Uttar Pradesh

Muradabad-II

cc/184/2011

Shri Vikas Gautum - Complainant(s)

Versus

sony India Pvt. Ltd. - Opp.Party(s)

27 Apr 2015

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum -II
Moradabad
 
Complaint Case No. cc/184/2011
 
1. Shri Vikas Gautum
R/0 Ambedkar Colony Sonakpur Harthala Moradabad
...........Complainant(s)
Versus
1. sony India Pvt. Ltd.
Prem Color Lab Ptv. Ltd. Station Road Moradabad
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

                                                                                                            निर्णय

द्वारा- श्री पवन कुमार जैन’-अध्‍यक्ष।

  1.    इस परिवाद के माध्‍यम से परिवादी ने यह अनुतोष मॉंगा है कि विपक्षीगण से उसे डिजीटल वीडियो कैसिट रिकार्डर का मूल्‍य 15,990/- रूपया 12 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित वापिस दिलाया जाये। इसके अतिरिक्‍त आर्थिक और मानसिक क्षतिपूर्ति की मद में 10,000/- रूपया, अधिवक्‍ता शुल्‍क आदि की मद में 6,000/- रूपया की अतिरिक्‍त मॉंग परिवादी ने की है।
  2.   संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि दिनांक 04/3/2009 को विपक्षी सं0- 2 से परिवादी ने सोनी कम्‍पनी का एक डिजीटल वीडियो कैसेट रिकार्डर, जिसका विवरण परिवाद के पैरा सं0- 1 में  दिया गया है, 15,990/- रूपया में खरीदा था।

इस डिजीटल वीडियो कैसेट रिकार्डर जिसे संक्षेप में डीवीसीआर कहा गया है, की 3 साल की वारण्‍टी थी। एक वर्ष तक डीवीसीआर ने ठीक तरह से काम किया, किन्‍तु बाद में उसमें कैसेट अन्‍दर न जाने और बाहर न आने की शिकायत पैदा हो गई। विपक्षी सं0- 2 के कहने पर परिवादी इस डीवीसीआर को विपक्षी सं0-3 के पास ठीक कराने के लिए ले गया जहॉं उसका डीवीसीआर जमा कर लिया गया। कुछ दिन बाद यह कहकर कि इसे ठीक कर दिया गया है, विपक्षी सं0- 3 द्वारा डीवीसीआर परिवादी को वापिस कर दिया गया। वापिस प्राप्‍त करने पर परिवादी ने पाया कि डीवीसीआर ठीक नहीं हुआ है, कई बार परिवादी इसे ठीक कराने के लिए विपक्षी सं0- 3 के पास ले गया, किन्‍तु विपक्षी सं0- 3 इसे ठीक नहीं कर पाया। दिनांक 31/7/2011 को विपक्षी सं0-3 के पास परिवादी ने इसे जमा कर दिया और जॉब कार्ड प्राप्‍त किया। बार-बार आश्‍वासन के बावजूद भी विपक्षी सं0-3 ने डीवीसीआर ठीक करके परिवादी को उपलब्‍ध नहीं कराया। अन्‍तत: दिनांक 20/9/2011 को परिवादी ने विपक्षीगण को कानूनी नोटिस भेजा जिसका उन्‍होंने परिवादी को कोई जबाब नहीं दिया। परिवादी का आरोप है कि विपक्षीगण ने परिवादी को सेवा प्रदान करने में कमी की है। परिवादी ने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष विपक्षीगण से दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।

3-   परिवाद के साथ परिवादी ने डीवीसीआर खरीदने की रसीद, वारण्‍टी कार्ड, जॉब सीट, विपक्षीगण को भेजे गऐ कानूनी नोटिस और नोटिस को भेजने की रसीद  की फोटो प्रतियॉं दाखिल की, यह प्रपत्र कागज सं0- 3/7 लगायत 3/11 हैं।

