Uttar Pradesh

Lucknow-I

CC/357/2015

VISHAL SINGH - Complainant(s)

Versus

SPICE MOBILE - Opp.Party(s)

SACHIN SRIVASTAVA

18 Aug 2022

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/357/2015
( Date of Filing : 18 Nov 2015 )
 
1. VISHAL SINGH
.
...........Complainant(s)
Versus
1. SPICE MOBILE
.
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Neelkuntha Sahya PRESIDENT
 HON'BLE MS. sonia Singh MEMBER
  Ashok Kumar Singh MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 18 Aug 2022
Final Order / Judgement
        जिला उपभोक्ता8 विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
            परिवाद संख्या :-   357/2015                                             उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्य क्ष।
                    श्री अशोक कुमार सिंह,  सदस्यक।
    श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्यि।     
परिवाद प्रस्तुीत करने की तारीख:-18.11.2015
परिवाद के निर्णय की तारीख:- 18.08.2022
Vishal Singh, son of Sri R.B. Singh, R/o 466/34, Peer Bukhara, P.S. Chowk, Lucknow (Mobile No. 9415513405)
                                                                                     ................Complainant.
                                                        Versus
1. Spice Hotspot, having corporate office at S Global, Knowledge Park, 19A & 198, Second Floor, Sector 125, Noida, Pin code-201301 (UP) India, and Having Registered office at Village Billanwali, Labana, P.O. Addi, Tehsil-Nalagarh, District-Solan Pin code-173205 (H.P.) India.
 
2. Spice Hotspot, Spice Retail Limited, Saharaganj Mall, Shahnajaf Road, Hazratganj, Lucknow.
 
3. Apex Enterprises, Surajdeep Building, Aaj Press Building, C Block, Ground Floor, Rana Pratap Marg, Lucknow.
                                                                                       ...............Opp. Parties.
 
