( मौखिक )
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या : 425/2021
मेसर्स राज इण्डिया आटो प्राइवेट लिमिटेड
बनाम्
सोहराब सिद्धीकी पुत्र मुस्तफा
समक्ष :-
1-मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
दिनांक : 19-07-2024
मा0 न्यायमूर्ति श्रीअशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय
परिवाद संख्या-93/2015 में जिला आयोग, वाराणसी द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांकित 29-11-20218 के विरूद्ध प्रस्तुत अपील उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत इस न्यायालय के सम्मुख योजित की गयी है।
आक्षेपित निर्णय एवं आदेश के द्वारा विद्धान जिला आयोग द्वारा परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध स्वीकार करते हुए निम्नलिखित निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है :-
‘’प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को संयुक्त रूप से एवं पृथक-पृथक आदेश दिया जाता है कि वह इस आदेश की तिथि से अंदर 30 दिन परिवादी को मु0 1,72,000/- व पंजीकरण व फीटनेस हेतु परिवादी से लिया गया एडवांस मु0 50,000/- एवं मानसिक शारीरिक कष्ट की क्षतिपूर्ति के लिए मु0 10,000/- कुल धनराशि मु0 2,42,000/- तथा इस पर परिवाद दाखिला की तिथि से भुगतान की तिथि तक 9 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज अदा करे।‘’
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-2 के विद्धान अधिवक्ता श्री आलोक सिन्हा उपस्थित आए जब कि प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-2 के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद एकपक्षीय रूप से बिना विपक्षीगण को सुने स्वीकार किया गया है, जिस कारण
-2-
अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-2 जिला आयोग के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत नहीं कर सका अत: न्यायहित में उसे एक अवसर साक्ष्य एवं सुनवाई का प्रदान किया जावे।
मेरे द्वारा अपीलार्थी /विपक्षी संख्या-2 के विद्धान अधिवक्ता को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का सम्यक परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।
पत्रवावली के परिशीलनोपरान्त मैं इस मत का हूँ कि न्यायहित में अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-2 को अपना पक्ष प्रस्तुत करने हेतु एक अवसर प्रदान किया जाना उचित प्रतीत होता है। तदनुसार अपील स्वीकार की जाती है और विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांकित 29-11-2018 अपास्त किया जाता है तथा पत्रावली जिला आयोग को इस निर्देश
के साथ प्रत्यावर्तित की जाती है कि जिला आयोग उभयपक्ष को साक्ष्य एवं सुनवाई का समुचित अवसर प्रदान करते हुए परिवाद का निस्तारण गुणदोष के आधार पर एक वर्ष की अवधि में किया जाना सुनिचित करें।
पुन:स्थगन किसी भी दशा में स्वीकार नहीं किया जावेगा।
उभयपक्ष विद्धान जिला आयोग के समक्ष दिनांक 18-09-2024 को उपस्थित होंगे।
चूंकि प्रत्यर्थी की ओर से सुनवाई के समय कोई उपस्थित नहीं है अत: प्रत्यर्थी को नियत तिथि की सूचना नियमानुसार उपलब्ध करायी जावे।
अपील योजित करते समय अपीलार्थी द्वारा अपील में जमा धनराशि (यदि कोई हो) तो नियमानुसार अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को विधि अनुसार निस्तारण हेतु यथाशीघ्र प्रेषित की जावे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
प्रदीप मिश्रा, आशु0 कोर्ट नं0-1