4- विपक्षी सं0-1 की और से संलग्‍नकों सहित शपथपत्र से समर्थित प्रतिवादपत्र दाखिल किया गया जो पत्रावली का कागज सं0- 13/1 लगायत 13/12 है। प्रतिवादपत्र में विपक्षी सं0-2 को  अपना अधिकृत विक्रेता तथा विपक्षी सं0- 3 को अपना सर्विस सेन्‍टर होना, परिवादी द्वारा दिनांक 04/3/2009 को विपक्षी सं0- 2 से सोनी कम्‍पनी का डीवीसीआर खरीदा जाना और इस डीवीसीआर का वारण्‍टी कार्ड में उल्लिखित शर्तों एवं प्रतिबन्‍धों के अधीन 3 वर्ष की वारण्‍टी होना तो स्‍वीकार किया है, किन्‍तु परिवाद के शेष कथनों से इन्‍कार किया गया। विपक्षी सं0-1 ने अग्रेत्‍तर कथन किया कि परिवादी को बेचे गये डीवीसीआर में निर्माण सम्‍बन्‍धी कोई दोष नहीं था बल्कि वास्‍तविकता यह है कि जब- जब परिवादी इस डीवीसीआर को ठीक कराने के लिए विपक्षी सं0- 3 के पास आया तो डीवीसीआर को ठीक करके परिवादी को उपलब्‍ध कराया गया। जब अभिकथित रूप से परिवादी ने डीवीसीआर अधिकृत सर्विस सेन्‍टर विपक्षी सं0-3 के पास जमा किया तो कम्‍पनी द्वारा चेक करने पर यह पाया गया कि डीवीसीआर डेमैज्‍ड है जिस कारण उसे वारण्‍टी के अधीन ठीक नहीं किया जा सकता था ऐसी मामलों में उपकरण को ग्राहक के खर्चे पर ठीक किया जा सकता था। परिवादी को डीवीसीाआर ठीक करने के खर्चे का व्‍यौरा उपलब्‍ध कराया गया जिसे परिवादी ने स्‍वीकार नहीं किया उसने मॉंग की कि उसका डीवीसीआर मुफत में ठीक किया जाऐ जो वारण्‍टी की शर्तो के अनुसार सम्‍भव नहीं था। विपक्षी सं0-1 की ओर से अग्रेत्‍तर कथन किया गया कि डीवीसीआर में निर्माण सम्‍बन्‍धी कोई दोष नहीं था, परिवादी को सेवायें देने में किसी प्रकार की कमी नहीं की गई तथा परिवाद आधारहीन एवं असत्‍य कथनों पर आधारित है। विपक्षी सं0-1 ने उक्‍त कथनों के आधार पर परिवाद को खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की।

5-  विपक्षी सं0- 2 की ओर से यद्पि पत्रावली में वकालतनामा दाखिल हुआ और उनके अधिवक्‍ता ने कई बार प्रार्थना पत्र प्रस्‍तुत कर प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत करने हेतु समय की याचना की, किन्‍तु विपक्षी सं0-2 की और से प्रतिवाद पत्र दाखिल नहीं किया गया। दिनांक 2 जनवरी,2013 के आदेश से परिवाद की सुनवाई विपक्षी सं0- 2 के विरूद्ध एकपक्षीय की गई।

6-  विपक्षी सं0- 3 पर नोटिस की तामीला पर्याप्‍त हुई किन्‍तु उसकी और से कोई उपस्थित नहीं हुऐ, अत: दिनांक 01/11/2012 के आदेश से विपक्षी सं0-3 के विरूद्ध परिवाद की सुनवाई एकपक्षीय किऐ जाने के आदेश हुऐ। उपरोक्‍तानुसार विपक्षी सं0-2 व 3 के विरूद्ध परिवाद एकपक्षीय सुना गया।

7-   साक्ष्‍य में परिवादी ने अपना साक्ष्‍य शपथपत्र कागज सं0- 17/1 लगायत 17/9 प्रस्‍तुत किया जिसके साथ संलग्‍नक के रूप में डीवीसीआर खरीदने की रसीद, वारण्‍टी कार्ड, जॉब सीट, विपक्षीगण को भेजे गऐ नोटिस एवं उन्‍हें भेजने की रसीदें तथा डीवीसीआर ठीक करने हेतु विपक्षी सं0-3 की और से उपलब्‍ध कराऐ गऐ एस्‍टीमेट की नकल को दाखिल किया गया, यह अभिलेख पत्रावली के कागज सं0- 17/10 लगायत 17/15 हैं। सूची कागज सं0- 17/16 द्वारा डीवीसीआर खरीदने की असल रसीद, असल वारण्‍टी कार्ड, असल जॉब सीट और असल एस्‍टीमेट भी दाखिल किऐ गऐ जो पत्रावली के कागज सं0- 17/17 लगायत 17/20 हैं। उक्‍त के अतिरिक्‍त विधिक नोटिस विपक्षीगण को भेजने की रजिस्‍ट्री की रसीदात कागज सं0- 17/22 भी परिवादी ने दाखिल कीं। परिवादी ने कागज सं0- 21/1 द्वारा विपक्षीगण को भेजे गऐ कानूनी नोटिस की कार्बन प्रति भी पत्रावली में उपलब्‍ध करायी जो कागज सं0- 21/2 है।

8-  विपक्षी सं0- 1 की और से उसके अधिकृत प्रतिनिधि मीना बोस ने साक्ष्‍य शपथपत्र कागज सं0- 18/1 लगायत 18/6 दाखिल किया।  

9-  हमने परिवादी तथा विपक्षी सं0-1 के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया। विपक्षी सं0-2 व 3 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुऐ।

