Uttar Pradesh

StateCommission

AEA/13/2022

ICICI Lombard General Insurance Co. Ltd - Complainant(s)

Versus

Smt. Vandana Mishra - Opp.Party(s)

Brijendra Chaudhary

09 Aug 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Appeal Execution Application No. AEA/13/2022
( Date of Filing : 08 Sep 2022 )
(Arisen out of Order Dated 25/07/2022 in Case No. Ex/2020/13 of District Gorakhpur)
 
1. ICICI Lombard General Insurance Co. Ltd
Vibhuti Khand Gomti nagar Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt. Vandana Mishra
W/o Late Rajeev Mohan Mishra R/o 320 Veerbahadur Puram Mahadev Jharkhandi Dist. Gorakhpur
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 09 Aug 2024
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

(मौखिक)

ए0ई0ए0 संख्‍या-13/2022

आई0सी0आई0सी0आई0 लोम्‍बार्ड जनरल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लि0

बनाम

वन्‍दना मिश्रा पत्‍नी स्‍व0 राजीव मोहन मिश्रा

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री बृजेन्‍द्र चौधरी,  

                            विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री आदित्‍य कुमार श्रीवास्‍तव,  

                          विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक: 09.08.2024

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री बृजेन्‍द्र  चौधरी एवं प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता                  श्री आदित्‍य कुमार श्रीवास्‍तव को सुना।

प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला उपभोक्‍ता          आयोग, गोरखपुर द्वारा निष्‍पादन वाद संख्‍या-13/2020 वन्‍दना मिश्रा बनाम आई0सी0आई0सी0आई0 लोम्‍बार्ड ज0इं0कं0 लि0 में पारित आदेश दिनांक 25.07.2022 के विरूद्ध योजित की गयी है।

प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख विगत ढाई वर्षों से लम्बित है।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादिनी के पति ने विपक्षी संख्‍या-3 आई0सी0आई0सी0आई0 बैंक लि0 से दिनांक 18-01-2006 को एक गृह ऋण 4,70,475/-रू0 लिया था, जिसका भुगतान मासिक किश्‍तों में किया जाना था। परिवादिनी के पति ने ऋण हेतु बीमा प्रीमियम रू0 20,475/- भुगतान कर दिया था।

परिवादिनी का कथन है कि उसके पति रेलवे में जे0ई0 के पद पर कार्यरत थे तथा वह एस0बी0आई0 के माध्‍यम से ऋण की

 

 

 

-2-

अदायगी करते चले आ रहे थे। परिवादिनी के पति ने अपने गृह ऋण को सुचारू रूप से जमा करने हेतु उक्‍त ऋण खाता एस0बी0आई0 में स्‍थानान्‍तरित करा लिया। परिवादिनी के पति ने खाता स्‍थानान्‍तरित होने के बाद मूल बीमा प्रमाण पत्र दिनांक  02-06-2008 को विपक्षी के निर्देश पर विपक्षी संख्‍या-1 आई0सी0आई0सी0आई0 लोम्‍बार्ड जनरल इंश्‍योरेंस कं0लि0 के वाराणसी स्थित शाखा में मूल प्रमाण पत्र भेज दिया जो उसे प्राप्‍त भी हो गया, किन्‍तु विपक्षी द्वारा उक्‍त पालिसी को हस्‍तांतरित करके नहीं भेजा गया।

परिवादिनी के पति की मृत्‍यु अचानक हृदयगति रूकने से दिनांक 21-03-2009 को हो गयी। परिवादिनी अपने स्‍व0 पति  श्री राजीव मोहन मिश्रा की कानूनी वारिस है। परिवादिनी ने बीमा पालिसी के भुगतान हेतु विपक्षी बीमा कम्‍पनी को नोटिस भेजा जिसका भुगतान विपक्षीगण द्वारा नहीं किया गया। उक्‍त ऋण की बकाया धनराशि 4,57,481/-रू0 हो गयी। विपक्षीगण को कानूनी नोटिस भेजा गया, परन्‍तु विपक्षीगण द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी, जो कि विपक्षीगण की सेवा में कमी है। अत: क्षुब्‍ध होकर परिवादिनी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।

     इस न्‍यायालय द्वारा अपील संख्‍या-2770/2012, जो बीमा कम्‍पनी द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग, गोरखपुर द्वारा परिवाद संख्‍या-183/2010 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 06.11.2012 के विरूद्ध योजित की गयी थी, को आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश दिनांक 30.10.2018 पारित किया:-

