Uttar Pradesh

Kanpur Nagar

CC/239/12

SURENDRA UMRAO - Complainant(s)

Versus

SOCIETY AUTO - Opp.Party(s)

PREM KRISHNA TRIPATHI

03 Mar 2017

ORDER

 
                                          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।

   अध्यासीनः      डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष    
    श्रीमती सुधा यादव........................................सदस्या    
                
    

उपभोक्ता वाद संख्या-239/2012
सुरेन्द्र उमराव पुत्र स्व0 आर0पी0 सिंह निवासी मकान नं0-128/67ए जी0 ब्लाक, किदवई नगर, कानपुर नगर।
                                  ................परिवादी
बनाम
1.    सोसाइटी मोटर्स लि0 सोसाइटी प्लाजा 12/483 मैकरार्बटगंज सिटी सेंटर माल रोड, कानपुर नगर।
2.    सोसाइटी मोटर्स लि0 वर्क्स षाप इन्चार्ज 127/201 डब्लू-1 साकेत नगर, कानपुर नगर।
3.    बजाज आटो फाइनेन्स कंपनी लि0 द्वारा मैनेजर 127/201 डब्लू-1 साकेत नगर, कानपुर नगर।
4.    बजाज आटो लि0 आकूर्डी पुणे, महाराश्ट्र-411035
                           ...........विपक्षीगण
परिवाद दाखिला तिथिः 16.04.2012
निर्णय तिथिः 29.04.2017
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1.      परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है किः-
1.     विपक्षीगण के विरूद्ध परिवादी के पक्ष में इस आषय का आदेष पारित करें कि विपक्षी बजाज कंपनी के ही तीनों प्रमुख अंष हैं।
2.    बजाज आटो कंपनी लि0 के आर्थराइज्ड डीलर विपक्षी सोसाइटी मोटर्स लि0 व सोसाइटी वर्कषाप व बजाज फोइनेन्स कंपनी 127/201 डब्लू-1 साकेत नगर कानपुर नगर एवं 12/483 मैकराबर्टगंज सिटी सेंटर माल रोड कानपुर नगर ने परिवादी के साथ धोखा-धड़ी करके विपक्षीगण में पूर्ण रूप से दुरभि सन्धि प्राप्त होती है। 
3.    विपक्षीगण के कृत्य से परिवादी को अत्यधिक षारीरिक व मानसिक सामाजिक व आर्थिक क्षति रू0 1,00,000.00 क्षति कारित हुई है तथा रू0 21700.00 नकद व बजाज फाइनेन्स कंपनी से ऋण ब्याज का तकरीबन रू0 40000.00 मय ऋण ब्याज के तथा रू0 2318.00 परिवहन 
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निगम से वाहन का रजि0 नं0 प्राप्त करने के लिए तथा रू0 922.00 यूनाइटेड इंण्डिया इंष्योरेन्स कंपनी लि0 से बीमित करने के सम्बन्ध में तथा वाद का खर्च रू0 20000.00 मय क्षतिपूर्ति 20 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से विपक्षीगण परिवादी को दिलायी जाये तथा रू0 1200.00 फाईल चार्ज विपक्षीगण से दिलाया जाये।
2.     परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी पेषे से अधिवक्ता है एवं वाहन बजाज डिस्कवर यू0पी0-78 सी.सी.-5182 का मालिक है। परिवादी ने बजाज फाइनेन्स कंपनी लि0 से रू0 32000.00 व 10 प्रतिषत अतिरिक्त ब्याज की दर से रू0 21700.00 नकद जमा करके सोसाइटी मोटर्स लि0 विपक्षी सं0-2 से दिनांक 22.09.10 को प्रष्नगत मोटर साइकिल क्रय की थी। उपरोक्त मोटर साइकिल क्रय करने के दसूरे दिन ही सोसाइटी मोटर्स वर्कषाप में ठीक करने हेतु खड़ी की गयी थी। क्योंकि उसका इंजन बहुत जाम चल रहा था, थोड़ा चलने पर ही इंजन गर्म हो जाता था और जाम हो जाता था और गियर बक्से से बीच-बीच में चलते-चलते खड़खड़ाहट की बहुत जोरो से आवाज आने लगती थी व सेल्फ स्टेयरिंग भी सुचारू रूप से काम नहीं कर रहा था। सेल्फ से स्टार्ट करने व बन्द करने में खड़खड़ाहट की आवाज आती थी व चैन स्पाकेट सेट से भी कभी-कभी खटपट की आवाज आने