10-  इस बिन्‍दु पर कोई विवाद नहीं है कि विपक्षी सं0-2 सोनी कम्‍पनी के इलैक्‍ट्रोनिक्‍स आइटम्‍स का डीलर व विपक्षी सं0-3 सोनी कम्‍पनी का अधिकृत सर्विस सेन्‍टर है। परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि दिनांक 04/3/2009 विपक्षी सं0-2 से खरीदे गऐ डिजिटल वीडियो कैसेट रिकार्डर (जिसे इस निर्णय में आगे सुविधा की दृष्टि से डी0वी0सी0आर0 सम्‍बोधित किया गया है पर तीन साल की वारण्‍टी थी। इस डी0बी0सी0आर0 ने एक साल तक तो ठीक काम किया किन्‍तु बाद में इसमें शिकायत आने लगीं। विपक्षी सं-2 के कहने पर इसे ठीक करने के लिए विपक्षी सं0-3 के पास ले जाया गया किन्‍तु यह ठीक नहीं हुआ। दिनांक 31/7/2011 को विपक्षी सं0-3 ने डी0वी0सी0आर0 ठीक करने के लिए जमा कर लिया। कई बार जाने के बावजूद न तो डी0वी0सी0आर0 परिवादी को उसने वापिस किया और  नहीं उसे ठीक किया गया। परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता के अनुसार कानूनी नोटिस भेजने के बावजूद विपक्षीगण सुना नहीं हो रहे हैं। परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।

11-  विपक्षी सं0-1 के विद्वान अधिवक्‍ता ने प्रत्‍युत्‍तर में कहा कि जब भी डी0वी0सी0आर0 को ठीक कराने के लिए परिवादी विपक्षी सं0-3 के पास लाया उसे ठीक कर दिया गया। दिनांक 05/8/2011 को जब डी0वी0सी0आर0 विपक्षी सं0-1 के पास विपक्षी सं0-3 के माध्‍यम से ठीक होने आया तो पाया गया कि यह फिजिकली डेमेज्‍ड है। वारण्‍टी की शर्त सं0-8 के अनुसार फिजिकली डेमेज्‍ड होने पर डी0वी0सी0आर0 वारण्‍टी में कवर नहीं था अत: इसे ठीक करने के लिए परिवादी को एस्‍टीमेट उपलब्‍ध कराया गया, किन्‍तु परिवादी ठीक करने का पैसा देने को तैयार नहीं हुआ। विपक्षी सं0-1 के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि विपक्षीगण ने सेवा प्रदान करने में कोई कमी नहीं की।  परिवादी ने डी0वी0सी0आर0 दिनांक 04/3/2009 को खरीदा था। जॉब कार्ड कागज सं0-17/19 के अनुसार ठीक करने के लिए इसे परिवादी ने विपक्षी सं0-3 के पास दिनांक 31/7/2011 को जमा किया था। विपक्षी सं0-3 ने इसे विपक्षीसं0-1 के पास दिनांक 05/8/2011 को भेजा है जैसा कि विपक्षी सं0-1 के साक्ष्‍य शपथपत्र के पैरा सं0-8 में उल्‍लेख है। विपक्षी सं0-1 ने अपने साक्ष्‍य शपथपत्र के पैरा सं0-7 में यह कहा है कि जॉंच करने डी0वी0सी0आर0 फिजिकली डेमेज्‍ड पाया गया अत: और वारण्‍टी की शर्त सं0-8 के अनुसार डी0वी0सी0आर0 वारण्‍टी से कवर नहीं था। इस तथ्‍य को सिद्ध करने का भार विपक्षीगण पर था कि डी0वी0सी0आर जब दिनांक 31/7/2011 को विपक्षी सं0-3 के पास जमा किया गया तब वह फिजिकली डेमेज्‍ड था किन्‍तु विपक्षीगण इस तथ्‍य को सिद्ध नहीं कर पाऐ। जॉब कार्ड कागज सं0-17/19 में यह उल्‍लेख नहीं है कि डी0वी0सी0आर0 फिजिकली डेमेज्‍ड है। विपक्षी सं0-3 तामीला के बाबजूद फोरम के समक्ष उपस्थित होकर परिवाद कथनों का प्रतिवाद करने का साहस नहीं कर पाऐ। विपक्षी सं0-3 ने डी0वी0सी0आर0 को 5 दिन बाद अर्थात् दिनांक 05/8/2011 को दिल्‍ली विपक्षी सं0-1 के पास भेजा जैसा कि विपक्षी के शपथपत्र कागज सं0-18 के पैरा सं0-8 में स्‍वीकार किया गया है। कहने का आशय यह है कि परिवादी द्वारा डी0वी0सी0आर0 विपक्षी सं0-3 के पास जमा करने के 5 दिन तक विपक्षी सं0-3 के ही पास रहा। इस सम्‍भवना से इन्‍कार नहीं किया जा सकता कि यह डी0वी0सी0आर0 विपक्षी सं03 के यहॉं फिजिकली डेमेज्‍ड हुआ हो। यह सम्‍भवना इस कारण बलवती है कि किसी प्रकार के फिजिकल डमेज् का जॉंब कार्ड दिनांक 31/7/2011 में कोई उल्‍लेख नहीं है। अत: यह माने जाने का कारण है कि ठीक करने के लिए दिनांक 31/7/2011 को जब परिवादी ने डी0वी0सी0आर0 विपक्षी सं0-3 के पास जमा किया था तब वह फिजिकली डेमेज्‍ड नहीं था।

