Rajasthan

Jaipur-I

CC/92/2012

VINOD JAYASWAL - Complainant(s)

Versus

SPICE MOBILE - Opp.Party(s)

VANDANA VARMA

19 Aug 2014

ORDER

                                                      जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर प्रथम, जयपुर

समक्ष:    श्री राकेश कुमार माथुर - अध्यक्ष
          श्री ओमप्रकाश राजौरिया - सदस्य

परिवाद सॅंख्या: 92/2014
विनोद जायसवाल पुत्र श्री रामसिंह जायसवाल, उम्र 32 वर्ष, जाति कलाल, निवासी मकान नंबर 74 जायसवाल भवन, हरीकिशन सोमानी मार्ग, कुमारानन्द हाल एवं कम्युनिष्ट पार्टी कार्यालय के बीच वाली गली, हथरोई फोर्ट, विधायकपुरी, जयपुर Û   
                                              परिवादी
               ं     बनाम
1.    स्पाईस मोबाईल जरिए प्रबंधक/प्राधिकृत अधिकारी, डी-1, सेक्टर -3, नोयडा 201301 उत्तरप्रदेश Û
2.    सैलूकाॅम रिटेल इण्डिया प्राईवेट लिमिटेड, जरिए संचालक / प्राधिकृत अधिकारी, जयपुर कार्यालय दुकान नंबर 189, गणपति प्लाजा के सामने, एम.आई.रोड़, जयपुर महानगर 302001, राजस्थान, काॅरपोरेट आॅफिस: बी-13, सेक्टर 63 नोयडा यू.पी. रजिस्टर्ड आॅफिस: बी-1/1, कम्यूनिटी सेंटर, जनकपुरी, नई दिल्ली 58 Û
3.    दी एशियन सैल्स एण्ड सर्विस, स्पाईस सर्विस सेंटर जरिए प्राधिकृत अधिकारी, 301, फस्र्ट फ्लोर, आनन्द चैम्बर, जयपुर 302001, राज0 
              विपक्षी
अधिवक्तागण :-
श्री दिलीप वर्मा - परिवादी
श्री विकास मिश्रा - विपक्षी सॅंख्या 1 व 3