लगती थी तथा हेडलाइट भी सीधे नहीं जाती थी। परिवादी को चार बजे के करीब उसी दिन मोटर साइकिल वापस कर दिया था। परिवादी दूसरे दिन मोटर साइकिल चलाता रहा तो पहले जैसे ही कन्डीषन थी। परिवादी उसके दूसरे दिन ही मोटर साइकिल लेकर वर्क्सषाप गया और सोसाइटी मोटर्स के सेल मैनेजर व वर्क्सषाप मैनेजर से अनुरोध करता रहा कि इसके बदले दूसरी मोटर साइकिल दी जाये, लेकिन वहां के विक्रय मैनेजर व वर्कषाप मैनेजर ने यह आष्वासन देते हुए कहा कि चलाइये कुछ दिनों में ठीक चलने लगेगी अगर ठीक नहीं चलती तो आपको दूसरी मोटर साइकिल दी जायेगी। दिनांक 20.10.10 को सर्विस हेतु वाहन वर्कषाप में खडा किया और वाहन में खराबियों को बताया गया, लेकिन वर्कषाप के द्वारा वाहन का इंजन आयल बदलकर परिवादी को  यह कहर कर  गाड़ी वापस दे दी 
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गयी कि चलाओ, अगली सर्विस तक ठीक चलने लगेगी। परिवादी वाहन को डर-डर कर चलाता रहा, लेकिन बीच-बीच में मोटर साइकिल         का इंजन जाम हो जाता था और अन्य जगहों से अजीब खड़खड़ाहट की आवाज आने लगती थी तो परिवादी बीच-बीच में वर्कषाप जा-जा कर मैनेजर से मिलता रहा व वाहन को वर्कषाप में दिखाता रहा, लेकिन चलाते रहो का आष्वासन देकर वापस कर दिया जाता रहा और अगली सर्विस तक सब ठीक हो जाने का आष्वासन देते रहे। दिनांक 18.02.11 को परिवादी द्वारा पुनः प्रष्नगत वाहन की सर्विस करायी गयी और वाहन में उत्पन्न निम्नलिखित खराबियों के बारे में बताया गया और लिखाया गया, लेकिन वर्कषाप में इंजन आयल ही बदलकर दे दिया था और कहा कि चलाइये कंपनी से बात की गयी है अगर अब ठीक नहीं चलती या किसी प्रकार की वाहन में खराबियां आती हैं तो कंपनी के द्वारा आपका इंजन व अन्य पुर्जे बदले जायेगें या फिर आपको नई मोटर साइकिल दी जायेगी। दिनांक 10.05.11 को मोटर साइकिल को, खराब हो जाने पर परिवादी ने उक्त मोटर साइकिल को आटो लोडर में लदवाकर वर्कषाप में पहुॅचायी। वहां पर मैनेजर द्वारा परिवादी को यह कह कर वापस कर दिया गया कि कंपनी से बात कर ली गयी है, अब आपको कंपनी की तरफ से दूसरी मोटर साइकिल दी जायेगी, लेकिन आपको कुछ समय तक इंतजार करना पड़ेगा। परिवादी ने रू0 21700.00 नगद व बजाज फाइनेन्स कंपनी लि0 से रू0 32000.00 का ऋण लेकर तकरीबन 10 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से दो वर्श की अवधि तक के ऋण ब्याज व उ0प्र0 परिवहन विभाग की षाखा कानपुर नगर से मोटर साइकिल का एकमुष्त टैक्स रू0 2318 भुगतान कर परिवहन विभाग से रजिस्ट्रेषन नं0-यू0पी0-78 सी.सी.-5182 प्राप्त किया व यूनाईटेड इण्डिया कंपनी लि0 से दिनांक 23.09.10 को रू0 922.00 जमा करके वाहन का बीमा कराया गया। विपक्षीगण के द्वारा मिली भगत के कारण परिवादी को डिफेक्टिव मोटर साइकिल विक्रय कर दी गयी। जिससे परिवादी को अपने विधि व्यवसाय में बहुत ज्यादा क्षति कारित हुई है और अनेक आर्थिक, षारीरिक, मानसिक व आर्थिक कठिनयों 
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का सामना करना पड़ा। विपक्षीगण के द्वारा आपस में दुरभि संधि करके परिवादी के साथ धोखाधड़ी करके डिफेक्टिव वाहन विक्रय किया गया है। फलस्वरूप परिवादी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3.    विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद झूठे, मनगढ़ंत तथ्यों पर दूशित मंषा से विपक्षीगण से बेजा धनराषि प्राप्त करने की मंषा से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का बेजा इस्तेमाल करके प्रस्तुत किया गया है। विपक्षीगण द्वारा सेवा में कोई कमी कारित नहीं की गयी है। विपक्षीगण के द्वारा हमेषा परिवादी को प्रभावी एवं गुणवत्तायुक्त सेवायें प्रदान की गयी हैं। परिवादी द्वारा प्रष्नगत वाहन को टेस्ट ड्राईव करके अपनी संतुश्टि के आधार पर सही हालत में ली गयी है। परिवादी द्वारा प्रष्नगत वाहन क्रय करने की तिथि 22.09.10 से 19.01.12 तक 15 महीनों तक बहुत अधिक इस्तेमाल किया गया। इस दौरान परिवादी द्वारा प्रष्नगत वाहन को 12621 किलोमीटर चलाया गया। इस प्रकार परिवादी द्वारा प्रष्नगत वाहन के इतना अधिक इस्तेमाल करने के पष्चात प्रष्नगत वाहन को बदलकर नया वाहन देने अथवा वाहन की कीमत वापस करने व अन्य याचित उपषम निराधार है। याचित उपषम न तो विधिसंगत है और न ही विधिक रूप से संधार्य है। परिवादी के द्वारा टेलीफोन के माध्यम से सूचना देने पर परिवादी के वाहन को दिनांक 19.01.12 को विपक्षी उत्तरदाता के टेक्नीषियन द्वारा ब्रेक डाउन के द्वारा वर्कषाप में लाया गया। उसके पष्चात प्रष्नगत वाहन की गंभीरता से जांच की गयी और ठीक प्रकार से सर्विस की गयी। किन्तु परिवादी द्वारा बावजूद विधिक सूचना दिनांक 22.02.12 वापस प्राप्त नहीं किया गया। परिवादी को यह भी हिदायत दी गयी कि परिवादी यदि 7 दिन के अंदर नहीं ले जाता तो गैराज चार्ज के रूप में परिवादी को रू0 20 प्रतिदिन के हिसाब से जब तक वह वाहन को नहीं ले जाता तब तक के लिए देय होगा।  अनुस्मारक पत्र दिनांक 06.04.12 को  जरिये पंजीकृत 
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डाक भेजा गया। परिवादी द्वारा जानबूझकर विपक्षी उत्तरदाता के पत्र दिनांकित 06.04.12 को प्राप्त नहीं किया गया। इस दौरान परिवादी द्वारा पूर्व में प्रेशित पत्र दिनांकित 22.02.12 के उत्तर में अपने पंजीकृत डाक के माध्यम से एक सादा पेपर झूठा केस बनाने के लिए विपक्षीगण के पास भेजा, जिसका स्पश्ट उत्तर विपक्षीगण के द्वारा परिवादी को पुनः दिया गया। किन्तु परिवादी द्वारा दूशित मंषा से प्रस्तुत परिवाद योजित कर दिया गया है। परिवादी द्वारा अपने अधिवक्ता होने का अनुचित लाभ लेते हुए प्रस्तुत परिवाद योजित किया गया है। अतः परिवाद सव्यय खारिज किया जाये तथा विपक्षी उत्तरदाता को प्रष्नगत वाहन उनके वर्कषाप में खड़ा रहने तक के लिए रू0 20 प्रतिदिन के हिसाब से वर्कषाप चार्ज दिलाया जाये।
4.    विपक्षी सं0-3 की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और यह कहा गया है कि विपक्षी उत्तरदात विपक्षी सं0-3 एवं परिवादी के साथ इकरारनाम नं0-स्2ॅज्ञछच्00677414 निश्पादित किया गया है। उक्त इकरारनामें के अनुसार परिवादी को प्रष्नगत वाहन के लिए रू0 38,304.00 ऋण के रूप में लिया गया था। उक्त इकरारनामे के अनुसार यदि परिवादी/ऋण प्राप्तकर्ता किसी प्रकार से किष्त अदायगी में विलम्ब करता है तो विपक्षी को इकरारनामे के भाग-बी में दिये गये प्राविधान के अनुसार वसूली करने का अधिकार होगा। विपक्षी के द्वारा मात्र ऋण दिया गया है। अतः विपक्षी का याचित उपषम से कोई सम्बन्ध नहीं है। विपक्षी उत्तरदाता को प्रष्नगत वाहन के बीमा होने के सम्बन्ध में कोई ज्ञान नहीं है। विपक्षी उत्तरदाता को गलत पक्षकार बनाया गया है। परिवादी विपक्षी के प्रति उपभेक्ता की कोटि में नहीं आता है। विपक्षी के प्रति कोई वाद कारण परिवादी को उत्पन्न नहीं होता है। अतः विपक्षी सं0-3 के विरूद्ध परिवाद भारी हर्जे पर खारिज किया जाये। परिवादी से विपक्षी उत्तरदाता की विधिक देयता रू0 14,576.00 दिलायी जाये।
