राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या:-273/2012
(सुरक्षित)
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, प्रथम लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या 631/2011 में पारित आदेश दिनॉंक 11.01.2012 के विरूद्ध)
1. मै0 हीरो होण्डा मोटर्स लि0 34, कम्युनिटी सेन्टर, वसन्त लोक, वसन्त विहार, नई दिल्ली।
2. मै0 सुनीलऑटो सर्विस, 12 ए, स्टेशन रोड, लखनऊ।
............अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
सोमेन्द्र नाथ एच 316, इन्द्रलोक कालोनी, कृष्णा नगर, कानपुर रोड, लखनऊ। ............प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष
1. माननीय श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
2. माननीय श्री संजय कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री आर0एन0 सिंह विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी स्वयं श्री सोमेन्द्र नाथ।
दिनॉंक 02.05.2017
माननीय श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील परिवाद संख्या 631/2011 में जिला मंच लखनऊ, प्रथम द्वारा पारित निर्णय आदेश दिनॉंक 11.01.2012 में योजित की गयी है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी परिवादी के कथनानुसार उसने दिनॉंक 29.11.2010 को अपीलार्थी संख्या 2 से एक हीरो होण्डा मोटर साइकिल संख्या यू0पी0 32 डी0एम0 3980 क्रय की थी, जिसमें प्रारम्भ से ही ऑयल लीकेज की समस्या थी, तथा एवरेज 40-42 किमी0 प्रति लीटर था। जिसे ठीक करने हेतु उसने टोकन संख्या डब्लू 27 द्वारा दिनॉंक 31.05.2011 एवं टोकन संख्या डब्लू 09.06.2011 से शिकायत की एवं दिनॉंक 08.02.2011 तथा 02.05.2011 को वाहन की सर्विस करायी, लेकिन समस्या दूर नहीं हुई। अत: परिवाद जिला मंच के समक्ष योजित किया गया। अपीलार्थी की ओर से जिला मंच के समक्ष कोई उपस्थित नहीं हुआ, अत: एकपक्षीय कार्यवाही अपीलार्थी के विरूद्ध की गयी। परिवादी द्वारा प्रस्तुत की गयी साक्ष्य के आलोक में विद्वान जिला मंच ने प्रश्नगत निर्णय द्वारा प्रत्यर्थी परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए अपीलार्थी को आदेशित किया कि वह आदेश प्राप्ति के 30 दिन के अन्दर परिवादी को बेची गयी हीरो होण्डा मोटर साइकिल संख्या यू0पी0 32 डी0एम0 3980 को वापस लेकर उसके समतुल्य नया वाहन वापस करे, अथवा वाहन की कीमत 46,300.00 रूपये ब्याज सहित परिवाद योजित किये जाने की तिथि 13.07.2011 से सम्पूर्ण अदायगी तक अदा करे। मानसिक क्लेष एवं शारीरिक कष्ट के रूप में 2000.00 रूपये तथा वाद व्यय के रूप में 1000.00 रूपये प्रत्यर्थी/परिवादी को अदा किया जाए। इस निर्णय से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी।
हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री आर0एन0 सिंह तथा प्रत्यर्थी श्री सोमेन्द्र नाथ को व्यक्तिगत रूप से सुना तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।