                            परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक: 29.12.11 

                       आदेश     दिनांक: 21.05.2015

परिवाद में अंकित तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने दिनांक 11.05.2011 को विपक्षी सॅंख्या 2 के यहां से एक मोबाइल हैण्डसेट विपक्षी सॅंख्या 1 कम्पनी का निर्मित 3800/- रूपए में क्रय किया था जिस पर एक वर्ष की वांरटी दी गई थी । मोबाइल हैण्डसेट खरीद करने के पश्चात एक माह के भीतर ही उसका डिसप्ले खराब हो गया, जिस पर विपक्षी सॅंख्या 2 से शिकायत करने पर उसने विपक्षी सॅंख्या 3 कम्पनी के सर्विस सेंटर पर सम्पर्क करने के लिए कहा और जब सर्विस सेंटर पर मोबाईल दिखाया तो मोबाईल जाॅब शाीट जारी कर सर्विस सेंटर पर रख लिया गया तथा दो दिन बाद आने के लिए कहा लेेकिन परिवादी के अनुसार कई बार चक्कर लगाने पर भी मोबाईल करीब डेढ़ माह पश्चात दिनांक 26.07.2011 को वापिस दिया गया एवं जाबॅशीट हस्ताक्षर करवा कर वापिस ले ली गई और सर्विस सेंटर के कर्मचारियों ने बताया कि चूंकि मोबाईल में मैन्युफेक्चरिंग डिफेक्ट था इसलिए इतना समय ठीक होने में लगा है । परिवादी का कथन है कि दिनांक 28.07.2011 को ट्रेड पैड कार्य नहीं करने के कारण विपक्षी सॅंख्या 3 से पुन: सम्पर्क किया तो जाॅबशीट जाकरी करते हुए हैण्डसेट अपने पास विपक्षी सॅंख्या 3 ने रख लिया तथा दो-तीन दिन बाद ले जाने के लिए कहा लेकिन सैकड़ो चक्कर लगाने के बावजूद भी मोबाईल विपक्षी सॅंख्या 3 ने ठीक करके अथवा रिप्लेस कर वापिस नहीं दिया है जिससे उसे अत्यधिक सामाजिक, मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक क्षति कारित हुई है । परिवादी ने विपक्षीगण को जरिए ई-मेल दिनांक 18.08.2011, 20.08.2011, 29.08.2011, 02.09.2011 एवं 03.09.2011 मोबाईल हैण्डसेट ठीक करके वापिस देने बाबत निवेदन किया लेकिन विपक्षीगण मात्र ठीक कर वापिस देने का आश्वासन ही देते रहे परन्तु मोबाईल ठीक करके वापिस नहीं दिया गया और इस प्रकार विपक्षीगण का कृत्य सेवादोष की श्रेणी में आता है । परिवादी ने 25.11.2011 को जरिए अधिवक्ता नोटिस भी विपक्षीगण को दिया परन्तुु फिर भी हैण्डसेट ठीक करके या बदल कर नहीं दिया गया । परिवादी ने मोबाईल की सम्पूर्ण कीमत, कारित क्षतियों के एवं परिवाद व्यय व कानूनी सलाह के लिए कुल 99,800/- रूपए विपक्षीगण से दिलवाए जाने का निवेदन किया है ।
विपक्षी सॅंख्या 1 व 3 की ओर से परिवाद का अलग-अलग जवाब प्रस्तुत यिा गया है परन्तु उनके जवाब में एक समान ही बचाव लिया गया है और विपक्षी सॅंख्या 1 व 3 के द्वारा जवाब प्रस्तुत करते हुए परिवादी द्वारा अपने परिवाद में यह लिखना अस्वीकार किया गया है कि मोबाईल हैण्डसेट खरीदते ही उसमें समस्या उत्पन्न होने लगी एवं मोबाईल भी उचित रूप से कार्य नहीं करता क्योंकि परिवादी द्वारा खरीद किया गया मोबाईल अपने आप में अच्छा मोबाईल है जिसमें अन्य मोबाईल से अच्छे फिचर्स हैं तथा विपक्षी सॅंख्या 3 द्वारा परिवादी के मोबाईल में उत्पन्न समस्या का निदान करने के पश्चात परिवादी ने स्वयं सन्तुष्ट हो कर विपक्षी सॅंख्या 3 द्वारा दी जाॅबशीट पर हस्ताक्षर किए हैं तथा ठीक मोबाईल प्राप्त किया है । परिवादी का यह कथन भी अस्वीकार किया है कि परिवादी ने त्रुटिपूर्ण मोबाईल हैण्डसेट खरीद किया हैे क्योंकि निर्माता कम्पनी पूर्णतया जांच परख कर मोबाईल हैण्डसेट विक्रय करने के लिए प्रस्तुत करती है इसलिए मैन्युफेक्चरिंग त्रुटि का आरोप पूर्णतया अस्वीकार किया गया है । विपक्षी सॅंख्या 1 व 3 का कथन है कि उनके द्वारा कोई सेवादोष कारित नहीं किया गया ना ही उनके कारण परिवादी को कोई मानसिक व शारीरिक क्षति कारित हुई है । विपक्षी का कथन है कि मोबाईल ठीक करने के पश्चात परिवादी को सूचित कर दिया गया था परन्तु परिवादी अपना ठीक मोबाईल लेने नहीं आया तथा नए मोबाईल की मांग करने लगा और आज भी मोबाईल ठीक स्थिति में सर्विस सेंटर पर रखा है और ऐसी स्थिति में परिवादी ने बिना किसी आधार के तथा विधिक प्रक्रिया का दुरूपयोग करते हुए परिवाद पेश किया है जो खारिज किए जाने योग्य है जिसे खारिज किया जावे । विपक्षी सॅंख्या 1 व 3 का कथन है कि परिवादी ने मनगढ़ंत बिना किसी आधार के ई-मेल प्रेषित किए हैं जिनका वास्तविकता से कोई सम्बन्ध नहीं है अत: परिवाद खारिज किया जावे ।