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5.    विपक्षी सं0-4 की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि विपक्षी सं0-4 प्रष्नगत वाहन की एक प्रतिश्ठित निर्माता कंपनी है। विपक्षी उत्तरदाता के यहां आटो मोबाइल्स इंजीनियरिंग से सम्बन्धित इंजीनियर कार्यरत् है, जिनके द्वारा सावधानीपूर्वक निर्माता से होने वाले माल की विभिन्न स्थितियों में जांच की जाती रहती है। किसी भी वाहन को विभिन्न प्रकार के टेस्ट करने के उपरांत ही पूर्ण संतुश्ट होने पर ही विक्रय के लिऐ जाया जाता है और प्रत्येक माल को उपभेक्ता की पूर्ण संतुश्टि पर ही विक्रय किया जाता है। विपक्षी सं0-4 के द्वारा प्रष्नगत वाहन के विक्रय के पष्चात वारंटी षर्तों के अनुसार सेवायें प्रदान की जाती हैं। परिवादी प्रष्नगत वाहन विपक्षी के डीलर से वाहन के टेस्ट ड्राइव करने के उपरांत स्वयं की पूर्ण संतुश्टि के पष्चात क्रय किया गया है। परिवादी द्वारा प्रष्नगत वाहन का 1 साल 6 माह तक अत्यधिक इस्तेमाल करने के पष्चात दिनांक 13.04.12 को प्रस्तुत परिवाद योजित किया गया है। वाहन के इतनी लम्बी अवधि तक इस्तेमाल करने से ही यह स्पश्ट होता है कि प्रष्नगत वाहन में परिवादी की ओरसे अधिरोपित कोई कमी नहीं है। इसके अतिरिक्त प्रष्नगत वाहन परिवादी के लगातार प्रयोग में आज भी है। परिवादी का यह कहना कि प्रष्नगत वाहन चलाने के समय आवाज इत्यादि आती है-यह परिवादी के द्वारा वाहन के गलत इस्तेमाल करने के कारण है। इसलिए परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद विशय को तोड़-मरोड़कर प्रष्नगत वाहन में कमी होना बताया गया है। वास्तविक रूप से प्रष्नगत वाहन में कोई कमी नहीं है। परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद इस दूशित मंषा से योजित किया गया कि परिवादी को विपक्षी सं0-3 पर लिये गये ऋण एवं ब्याज न अदा करना पड़े। परिवादी फोरम के समक्ष स्वच्छ हाथों से नहीं आया है। क्योंकि जबकि परिवादी द्वारा प्रष्नगत वाहन को सर्विस के लिए लाया गया, तब परिवादी ने अपनी पूर्ण संतुश्टि पर वाहन प्राप्त किया गया था। यदि प्रष्नगत वाहन में कोई निर्माणी त्रुटि होती तो इतनी लम्बी अवधि तक और 
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इतना अधिक चलाया जाना संभव नहीं था। वर्तमान में प्रष्नगत वाहन लगभग 4 वर्श पुराना है और लगातार कार्यरत है। वास्तव में किसी        भी आटो मोबाइल्स वाहन का परफारमेंष विभिन्न कारणों पर आधारित है। जिस पर विपक्षीगण का कोई नियंत्रण नहीं है। जैसे वाहन को कितने बार स्टार्ट किया जाता है और कितनी बार रोका जाता है, वाहन में कितना लोड रखा गया है, सड़क की स्थिति, पहियों में प्रेसर, प्रयोग फ्यूल की गुणवत्ता, वाहन की मरम्मत, ड्राईवर की ड्राइविंग इत्यादि। परिवादी के मात्र कह देनेसे प्रष्नगत वाहन में त्रुटि नहीं मानी जा सकती। परिवादी को कोई वाद कारण उत्पन्न नहीं हुआ। परिवादी को स्वयं के द्वारा की गयी गलतियों का लाभ लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। परिवादी द्वारा अपने कथन के समर्थन में धारा-13 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत वांछित विषेशज्ञ की रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गयी है। परिवादी द्वारा प्रष्नगत वाहन में कोई कमी प्रमाणित नहीं की जा सकी है और न ही सेवा में कोई कमी प्रमाणित की जा सकी है। इसलिए प्रस्तुत परिवाद खारिज किये जाने योग्य है। वाहन के बिकने के पष्चात विपक्षी को यह ज्ञात नहीं हो सकता है कि उसका चालक किस प्रकार से चलाता है