(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील सं0- 2953/2001
Central bank of India, Janpath branch, New Delhi through its Chief Manager.
………Appellant
Versus
1. M/s Somani iron & steels limited, A Company incorporated under the companies act, 1956 having its registered office at 51/27 Somani bhawan, Nayaganj Kanpur through its company Secretary-Pankaj misra.
2. Post master Eastern count. Post office New Delhi.
……….Respondents
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से : श्री सी0के0 सेठ,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0- 1 की ओर से : श्री ओ0पी0 दुवेल,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0- 2 की ओर से : डॉ0 उदयवीर सिंह के सहयोगी
श्री कृष्ण पाठक,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक:- 12.03.2021
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद सं0- 606/1996 सोमानी आइरन एण्ड स्टील्स लि0 बनाम सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया में पारित आदेश दि0 29.08.2001 के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 15 के अंतर्गत यह अपील प्रस्तुत की गई है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा परिवाद स्वीकार करते हुए अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 1 बैंक को निर्देशित किया है कि वर्ष 1995 से 12 प्रतिशत ब्याज के रूप में अंकन 1,95,137/-रू0 का भुगतान प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादी को तीस दिन के अन्दर किया जाए। वाद व्यय के रूप में अंकन 2,000/-रू0 अदा करने का भी आदेश दिया गया है।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि अपीलार्थी/परिवादी द्वारा दि0 15.06.1995, दि0 22.06.1995 को अंकन 1,50,000/-रू0 की दो चेक तार/दूरभाष/टेलीफोन द्वारा अपने खाते से यूको बैंक कानपुर के खाते में स्थानांतरित करने के लिए दी गई थी। यह राशि यूको बैंक के खाते में दि0 29.06.1995 एवं दि0 01.07.1995 को आ सकी, जिसके कारण क्रमश: 14/7 दिन का विलम्ब हुआ। अत: इस विलम्बित अवधि से लेकर वसूली की तिथि तक ब्याज राशि की मांग की गई। साथ ही क्षतिपूर्ति की भी मांग की गई।
3. अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 1 बैंक जिला उपभोक्ता आयोग, कानपुर नगर के समक्ष उपस्थित नहीं हुए। प्रत्यर्थी सं0- 2/विपक्षी सं0- 2 द्वारा लिखित कथन में उल्लेख किया गया है कि तार का वितरण कानपुर में हुआ है, इसलिए कानपुर के पोस्ट मास्टर को पक्षकार बनाया जाना चाहिए।
4. दोनों पक्षकारों के साक्ष्य पर विचार करने के उपरांत जिला उपभोक्ता आयोग ने निष्कर्ष दिया कि क्रमश: 14/7 दिन विलम्ब से चेक भेजने के कारण प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादी को अंकन 1,95,137/-रू0 ब्याज का भुगतान करना पड़ा और तदनुसार अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 1 बैंक द्वारा सेवा में कमी की गई है।
5. इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 1 बैंक ने उसी दिन जिस दिन तार के माध्यम से भुगतान करने का आदेश प्राप्त हुआ था भुगतान कर दिया गया। देरी से भुगतान प्राप्त होने के लिए डाक विभाग उत्तरदायी है न कि बैंक।
6. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री सी0के0 सेठ और प्रत्यर्थी सं0- 1 के विद्वान अधिवक्ता श्री ओ0पी0 दुवेल और प्रत्यर्थी सं0- 2 के विद्वान अधिवक्ता डॉ0 उदयवीर सिंह के सहयोगी श्री कृष्ण पाठक को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।
7. एनेक्जर सं0- 2 एवं 3 के अवलोकन से ज्ञात होता है कि दि0 15.06.1995 एवं दि0 22.06.1995 को चेक में वर्णित राशि यूको बैंक के लिए अंतरित कर दी गई है। प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादी द्वारा दि0 15.06.1995 को 2,00,00,000/-रू0 और दि0 22.06.1995 को 1,50,00,000/-रू0 टेलीग्राफ/टेलेक्स के माध्यम से यूको बैंक में ट्रांसफर के लिए अनुरोध किया गया था।
8. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 बैंक द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गई है। यदि कोई कमी की गई है तो वह प्रत्यर्थी सं0- 2/विपक्षी सं0- 2 द्वारा की गई है।
9. प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि प्रत्यर्थी सं0- 2/विपक्षी सं0- 2, बैंक के एजेंट हैं, इसलिए एजेंट द्वारा की गई कमी भी प्रिंसिपल यानि बैंक द्वारा की गई कमी मानी जायेगी। यह तर्क विधि से समर्थित है, चूँकि अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 1 बैंक को यह तथ्य स्वीकार है कि प्रत्यर्थी सं0- 2/विपक्षी सं0- 2 टेलेक्स के माध्यम से समय पर धनराशि यूको बैंक कानपुर में अंतरित नहीं की गई और चूँकि प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादी को देरी के कारण एक भारी धनराशि पर ब्याज अदा करने के लिए बाध्य होना पड़ा। अत: अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 1 बैंक के एजेंट द्वारा कारित देरी भी अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 1 बैंक की ओर से कारित देरी समझी जायेगी। अत: जिला उपभोक्ता आयोग के निर्णय/आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई विधि सम्मत आधार नहीं है। तदनुसार अपील खारिज होने योग्य है।
आदेश
10. अपील खारिज की जाती है।
11. अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
शेर सिंह, आशु0,
कोर्ट नं0- 2