जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या:- 384/2021
उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्य।
श्री कुमार राघवेन्द्र सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-17.11.2021
परिवाद के निर्णय की तारीख:-27.07.2024
Mr. Sumit aged about 32 years S/o Brijpal singh 592,gha-83 Rajiv Nagar, Ghosiyana, Kharika, Telibagh Lucknow-226205.
................Complainant. VERSUS
Spending Pvt Ltd Syd mohd sehnawaz S/o Nazar Ahmad Address-14/255 Purana Barf Khana Udai Ganj Lucknow-226001.
...............Opposite Party.
परिवादी के अधिवक्ता का नाम:- श्री राकेश कुमार अग्रवाल।
विपक्षी के अधिवक्ता का नाम:-कोई नहीं।
आदेश द्वारा-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
निर्णय
1. परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद अन्तर्गत धारा 34 (1) 2 डी उपीाोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत परिवादी द्वारा विपक्षी से 1,35,000.00 रूपये तथा मानसिक, शारीरिक कष्ट के लिये 5,00,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया है।
2. संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी सुमित कुमार ने अगस्त 2020 में विपक्षी से अपने स्वयं के मकान के निर्माण करने के लिये संपर्क किया। जो लगभग 800 वर्गफिट का था। उस समय धनराशि लेते समय निर्माण के संबंध में विपक्षी एवं परिवादी के बीच एक समझौता हुआ, जिसमें यह उल्लेख किया गया कि विपक्षी कम्पनी पूरे घर के निर्माण के 10,80,000.00 रूपये जिसमें मॉडयूलर किचन और उपरोक्त मकान के निर्माण के लिये आवश्यक सभी सामग्रियॉं शामिल है और साथ ही यह भी उल्लेख किया गया था कि पॉंच माह के अन्दर विपक्षी इसे पूरा कर देगी। यहॉं यह भी उल्लेख करना प्रासंगिक है कि उपरोक्त मकान के निर्माण के दौरान विपक्षी ने उसी भूमि पर अतिरिक्त 63 वर्गफिट अतिरिक्त जगह मिली और इसके लिये उसने परिवादी से बताया कि अतिरिक्त हिस्से के निर्माण के लिये धनराशि बढ़ायी जायेगी। इसलिए विपक्षी ने धनराशि बढ़ाकर 11,50,000.00 रूपये बतायी। परिवादी इससे सहमत हो गया।
3. चौकाने वाली बात यह है कि विपक्षी दिन-प्रतिदिन उपरोक्त समझौते का उल्लंघन करके बिना किसी ठोस आधार के निर्माण के लिये परिवादी से अधिक धनराशि की मॉंग की और अंत में परिवादी ने विपक्षी को कुल 13,50,000.00 रूपये का भुगतान कर दिया। इस बीच विपक्षी ने परिवादी को धमकी दी और निर्माण कार्य बन्द कर दिया और विभिन्न कारण दिखाकर परिवादी से और अधिक पैसे देने के लिये कहा, जिसके कारण परिवादी को मानसिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा परिवादी का यह भी कथानक है कि सभी सामग्री गुणवत्ता में घटिया थी, जिसका उपयोग विपक्षी ने उक्त मकान के निर्माण के लिये किया था और लापरवाही के कारण परिवादी को काफी नुकसान उठाना पड़ा।
4. उक्त मुद्दे को सुलझाने के लिये परिवादी ने विपक्षी से कई बार संपर्क किया जिसमें विपक्षी ने मृत घोड़े के समान कार्य किया। उक्त मुद्दे को हल करने के लिये विपक्षी को टेलीफोन पर बातचीत और इलेक्ट्रानिक मेल बातचीत के माध्यम से सूचित किया गया। हालॉंकि विपक्षी के कार्यकारी ने परिवादी को उचित सेवायें प्रदान करने के बदले में एक मरे हुए घोड़े को पीटने जैसा काम किया। उपयुक्त विवाद में स्पष्ट रूप से कहा गया कि विपक्षी की ओर से लापरवाही की गयी थी और उक्त विपक्षी कम्पनी ने परिवादी की कमाई को ठगने के लिये अनुचित व्यापार प्रकिया अपना रही है।
5. परिवाद का नोटिस विपक्षी को भेजा गया, परन्तु विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं आया और न ही कोई जवाब दाखिल किया गया। अत: दिनॉंक 25.01.2023 को विपक्षी के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही अग्रसारित की गयी।
6. परिवादी ने अपने कथानक के समर्थन में शपथ पत्र एवं दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में आधार कार्ड, स्टेटमेंट ऑफ एकाउन्ट, अनुबन्ध पत्र, स्ट्रक्चर वर्क का विवरण, विधिक नोटिस आदि की छायाप्रतियॉं दाखिल की गयी हैं।
7. आयोग द्वारा परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के तर्कों को सुना गया तथा पत्रावली का परिशीलन किया गया।
8. परिवादी का कथानक है कि परिवादी ने अगस्त 2020 में विपक्षी से अपने स्वयं के मकान के निर्माण करने के लिये संपर्क किया। जो लगभग 800 वर्गफिट का था। उस समय धनराशि लेते समय निर्माण के संबंध में विपक्षी एवं परिवादी के बीच एक समझौता हुआ, जिसमें यह उल्लेख किया गया कि विपक्षी कम्पनी पूरे घर के निर्माण के 10,80,000.00 रूपये जिसमें मॉडयूलर किचन और उपरोक्त मकान के निर्माण के लिये आवश्यक सभी सामग्रियॉं शामिल है और साथ ही यह भी उल्लेख किया गया था कि पॉंच माह के अन्दर विपक्षी इसे पूरा कर देगा।