और किस प्रकार से वाहन की देखभाल करता है और चालक द्वारा ओनर मैनुअल में दिये गये निर्देषों का पालन किया गया है अथवा नहीं। इसलिए भी परिवाद खारिज किया जाना चाहिए। चूॅकि फोरम में बहुत ही कम न्याय षुल्क लिया जाता है, इसलिए परिवादी द्वारा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का बेजा इस्तेमाल करके दूशित मंषा से विपक्षी उत्तरदाता से बेजा धनराषि प्राप्त करने की मंषा से प्रस्तुत परिवाद योजित किया गया है। अतः परिवाद भारी हर्जे सहित खारिज किया जाये।
6.    परिवादी की ओरसे जवाबुल जवाब प्रस्तुत करके, विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत जवाब दावा में उल्लिखित तथ्यों का विरोध किया गया है और स्वयं के द्वारा अपने परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों की पुनः पुश्टि की गयी है।
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परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
7.    परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 13.04.12, 02.02.13, 11.09.13, 19.02.14 एवं 03.05.14 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची कागज सं0-1 के साथ संलग्न, कागज सं0-1/1 लगायत् 1/14, सूची कागज सं0-3 के साथ संलग्न, कागज सं0-3/1 लगायत् 3/16  तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
8.    विपक्षी सं0-1 व 2 ने अपने कथन के समर्थन में एस0पी0 अग्निहोत्री का षपथपत्र दिनांकित 29.05.13 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची कागज सं0-4 के साथ संलग्न कागज सं0-4/1 लगायत् 4/18 दाखिल किया है।
विपक्षी सं0-3 की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
9.    विपक्षी सं0-3 ने अपने कथन के समर्थन में लोकष द्विवेदी का षपथपत्र दिनांकित 30.07.13 एवं 02.03.16 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में कागज सं0-2/1 लगायत् 2/11  व कागज सं0-5/1 लगायत् 5/3 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
विपक्षी सं0-4 की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
10.    विपक्षी सं0-4 ने अपने कथन के समर्थन में नरेष प्रताप सिंह का षपथपत्र दिनांकित 08.08.16 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची कागज सं0-6 के साथ सलंग्न कागज सं0-6/1 लगायत् 6/11  दाखिल किया है।
निष्कर्श
11.    फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों एवं परिवादी तथा विपक्षी सं0-3 द्वारा प्रस्तुत लिखित बहस का सम्यक परिषीलन किया गया।
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12.    उभयपक्षों की ओर से उपरोक्त प्रस्तर-7, 8, 9 व 10 में वर्णित षपथपत्रीय व अन्य अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत  किये गये हैं। पक्षकारों की ओर से प्रस्तुत किये गये उपरोक्त साक्ष्यों में से मामले को निर्णीत करने में सम्बन्धित साक्ष्यों का ही आगे उल्लेख किया जायेगा।
    उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि प्रस्तुत मामले में निम्नलिखित विचारणीय बिन्दु बनते हैंः-
1.    क्या फोरम को यह निर्णीत करने का क्षेत्राधिकार है कि विपक्षीगण विपक्षी बजाज कंपनी के ही तीनों प्रमुख अंष हैं, यदि हां तो प्रभाव?
2.    क्या विपक्षीगण के द्वारा परिवादी के साथ धोखाधड़ी करके, दुरभि संधि करके प्रष्नगत वाहन परिवादी को विक्रय किया गया है, यदि हां तो प्रभाव?
3.    याचित अनुतोश में से परिवादी कौन सा अनुतोश प्राप्त करने का अधिकारी है?

