न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, अलीगढ।
संस्थगित करने का दिनाक 05.07.2022
अंतिम सुनवाई का दिनांक
निर्णय सुनाये जाने का दिनांक
परिवाद संख्या 98/2016
मामला जिसमें
मुनेश कुमार सैनी पुत्र स्व. श्री कनहैया लाल केयर आँफ पदम सिह सैनी म. न. 2/456 चंदनिया अतरौली बस अड्डे के पीछे, अलीगढ हाल निवासी केयर आँफ गंगासरन सैनी, गांधी आई हास्पीटल के पीछे पोखर के पास मौ. चदनियां थाना क्वार्यी, अलीगढ।
(द्वारा अधिवक्ता रिषी कुमार दीक्षित)
बनाम
- वरिष्ठ मण्डल प्रबन्धक, भा. जी. बी. नि. मण्डल कार्यालय जीवन प्रकाश मसूदाबाद, जी.टी. रोड, अलीगढ।
- प्रबन्धक, भा. जी. बी. नि. सी.बी.ओ.2 मैरिस रोड, अलीगढ
(द्वारा अधिवक्ता एच.सी. चतुर्वेदी)
कोरम
श्री हसनैन कुरैशी ,अध्यक्ष
श्री आलोक उपाध्याय, सदस्य
श्रीमती पूर्णिमा सिह राजपूत, महिला सदस्य
लेखक – श्री हसनैन कुरैशी, अध्यक्ष
निर्णय
1.परिवादी ने विपक्षी से मृतक पत्नी के मृत्यु हित लाभ/ मत्यु दावा रु. 55000/ एवं शारीरिक तथा मानसिक कष्ट के हेतु रु 40000/ व वाद व्यय व नोटिस हेतु रु. 20000/ दिलाने हेतु यह परिवाद दाखिल किया है।
2.. संक्षेप में परिवादी का कथन है कि उसकी पत्नी श्रीमती पिकीं ने विपक्षी सं. 2 से बीमा पालिसी सं. 564222788 तालिका 75-20 अवधि 20 वर्ष की मु. 55000/- की पालिसी दि. 28.08.2012 को ली थी । परिवादी की पत्नी दि. 22.9.2012 की रात को खाना बनाते समय अचानक आग लग जाने के कारण जल गई। दि. 23.09.2012 को जे.एन. मेडीकल कालिज अलीगढ में भर्ती कराया जहाँ पर उसने स्वयं को खाना बनाते समय दुर्घटना वश आग लगना बताया था और दौरान इलाज जे.एन. मेडीकल कालिज में परिवादी की पत्नी की मृत्यु दि.27.9.2012 को हो गयी। परिवादी ने अपनी मृतक पत्नी का मृत्यु दावा/ मृत्यु हित लाभ प्राप्त करने हेतु बतौर नामिनी विपक्षी सं. 2 के समक्ष प्रस्तुत किया और आज तक भुगतान नहीं किया।
3. विपक्षीगण ने अपने प्रतिवाद पत्र में कथन किया है कि दि. 5.9.2012 को मृतका के नाम पालिसी न. 564222788 जारी की गयी थी जिसमे परिवादी को नामिनी नामित किया गया था परुवादी ने दिनाकित 26.08.2013 पत्र द्वारा विपक्षी सम. 2 को यह सूचित किया था कि दि. 27.09.2012 को श्रीमती पिकी की मृत्यु हो गयी थी लेकिन मृत्यु का कारण उल्लेख नहीं किया था और लगभग 11 माह पश्चात ही मृत्यु की सूचना दी गयी थी और दि. 14.07.2014 को क्लेम फार्म दाखिल किया था । जे. एन. मेडीकल कालिज,अलीगढ के डाक्टर द्वारा क्लेम फार्म में यह अंकित किया गया क्योकि मृतका ने कथनानुसार मृतका ने मिट्टी का तेल डालकर आग लगाकर आत्महत्या करने का प्रयास किया था और पोस्टमार्टम रिर्पोट में मृत्यु का कारण जलने से सेपटीसीमिया (septicaemia) दर्शाया है। यह उल्लेखनीय है कि मृतका ने पालिसी लेने के 22 दिन के भीतर ही सुसाइड कर लिया था और इस प्रकार क्लेम पत्र दि. 7.2.2015 द्वारा निरस्त कर दिया गया।
4. पक्षकारो ने अपने-अपने केस के समर्थन में शपथ पत्र एवं प्रलेख दाखिल किये है।
5. पक्षकारो की ओर से तर्क सुने गये तथा पत्रावली का अवलोकन किया।
6. प्रस्तुत केस में यह बिन्दु निहित है कि परिवादी बीमा धनराशि प्राप्त करने का अधिकारी है अथवा नही ?