विपक्षी सॅंख्या 2 की ओर से परिवाद का कोई जवाब प्रस्तुुत नहीं किया गया है ना ही कोई मंच के समक्ष उपस्थित आया है ।
मंच द्वारा परिवादी, विपक्षी सॅंख्या 1 व 3 की बहस सुनी गई, परिवादी की ओर से प्रस्तुत लिखित तर्को पर विचार किया एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया । 
परिवादी द्वारा अपने परिवाद के समर्थन में प्रश्नगत मोबाईल क्रय किए जाने का बिल, दिनांक 28.07.2011 की जाॅबशीट, विपक्षी को प्रेषित किए गए ई-मेल दिनांक 18.08.2011, 20.08.2011, 29.08.2011, 02.09.2011 एवं 03.09.2011, अधिवक्ता नोटिस की काॅपी प्रस्तुत की है । विपक्षी सॅंख्या 2 की ओर से परिवाद के कथन व प्रस्तुत साक्ष्य का कोई खण्डन नहीं किया गया है । विपक्षी सॅंख्या 1 व 3 का यह बचाव है कि मोबाईल अच्छी क्वालिटी का था उसमें कोई उत्पादकीय दोष नहीं था और परिवादी द्वारा सर्विस के लिए दिए जाने पर उसकी सर्विस कर दी गई थी परन्तु परिवादी स्वयं की मोबाईल सर्विस सेंटर पर लेने नहीं आया ऐसी स्थिति में उनका कोई सेवादोष नहीं है इसलिए परिवाद खारिज किया जावे । मंच विपक्षी सॅंख्या 1 व 3 द्वारा लिए गए बचाव से सहमत नहीं है क्योंकि यदि मोबाईल अच्छी क्वालिटी का होता तो उसमें खरीद केे कुछ समय पश्चात ही समस्या उत्पन्न नहीं होती और उसे ठीक करने में डेढ माह का समय नहीं लगता जैसा कि परिवादी ने अपने परिवाद के मद सॅंख्या 2 में अंकित किया है जिसका विपक्षी सॅंख्या 1 व 3 ने मद सॅंख्या 2 के जवाब में कोई खण्डन नहीं किया है । 26.07.2011 को परिवादी को मोबाईल ठीक करके सर्विस सेंटर द्वारा दिया परन्तु 28.07.2011 को पुन: खराब हो गया जो प्रस्तुत जाॅबशीट से प्रमाणित है जिसे विपक्षीगण ने स्वीकार किया है । 
उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर यह साबित हो जाता है कि परिवादी ने मोबाईल हैण्डसेट विपक्षी सॅंख्या 1 का निर्मित क्रय किया था उसमें आरम्भ से ही त्रुटि थी जिसे फिर विपक्षी सॅंख्या 1 व 3 द्वारा ठीक नहीं किया गया ना ही मोबाईल बदलकर परिवादी को दिया गया और इस प्रकार विपक्षीगण ने अनफेयर ट्रेड प्रेक्टिस अपनाते हुए सेवादोष कारित किया है जिससे परिवादी को आर्थिक हानि के साथ-साथ मानसिक संताप होना स्वभाविक है जिसके लिए परिवादी मुआवजा प्राप्त करने का अधिकारी है ।
अत: इस समस्त विवेचन के आधार पर परिवादी का यह परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार कर आदेश दिया जाता है कि विपक्षीगण संयुक्त व अलग-अलग रूप से उत्तरदायी होते हुए आज से एक माह की अवधि मंे परिवादी के मोबाईल हैण्डसेट को नि:शुल्क ठीक करके उसकी सन्तुष्टि रिकाॅर्ड करते हुए उसे वापिस लौटाएंगे अन्यथा स्थिति में परिवादी को उसी प्रकार का नया मोबाईल हैण्डसेट देंगे अथवा उसकी कीमत 3800/- रूपए अक्षरे तीन हजार आठ सौ रूपए दिनांक 11.05.2011 से अदायगी तक 12 प्रतिशत वार्षिक की ब्याज दर सहित अदा करेंगे । इसके अलावा परिवादी को कारित मानसिक संताप व आर्थिक हानि की क्षतिपूर्ति के लिए उसे 5,000/- रूपए अक्षरे पांच हजार रूपए एवं परिवाद व्यय 1500/- रूपए अक्षरे एक हजार पांच सौ रूपए अदा करंेेेगे। आदेश की पालना आज से एक माह की अवधि में कर दी जावे अन्यथा परिवादी उक्त क्षतिपूर्ति एवं परिवाद व्यय की राशि पर भी आदेश दिनांक से अदायगी तक 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज पाने का अधिकारी होगा । परिवादी का अन्य अनुतोष अस्वीकार किया जाता है।                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                  
निर्णय आज दिनांक 21.05.2015 को लिखाकर सुनाया गया।

 

( ओ.पी.राजौरिया )                   (राकेश कुमार माथुर)    
     सदस्य                          अध्यक्ष      

 

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