अपीलार्थी विद्वान अधिवक्ता की ओर से यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने प्रश्नगत वाहन में इंजन ऑयल लीक होने की समस्या बतायी है। यह समस्या एक सामान्य समस्या है जो वाहन संचालन में सामान्य समस्या है, तथा कोई गंभीर समस्या नहीं है। ऐसी समस्या का निराकरण नटबोल्ट कसने पर किया जा सकता है। विद्वान जिला मंच ने बिना किसी गंभीर समस्या के प्रश्नगत निर्णय द्वारा प्रश्नगत वाहन को बदलने अथवा उसकी कीमत वापस किये जाने हेतु आदेश पारित किया है, जबकि ऐसी कोई विशेषज्ञ आख्या प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत नहीं गयी और न ही जिला मंच द्वारा कोई विशेषज्ञ आख्या इस संदर्भ में प्राप्त की गयी, जिससे प्रश्नगत वाहन में निर्माण संबंधी कोई त्रुटि प्रमाणित हो। अपीलकर्ता की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि प्रश्नगत वाहन के संदर्भ में जारी की गयी वारन्टी में वाहन बदले जाने का कोई प्रावधान अंकित नहीं है। वाहन की मरम्मत अथवा दोषयुक्त पार्टस् के बदले जाने की व्यवस्था की गयी है। अपीलकर्ता की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि प्रश्नगत मामले में जिला मंच द्वारा अतिशीघ्रता करते हुए परिवाद निर्णीत किया गया। दिनॉंक 19.09.2011 को अपीलकर्ता के अधिवक्ता जिला मंच में लगभग 1.00 बजे अपरान्ह के बाद पेश हुए थे और गलती से उन्होंने 21.12.2011 के स्थान पर 25.01.2012 तिथि अंकित कर ली थी, तथा अपना वकालतनामा भी दाखिल नहीं कर पाये थे।
अपीलकर्ता के इस तर्क में कोई बल नहीं है कि परिवाद का निस्तारण शीघ्रता से क्यों कर दिया गया। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत उपभोक्ता मामले का निस्तारण शीघ्रता से वांछित है। अपीलकर्ता का यह कथन नहीं है कि परिवाद के संदर्भ में नोटिस अपीलकर्ता को जारी नहीं किया गया। स्वयं अपीलकर्ता की ओर से यह स्वीकार किया जा रहा है कि उसके अधिवक्ता समय से उपभोक्ता मंच में उपस्थित नहीं हो सके। अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता के इस तर्क में बल है कि बिना किसी विशेषज्ञ आख्या के प्रश्नगत वाहन को बदलकर दूसरा वाहन उपलब्ध कराने अथवा प्रश्नगत वाहन का विक्रय मूल्य वापस करने हेतु आदेशित किया गया। परिवादी के अभिकथनों से यह स्पष्ट है कि प्रश्नगत वाहन में मुख्य रूप से इंजन में लीकेज की समस्या बतायी गयी। प्रत्यर्थी/परिवादी ने जिला मंच के समक्ष प्रश्नगत वाहन में निर्माण संबंधी कोई कमी होने के संदर्भ में कोई विशेषज्ञ आख्या प्रस्तुत नहीं की और न ही जिला मंच द्वारा कोई विशेषज्ञ आख्या प्रश्नगत वाहन में निर्माण संबंधी कोई त्रुटि के संबंध में प्राप्त की। यह भी उल्लेखनीय है कि प्रश्नगत वाहन के संदर्भ में अपीलकर्ता द्वारा जारी की गयी वारन्टी में वाहन बदलकर नया वाहन दिये जाने का कोई प्रावधान वर्णित नहीं है। अत: प्रश्नगत निर्णय द्वारा वाहन बदलकर नया वाहन दिलाये जाने अथवा वाहन का विक्रय मूल्य परिवादी को प्राप्त कराये जाने के संदर्भ में पारित निर्णय हमारे विचार से त्रुटिपूर्ण है। किन्तु जहॉं तक प्रश्नगत वाहन के इंजन में ऑयल लीकेज की शिकायत का प्रश्न है स्वयं अपीलकर्ता द्वारा अपील के साथ संलग्न 3 के अवलोकन से यह विदित होता है कि शिकायत डब्लू 27 दिनॉंक 31.05.2011 द्वारा वाहन में ऑयल लीकेज की समस्या बतायी गयी तथा चैन में आवाज की समस्या भी बतायी गयी। संलग्नक 3ए एवं 3बी अपीलकर्ता ने प्रथम फ्री सर्विस के संदर्भ में एवं द्वितीय फ्री सर्विस के संदर्भ में जारी किये गये जॉबकार्ड के संदर्भ में जारी की गयी रसीदों की फोटोप्रति होना बताया। इन अभिलेखों के अवलोकन से भी यह विदित होता है कि इंजन ऑयल के संदर्भ में लगभग 200 रूपये की धनराशि अपीलकर्ता को अदा की