आदेश द्वारा-श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्य ।
 
                               निर्णय
1. परिवादी ने प्रस्तु त परिवाद विपक्षीगण द्वारा मरम्म।त किया गया मोबाइल या नया मोबाइल उसी माडल का अथवा मोबाइल की कीमत 13,400.00 रूपये 12 प्रतिशत ब्यााज के साथ, 50,000.00 रूपये मानसिक, शारीरिक तथा आर्थिक क्षति के लिये क्षतिपूर्ति, एवं विधिक कार्यवाही में हुआ खर्च 11,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुसत किया है।
2. संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार है कि परिवादी ने एक मोबाइल स्पा.इस 41535 (IMEI NO. 911313300635278) दिनॉंक 15.08.2013 को 13,400.00 रूपये में विपक्षी संख्या3 02 स्पा.इस हॉट स्पॉ ट, स्पादइस रिटेल लि0 सहारागंज मॉल, शाहनजफ रोड, हजरतगंज, लखनऊ से क्रय किया। कुछ समय बाद परिवादी के मोबाइल में कुछ समस्याेएं उत्पंन्न‍ होने लगी जैसे कि टच की समस्याि, स्क्रीयन पर स्पॉंट आ जाना एवं डिस्लेी ज  लाइट का भी निरन्त3र काम न करना आदि। परिवादी ने दिनॉंक 13.08.2014 को विपक्षी संख्याा 03 के यहॉं शिकायत दर्ज करायी। इसके पश्चा्त विपक्षी संख्या  03 द्वारा दिनॉंक 26.08.2014 को जमा मोबाइल प्राप्तक करने को कहा गया, और जब परिवादी दिनॉंक 26.08.2014 को अपना मोबाइल विपक्षी संख्याा 03 के पास लेने गया तो उसे बताया गया कि मोबाइल अभी बना नहीं है और 15 दिन बाद आने को कहा गया। 15 दिन बाद परिवादी को बताया गया कि मोबाइल में कुछ तकनीकी समस्याा है, इसलिये मोबाइल कम्पयनी को भेज दिया गया है और 30 दिन बाद आने को कहा गया। 
3. परिवादी जब 30 दिन बाद अपना मोबाइल लेने गया तो बताया गया कि मोबाइल की मरम्म त नहीं हो पायी है सात दिन बाद आने को कहा गया। परिवादी सात दिन बाद मोबाइल लेने गया तो उसे मोबाइल लौटा दिया गया। परिवादी को मोबाइल की मरम्म त न करके उसे लौटा दिया गया तो परिवादी ने दिनॉंक 02.03.2015 को विपक्षीगण को विधिक नोटिस भेजा जिसके प्राप्तन होने पर विपक्षी संख्या  03 द्वारा परिवादी से संपर्क किया गया और मोबाइल यथाशीघ्र देने का आश्वाखसन दिया गया, परन्तु  लम्बाप समय बीतने के बाद भी परिवादी को मोबाइल नहीं दिया गया जिससे परिवादी को काफी क्षति हुई, जो विपक्षीगण द्वारा पहुँचायी गयी है और उनके स्ततर पर सेवा में कमी की गयी है। 
4. विपक्षी संख्याि 01 द्वारा उत्तेर पत्र प्रस्तुगत करते हुए परिवाद पत्र के अधिकांश कथनों को इनकार करते हुए अतिरिक्तक कथन किया कि परिवाद कानून की नजर में गलत, बिना किसी आधार के अपोषणीय तथा स्वीनकार करने योग्य  नहीं है। परिवाद निरस्त  करने योग्यप है, क्योंेकि परिवादी का मोबाइल हैण्ड सेट वारन्टीर अवधि के बाहर (Out of warranty) था। इसी कारण परिवादी का परिवाद निरस्तस होने योग्यट है। विपक्षी संख्याo 01 का कथन है कि यह परिवाद पोषणीय नहीं है, क्यों कि इस प्रकरण में कोई सेवा में कमी नहीं हुई है। इसी कारण यह परिवाद निरस्तह होने योग्यं है। विपक्षी संख्याक 01 का कथन है कि उनकी एक साख है और उनके पास एक स्था पित बाजार है जो अच्छी  साख के कारण उनकी मार्केट में एक पहचान है। परिवादी द्वारा जो आरोप लगाये गये हैं वह बेबुनियाद और गलत हैं।
5. विपक्षी संख्यां 01 का कथन है कि उपभोक्ताे संरक्षण अधिनियम 1986 उपभोक्तावओं के हित की रक्षा के दृष्टिगत बनाया गया है, परन्तु  कुछ उपभोक्तावओं द्वारा इसे एक अवैध फायदे के लिये इस अधिनियम का दुरूपयोग किया जा रहा है, क्योंै कि उनके द्वारा अतिरिक्तू क्षतिपूर्ति तथा नुकसान की मॉग के लिये इसे इस्तेदमाल किया जा रहा है। परिवादी द्वारा जब भी सर्विस सेन्टेर पर संपर्क किया गया तो उन्हेंह पर्याप्तव सर्विस दी गयी और मरम्मटत भी की गयी। मोबाइल परिवादी को दिया गया तो मोबाइल पूरी तरह कार्य करने की स्थिति में था, और परिवादी को मोबाइल निर्धारित अवधि में दिया गया। परिवादी द्वारा इसके विपरीत कोई साक्ष्यम प्रस्तुतत नहीं किया गया इसलिये परिवाद के सारे कथन बेबुनियाद, मनगढ़न्त‍ एवं गलत हैं, इसलिये परिवाद निरस्तक होने योग्यर है।
