जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या:-60/2017 उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्य।
श्री कुमार राघवेन्द्र सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-28.01.2017
परिवाद के निर्णय की तारीख:-17.08.2023
Prabal Narain Muttoo aged about 21 years S/o Late P.N. Muttoo, 9, Ashok Avenue, Sapru Marg, Lucknow.
..................Complainants.
Versus
1. Sony India Pvt. Ltd, through its Managing Director, A-31, Mohan Co-Operatgive Industrial Estate, Mathura Road, New Delhi-110044.
2. Adityha Infosolutions, through its Partner/Proprietor B-11, Tilak Marg, Dalibagh, Near Ganna Sansthan Lucknow-226001.
3. Sony India Pvt. Ltd, Lucknow through its Branch Head 4th Floor, Eldeco Corporate Chambers, Gomti Nagar, Lucknow.
................Respondents.
परिवादी के अधिवक्ता का नाम:-श्री धीरेन्द्र कुमार यादव।
विपक्षी के अधिवक्ता का नाम:-श्री संजीव सिंह ।
आदेश द्वारा-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
निर्णय
1. परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम1986 की धारा 11/12 के तहत 5,00,000.00 रूपये मानसिक एवं शारीरिक कष्ट हेतु तथा 39,190.00 रूपये मय 18 प्रतिशत ब्याज एवं 25,000.00 रूपये वाद व्यय के रूप में दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया गया है।
2. संक्षेप में परिवाद के कथानक इस प्रकार है कि परिवादी ने एक लैपटाप सोनी सेन्टर, 27- एमजी मार्ग लखनऊ से क्रय किया था जिसका मॉडल नम्बर एस.वी.एफ. 15213एसएन/बी मुबलिग 39,190.00 रूपये में दिनॉंक 11.07.2013 को क्रय किया था। परिवादी के उक्त लैपटाप क्रय किये जाने के संबंध में विपक्षी संख्या 03 द्वारा यह अवगत कराया गया कि क्रय किये गये मॉडल में दुर्घटना की क्षतिपूर्ति के साथ ही पानी से भी संभावित क्षति सम्मिलित है, बताया गया। परिवादी एक विद्यार्थी है तथा वह क्लैट की तैयारी भी कर रहा है, जिस कारण एक अच्छे लैपटॉप की उसे आवश्यकता थी तो उसने सोनी कम्पनी का लैपटाप क्रय किया।
3 दिनॉंक 31.12.2013 को लैपटाप में खराबी आ जाने के कारण लैपटाप बनाये जाने हेतु विपक्षी संख्या 02 को दिया गया तो यह बताया गया कि रिपेयर और पार्ट्स परिवर्तिैत करके लैपटाप दे दिया जायेगा। उक्त लैपटाप बनने के बाद परिवादी जब उसे घर लाया तो देखा कि उसकी स्क्रीन में भी खराबी आ गयी थी। परिवादी पुन: लैपटाप लेकर विपक्षी संख्या 02 के यहॉं गया तथा बिना जॉबशीट अथवा रसीद प्राप्त किये लैपटाप विपक्षी को दिया गया। विपक्षी संख्या 02 द्वारा दिए गये उक्त लैपटाप में मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट (निर्माण संबंधी दोष) त्रुटि थी तथा बैकस्क्रू लैपटाप काम नहीं कर रहा था तथा लैपटाप खराब चल रहा था। परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या 01 की बेबसाइट पर पूरी बात लिखकर भेजी गयी परन्तु विपक्षी संख्या 01 व 02 द्वारा कोई महत्व नहीं दिया गया। परिवादी ने दिनॉंक 20.04.2014 को विधिक नोटिस भेजा गया। 23 मई 2014 को पुन: लैपटॉप एवं चार्जज बनने हेतु दिया गया। विपक्षी संख्या 02 द्वारा पासवर्ड लैपटाप का मागा गया। 04 जून 2014 को श्री अभय द्वारा विधिक नोटिस भेजे जाने के संबंध में बताया गया तथा परिवादी द्वारा यह बताया गया कि वह लैपटाप को पूर्ण रूप से बदलना चाहता है।
