Uttar Pradesh

StateCommission

A/2013/1856

Chandani Singh Nursing Home - Complainant(s)

Versus

Sohan Pal Singh - Opp.Party(s)

Alok Sinha

16 Oct 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2013/1856
( Date of Filing : 19 Aug 2013 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Chandani Singh Nursing Home
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Sohan Pal Singh
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 16 Oct 2024
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-1856/2013

चॉंदनी सिंह नर्सिंग होम प्रा0लि0 बनाम सोहन पाल सिंह पुत्र श्री प्रताप सिंह

समक्ष:-                                                              

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

दिनांक:  16.10.2024 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.        परिवाद संख्‍या-811/2009, सोहन पाल सिंह बनाम चॉंदनी हॉस्पिटल यूनिट आफ चॉंदनी नर्सिंग होम प्रा0लि0 तथा एक अन्‍य में विद्वान जिला आयोग, कानपुर नगर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 20.7.2013 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री आलोक सिन्‍हा तथा प्रत्‍यर्थी की विद्वान अधिवक्‍ता सुश्री रानी विजय लक्ष्‍मी सिंह को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया।

2.    विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्‍वीकार किया और विपक्षी सं0-2, डा0 सी.के. सिंह ने परिवादी की पत्‍नी श्रीमती सुशीला देवी का गालब्‍लाडर निकाले बिना गालब्‍लाडर से पथरी निकालने का तथ्‍य अंकित किया है, इसलिए अंकन 4,00,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति अदा करने का आदेश पारित किया है।

3.    परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी की पत्‍नी श्रीमती सुशीला देवी के पेट में दर्द होने के कारण दिनांक 17.9.2007 को विपक्षीगण के अस्‍पताल में दिखाया गया, जांच के पश्‍चात पाया गया कि गालब्‍लाडर में पथरी है। आपरेशन के लिए अंकन 20,000/-रू0 तथा दवाओं के लिए अंकन 5,000/-रू0 जमा कराए गए। रसीद केवल 14,120/-रू0 एवं 2,914/-रू0 की दी गई। बगैर किसी जांच के दिनांक 17.9.2007 को आपरेशन कर दिया गया तथा दिनांक 25.9.2007 को हॉस्पिटल से डिसचार्ज कर दिया गया और कहा गया कि गालब्‍लाडर  से  पथरी  निकाल दी गई है, परन्‍तु सुशीला देवी को कोई आराम

 

-2-

नहीं मिला, इसलिए डा0 आर.के. कटियार को दिनांक 1.10.2007 को दिखाया गया। डा0 कटियार द्वारा गालब्‍लाडर की मांग की गई, परन्‍तु विपक्षीगण ने गालब्‍लाडर उपलब्‍ध नहीं कराया, इसलिए डा0 कटियार द्वारा बालाजी सेन्‍टर में जांच कराई गई, जांच रिपोर्ट देखने के पश्‍चात यह पाया गया कि गालब्‍लाडर में अभी भी पथरी मौजूद है, पथरी को नहीं निकाला गया है। इस प्रकार बगैर आपरेशन किए हुए ही गालब्‍लाडर से पथरी निकालने का कथन किया गया और परिवादी से धन हड़प लिया गया। विपक्षीगण के लापरवाही से इलाज करने के कारण परिवादी की पत्‍नी की मृत्‍यु दिनांक 9.11.2007 को हो गई, जिससे क्षुब्‍ध होकर यह परिवाद प्रस्‍तुत किया गया। 

4.    विपक्षीगण का कथन है कि जांच रिपोर्ट में मरीज को कैन्‍सर होने का शक था, इसलिए गालब्‍लाडर का आपरेशन न कर FNAC कराई गई थी। आराम मिलने के पश्‍चात मरीज को अवमुक्‍त कर दिया गया था तथा डिसचार्ज करते समय सभी जांच रिपोर्ट उपलब्‍ध करा दी गई थी।

5.    विद्वान जिला आयोग के समक्ष केवल परिवादी द्वारा अपनी साक्ष्‍य प्रस्‍तुत की गई। विपक्षीगण की ओर से कोई साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं की गई। परिवादी की साक्ष्‍य का विश्‍लेषण करते हुए उपरोक्‍त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया।