13-  परिवादी ने अपने परिवाद के पैरा सं0-3 में यह कथन किया है कि खरीदने के एक वर्ष बाद तक डी0वी0सी0आर0 ने ठीक प्रकार काम किया था।  अत: यह माने जाने का कारण है कि डी0वी0सी0आर0 में निर्माण सम्‍बन्‍धी कोई दोष नहीं था। विपक्षी सं0-2 डी0वी0सी0आर0 का विक्रेता है। विपक्षी सं0-1 एवं 2 का कोई दोष अथवा उनके द्वारा सेवा में किसी प्रकार की कमी किया जाना दिखाई नहीं देता। चॅूंकि हमने पाया है कि दिनांक 31/7/2011 को जब डी0वी0सी0आर0 ठीक करने के लिए विपक्षी सं0-3 के पास जमा किया गया था तब वह फिजिकली डेमेज्‍ड नहीं था और वारण्‍टी पीरिऐड में था तब अधिकृत सर्विस सेन्‍टर होने के नाते इसे ठीक करने की जिम्‍मेदारी विपक्षी सं0-3 की थी जिसका निर्वहन न करके विपक्षी सं0-3 ने सेवा में कमी की है। 2000 (1) सी0पी0आर0 पृष्‍ठ-124, डायनेवाक्‍स इलेक्‍ट्रोनिक्‍स लिमिटेड, लखनऊ बनाम राजीव गुप्‍ता राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ, 2006 (1), सी0पी0आर0 पृष्‍ठ-56, एल0जी0 इलेक्‍ट्रोनिक्‍स इण्डिया (प्रा0) लिमिटेड बनाम जगरूत नागरिक आदि, राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, गुजरात तथा 2006 (3) सी0पी0आर0 पृष्‍ठ- 306, मैसर्स हिन्‍दुस्‍तान इलेक्‍ट्रोनिक्‍स बनाम कुनाल कान्ति साह, राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उड़ीसा की निर्णयज विधियों का अवलम्‍ब लेकर परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने कथन किया कि विपक्षीगण से उसे बदल कर नया डी0वी0सी0आर0 दिलाया जाऐ। यह निर्णयज विधियॉं परिवादी पक्ष के उक्‍त कथन में उसकी सहायता नहीं करतीं क्‍योंकि इन तीनों ही निर्णयज विधियों में तथ्‍य यह थे कि खरीदा का सामान शुरू से ही डिफेक्‍टिव था जबकि वर्तमान मामले में ऐसा नहीं है। स्‍वयं परिवादी के अनुसार डी0वी0सी0आर0 ने एक साल तक ठीक काम किया था।

14-  पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य, तथ्‍यों एवं परिस्थितियों के आंकलन एवं उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर हम इस निष्‍कर्ष पर पहुँचे हैं कि विपक्षी सं0-3 को आदेशित किया जाये कि वह परिवादी का डी0वी0सी0आर0 अपने खर्चे पर विपक्षी सं0-1 से ठीक कराकर आज की तिथि से एक माह के भीतर परिवादी को वापिस करे। परिवादी को क्षतिपूर्ति के रूप में विपक्षी सं0-3 से 2000/- रूपया (दो हजार) तथा परिवाद व्‍यय के रूप में 2,500/- रूपया (दो हजार पॉच सौ) अतिरिक्‍त दिलाया जाना भी हम न्‍यायोचित समझते हैं। परिवाद तदानुसार स्‍वीकार किऐ जाने योग्‍य है।

 

 

  विपक्षी सं0-3 को आदेशित किया जाता है कि वह आज की तिथि से एक माह के भीतर परिवादी का डी0वी0सी0आर0 अपने खर्चे पर विपक्षी सं0-1 से ठीक कराकर परिवादी को उपलब्‍ध कराऐ। इसके अतिरिक्‍त विपक्षी सं0-3 परिवादी को क्षतिपूर्ति में 2000/-रूपये (दो हजार) और परिवाद व्‍यय के रूप में 2,500/-रूपया ( दो हजार पॉंच सौ) अदा करेगा।

 

  

 

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