4. 10 जून 2014 को विपक्षी द्वारा यह बताया गया कि लैपटाप बदला नहीं जायेगा तो परिवादी को पूरा विश्वास हो गया कि इनकी सेवा में अत्यन्त ही कमी है।
5. विपक्षी द्वारा उत्तर पत्र प्रस्तुत करते हुए यह कहा गया कि परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद मनगढ़न्त तथ्यों के आधार पर दाखिल किया गया है तथा यह स्वीकार किया गया कि लैपटाप उनके यहॉं से क्रय किया गया था। विपक्षी संख्या 01 कम्पनी है और विपक्षी संख्या 02 व 03 आर्थराइज्ड सर्विस सेन्टर है। उक्त लैपटॉप पर एक वर्ष की वारन्टी थी जिसमें उसकी वारन्टी केवल लैपटाप से संबंधित थी न कि उसके भौतिक स्वरूप के टूट जाने से जो कि परिवादी द्वारा अपेक्षा करते हुए की गयी है और वह सेवा में कमी के रूप में नहीं आता है। अगर कोई लैपटाप असावधानी से तोड़ देता है तो वह वारन्टी नहीं समझी जाती है। लैपटाप में कोई निर्माण संबंधी त्रुटि नहीं थी।
6. जॉबशीट जो विपक्षी संख्या 02 द्वारा निर्गत की गयी थी दिनॉंक 31.12.2013 की थी जिसमें यह स्वीकार किया गया है कि तरल पदार्थ के अन्दर जाने से खराबी आयी है जो कि एक मैकेनिकल डिफेक्ट है, तथा परिवादी द्वारा अभी तक उसके सर्विस सेन्टर पर इस आशय से नहीं आया है कि स्क्रू ढीला हो गया है। अगर परिवादी बनवाने आता तो उसे निश्चित ही जॉबशीट दी जाती। दिनॉंक 23.05.2014 को विपक्षी संख्या 02 द्वारा जाबशीट के तहत यह तथ्य संज्ञान में आया कि लैपटाप भौतिक रूप से टूट गया है जिससे कि उसका कीबोर्ड काम नहीं कर रहा है जिसकी फोटो भी संलग्न की गयी है और बाहरी उपेक्षा से लैपटाप खराब हुआ था तो उसकी कोई भी वारन्टी लैपटॉप के संबंध में शून्य हो जाती है और उसको बनवाने में उसको पैसा देना पड़ा।
7. वारन्टी किसी दुर्घटना के होने पर कवर नहीं करती है तथा अनाधिकृत रूप से उसे एडजेस्ट करने पर भी नहीं लागू होती है। आग लगने, पानी गिर जाने आदि कोई भी बाहरी त्रुटि जो कि कम्पनी के कंट्रोल से बाहर है देय नहीं है।
8. परिवादी द्वारा परिवाद के कथनों के समर्थन में मौखिक साक्ष्य के रूप में शपथ पत्र तथा दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में अथारिटी लेटर, लैपटाप की फोटो, स्टैन्डर्ड वारन्टी, आदि दाखिल किया है। विपक्षी की ओर से शपथ पत्र तथा दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में जॉबशीट की प्रति व अन्य अभिलेख दाखिल किये गये हैं।
9. मैने उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्ता के तर्को को सुना तथा पत्रावली का परिशीलन किया।
10. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अर्न्तगत दो तथ्यों को परिवादी को साबित करना है। एक परिवादी का उपभोक्ता होना एवं विपक्षी द्वारा परिवादी की सेवा में कमी किया जाना।
11. विदित है कि परिवादी द्वारा दिनॉंक 11.07.2013 को क्रय किये गये लैपटाप में हुई खराबी के दौरान रिपेयर करने हेतु आर्थराइज्ड सर्विस सेन्टर पर दिया गया जिसमें जॉबकार्ड दाखिल किया गया है। जाबकार्ड के तहत लैपटाप बना दिया गया और परिवादी उसे लेकर वापस आया। परिवादी द्वारा यह भी कहा गया कि उसका स्क्रू ढीला हो गया और लैपटाप काम नहीं कर रहा था तो उसमें कीबोर्ड भी ठीक से काम नहीं कर रहा था तथा लैपटाप खराब चल रहा था तथा परिवादी द्वारा यह भी कहा गया कि उसको विपक्षी के पास ले गया तो उसने उसे ठीक कर दिया, बिना किसी जाबकार्ड के।