6. विपक्षी संख्या  01 का कथन है कि परिवादी जब दिनॉंक 11.11.2014 को सर्विस सेन्ट्र से संपर्क किया गया तब पाया गया कि हैण्ड सेट की बैटरी खराब थी। इस संबंध में विपक्षी संख्याक 01 द्वारा अवगत कराया गया कि हैण्ड सेट की वारन्टीस एक वर्ष की होती है और बैटरी/चार्जर की वारन्टीर छ: माह की होती है और जैसा कि परिवादी द्वारा अपने परिवाद में उल्लेयख किया गया है कि उन्होंीने हैण्डससेट दिनॉंक 15.08.2013 को क्रय किया जो दिनॉंक 14.08.2014 तक वारण्टी  रखता है तथा बैटरी/चार्जर की वारन्टीि दिनॉंक 14.02.2014 तक थी। इस प्रकार दिनॉंक 11.11.2014 को परिवादी का हैण्डोसेट (Out of warranty) में था। विपक्षीगण वारन्टी1 अवधि के दायित्व1 से मुक्तव था, इसलिये परिवादी से मरम्मित के लिये पैसे जमा करने को कहा गया था। परन्तुु परिवादी ने पैसे जमा करने से मना कर दिया और हैण्डकसेट ले गये जो परिवादी के दुर्भावपूर्ण उद्देश्य  एवं बदनियति को साफ जाहिर करता है। विपक्षी संख्याभ 01 का यह भी कथन है कि परिवादी ने इन सब तथ्योंस को छिपा लिया और माननीय फोरम को गुमराह कर धनराशि प्राप्तस करना चाहता है। यह कानून की प्रक्रिया का खुला दुरूपयोग है। इस प्रकार परिवादी का परिवाद सव्यहय खारिज होने योग्यु है।
7. परिवादी ने साक्ष्यव शपथ पत्र दिया हे और विपक्षीगण के कथनों को गलत बताते हुए कहा है कि उनका कथन असत्ये है और मोबाइल वारन्टीत अवधि के अन्देर दिनॉंक 13.08.2014 को विपक्षी संख्याो 03 को मरम्महत हेतु प्रस्तु त कर दिया गया था और मरम्मकत के उपरान्तथ अभी तक मोबाइल प्रदान नहीं किया गया है। अत: अनुरोध है कि परिवादी को अनुतोष प्रदान किया जाना न्याकयहित में परम आवश्यरक है।
8. पत्रावली के परिशीलन करने तथा उसमें उपलब्धन तथ्यों  एवं साक्ष्योंा के विवेचन तथा परीक्षण से प्रतीत होता है कि परिवादी द्वारा दिनॉंक 15.08.2013 को कैश मीमो 30 सीरियल नम्ब र 1484 दिनॉंकित 15.08.2013 के माध्य्म से एक मोबाइल स्पाकइस एम0 आई0 535 विपक्षी संख्या. 02 से खरीदा और लगभग 11 माह बाद उसमें खराबी आयी जिसे वह विपक्षी संख्या5 03 को ठीक करने को दिनॉंक 13.08.2014 को दिया गया। विपक्षी संख्या  03 के द्वारा अपनी service request  पर टिप्पाणी अंकित कर मरम्मषत के लिये प्राप्त  किया जो निम्नक प्रकार है-“ “spot on display, poor incoming voice, set hinor scrachee”, पुन: दिनॉंक 26.08.2014 को भी सर्विस रिपोर्ट पर उसी टिप्प णी को अंकित कर मरम्मरत के लिये मोबाइल परिवादी से प्राप्तक किया। दिनॉंक 26.08.2014  service request  पर उसी टिप्पीणी को अंकित कर मरम्म त के लिये मोबाइल परिवादी से प्राप्तल किया। दिनॉंक 26.08.2014 at service request  के कालम “Action code, part code, Quantity, Price, Value में हस्त.लेख में अंकित किया गया कमेन्टn निम्नc प्रकार है “ मोबाइल स्क्री न के लॉक कोड के ऊपर दो से0भी0 ऊपर एक सफेद स्पाcट है जो मटर के दाने के बराबर है, 13/08/14 को मोबाइल सर्विस के लिये गया था, लेकिन समस्या  का समाधान नहीं हुआ। इसलिए फोन दोबारा सही कर दें। फोन पहले ही 17 दिन सर्विस सेन्ट र पर रह चुका है इसलिए बहुत जल्दीं रिपेयर करने व फोन की बैटरी भी भिजवा दें”। पुन: दिनॉंक 11.11.2014 की service request  पत्र में Customer Comments  कालम में “CUSTMAR DOES NOT ACCEPT YOUR SWEP EMI SET, HE WANTS HIS OWN SET ”  इस परिवाद के विषय में विपक्षीगण का कहना है कि परिवादी द्वारा जब भी सर्विस सेन्टिर पर सम्पयर्क किया गया तो उन्हें  पर्याप्त  सर्विस दी गयी और मोबाइल पूरी तरह से कार्य करने की स्थिति में था।
