मौखिक
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2707/2018
एक्जीक्यूटिव इंजीनियर, दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0, इयूडीडी जिला एटा।
अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम्
श्रीमती हमीदन पत्नी श्री वाहिद खान, निवासिनी नगला पोटा, परगना एटा, थाना सटीक, कोतवाली नगर तहसील व जिला एटा।
प्रत्यर्थी/परिवादिनी
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय डा0 आभा गुप्ता, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से : श्री इसार हुसैन, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से : श्री टी0एच0 नकवी, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 05.05.2022
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-181/2013, श्रीमती हमीदन बनाम अधिशासी अभियन्ता दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0 में विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, एटा द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 14.03.2018 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। इस निर्णय/आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए अंकन 62,974/- रूपये का बिल निरस्त किया गया तथा आदेशित किया गया कि दिनांक 15.07.2013 के उपरांत मीटर रीडिंग के अनुसार बिल जारी किए जाए और इस तिथि के बाद कोई भी सरचार्ज व ब्याज वसूल न किया जाए।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादिनी का विद्युत कनेक्शन 217-0649 दो किलोवाट का है। परिवादिनी ने दिनांक 07.10.2013 को
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खण्ड कार्यालय में जाकर आर0सी0 को वापस लेने का अनुरोध किया। दिनांक 27.08.2013 को 25,000/- रूपये की आर0सी0 भेजी गई थी, जिसे जमा कर दिया तथा अंकन 2,500/- रूपये कनेक्शन चार्ज के भी जमा कर दिए। पुन: दिनांक 31.08.2013 को पुराना मीटर उतारकर नया मीटर लगा दिया और अवैधानिक रूप से अंकन 26,804/- रूपये की मांग करने लगे, जबकि मीटर बिल्कुल सही था।
3. विपक्षी का कथन है कि परिवादिनी पर विद्युत शुल्क बकाया होने पर आरसी जारी की गई थी। इसके बाद निरीक्षण में पाया गया कि विद्युत मीटर टैम्पर्ड किया गया है, इसलिए अंकन 26,804/- रूपये के विद्युत शुल्क का आंकलन किया गया और इस राशि को जमा न करने पर आरसी जारी की गई है।
4. दोनों पक्षकारों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने उपरोक्त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया।
5. इस निर्णय/आदेश के विरूद्ध अपील इन आधारों पर प्रस्तुत की गई है कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने विधि विरूद्ध, साक्ष्य विहीन, मनमाना निर्णय/आदेश पारित किया है। चेकिंग रिपोर्ट के आधार पर परिवादी पर अंकन 26,804/- रूपये बकाया हैं।
6. दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया तथा पत्रावली का अवलोकन करने के पश्चात यह स्थिति स्पष्ट होती है कि इस राशि के संबंध में दोनों पक्षकारों के मध्य कोई विवाद नहीं है। विवाद केवल दिनांक 31.08.2013 को स्थलीय निरीक्षण पर मीटर टैम्परिंग पाए जाने के आधार पर विद्युत उपभोग का आंकलन किया गया है, जिसकी राशि अंकन 26,804/- है। इस राशि की वसूली के लिए आरसी भी जारी कर दी गई है। अत: विधिक स्थिति यह है कि विद्युत शुल्क के आंकलन के विरूद्ध विद्युत अधिनियम के अन्तर्गत विभागीय अपील किए जाने की व्यवस्था
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है। परिवादी की ओर से इस आंकलन के विरूद्ध विभागीय अपील प्रस्तुत नहीं की गई है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा विद्युत मीटर टैम्परिंग की रिपोर्ट के पश्चात किए गए आंकलन के विरूद्ध कोई निष्कर्ष नहीं दिया जा सकता। इसी प्रकार यदि बकाया विद्युत शुल्क की वसूली के लिए आरसी जारी की जा चुकी है तब आरसी के संबंध में भी विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा कोई निष्कर्ष नहीं दिया जा सकता, परन्तु विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने उपरोक्त वर्णित दोनों विधि व्यवस्थाओं की ओर कोई ध्यान नहीं दिया और केवल यह उल्लेख कर दिया कि परिवादिनी द्वारा अंकन 25,000/- रूपये की राशि जमा कर दी गई है। यह राशि परिवादिनी पर पूर्व के विद्युत शुल्क के बकाया होने के आधार पर जारी आरसी के विरूद्ध जमा कराई गई है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने तथ्यों के विपरीत निर्णय पारित किया है, जो अपास्त होने और अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
5. प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 14.03.2018 अपास्त किया जाता है तथा संधारणीय न होने के कारण परिवाद खारिज किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय स्वंय वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुशील कुमार) (डा0 आभा गुप्ता)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3