Uttar Pradesh

StateCommission

A/2006/2400

MS Chandni Nursing Home - Complainant(s)

Versus

Smt Swadheenta Narayan - Opp.Party(s)

Alok Sinha

01 Aug 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2006/2400
( Date of Filing : 26 Sep 2006 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. MS Chandni Nursing Home
A
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt Swadheenta Narayan
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 HON'BLE MR. Mahesh Chand MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 01 Aug 2018
Final Order / Judgement

सुरक्षि‍त

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

 

                                                                                   अपील संख्‍या-2400/2006

 

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, कानपुर नगर द्वारा परिवाद संख्‍या-659/2001 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 12-12-2005 के विरूद्ध)

 

मै0 चांदनी नर्सिंग होम, प्राइवेट लि0 9/60 आर्य नगर, कानपुर नगर, कानपुर।

                                                                                                       अपीलार्थी/विपक्षी सं०1

                              बनाम

1- श्रीमती स्‍वाधीनता नारायण, पत्‍नी श्री टी० नारायण, निवासी हाउस नं० 849 आवास विकास कालोनी, कल्‍याणपुर, कानपुर नगर, कानपुर।

2- डा० शिखा कुशवाहा, मीना टावर, फ्लैट नं० 103, प्रथम खण्‍ड 112/166-ए स्‍वरूप नगर, कानपुर नगर, कानपुर।

3- डा० नीतू चोपड़ा, हिमालया इंस्‍टीट्यूट जौली ग्राण्‍ट देहरादून, उत्‍तरांचल।

                                                                                                 प्रत्‍यर्थीगण

समक्ष:-

 माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

 माननीय श्री महेश चन्‍द, सदस्‍य

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्‍ता,  श्री आलोक सिन्‍हा

प्रत्‍यर्थी सं०1 की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्‍ता, श्री संजीव बहादुर

                                                                  श्रीवास्‍तव

प्रत्‍यर्थीगण सं० 2 व 3 की ओर से : कोई उपस्थित नहीं।

 

दिनांक: 17-09-2018

 

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

                                                                                                    निर्णय

 

परिवाद संख्‍या 659 सन् 2001 श्रीमती स्‍वाधीनता नरायण बनाम  मे०  चांदनी नर्सिंग होम प्रा0लि0 व तीन अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, कानपुर नगर  द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 12-12-2005

 

2

 

के विरूद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

आक्षे‍पि‍त निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद विपक्षीगण संख्‍या- 1 व 3 के विरूद्ध स्‍वीकार करते हुये निम्‍न आदेश पारित किया है:- ‍  

     " परिवाद विपक्षी सं०1 व 3 के विरूद्ध संयुक्‍त/पृथक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्‍या-2 के विरूद्ध निरस्‍त किया जाता है। विपक्षी संख्‍या-1 तथा 3 को आदेश दिया जाता है कि वे इस निर्णय के दिनांक से दो माह के अन्‍दर परिवादिनी को सभी प्रकार की क्षति के लिए 2,00,000/-रू० क्षतिपूर्ति संयुक्‍त/पृथक रूप से भुगतान करें। निर्धारित अवधि में भुगतान न करने पर विपक्षीगण उपरोक्‍त धनराशि पर निर्णय के दिनांक से 08 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज भी भुगतान करेंगे ।"  

जिला फोरम के निर्णय से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षी संख्‍या-1 मे० चांदनी नर्सिंग होम प्राइवेट लि0 ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री आलोक सिन्‍हा और परिवादिनी प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री संजीव बहादुर श्रीवास्‍तव उपस्थित आए हैं। प्रत्‍यर्थीगण संख्‍या-2 और 3 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रत्‍यर्थीगण संख्‍या-2 और 3 पर नोटिस का तामीला पहले ही पर्याप्‍त माना गया है।

हमने उभय पक्ष के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

 

3

हमने प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी की ओर से प्रस्‍तुत लिखित तर्क का भी अवलोकन किया है।

अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि वह गर्भवती थी और दिनांक 16-01-2000 को विपक्षी संख्‍या-1 मे0 चांदनी नर्सिंग होम प्रा0लि0 के यहॉं भर्ती हुयी तब उसका इलाज विपक्षी संख्‍या-2 द्वारा किया गया और गर्भाशय का आपरेशन करने की सलाह दी गयी। तदोपरान्‍त विपक्षी संख्‍या-2 डा० शिखा कुशवाहा द्वारा उसके गर्भाशय का आपरेशन किया गया जिसके लिए विपक्षी संख्‍या-3 डा० नीतू चोपड़ा द्वारा एनिस्‍थीसिया का इंजेक्‍शन उसे लगाया गया। परन्‍तु एनिस्‍थीसिया का इंजेक्‍शन लापरवाही पूर्ण ढंग से लगाए जाने के कारण आपरेशन के पश्‍चात् प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी  के दाहिने पैर में तेज दर्द हुआ तथा दर्द लगातार बना रहा और पैर बेजान हो गया। विपक्षीगण  को बताया गया तब विपक्षीगण ने कहा थोड़े दिन बाद ठीक हो जाएगा। उसके बाद दिनांक 23-01-2000 को प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 के नर्सिंग होम से डिस्‍चार्ज कर दिया गया और वह उपरोक्‍त विपक्षी संख्‍या-2 के निर्देशानुसार दवाईंया खाती रही पर उसे कोई लाभ नहीं हुआ। तब उसने संजय गांधी पोस्‍ट ग्रेजुएट आफ मेडिकल सांइस लखनऊ हास्पिटल में अपने को दिखाया तथा एम०आर०आई० कराया। उसने गोमती नगर लखनऊ में डा० देविका नाग को भी दिखाया जिन्‍होंने मौखिक रूप से बताया कि विपक्षीगण की लापरवाही के कारण वह स्‍थायी रूप से अपंग हो गयी है। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने परिवाद प्रस्‍तुत कर विपक्षीगण से क्षतिपूर्ति दिलाए जाने की मांग की है।

 

4

 

जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 ने अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत करते हुए कहा है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी उसके नर्सिंग होम में डा० शिखा कुशवाहा द्वारा रिफर करने पर भर्ती हुयी थी। उसके नर्सिंग होम के किसी चि‍कित्‍सक ने उसका इलाज नहीं किया है। लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 ने कहा है कि परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का आपरेशन विपक्षीगण संख्‍या-2 व 3 ने किया है और इन दोनों डाक्‍टरों का अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 से कोई सम्‍बन्‍ध नहीं है।

लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 की ओर से कहा गया है कि विपक्षी संख्‍या-1 ने मात्र नर्सिंग होम का शुल्‍क व नर्सिंग चार्जेज लिये हैं। चि‍कित्‍सीय शुल्‍क विपक्षीगण संख्‍या-2 और 3 द्वारा लिया गया है। अत: सेवा में कमी विपक्षीगण संख्‍या- 2 व 3 की है। उसे परिवाद में अकारण पक्षकार बनाया गया है।

जिला फोरम ने उभय पक्ष को सुनकर एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों के आधार पर यह उल्‍लेख किया है कि डा० अतुल मोहन शर्मा, तंत्रिका रोग विशेषज्ञ एम.डी.डी.एम. का पर्चा दिनांक 25-01-2000, है जिसके द्वारा यह सिद्ध है कि मरीज की रीढ़ की हड्डी में इंजेक्‍शन लगाकर बेहोशी प्रदान की गयी। जिला फोरम ने अपने निर्णय में यह भी उल्‍लेख कि‍या है कि डा० एस० सूरी का पर्चा दिनांक 09-03-2000, डा० देविका नाग, विभागाध्‍यक्ष लखनऊ मेडिकल कालेज का पर्चा दिनांक 21-06-2000, रीजेंसी हास्पिटल का पर्चा दिनांक 22-06-2001

जिसमें डा० निर्मल पाण्‍डे डी.एम. की जांच रिपोर्ट है जिससे यह सिद्ध होता है कि दाहिने तरफ की तंत्रिका तंत्र में नुकसान पहॅुंचा है।

 

5

 

 सम्‍पूर्ण तथ्‍यों और साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरान्‍त जिला फोरम ने यह निष्‍कर्ष निकाला है कि विपक्षी संख्‍या-3 द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को लगाए गये एनिस्‍थीसिया इंजेक्‍शन के कारण वह अपंगता का शिकार हुयी है। जिला फोरम ने अपने निर्णय में उल्‍लेख किया है कि अगर नर्सिंग होम अर्थात अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 अथवा विपक्षी संख्‍या-3 डा० नीतू चोपड़ा अपनी डियुटी में सावधान रहते और प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी की शिकायत मिलने पर एक्‍सपर्ट डाक्‍टर से इलाज कराते तो शायद परिवादिनी की शिकायत दूर हो जाती या उसे कम से कम नुकसान पहॅुंचता।

जिला फोरम ने उपरोक्‍त उल्‍लेख के आधार पर ही यह माना है कि अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 अर्थात नर्सिंग होम और विपक्षी संख्‍या-3 अर्थात डा० नीतू चोपड़ा जिन्‍होंने एनिस्‍थीसिया का इंजेक्‍शन प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को लगाया है, ने प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के इलाज में चूक की है और सेवा में कमी की है। अत: अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1और प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-3 से परिवादिनी क्षतिपूर्ति पाने की अधिकारिणी है। अत: जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए उपरोक्‍त प्रकार से आदेश पारित किया है।

अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि उसने प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को चि‍कित्‍सीय सुविधा अर्थात विपक्षी संख्‍या-2 डा० शिखा कुशवाहा और विपक्षी संख्‍या-3 डा० नीतू चोपड़ा की सेवा उपलब्‍ध नहीं करायी है। उसने मात्र अपना नर्सिंग होम प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के इलाज व आपरेशन हेतु उपलब्‍ध कराया है। दोनों विपक्षीगण संख्‍या– 2 और 3 की सेवा प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने स्‍वयं प्राप्‍त की है। अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि‍ अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 ने केवल नर्सिंग होम शुल्‍क

6

 

और नर्सिंग चार्ज लिया है। चि‍कित्‍सीय शुल्‍क विपक्षीगण संख्‍या- 2 और 3 ने लिया है। अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 की सेवा में कोई कमी नहीं है। अत: जिला फोरम ने जो अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 को क्षतिपूर्ति की धनराशि अदा करने हेतु आदेशित किया है वह उचित नहीं है। अत: जिला फोरम का निर्णय संशोधित  कर अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 को क्षतिपूर्ति की अदायगी से उन्‍मुक्‍त किया जाना उचित है।

प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि नर्सिंग होम अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 का है जहॉ प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का आपरेशन किया गया है और नर्सिंग होम ने ही दोनों डाक्‍टर अर्थात विपक्षीगण संख्‍या– 2 और 3 की सेवा उपलब्‍ध करायी है। अत: नर्सिंग होम प्रतिकर की अदायगी हेतु उत्‍तरदायी है। उसे अपने विधिक दायित्‍व से उन्‍मुक्‍त नहीं किया जा सकता है।

हमने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।

यह तथ्‍य निर्विवाद है कि प्रत्‍यर्थी/‍परिवादिनी का आपरेशन अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 नर्सिंग होम में हुआ है। अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 ने अपने लिखित कथन में नर्सिंग होम शुल्‍क व नर्सिंग चार्ज लिये जाने की बात स्‍वीकार की है। जिला फोरम ने अपने निर्णय में उपलब्‍ध साक्ष्‍यों की विवेचना के बाद यह निष्‍कर्ष अंकित किया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी की अपंगता विपक्षी    संख्‍या- 3 द्वारा एनिस्‍थीसिया का इंजेक्‍शन गलत ढंग से लगाने के कारण आयी है और उसके इंजेक्‍शन लगाए जाने के कुपरिणाम दिखने के बाद नर्सिंग होम अथवा विपक्षी संख्‍या-3 ने तुरन्‍त कोई उचित और प्रभावी कदम उसके इलाज हेतु नहीं उठाया है। अत: जिला फोरम ने विपक्षीगण संख्‍या-1 और 3 को प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी  को  क्षतिपूर्ति  की अदायगी  हेतु  उत्‍तरदायी माना है।

7

 

जिला फोरम का यह निर्णय आधारयुक्‍त और विधि सम्‍मत प्रतीत होता है। अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 के लिखित कथन से स्‍पष्‍ट है कि नर्सिंग होम का शुल्‍क और नर्सिंग चार्ज उसने प्राप्‍त किया है। ऐसी स्थिति में इलाज के दौरान प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को एनिस्‍थीसिया के इंजेक्‍शन का यदि कोई कुपरिणाम हुआ था तो उसे तुरन्‍त चि‍कित्‍सीय सुविधा उपलब्‍ध कराया जाना नर्सिंग होम व नर्सिंग स्‍टाफ का कार्य था।

सम्‍पूर्ण तथ्‍यों, साक्ष्‍यों और परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्‍त हम इस मत के हैं कि अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 नर्सिंग होम को जिला फोरम द्वारा आदेशित प्रतिकर की धनराशि से उन्‍मुक्‍त किये जाने हेतु उचित आधार नहीं है। हमारी राय में अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा प्रस्‍तुत अपील बलरहित है। जिला फोरम के निर्णय में किसी हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है। अत: अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

अपीलार्थी, प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को 10,000/- रू० अपील व्‍यय भी प्रदान करेगा।

 

 

(न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)                               (महेश चन्‍द)                

        अध्‍यक्ष                                                        सदस्‍य                                             

         

 

कृष्‍णा, आशु0

कोर्ट नं01

 

                  

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Mahesh Chand]
MEMBER

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