12. विपक्षी द्वारा अपनी आपत्ति करते हुए यह कहा गया कि दिनॉंक 31.12.2013 को परिवादी द्वारा लैपटाप की खराबी के संबंध में रिटेलर के पास संपर्क किया था और रिटेलर द्वारा जाबकार्ड जारी किया गया और जाबकार्ड जारी करने के बाद उसकी मरम्मत की गयी और मरम्मत के बाद इंजीनियर द्वारा ठीक किये जाने के बाद यह पता चला कि उसमें कोई तरल पदार्थ गिर गया था जिसके कारण कीबोर्ड ठीक से काम नहीं कर रहा था तथा प्रश्नगत लैपटॉप परिवादी की लापरवाही से खराब हुआ था। इस संदर्भ में उसका फोटो संलग्न किया गया है। परिवादी द्वारा यह कहा गया कि वह वहॉं गया था और वह उसके सी0सी0टी0वी0 कैमरे में देखा जा सकता है।
13. चॅूंकि यह परिवाद पत्र में परिवादी को साबित करना है तो परिवादी का कर्तव्य था कि न्यायालय से आग्रह करता सी0सी0टी0वी0 फुटेज मांगता जिससे यह बात स्पष्ट रूप से न्यायालय के समक्ष परिलक्षित होती कि क्या वास्तव में यह बदलने के लिये नही गया और जब भी कोई क्रय की गयी सामग्री रिपेयर के लिये दी जाती है तो उसका जाबकार्ड भी बनाने वाला देता है, परन्तु उसके संबंध में कोई भी जाबकार्ड न लेकर यह आंशिक रूप से यह इंगित करता है कि सत्य तथ्यों का उल्लेख परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र में नहीं किया गया है और न ही उसके सी0सी0टी0वी0 फुटेज दिलाने का प्रयास किया। यहॉं एक विधिक राय सहित परिवाद पत्र में इस तथ्य का उल्लेख किया जाना संभव प्रतीत होता है। परिवादी द्वारा एक बार विपक्षी के यहॉं जाबकार्ड के अनुसार जब वह गया तो विपक्षी द्वारा उसके द्वारा जाबकार्ड जारी किया गया, जिसमें यह कहा गया है कि तरल पदार्थ जिसके कारण यह खराब हो गया है किसी भी इलेक्ट्रानिक्स उपकरण में अगर तरल पदार्थ जाता है तो निश्चित ही खराब हो जाता।
14. परिवादी द्वारा स्पष्ट रूप से परिवाद पत्र में यह उल्लिखित किया गया है कि मैनुफैक्चरिंग डिफेक्ट संबंधित लैपटाप में था तो उसे बदलना ही न्यायोचित है अथवा अगर बदलने में दिक्कत है क्रय की गयी धनराशि के बराबर धसनराशि 39,190.00 रूपये वापस कराया जाना न्यायसंगत प्रतीत होता है और यही अनुतोष परिवादी द्वारा चाहा गया है।
15. मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट के संबंध में —C.N. Anantharam Vs Fiat India Ltd. and Ors. में यह अवधारणा की गयी है कि जब तक मेजर इनडारेक्ट मैन्यूफैक्चरिंग डिफेक्ट नहीं होता है तब तक मैन्यूफैक्चरिंग कम्पनी अथवा उसका एजेन्ट बदलने के लिये बाध्य नहीं है।
Skoda auto India Ltd. Vs Bhawesh Nanda II (2016) C.P.J. 217 (NC) में राष्ट्रीय आयोग द्वारा यह अवधारित किया गया था कि जब तक मैकेनिकल और टेक्निकल डिफेक्ट नहीं है, तब तक उपभोक्ता को भुगतान नहीं किया जा सकता।
Chandeshwar Kumar Vs Tata Engineering Loco Motive I (2007) CPJ 2 (NC) में भी यह कहा गया है कि मैकेनिकल एवं टेक्निकल डिफेक्ट हो वहॉं पर एक्सपर्ट की ओपिनियन होनी चाहिए।
अर्थात उपरोक्त विधि व्यवस्था का सार यह है कि जब तक तकनीकी परीक्षण में किसी विशेषज्ञ की राय नहीं आये तब तक इस पर भुगतान नहीं किया जा सकता है।
अत: जब तक टेक्निकल एवं मैकेनिकल डिफेक्ट के बारे में एक्सपर्ट ओपिनियन नहीं आती है, तब तक टेक्निकल एवं मैकेनिकल डिफेक्ट की श्रेणी में नहीं माना जा सकता और तब तक पैसा वापस करने का आदेश पारित नहीं किया जा सकता।