9. उपरोक्त मकान के निर्माण के दौरान विपक्षी ने उसी भूमि पर अतिरिक्त 63 वर्गफिट अतिरिक्त जगह मिली और इसके लिये उसने परिवादी से बताया कि अतिरिक्त हिस्से के निर्माण के लिये धनराशि बढ़ायी जायेगी। इसलिए विपक्षी ने धनराशि बढ़ाकर 11,50,000.00 रूपये बतायी। परिवादी इससे सहमत हो गया। परन्तु विपक्षी, परिवादी के बीच हुए समझौते का उल्लंघन करने लगा, और विपक्षी
बिना किसी ठोस आधार के निर्माण के लिये परिवादी से अधिक धनराशि की मॉंग करने लगा और अंत में परिवादी ने विपक्षी को कुल 13,50,000.00 रूपये का भुगतान कर दिया।
10. विपक्षी ने परिवादी से और धनराशि की मॉंग की। परिवादी द्वारा धनराशि न दिये जाने के कारण विपक्षी द्वारा निर्माण कार्य बन्द कर दिया गया। विपक्षी द्वारा निर्माण कार्य बन्द कर देने से परिवादी को मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक कष्ट हुआ।
11. परिवादी द्वारा दिनॉंक 11.08.2023 को निरीक्षण कमिश्नर नियुक्त किये जाने के संबंध में प्रार्थना पत्र दिया गया और यह कहा गया कि विपक्षी द्वारा निर्माण कार्य में त्रुटि की गयी है। इस निरीक्षण के लिये आयोग के आदेशानुसार परिवादी द्वारा दिनॉंक 11.08.2023 को आयोग द्वारा अधिवक्ता कमिश्नर नियुक्त किया गया। दिनॉंक 14.10.2023 को समय 11.30 बजे पूर्वाहन का समय विपक्षी को पत्र द्वारा सूचित किया गया , किन्तु काफी इन्तजार के बाद भी विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं आया। काफी इन्तजार के बाद कमीशन की कार्यवाही शुरू की गयी जिसमें परिवादी स्वयं एवं अधिवक्ता कमिश्नर उपस्थित थे।
12. कमीशन रिपोर्ट के अनुसार परिवादी के मकान के सामने विपक्षी द्वारा रैम्प का निर्माण नहीं पाया गया और मेन गेट टूटा हुआ था जिसे लोहे की जंजीर से बॉंधकर रखा गया था। किचन वाले भाग में दीवाल पर लगे टाईल्स टूट कर नीचे गिरे हुए पाए गए तथा किचन का फर्श भी धंसा हुआ पाया गया। मेन बेडरूम में फर्श काफी नीचे तक धंसा हुआ पाया गया जिसके कारण कमरे में लगे टाईल्स टूट-टूट कर जमीन पर गिरते हुए पाए गए। बिजली की वायरिंग बेहद खराब स्तर की पायी गयी और किसी लोकल कम्पनी का वायर कहीं-कहीं डाला हुआ पाया गया। किसी भी प्वाइन्ट पर कोई भी बोड नहीं पाया गया। मकान में जमीन धॅसने से ऐसा प्रतीत होता है कि मकान की नींव में मिट्टी का भराव ठीक ढंग से नहीं किया गया है। नल की फिटिंग कहीं नही पायी गयी। दीवारें कई जगह से क्रेक पायी गयी। सीढि़यों पर रेलिंग नहीं पायी गयी। मकान में मोटर की जगह एक हैण्ड पम्प लगा मिला। पूरे मकान में कहीं भी खिड़की और दरवाजा लगा नहीं मिला। अधिवक्ता कमीशन द्वारा जो फोटोग्राफ लिये गये हैं वह भी साक्ष्य के रूप में संलग्न किये गये हैं।
13. अधिवक्ता कमीशन द्वारा जो फोटोग्राफ संलग्न किये गये हैं उन्हें देखने से विदित है कि जो रिपोर्ट दाखिल की गयी है, उसके मुताबिक मकान में निर्माण संबंधी कार्य नहीं हुआ है और विपक्षी द्वारा निर्माण कार्य में गंभीर त्रुटि की गयी है। विपक्षी द्वारा सेवा की शर्तों के अनुसार परिवादी के भवन का निर्माण नहीं कराया गया है। इससे यह साबित है कि विपक्षी द्वारा सेवा में कमी की गयी है। संबंधित मकान परिवादी के कब्जे में है, और परिवादी उसी मकान में रह रहा है। परिवादी ने विपक्षी संस्था के कार्य और आचरण से उल्लिखित नियमों और शर्तों पर भरोसा करके बहुत पीड़ा महसूस कर रहा है जिससे उसे अनावश्यक मानसिक पीड़ा और तनाव का सामना करना पड़ रहा है। उपरोक्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए आयोग इस निष्कर्ष पर पहुँचता है कि परिवादी को 2,50,000.00 (दो लाख पचास हजार रूपया मात्र) दिलाया जाना न्यायसंगत प्रतीत होता है। अत: परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि परिवादी को मुबलिग 2,50,000.00 (दो लाख पचास हजार रूपया मात्र) मय 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ निर्णय की तिथि से 45 दिन के अन्दर अदा करेंगें। परिवादी को हुए मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक कष्ट के लिये मुबलिग 50,000.00 (पचास हजार रूपया मात्र) एवं वाद व्यय के लिये मुबलिग 10,000.00 (दस हजार रूपया मात्र) भी अदा करेंगें। यदि निर्धारित अवधि में आदेश का अनुपालन नहीं किया जाता है तो उपरोक्त सम्पूर्ण धनराशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भुगतेय होगा।
पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रार्थना पत्र निस्तारित किये जाते हैं।
निर्णय/आदेश की प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाए।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
आज यह आदेश/निर्णय हस्ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
दिनॉंक:-27.07.2024