गयी। स्वयं अपीलकर्ता द्वारा जारी किये गये संलग्नक 4-बी के अनुसार इंजन ऑयल तीसरी फ्री सर्विस में ही बदला जाना था। अपीलकर्ता की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि प्रत्यर्थी/परिवाद ने परिवाद योजित किये जाने के उपरान्त भी तृतीय फ्री सर्विस अपीलकर्ता स्वयं दिनॉंक 04.08.2011 को करवायी थी। इस संदर्भ में जारी किये गये जॉबकार्ड संलग्नक 3सी के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिसके अवलोकन से यह विदित होता है कि तृतीय फ्री सर्विस के समय भी प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा प्रश्नगत वाहन में इंजन ऑयल लीकेज की समस्या बतायी गयी थी। अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता की ओर से यह सूचित किया गया कि प्रश्नगत वाहन के संदर्भ में अपीलकर्ता द्वारा छ: फ्री सर्विस प्रदान की जाती हैं। अपील लंबन के दौरान चौथी, पॉंचवी, छठवीं फ्री सर्विस प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा करवायी गयी अथवा नहीं के संदर्भ में स्थिति स्पष्ट नहीं की गयी है। पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य से यह विदित होता है कि वाहन क्रय करने के उपरान्त वारन्टी अवधि के मध्य इंजन से आयल लिकेज की समस्या निरन्तर रही है और इस प्रयोजन हेतु प्रत्यर्थी/परिवादी अपीलकर्ता की यहॉं शिकायत करता रहा है। प्रथम व द्वितीय फ्री सर्विस में इंजन आयल के संदर्भ में लगभग 200, 200 रूपये की धनराशि भी अपीलकर्ता द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी से वसूल की गयी है। यदि इंजन लीकेज की समस्या वास्तव में दूर कर दी गयी होती तो स्वाभाविक रूप से प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा परिवाद योजित किये जाने की कोई आवश्यकता नहीं होती। अकारण कोई व्यक्ति बिना किसी समस्या के परिवाद योजित करने का विकल्प नहीं चुनता। मामले के तथ्यों व परिस्थितियों के आलोक में हमारे विचार से अपील आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है। अत: प्रश्नगत वाहन में यदि अभी तक इंजन ऑयल लीकेज की समस्या है, तब अपीलकर्ता को इंजन ऑयल लीकेज की समस्या का निराकरण करने हेतु निर्देशित किया जाना न्यायोचित होगा। मानसिक एवं शारीरिक उत्पीडन के संदर्भ में पारित आदेश एवं वाद व्यय के संदर्भ में पारित आदेश में हस्तक्षेप किये जाने का कोई औचित्य नहीं है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। प्रश्नगत निर्णय द्वारा प्रश्नगत वाहन को वापस लेने अथवा उसकी कीमत वापस किये जाने के संदर्भ में पारित आदेश अपास्त किया जाता है। अपीलकर्ता को निर्देशित किया जाता है कि निर्णय की तिथि से एक माह के अन्दर प्रत्यर्थी परिवादी द्वारा प्रश्नगत वाहन अपीलकर्ता के समक्ष प्रस्तुत किये जाने की स्थिति में यदि अभी तक इंजन ऑयल लीकेज की समस्या विद्यमान है तो अपीलकर्ता इस समस्या का निराकरण बिना कोई शुल्क प्राप्त किये, किया जाना सुनिश्चित करे। मानसिक एवं शारीरिक कष्ट के रूप में मुबलिग 2000.00 रूपये का भुगतान तथा वाद व्यय के रूप में मुबलिग 1000.00 के भुगतान के संदर्भ में पारित निर्णय/आदेश की पुष्टि की जाती है। निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार प्राप्त करायी जाए।
(उदय शंकर अवस्थी) (संजय कुमार)
पीठासीन सदस्य सदस्य
प्रदीप कुमार, आशु0 कोर्ट नं0 2