विचारणीय बिन्दु संख्या-1ः- 
13.    उपरोक्त वाद बिन्दु सिद्ध करने का भार परिवादी पर है। परिवादी के द्वारा अपने परिवाद पत्र के उपषम के उप प्रस्तर ’’अ’’ में अंकित की गयी अंतरवस्तु के आधार पर निर्मित किया गया है। परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के उपषम वाले प्रस्तर के उप प्रस्तर ’’अ’’ में यह याचना की गयी है कि विपक्षीगण के विरूद्ध परिवादी के पक्ष में इस आषय का आदेष पारित किया जाये कि विपक्षीगण, विपक्षी बजाज कंपनी के ही तीनों अंष है। विपक्षी की ओर से यह तर्क प्रस्तुत किये गये हैं कि प्रस्तुत विशय तय करने का क्षेत्राधिकार फोरम को नहीं है। इसी आधार पर परिवाद खारिज किया जाये।
    उपरोक्तानुसार उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि परिवादी द्वारा अपने उपरोक्त याचित उपषम के सम्बन्ध में कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य अथवा विधिक कारण स्पश्ट नहीं किया गया है। फोरम का यह मत है कि परिवादी
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की ओर से याचित उपरोक्त उपषम पूर्णतया दीवानी प्रक्रति का है, जिसकी सुनवाई का क्षेत्राधिकार फोरम को नहीं है।
    उपरोक्तानुसार दिये गये निश्कर्श के आधार पर प्रस्तुत विचारणीय वाद बिन्दु परिवादी के विरूद्ध तथा विपक्षीगण के पक्ष में निर्णीत किया जाता है। 
विचारणीय बिन्दु संख्या-2
14.    यह वाद बिन्दु सिद्ध करने का भार परिवादी पर है। परिवादी की ओर से अपने परिवाद पत्र में यह कहा गया है कि विपक्षीगण के द्वारा परिवादी के साथ दुरभि संधि करके व धोखाधड़ी करके, प्रष्नगत वाहन परिवादी को विक्रय किया गया है। विपक्षीगण की ओर से यह तर्क प्रस्तुत किये गये हैं कि विपक्षी बजाज आटो मोबाईल्स निर्माता कंपनी एक प्रतिश्ठित कंपनी है। उसकी पूरे देष में प्रतिश्ठित कंपनी के रूप में ख्याति प्राप्त है। धोखाधड़ी का मामला तय करने का क्षेत्राधिकार भी फोरम को प्राप्त नहीं है। अतः परिवाद खारिज किया जाये।
    उपरोक्तानुसार उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि परिवादी द्वारा अपने उपरोक्त कथन के समर्थन में तथा विधिक स्थिति स्पश्ट करने के लिए कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किये गये हैं। धोखाधड़ी से सम्बन्धित मामला तय करने का क्षेत्राधिकार दाण्डिक न्यायालय को है। फोरम को धोखाधड़ी से सम्बन्धित मामलो के विनिष्चयन का क्षेत्राधिकार नहीं है। 
    अतः उपरोक्त वाद बिन्दु परिवादी के विरूद्ध तथा विपक्षीगण के पक्ष में निर्णीत किया जाता है
विचारणीय बिन्दु संख्या-3
15.    यह वाद बिन्दु सिद्ध करने का भार परिवादी पर है। प्रस्तुत वाद बिन्दु के सम्बन्ध में परिवादी की ओरसे यह कहा गया है कि प्रष्नगत मोटर साइकिल क्रय करने के दूसरे दिन ही ठीक करने हेतु विपक्षी के सर्विस सेंटर में परिवादी द्वारा ले जायी गयी थी। प्रष्नगत वाहन का इंजन पूरे दिन से बहुत जाम  चल रहा था,  थोड़ा चलने पर ही  इंजन गर्म हो 
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जाता था और बीच-बीच में चलते-चलते खड़खड़ाहट की बहुत जोरो से आवाज आने लगती थी व सेल्फ स्टेयरिंग भी सुचारू रूप से काम नहीं कर रहा था। सेल्फ से स्टार्ट करने व बन्द करने में खड़खड़ाहट की आवाज आती थी व चैन स्पाकेट सेट से भी कभी-कभी खटपट की आवाज आने लगती थी तथा हेडलाइट भी सीधे नहीं जाती थी। विपक्षीगण द्वारा मिलीभगत से डिफेक्टिव वाहन दिया गया है। इसी आधार पर परिवादी द्वारा प्रष्नगत मोटर साइकिल के बदले दूसरी नई मोटर साइकिल विपक्षीगण से दिलाये जाने की याचना की गयी है। विपक्षी सं0-1, 2 व 4 की ओर से इस सम्बन्ध में यह कहा गया है कि परिवादी द्वारा प्रष्नगत वाहन क्रय करने की तिथि 22.09.10 से 19.01.12 तक प्रष्नगत वाहन बहुत अधिक इस्तेमाल किया गया है। इस दौरान परिवादी द्वारा प्रष्नगत वाहन 12621 किलोमीटर चलाया गया है। इसीलिए परिवादी द्वारा प्रष्नगत वाहन को इतना