6.    इस निर्णय/आदेश के विरूद्ध अपील इन आधारों पर प्रस्‍तुत की गई है कि विद्वान जिला आयोग ने साक्ष्‍य के विपरीत निर्णय/आदेश पारित किया है। जांच में संदेह हुआ था कि मरीज को Carcinoma हो सकता है, इसलिए केवल FNAC किया गया। विपक्षीगण द्वारा गालब्‍लाडर नहीं हटाया गया, केवल स्टोन निकाले गए, इसके बाद मरीज को दिनांक 25.9.2007 को डिसचार्ज कर दिया गया। मरीज की मृत्‍यु कैन्‍सर के कारण हुई है न कि गालब्‍लाडर में स्‍टोन होने के कारण। अत: अपीलार्थी के स्‍तर से कोई लापरवाही कारित नहीं की गई है।

7.    दस्‍तावेज सं0-33 पर डिसचार्ज स्लिप मौजूद है, जिसमें यह उल्‍लेख है

 

-3-

कि Malignancy G.B. Stone का जो ट्रीटमें‍ट दिया गया, उसके सामने लिखा गया FNAC Done इस प्रक्रिया के दौरान किसी अंग की विशिष्‍ट स्थिति का आंकलन करने के लिए किसी अंग के भाग को निकालना तथा जांच के लिए प्रेषित करना है। FNAC के पश्‍चात Cholecystectomy करने का उल्‍लेख है, जो गालब्‍लाडर को रिमूव करने की प्रक्रिया है, इस विवरण का आशय यह है कि गालब्‍लाडर सामान्‍य स्थिति में मौजूद पाया गया। अत: इस रिपोर्ट के आधार पर यह तथ्‍य स्‍थापित है कि गालब्‍लाडर यथार्थ में निकाला नहीं गया, जबकि डिसचार्ज स्लिप में गालब्‍लाडर निकालने का उल्‍लेख किया गया है। लिखित कथन में यह अंकित किया गया कि गालब्‍लाडर में Carcinoma का संदेह था। अत: इस स्थिति में मरीज को छुट्टी देने के बजाय FNAC की प्रक्रिया अपनाते हुए जो भाग निकाला गया, उसकी रिपोर्ट प्राप्‍त करने का इंतजार करना चाहिए था, परन्‍तु इंतजार किए बिना मरीज को अस्‍पताल से छुट्टी दे दी गई, जिसका परिणाम यह हुआ कि मरीज को सही उपचार नहीं मिल सका और मरीज की मृत्‍यु कारित हो गई। अत: इस संबंध में विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश साक्ष्‍य की सही व्‍याख्‍या पर आधारित है।

8.    अपीलार्थी की ओर से नजीर, Chanda Rani Akhouri & Ors Vs M.A. Methusethupathi & Ors II (2002) CPJ 51 (SC) प्रस्‍तुत की गई, जिसमें व्‍यवस्था दी गई है कि डा0 का दायित्‍व केवल सावधानीपूर्वक इलाज करना है। हर परिस्थिति में इलाज की गारण्‍टी देना नहीं है। यह पीठ भी इस मत से सहमत है कि डा0 का दायित्‍व केवल सावधानीपूर्वक एवं मेडिकल प्रोटोकाल के अनुसार इलाज प्रदान करना है न कि स्‍वस्‍थ होने की गारण्‍टी देना, परन्‍तु प्रस्‍तुत केस में अपीलार्थी डा0 द्वारा मरीज को इलाज प्रदान करने में कोई सावधानी नहीं बरती गई। यदि डा0 को यह आशंका थी कि गालब्‍लाडर कैन्‍सर जैसी गंभीर बीमारी से ग्रसित हो सकता था तब सम्‍पूर्ण गालब्‍लाडर निकालते हुए जांच के लिए भेजा जाना चाहिए था और जांच रिपोर्ट

 

-4-

आने के पश्‍चात मरीज का इलाज तदनुसार स्‍वंय प्रारम्‍भ करने या उच्‍च सेन्‍टर को रेफर करने के लिए कार्यवाही की जानी चाहिए थी, परन्‍तु प्रस्‍तुत केस में ऐसा नहीं किया गया, इसलिए विपक्षी डा0 की लापरवाही का तथ्‍य भली-भांति स्‍थापित है। तदनुसार प्रस्‍तुत अपील में कोई बल नहीं है। अपील निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

9.    प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

     प्रस्‍तुत अपील में तथा विद्वान जिला आयोग के समक्ष अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

(सुधा उपाध्‍याय)                        (सुशील कुमार)

  सदस्‍य                                 सदस्‍य

 

लक्ष्‍मन, आशु0, कोर्ट-2

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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