षी की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों का खण्डन किया गया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि परिवादिनी प्रष्नगत दुकान का मूल्य समय से अदा करने में कासिर रही है। परिवाद बुकिंग एग्रीमेंट की क्लॉज (ई) (जी) 4-ए व बी के प्राविधानों से बाधित है। परिवादिनी द्वारा प्रष्नगत दुकान की किष्त निर्धारित तिथियों पर नहीं अदा की गयी है। फलस्वरूप परिवादिनी का बुकिंग एग्रीमेंट स्वयमेंव निरस्त हो 
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गया और जमा की गयी धनराषि जब्त कर ली गयी। परिवादिनी द्वारा प्रष्नगत दुकान व्यवसायिक उद्देष्य से बुक की गयी थी। अतः परिवादिनी उपभोक्ता की कोटि में नहीं आती है। परिवादिनी को कोई वाद कारण उत्पन्न नहीं हुआ है। परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत परिवाद दूशित मंषा से प्रस्तुत किया गया है। अतः परिवाद सव्यय खारिज किया जाये।
4. परिवादिनी की ओर से जवाबुल जवाब प्रस्तुत करके, विपक्षी की ओर से प्रस्तुत जवाब दावा में उल्लिखित तथ्यों का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और स्वयं के द्वारा प्रस्तुत परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों की पुनः पुश्टि की गयी है। 
परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5. परिवादिनी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 04.02.10, 20.04.12 एवं 20.07.16 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में कागज सं0-1 लगायत् 8 एवं सूची कागज सं0-2 के साथ संलग्न कागज सं0-2/1 व 2/2 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
विपक्षी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
6. विपक्षी ने अपने कथन के समर्थन में विजय कुमार पाण्डेय का षपथपत्र दिनांकित 22.09.11 व 18.05.12 दाखिल किया है।
निष्कर्श
7. बहस के समय विपक्षी की ओर से केई उपस्थित नहीं आया। अतः फोरम द्वारा परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों एवं परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत लिखित बहस का सम्यक परिषीलन किया गया।
उभयपक्षों की ओर से उपरोक्त प्रस्तर-5 व 6 में वर्णित षपथपत्रीय व अन्य अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत  किये गये हैं। पक्षकारों की ओर से प्रस्तुत किये गये उपरोक्त साक्ष्यों में से मामले को निर्णीत करने में सम्बन्धित साक्ष्यों का ही आगे उल्लेख किया जायेगा।
परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि प्रस्तुत मामले में निम्नलिखित विचारणीय वाद बिन्दु बनते हैंः-
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...4...
1. क्या परिवादिनी द्वारा प्रष्नगत दुकान का संपूर्ण विक्रय मूल्य विपक्षी को अदा किया जा चुका है, यदि हां तो प्रभाव?
2. क्या परिवादिनी प्रस्तुत मामले में उपभोक्ता की कोटि में नहीं आती है, यदि हां तो प्रभाव?
विचारणीय वाद बिन्दु संख्या-01
8. यह वाद बिन्दु सिद्ध करने का भार परिवादिनी पर है। परिवादिनी की ओर से यह कहा गया है कि उसके द्वारा प्रष्नगत दुकान से सम्बन्धित संपूर्ण धनराषि रू0 50,000.00 अदा की जा चुकी है। जबकि विपक्षी की ओर से यह कथन किया गया है कि परिवादिनी द्वारा बुकिंग एग्रीमेंट के अनुसार समय से समस्त धनराषि अदा नहीं की गयी है। अतः अनुबन्ध इकरारनामे के अनुसार परिवादिनी की बुकिंग रद्द करते हुए जमा धनराषि बुकिंग एग्रीमेंट के अनुसार जब्त कर ली गयी।
पत्रावली के परिषीलन से विदित होता है कि परिवादिनी द्वारा अपने कथन के समर्थन में कागज सं0-9 जो कि रू0 50,000.00 से सम्बन्धित है-दाखिल किया गया है, जिससे सिद्ध होता है कि परिवादिनी द्वारा विपक्षी को प्रष्नगत दुकान के सम्बन्ध में रू0 50,000.00 अदा किया गया है। किसी भी पक्ष की ओर से अभिकथित इकरारनामे की प्रति दाखिल नहीं की गयी है। विपक्षी की ओर से कोई ऐसा साक्ष्य दाखिल नहीं किया गया है, जिससे यह सिद्ध होता हो कि परिवादिनी द्वारा प्रष्नगत दुकान की समस्त धनराषि जमा नहीं की गयी। ऐसी दषा में फोरम का यह मत है कि परिवादिनी द्वारा प्रष्नगत दुकान से सम्बन्धित समस्त धनराषि अदा की जा चुकी है। समस्त धनराषि प्राप्त करने के पष्चात, विपक्षी को परिवादिनी की बुकिंग बिना किसी नियम के विरूद्ध रद्द करने के लिए स्वतंत्र नहीं छोड़ा जा सकता।