अधिक चलाने के पष्चात प्रनगत वाहन को बदलकर दूसरा वाहन दिलाने की याचित उपषम निराधार है। विपक्षी सं0-4 की ओर से इस सम्बन्ध में यह कहा गया है कि परिवादी द्वारा प्रष्नगत वाहन को 1 वर्श 6 माह तक अत्यधिक प्रयोग करने के पष्चात दिनांक 16.04.12 को प्रस्तुत परिवाद योजित किया गया है। इतनी अधिक लम्बी अवधि तक इस्तेमाल करने के पष्चात प्रष्नगत वाहन में कोई निर्माणी त्रुटि नहीं है। वर्तमान में प्रष्नगत वाहन लगभग 4 वर्श पुराना हो गया है। परिवादी द्वारा निर्माणी त्रुटि साबित करने के लिए धारा-13 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत वांछित विषेशज्ञ की रिपोर्ट प्रस्तुत की जानी चाहिए थी। परिवादी स्वच्छ हांथों से फोरम के समक्ष नहीं आया है। अतः परिवाद खारिज किया जाये।
    उपरोक्तानुसार उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि परिवादी द्वारा प्रष्नगत वाहन क्रय करने के दूसरे दिन ही उत्पन्न हुई गड़बड़ियों को ठीक कराने से सम्बन्धित कोई अभिलेखीय साक्ष्य दाखिल नहीं किया गया है। विपक्षीगण की ओर         से परिवादी द्वारा प्रष्नगत वाहन की फ्री सर्विस कराने से सम्बन्धित कागज 
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सं0-6/1 लगायत् 6/7 प्रस्तुत किये गये हैं। जिनसे यह सिद्ध होता है कि परिवादी द्वारा विपक्षीगण से वारंटी के अंतर्गत निःषुल्क सेवा भी प्राप्त की गयी है। विपक्षीगण की ओर से अपने कथन के समर्थन में विधि निर्णय डध्ै म्ण्प्ण्क्ण् च्मततल ;प्दकपंद्ध स्जकण् टेण् ठंइल ठमदरंउपद ज्ीनेतं ;1992द्ध ब्च्श्र 279 ;छब्द्ध एवं विधि निर्णय स्टेट ऑफ हिमाचल प्रदेष  बनाम जय लाल एवं अन्य ।प्त् 1999 ;ैब्द्ध 3318 में प्रतिपादित विधिक सिद्धांत की ओर फोरम का ध्यान आकृश्ट किया गया है। जिसमें मा0 उच्चतम न्यायालय एवं मा0 राश्ट्रीय आयोग द्वारा यह विधिक सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है कि निर्माणी त्रुटि साबित करने के लिए परिवादी को किसी विषेशज्ञ/ इंजीनियर की स्वतंत्र रिपोर्ट प्रस्तुत करना चाहिए। उपरोक्त विधि निर्णयों में प्रतिपादित विधिक सिद्धांत प्रस्तुत मामले में तथ्यों की एकरूपता होने के कारण लागू होता है, जिसका लाभ विपक्षीगण को प्राप्त होता है। क्योंकि परिवादी द्वारा निर्माणी त्रुटि साबित करने के लिए किसी विषेशज्ञ/इंजीनियर की स्वतंत्र रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गयी है। अ
    अतः उपरोक्त वाद बिन्दु परिवादी के विरूद्ध तथा विपक्षीगण के पक्ष में निर्णीत किया जाता है।
विचारणीय बिन्दु संख्या-4
16.    परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र में अ, ब, स व द, 4 उपषम की याचना की गयी है। उपषम के प्रस्तर-स में जिस अनुतोश की याचना की गयी है-उसका विवरण निर्णय के प्रस्तर-1 में अंकित किया गया है। परिवादी की ओर से अपने परिवाद पत्र में यह कहा गया है कि प्रष्नगत वाहन दिनांक 10.05.11 को खराब हो जाने पर आटो लोडर में लदवाकर विपक्षी के वर्कषाप में पहुॅचाया गया। वहां के कर्मचारी द्वारा परिवादी को यह कहकर वापस कर दिया गया कि कंपनी से बात कर ली गयी है, अब परिवादी को कंपनी की ओर से दूसरी मोटर साइकिल दी जायेगी। परिवादी द्वारा किये गये उपरोक्त कथन से स्पश्ट हेता है कि प्रष्नगत वाहन अभी विपक्षी सं0-2 के वर्कषाप में रखा है। विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से परिवादी के उपरोक्त कथन का खण्डन किया गया है और यह कहा गया है कि परिवादी द्वारा प्रष्नगत वाहन क्रय करने की तिथि 22.9.10 