     ''अपीलार्थी की अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। प्रश्‍नगत आदेश निरस्‍त किया जाता है। यदि परिवादी ने बीमा दावा प्राप्‍त करने हेतु औपचारिकतायें पूर्ण नहीं की है तो  वह  समस्‍त  औपचारिकतायें  पूर्ण  करे।

 

 

 

 

-3-

अपीलार्थी को निर्देशित किया जाता है कि वह प्रत्‍यर्थी/परिवादी से बीमा पालिसी का दावा प्राप्‍त कर बीमा पालिसी के दावे का इस आदेश की तिथि के 45 दिन की अवधि में निस्‍तारण करें।

      उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।''

     उक्‍त आदेश में स्‍पष्‍ट रूप से अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी को इस न्‍यायालय द्वारा निर्देशित किया गया था कि वह प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी, जो कि मृतक बीमित स्‍व0 राजीव मोहन मिश्रा की विधवा/धर्मपत्‍नी है, को उसके द्वारा प्रस्‍तुत बीमा पालिसी के दावे के संबंध में समुचित आदेश 45 दिवस की अवधि में सुनिश्चित किया जावे।

प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री आदित्‍य कुमार श्रीवास्‍तव द्वारा इस न्‍यायालय के सम्‍मुख कथन किया कि  माननीय राज्‍य आयोग के उपरोक्‍त निर्णय एवं आदेश दिनांक 30.10.2018 का अनुपालन अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा  उल्लिखित/अपेक्षित अवधि में न करते हुए प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को प्रताडि़त किया जाता रहा एवं अन्‍ततोगत्‍वा बीमा दावे को अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा आदेश दिनांक 02.02.2022 के द्वारा निरस्‍त किया गया।

     अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री बृजेन्‍द्र  चौधरी द्वारा बीमा दावा निरस्‍तीकरण आदेश दिनांक 02.02.2022 की ओर न्‍यायालय का ध्‍यान आकर्षित किया।

निर्विवादित रूप से बीमित मृतक द्वारा कुल धनराशि  4,70,475/-रू0 हेतु बीमा दिनांक 15.04.2006 को 05 वर्ष हेतु लिया गया था। उपरोक्‍त 05 वर्षीय अवधि व्‍यतीत होने से पूर्व ही बीमित का निधन हृदय आघात से दिनांक 21.03.2009 में हो गयी, जबकि बीमा पालिसी की परिपक्‍वता दिनांक 14.04.2011 तक उल्लिखित थी, अर्थात् बीमित व्‍यक्ति का बीमा लगभग 03 वर्ष की अवधि तक सुचारू रूप से जारी रहा।  आकस्मिक  मृत्‍यु  होने  के

 

 

 

-4-

कारण बीमा कम्‍पनी द्वारा बीमित व्‍यक्ति की विधवा के द्वारा प्रस्‍तुत बीमा दावा का निरस्‍तीकरण आदेश इस न्‍यायालय द्वारा पारित आदेश के लगभग 03 वर्ष 04 माह के उपरान्‍त किया जाना बीमा कम्‍पनी के द्वारा न सिर्फ अकर्मण्‍यता का द्योतक है, वरन्‍ बीमित व्‍यक्ति की विधवा को अनुचित रूप से परेशान किए जाने का भी द्योतक है।

तदनुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है तथा आदेशित किया जाता है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी श्रीमती वन्‍दना मिश्रा पत्‍नी  स्‍व0 राजीव मोहन मिश्रा को तत्‍काल 30 दिवस की अवधि में सम्‍पूर्ण बीमित धनराशि अर्थात् 4,70,475/-रू0 (चार लाख सत्‍तर हजार चार सौ पचहत्‍तर रूपए) अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा प्राप्‍त कराया जावेगा, अन्‍यथा की स्थिति में मृतक बीमित की धर्मपत्‍नी  प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को उपरोक्‍त धनराशि 4,70,475/-रू0 (चार लाख सत्‍तर हजार चार सौ पचहत्‍तर रूपए) पर परिवाद प्रस्‍तुत किए जाने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 09 (नौ) प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज भी देय होगा।

आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

     (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)

अध्‍यक्ष

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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