7. यह निर्विवाद है कि परिवादी की पत्नी ने बीमा पालिसी न. 564222788 विपक्षीगण से दि. 28.08.2012 को ली थी जिसमे परिवादी को नामिनी नामित किया गया था। परिवादी की पत्नी की मृत्यु बीमा अवधि के अंर्तगत हुई थी जिसका मृत्यु दावा विपक्षीगण को प्रेषित किया था जो विपक्षी द्वारा दि. 7.2.2015 को निरस्त कर दिया गया । परिवादी ने परिसीमा काल के अन्दर ही दि.05.07.2016 को परिवाद दायर कर दिया ।
8. विपक्षीगण की और से मृत्यु दावा निरस्त करने का मुख्य कारण यह दर्शाया है कि मृतका एवं उसके पति ने मृतका द्वारा आत्महत्या करने का कथन किया गय़ा था जिसके कारण परिवादी को मृत्यु हित लाभ स्वीकार नहीं किया जा सकता है इस सम्बन्ध में विपक्षीघण की और संलग्नक 9/13 के पैरा 5 की और ध्यान आर्कषित कराया जिसमे डाक्टर द्वारा मृतका के पति का कथन का उल्लेख होना दर्शाया है जो इस प्रकार है – As per the statement of the husband of the patient, Pinki tried to commit suicide by burning by herself after pouring kerosene and lighting the fire . यह प्रलेख संलग्नक 9/13 दि. 24.9.2012 को प्रमाणित किया गया है जैसा कि प्रलेख की पुश्त के अंत में किये गये उल्लेख से विदित होता है । मृतका को दि. 23.09.2012 को उपचार हेतु भर्ती किया गया था। विपक्षी गण के प्रतिवाद पत्र से संलग्न शपथपत्र से यह स्पष्ट नहीं है कि संलग्नक 9/13 के पैरा 5 में कब और किस चिकित्सक द्वारा उल्लेख किया गय़ा था। उपरोक्त उल्लेख की प्रमाणिकता भली प्रकार से साबित नहीं की गयी है।
9.दूसरी ओर परिवादी द्वारा शपथ पत्र द्वारा समर्थित परिवाद के पैरा न. 3 में यह उल्लेख किया गया है कि मेडीकल में भर्ती के दौरान नायब तहसीलदार द्वारा सी.एम.ओ. के समक्ष दि. 23.09.2012 को दर्ज किया गया था जिसमे उसने स्वयं को दुर्घटनावश खाना बनाते समय आग लग जाना बताया था। परिवादी की और से उक्त कथन की न्यायालय जिला एवं सत्र न्यायधीश, अलीगढ से प्राप्त प्रमाणित प्रति की फोटो प्रति संलग्नक 4 दाखिल की गयी है जिसमे सी.एम.ओ.,जे.एन. मेडीकल कालिज अस्पताल, अलीगढ द्वारा दि. 23.09.2012 को प्रातः 8. 30 बजे यह प्रमाणपत्र उल्लेखित किया गया है – Pt. Pinki W/o Mukesh Kumar 24 Y/F is well mental with mind, place and person and she is fit to give the statement. नायाब तहसीलदार दि. 23.09.2012 को तदोपरांत 9.30 बजे श्रीमती पिकी का कथन उल्लेख किया है जिसमे उसने यह कथन किया है कि उसके घर पर हलवाई का काम होता है कडाई में कचौडी सेक रही थी तथा स्टोव में मिट्टी का तेल डाल रही थी । उससे थोडा मिट्टी का तेल उसके ऊपर आ गया जिससे उसके शरीर के कपडो ने आग पकड ली। उपरोक्त कथन विपक्षीगण की और से दाखिल किये गये संलग्नक 9/13 के पैरा न. 5 में किये गये उल्लेख से अधिक विश्वनीय प्रतीत होता है और यह निष्कर्ष निकलता है कि परिवादी की पत्नी के शरीर में दुर्घटनावश आग लग गयी जिससे उसकी मृत्यु हुई थी । अतः उपरोक्त बिन्दु परिवादी के पक्ष में निर्णीत किया जाता है।
10. उपरोक्त विवेचना की दृष्टि में हमारी राय है कि विपक्षी से परिवादी बीमा की धनराशि रु. 55000/ प्राप्त करने का अधिकारी है तथा परिवादी विपक्षी से मानसिक क्षतिपूर्ति के 5000/ व वाद व्यय 2500/ रु प्राप्त करने का अधिकारी है।
11. विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह एक माह के अन्दर परिवादी को बीमा की धनराशि रु. 55000/ मय 9 प्रतिशत निर्णय की तिथि से भुगतान की तिथि तक अदा करे। साथ ही विपक्षी परिवादी को मानसिक क्षतिपूर्ति के रुप में रु. 5000/ व वाद व्यय के रुप मे रु.2500/ अदा करे अन्यथा आदेश का अनुपालन ना किये जाने की दशा में उसे उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 72 के अंर्तगत कारावास अथवा अर्थदंड से दण्डित किया जा सकता है।
12. परिवाद में यदि कोई प्रार्थना पत्र लम्बित है तब निर्णय के अनुसार निस्तारित किया जाता है।
13. निर्णय की प्रति पक्षकारो को निशुल्क प्राप्त करायी जाये और आयोग का वेबसाइट पर पक्षकारो के अवलोकनार्थ निर्णय को तुरंत पलोड किया जाये।
14. पत्रावली को निर्णय की प्रति सहित अभिलेखागार भेजा जाये।
(हसनैन कुरैशी)
अध्यक्ष
(आलोक उपाध्याय)
सदस्य
निर्णय आज दि. को सुनाया गया।
दिनांक