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से 19.01.2012 तक 15 महीनों तक बहुत अधिक इस्तेमाल किया गया। इस दौरान परिवादी द्वारा प्रष्नगत वाहन 12621 किलोमीटर चलाया गया। इस प्रकार परिवादी द्वारा प्रष्नगत वाहन के इतना अधिक इस्तेमाल करने के पष्चात प्रष्नगत वाहन को बदलकर नया वाहन देने अथवा वाहन की कीमत वापस करने व अन्य याचित उपषम निराधार है। जिससे स्पश्ट होता है कि विपक्षीगण के द्वारा परिवादी को प्रष्नगत वाहन को बदलकर नया वाहन देने से सम्बन्धित कोई आष्वासन नहीं दिया गया है। परिवादी द्वारा अपने उपरोक्त किये गये कथन को साबित करने के लिए कोई सम्यक साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है। विपक्षी सं0-1 व 2 के द्वारा स्पश्ट किया गया है कि परिवादी का प्रष्नगत वाहन विपक्षी सं0-1 व 2 के द्वारा मरम्मत कराकर वर्कषाप में रखा गया है। परिवादी ने बावजूद विधिक सूचना दिनांक 22.02.12 प्रष्नगत वाहन को प्राप्त नहीं किया। परिवादी को यह भी चेतावनी दी गयी कि परिवादी यदि प्रष्नगत वाहन को नहीं ले जाता है तो परिवादी को प्रष्नगत वाहन का रू0 20 प्रतिदिन के हिसाब से, जब तक वह वाहन को नहीं ले जाता, तब तक गैराज चार्जेज के रूप में देने होगा। इस सम्बन्ध में विपक्षी की ओर से अनुस्मारक पत्र भी भेजा गया। लेकिन परिवादी द्वारा प्रष्नगत वाहन नहीं ले जाया गया। उपरोक्त कारणों से तथा उपरोक्त विचारणीय वाद बिन्दुओं में दिये गये निश्कर्श के आधार पर फोरम का यह मत है कि परिवादी प्रष्नगत वाहन को, उसकी मरम्मत करने की कीमत अदा करके, विपक्षी सं0-2 के वर्कषाप से प्राप्त करने का अधिकारी है। जहां तक परिवादी की ओर से याचित अन्य उपषम का सम्बन्ध है- उक्त याचित उपषम के लिए परिवादी द्वारा कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत न किये जाने के कारण परिवादी द्वारा याचित अन्य उपषम के लिए परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है। विपक्षी सं0-1 व 2 के द्वारा गैराज चार्ज के रूप में काउन्टर क्लेम की याचना की गयी है। फोरम का यह मत है कि विपक्षीगण को यदि कोई विक्षुब्धता है, तो वह उसके लिए अलग से परिवाद दाखिल कर सकते हैं।
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ःःःआदेषःःः
20.     उपरोक्त वाद बिन्दुओं में दिये गये निश्कर्श के आधार पर आदेषित किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अंदर परिवादी प्रष्नगत वाहन, विपक्षी सं0-2 के वर्कषाप से, वाहन की मरम्मत की धनराषि अदा करके, प्राप्त कर सकता है। मामले के तथ्यों, परिस्थितियों को दृश्टिगत रखते हुए यह भी स्पश्ट करना है कि प्रस्तुत मामले में उभयपक्ष अपना-अपना परिवाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।

       ( सुधा यादव )                   (डा0 आर0एन0 सिंह)
           सदस्या                             अध्यक्ष
  जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश              जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश       
       फोरम कानपुर नगर                         फोरम कानपुर नगर।
    आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।


        ( सुधा यादव )                   (डा0 आर0एन0 सिंह)
           सदस्या                             अध्यक्ष
  जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश              जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश       
  फोरम कानपुर नगर                        फोरम कानपुर नगर।
परिवाद संख्या-239/2012

29.04.2017
मुकद्मा पुकारा गया। निर्णय सुनाया गया।
ःःःआदेषःःः
    उपरोक्त वाद बिन्दुओं में दिये गये निश्कर्श के आधार पर आदेषित किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अंदर परिवादी प्रष्नगत वाहन, विपक्षी सं0-2 के वर्कषाप से, वाहन की मरम्मत की धनराषि अदा करके, प्राप्त कर सकता है। मामले के तथ्यों, परिस्थितियों को दृश्टिगत रखते हुए यह भी स्पश्ट करना है कि प्रस्तुत मामले में उभयपक्ष अपना-अपना परिवाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।

         ( सुधा यादव )                   (डा0 आर0एन0 सिंह)
             सदस्या                             अध्यक्ष

 

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