16. परिवादी द्वारा कोई भी एक्सपर्ट की राय पत्रावली पर नहीं मंगायी गयी है और न ही कोई राय प्रस्तुत प्रकरण में है जिससे यह स्पष्ट हो सके कि कोई तकनीकी और मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट था। मात्र शंका के आधार पर तकनीकी खराबी है इस आधार पर किसी भी क्रय की गयी सामग्री को बदला और वापस नहीं किया जा सकता। जैसा कि अनुतोष में चाहा गया है। विपक्षी द्वारा यह कहा गया कि जो भी वारन्टी दी जाती है उसमें अगर खराबी से छेड़छेड़ की जाती है तो वारनन्टी शून्य हो जाती है और वारन्टी में अगर कोई पार्ट्स रिपेयर किया जाता है तो उसकी एक कास्ट इस्टीमेट बतायी जाती है और बनने के बाद उसे पूरा किया जाता है अर्थात अगर कोई पार्ट्स रिपेयर किया जाता है तो वह वारन्टी की श्रेणी में नहीं आता है। जाबकार्ड के परिशीलन से विदित है कि उसमें दृव्य होने का तस्करा किया गया है। दृव्य जहॉं होगा वह खराब होगा अर्थात यह लैपटॉप खराबी से हुआ है और चाहे परिवादी के स्वयं के हाथों से पानी गिरना या चॅूंकि गिरने के कारण होना पाया जाता है जो कि एक परिवादी की उपेक्षा समझी जायेगी और जब परिवादी की उपेक्षा रहेगी तो वैसे प्रकरणों में परिवादी को क्षतिपूर्ति दिलाया जाना न्यायसंगत नहीं है।
17. परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह उल्लेख किया है कि परिवादी की इच्छा है कि लैपटाप को बदला दिया जाए या उसकी कीमत वापस दिलायी जाए तो इच्छा से न्यायालय काम नहीं करता है।
18. विपक्षी द्वारा Shiv Prasad Paper Industries Vs. Senior Machinery Company I (2006) CPJ 92 का सन्दर्भ दाखिल किया गया है। मैने मा0 न्यायालय द्वारा पारित आदेश का ससम्मानपूर्वक अवलोकन किया जिसमें मा0 न्यायालय द्वारा यह कहा गया कि कोई भी इक्यूपमेंट रिप्लेस करने के संबंध में नहीं कहा जा सकता है, बल्कि उसे रिपेयर करने के लिये कहा जा सकता है। विपक्षी द्वारा Suresh Kumar, son of Sadhu Ram Resident Vs. Indian Farmers Fertilizers Co-Ltd. Manu CF 0060 2012, का संदर्भ दाखिल किया गया है, जिसमें माननीय न्यायालय द्वारा यह आदेश पारित किया गया है –“It is settled law that it is for the complainant to establish the loss, if any suffered by him on account of any defect in the goods supplied (or deficiency in any service availed of) by producing acceptable evidence, supported by documents. Mere claim of loss and/or compensation of a certain amount cannot be accepted at face value. Gurpreet Singh Vs. Karbonn Mobiles India Pvt. Ltd. & Anr में क्षतिपूर्ति के लिये कहा गया है। कोई भी क्षतिपूर्ति कल्पना के आधार पर नहीं दिलायी जा सकती। परिवादी यह साबित करने में असफल रहा है कि कोई मैन्यूफैक्चरिंग डिफेक्ट संबंधित लैपटाप में थी। अत: उसे बदलना या पैसा दिलाना न्यायसंगत नहीं है और विपक्षी द्वारा कोई भी सेवा में त्रुटि नहीं की गयी है। परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है।
पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रार्थना पत्र निस्तारित किये जाते हैं।
निर्णय/आदेश की प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाए।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
आज यह आदेश/निर्णय हस्ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ
दिनॉंक-17.08.2023