मौखिक
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या-1759/1999
(जिला उपभोक्ता फोरम, सहारनपुर द्वारा परिवाद संख्या-335/1996 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 07.04.1999 के विरूद्ध)
1. यूनियन आफ इण्डिया द्वारा दि जनरल मैनेजर (एनआर) बरोडा हाउस, नई दिल्ली।
2. जनरल मैनेजर, नार्दन रेलवे, बरोडा हाउस, नई दिल्ली।
3. स्टेशन मास्टर, सहारनपुर रेलवे स्टेशन, सहारनपुर।
अपीलकर्तागण/विपक्षीगण
बनाम्~
श्रीमती शकुन्तला जैन पत्नी श्री सुरेन्द्र कुमार, निवासी मोघा भवन, रानी बाजार, सहारनपुर व अन्य।
प्रत्यर्थी/परिवादिनी
समक्ष:-
1. माननीय श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2. माननीय श्री संजय कुमार, सदस्य।
अपीलकर्तागण की ओर से उपस्थित : श्री अजय सिंह, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक 07.04.2017
माननीय श्री संजय कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, सहारनपुर द्वारा परिवाद संख्या-335/1996 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 07.04.1999 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है, जिसके अन्तर्गत निम्नवत् आदेश पारित किया गया है :-
‘’ वादनी का वाद 1116/-रू0 में टिकट का पैसा काट कर बर्थ के रिजर्वेशन के पैसे के लिये तथा 2500/-रू0 यात्रा में वादनी को हुई मानसिक व शारीरिक कष्ट व परेशानी के लिये मय 12 प्रतिशत ब्याज सहित डिग्री किया जाता है। यह ब्याज दि0 4-6-96 से वास्तविक भुगतान की तिथि तक देय होगा। विपक्षी यदि एक माह के अन्दर वादनी को पैसा नहीं देता है तो वादनी निष्पादन के द्वारा ले सकती है। ‘’
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अपीलकर्तागण के विद्वान अधिवक्ता श्री अजय सिंह उपस्थित हैं। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है, जबकि उनकी ओर से अपील के विरूद्ध आपत्ति डाक के माध्यम से भेजी गयी है। इस प्रकार प्रत्यर्थी पर सूचना पर्याप्त है। अपील वर्ष 1999 से निस्तारण हेतु लम्बित है, अत: पीठ द्वारा समीचीन पाया गया कि प्रस्तुत अपील का निस्तारण गुणदोष के आधार पर कर दिया जाये। तदनुसार विद्वान अधिवक्ता अपीलकर्तागण को विस्तार से सुना गया एवं प्रश्नगत निर्णय/आदेश तथा उपलब्ध अभिलेखों का गम्भीरता से परिशीलन किया गया।
प्रश्नगत प्रकरण के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादिनी ने दिनांक 04.06.1996 को हावड़ा जाने के लिये सहारनपुर रेलवे स्टेशन से 04 टिकट रिजर्वेशन कराये, जो गाड़ी सं0-3074 डाउन से टिकट रिजर्वड होने के कारण परिवादिनी निश्िचिंत थी। परिवादिनी निश्चित तिथि दिनांक 04.06.1996 को रेलवे स्टेशन पहुंच गयी, परन्तु स्टेशन पहुंचने पर पता चला कि टिकट में अंकित बोगी गाड़ी में नहीं लगी है। इस सम्बन्ध में स्टेशन मास्टर से पूछने पर उन्होंने कहा कि किसी अन्य साधारण डिब्बे में यात्रा करें, जिससे परिवादिनी व उसके परिवार को काफी परेशानी हुई, जिससे क्षुब्ध होकर प्रश्नगत परिवाद जिला फोरम के समक्ष योजित किया गया।
विपक्षी द्वारा जिला फोरम के समक्ष परिवाद पत्र का विरोध करते हुए प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया और मुख्य रूप से यह कहा गया कि गाड़ी सं0-3074 डाउन हिमगिरी एक्सप्रेस का रख-रखाव पूर्वी रेलवे द्वारा किया जाता है। अत: विपक्षी द्वारा कोई सेवा में कमी नहीं की गयी है। परिवाद खण्डित होने योग्य है।
अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता को सुनने एवं आधार अपील का परिशीलन करने तथा केस के तथ्यों एवं परिस्थितियों पर विचार करने के उपरांत हम यह पाते हैं कि जिला फोरम ने जो निर्णय/आदेश दिया है, वह विधिसम्मत है, परन्तु जिला फोरम ने 12 प्रतिशत की दर से जो ब्याज हेतु आदेश पारित किया है, वह अत्यधिक है, उसके स्थान पर 06 प्रतिशत की दर से ब्याज परिवर्तित किया जाना न्यायोचित होगा। तदुनसार अपील आंशिक स्वीकार होने योग्य है।
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आदेश
अपील आंशिक स्वीकार की जाती है। जिला फोरम, सहारनपुर द्वारा परिवाद संख्या-335/1996 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 07.04.1999 के अन्तर्गत आदेशित ब्याज 12 प्रतिशत के स्थान पर 06 प्रतिशत ब्याज में परिवर्तित किया जाता है। शेष आदेश की पुष्टि की जाती है।
(राम चरन चौधरी) (संजय कुमार)
पीठासीन सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2