9. परिवादी द्वारा अपने शपथ पत्र के साथ संलग्न  साक्ष्यउ से स्पपष्ट‍ होता है कि परिवादी द्वारा मोबाइल दिनॉंक 15.08.2013 को विपक्षी संख्याे 02 से क्रय किया था और प्रथम बार मोबाइल के संबंध में शिकायत दिनॉंक 13.08.2014 को की गयी और मोबाइल विपक्षी संख्याब 03 के यहॉं मरम्म त के लिये जमा किया गया। परिवादी द्वारा अपने शपथ पत्र के साथ संलग्न  “SERVICE REQUEST’’  से ज्ञात होता है कि परिवादी द्वारा अपना मोबाइल सर्वप्रथम दिनॉंक 13.08.2014 को विपक्षी संख्याप 03 के यहॉं जमा किया गया जिसमें कमेन्ट2 जो लिखा गया था वह निम्नस प्रकार था “ SPOT ON DISPLAY, POOR INCOMING VOICE, SET MINER SCRACHEE”  इस आधार पर मोबाइल मरम्मOत हेतु दिया गया। परिवादी का कथन है कि उन्हेंि दिनॉंक 26.08.2014 को प्राप्तय करने को कहा गया परन्तु  “SERVICE REQUEST’’ के माध्योम से ज्ञात होता है कि मोबाइल पहले दिनॉंक 13.08.2014 को मरम्मकत के लिये दिया गया था और पुन: दिनॉंक 26.08.2014 की “SERVICE REQUEST’’ से स्पदष्टर है कि इस पर जो कमेन्टय दर्ज है वह दिनॉंक 13.08.2014 की “SERVICE REQUEST’’ (जॉबशीट) पर दर्ज अंकन से भिन्‍न है और स्प2ष्ट  करता है कि परिवादी का कथन कि दिनॉंक 13.08.2014 को मोबाइल जमा करने के बाद जब दिनॉंक 26.08.2014 को मोबाइल लेने गया तो उन्हें  15 दिन बाद बुलाया गया क्यों कि मोबाइल मरम्मेत नहीं हुआ था, गलत प्रतीत होता है। यदि दिनॉंक 13.08.2014 की “SERVICE REQUEST’’ के आधार पर मोबाइल की मरम्म त नहीं की गयी होती तो पुन: दिनॉंक 26.08.2014 को मोबाइल जमा करने पर फार्म विपक्षी संख्याह 03 द्वारा जारी नहीं किया गया होता। इसके अतिरिक्तव पुन: दिनॉंक 11.11.2014 को “SERVICE REQUEST’’ से स्पाष्ट  होता है कि दिनॉंक 26.08.2014 को मोबाइल मरम्मयत हेतु दिया गया, वापस हो गया था और पुन: दिनॉंक 11.11.2014 को “SERVICE REQUEST’’ फार्म जारी नहीं किया गया होता। इससे परिवादी का कथन कि उनके द्वारा दिनॉंक 13.08.2014 को मोबाइल जमा किया गया जो मरम्म त होकर वापस प्राप्त. ही नहीं हुआ गलत व तथ्योंो एवं साक्ष्यों  के विपरीत प्रतीत होता है। दिनॉंक 11.11.2014 की “SERVICE REQUEST’’ जो जॉबशीट है में टिप्पीणी की गयी कि ‘’ CUSTOMER DOES NOT DCCEPT YOUR SWEP EMI SET, HE WANTS HIS OWN SET”  से प्रतीत होता है कि परिवादी दिये जा रहे हैण्डAसेट को प्राप्तत नहीं कर रहा था। इस संबंध में विपक्षी का कथन है कि परिवादी मोबाइल जो आउट ऑफ वारन्टीो था को मरम्म त के लिये पैसा जमा नहीं करना चाह रहा था और सर्विस सेन्टतर से अपना हैण्डवसेट भी प्राप्ति नहीं कर रहा था, में बल प्रतीत होता है। विपक्षी का कथन है कि परिवादी को स्प ष्टय रूप से अवगत करा दिया गया था कि उनका मोबाइल हैण्डिसेट आउट ऑफ वारन्टीप में है, अत: मरम्म त मूल्यव जमा कर रिपेयर करा ले में सत्येता प्रतीत होती है और परिवादी का ककन कि उनका मोबाइल उन्हें  कभी वापस मिला ही नहीं और उनका मोबाइल कभी मरम्मबत कर वापस किया ही नहीं गया सही नहीं है। 
10. यद्यपि वारन्टीन अवधि में विक्रेता का दादियत्वल है कि उपभोक्तार को विक्रय की गयी वस्तुय यदि खराब होती है तो विक्रेता उसे निशुल्कव ठीक कराये और यदि वह वस्तुय ठीक होने की स्थिति में न हो तो उसे बदल कर उपभोक्ताे को उपलब्ध  कराये। इस प्रकार वारन्टी् अवधि के बाद विक्रेता को अधिकार हे कि उसके द्वारा क्रय की गयी वस्तुर यदि खराब होती है तो उस वस्तुर की ठीक मरम्मदत करने के लिये उपभोक्तात से शुल्क  प्राप्तु कर उसे ठीक कराये। प्रस्तुयत प्रकरण में विभिन्ने “SERVICE REQUEST’’ (जॉबशीट) से