अतः उपरोक्त कारणों से प्रस्तुत विचारणीय वाद बिन्दु परिवादिनी के पक्ष में तथा विपक्षी के विरूद्ध निर्णीत किया जाता है।
विचारणीय वाद बिन्दु संख्या-02
10. यह वाद बिन्दु सिद्ध करने का भार विपक्षी पर है। विपक्षी की ओर से यह कथन किया गया है कि चूॅकि परिवादिनी द्वारा कामर्षियल उपयोग के लिए दुकान बुक की गयी है,  अतः परिवादिनी  उपभोक्ता की 
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कोटि में नहीं आती है। किन्तु फोरम इस मत का है कि इस स्तर पर जबकि अभी तक परिवादिनी द्वारा अपना कोई व्यवसाय प्रारम्भ नहीं किया गया है-यह नहीं कहा जा सकता कि परिवादिनी द्वारा उक्त दुकान व्यवसाय के लिए बुक की गयी है या कार्यालय के लिए या अपनी रोजी-रोटी चलाने के लिए बुक की गयी है। विपक्षी द्वारा अपने उपरोक्त कथन के समर्थन में कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है।
अतः उपरोक्त कारणों से प्रस्तुत विचारणीय वाद बिन्दु परिवादिनी के पक्ष में तथा विपक्षी के विरूद्ध निर्णीत किया जाता है।
11. उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों एवं उपरोक्तानुसार दोनो वाद बिन्दुओं में दिये गये निश्कर्श के आधार पर फोरम इस मत का है कि परिवादिनी का प्रस्तुत परिवाद आंषिक रूप से इस आषय स्वीकार किये जाने योग्य है कि विपक्षी, परिवादिनी के पक्ष में प्रष्नगत दुकान का कब्जा व स्वामित्व का अन्तरण नियमानुसार करे तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय भी अदा करे। जहां तक परिवादिनी की ओर से याचित अन्य उपषम का सम्बन्ध है- उक्त याचित उपषम के लिए परिवादिनी द्वारा कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत न किये जाने के कारण परिवादिनी द्वारा याचित अन्य उपषम के लिए परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
प्रिवादिनी की ओर से फोरम का ध्यान विधि निर्णय क्मसीप क्मअमसवचउमदज ।नजीवतपजल टेण् च्ण्त्ण् ैंउंदजं श्।प्त् 2015 ैनचतमउम ब्वनतज 3035 में प्रतिपादित विधिक सिद्धांत की ओर आकृश्ट किया गया है। मा0 उच्चतम न्यायालय का संपूर्ण सम्मान रखते हुए स्पश्ट करना है कि तथ्यों की भिन्नता के कारण उपरोक्त विधि निर्णय में प्रतिपादित विधिक सिद्धांत प्रस्तुत मामले में लागू नहीं होता है।
ःःःआदेषःःः
12. परिवादिनी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षी के विरूद्ध आंषिक रूप      से इस आषय से स्वीकार किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 
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30 दिन के अंदर विपक्षी, परिवादिनी के पक्ष में प्रष्नगत दुकान का कब्जा व स्वामित्व का अन्तरण नियमानुसार करे तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय भी अदा करे।
 
       ( पुरूशोत्तम सिंह )                   (डा0 आर0एन0 सिंह)
         वरि0सदस्य                             अध्यक्ष
  जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश               जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश       
       फोरम कानपुर नगर                         फोरम कानपुर नगर।
 
आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
 
     ( पुरूशोत्तम सिंह )                   (डा0 आर0एन0 सिंह)
         वरि0सदस्य                             अध्यक्ष
  जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश               जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश       
       फोरम कानपुर नगर                         फोरम कानपुर नगर। 
 

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