स्पीष्टप होता है कि परिवादी का मोबाइल कई बार मरम्मभत किया गया है और उनसे कोई शुल्क  नहीं लिया गया, परन्तुर वारन्टीा अवधि के बाद दिनॉंक 11.11.2014 को जब मोबाइल रिपेयर कराने को दिया गया तो विक्रेता का परिवादी से शुल्कअ मॉंगा जाना नियमों के अन्तोर्गत आता है और परिवादी को मरम्मुत शुल्कं जमा कर मोबाइल को सर्विस सेन्ट र से ठीक करवाना चाहिए था। यदि मोबाइल आउट ऑफ वारन्टी  हो जाता है तो विक्रेता/सर्विस सेन्टिर वारन्टीब दायित्व् से मुक्तज हो जाता है और उपभोक्तात को भुगतान शुल्क् जमा कर मोबाइल ठीक कराना चाहिए था। 
11. निश्चित रूप से उपभोक्ताव संरक्षण अधिनियम उपभोक्तााओं के हित की रक्षा के दृष्टिगत बनाया गया है। परन्तु  अधिनियम कदाचित उपभोक्तातओं को इस अधिनियम का दुरूपयोग करने का अधिकार भी नहीं देता है। यह अधिनियम क्षतिपूर्ति के लिये इसके दुरूपयोग की इजाजत नहीं देता है। परिवादी द्वारा जब सर्विस सेन्ट र पर मोबाइल में कमी के आधार पर संपर्क किया गया तो विभिन्नज “SERVICE REQUEST/जॉबशीट से स्पकष्टत होता है कि परिवादी को पर्याप्त  सर्विस दी गयी और मोबाइल मरम्म त किया गया तथा परिवादी अपनी संतुष्टि पर ही मोबाइल प्राप्तम किया होगा और संतुष्टा न होने का तथा सर्विस सेन्ट‍र से मोबाइल ठीक न करने का कोई साक्ष्यस/प्रमाण अपने साक्ष्य‍ में संलग्नव नहीं किया है और दिनॉंक 11.11.2014 को पुन: मोबाइल सर्विस सेन्टेर को दिया गया तो उस समय मोबाइल वारन्टी. अवधि से बाहर हो चुका था। वारन्टीे अवधि के बाहर मोबाइल की मरम्मात के लिये परिवादी को भुगतान शुल्कब जमा करना चाहिए था, परन्तु2 उन्होंिने ऐसा नहीं किया। वारन्टीच अवधि से बाहर परिवादी को मोबाइल की मरम्म,त के लिये भुगतान शुल्का जमा करना नियमों के अन्तटर्गत है और ऐसा न कर विक्रेता विपक्षी को आरोपित करना उपभोक्तान संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत है। 
12. अत: उपरोक्तु विवेचना/परीक्षण से स्प ष्टऐ है कि विपक्षी द्वारा पूर्व में सर्विस दी गयी और वारन्टी  अवधि समाप्तव हो जाने के बाद भुगतान शुल्कप जमा करने के बाद मोबाइल मरम्मपत करने को परिवादी से कहना कदाचित गलत नहीं है।  परिवादी को भुगतान शुल्क  जमा कर मोबाइल को मरम्मीत कराना चाहिए था। इस परिवाद में विपक्षी के स्तनर पर कोई भी सेवा में कमी परिलक्षित नहीं होती है अत: परिवादी को मोबाइल अथवा मोबाइल की कीमत तथा क्षतिपूर्ति के लिये हकदार नहीं बनाता है। 
आदेश
13. परिवादी को निर्देशित किया जाता है कि वह अपना मोबाइल विपक्षी संख्यार 03 सर्विस सेन्टिर को उपलब्धै कराये और विपक्षीगण यह सुनिश्चित करें कि परिवादी से मोबाइल मरम्म‍त का शुल्कि जमा कराकर मोबाइल की मरम्मित कर परिवादी को मोबाइल जमा करने के 30 दिन के अन्दमर उपलब्ध  कराना सुनिश्चित करें। वाद व्यरय पक्षकार अपना अपना वहन करेंगे।
 
   (सोनिया सिंह)     (अशोक कुमार सिंह )            (नीलकंठ सहाय)
          सदस्ये              सदस्यि                  अध्यंक्ष 
                            जिला उपभोक्ता  विवाद प्रतितोष आयोग,   प्रथम,
                लखनऊ।
आज यह आदेश/निर्णय हस्ताजक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।
 
 
   (सोनिया सिंह)     (अशोक कुमार सिंह)               (नीलकंठ सहाय)
         सदस्य               सदस्य                    अध्यहक्ष 
                            जिला उपभोक्ता  विवाद प्रतितोष आयोग,   प्रथम,
                  लखनऊ।
दिनॉंक 18.08.2022 
 
 
 
 
 
[HON'BLE MR. Neelkuntha Sahya]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MS. sonia Singh]
MEMBER
 
 
[ Ashok Kumar Singh]
MEMBER
 

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