Uttar Pradesh

StateCommission

A/301/2016

Central Bank Of India - Complainant(s)

Versus

Smt. Usha Devi - Opp.Party(s)

Zafar Aziz

08 Feb 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/301/2016
( Date of Filing : 18 Feb 2016 )
(Arisen out of Order Dated 12/01/2016 in Case No. C/53/2015 of District Kushinagar)
 
1. Central Bank Of India
Kushinagar
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt. Usha Devi
Kushinagar
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 08 Feb 2023
Final Order / Judgement

मौखिक

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-301/2016

सेन्‍ट्रल बैंक आफ इण्डिया, शाखा पड़री पिपराती, जिला कुशीनगर, द्वारा शाखा प्रबन्‍धक।

                             अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम्  

श्रीमती ऊषा देवी पत्‍नी राजेश दूबे, साकिन व पोस्‍ट पड़री पिपराती, तहसील पड़रौना, जिला कुशीनगर।

प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी

समक्ष:-                                                   

1. माननीय श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य

2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित  :  श्री जफर अजीज, विद्वान

                                               अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित    : श्री आर.के. मिश्रा, विद्वान

  अधिवक्‍ता।

दिनांक:  08.02.2023 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.                 परिवाद संख्‍या-53/2015, श्रीमती ऊषा देवी बनाम शाखा प्रबन्‍धक, सेन्‍ट्रल बैंक आफ इंडिया में विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग, कुशीनगर द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 12.01.2016 के विरूद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है। इस निर्णय एवं आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए विपक्षी को आदेशित किया है कि वह परिवादिनी को अदेयता प्रमाण पत्र जारी करे तथा अंकन 10 हजार रूपये, जो उसके पति के खाते से ऋण में समायोजित किए गए हैं, उसे मय ब्‍याज वापस लौटाया जाए।

2.         इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने यह निष्‍कर्ष साक्ष्‍य के विपरीत पारित  किया  है  कि  अंकन  80 हजार रूपये जमा कराकर एक मुश्‍त

-2-

समाधान योजना के तहत ऋण को समाप्‍त कर दिया गया है, जबकि प्रस्‍तुत केस में कभी भी एक मुश्‍त समाधान योजना लागू नहीं हुई।

3.         अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री जफर अजीज एवं प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री आर.के. मि‍श्रा को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

4.         अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि एक मुश्‍त समाधान योजना के तहत अंतिम सेटेलमेंट नहीं हुआ है, जबकि प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि अपीलार्थी बैंक ने ऐसा आश्‍वासन दिया था कि अंकन 80 हजार रूपये जमा करने के पश्‍चात ऋण समाप्‍त कर दिया जाएगा।

5.         विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश के अवलोकन से ज्ञात होता है कि उनके द्वारा इस आधार पर निर्णय/आदेश पारित किया है कि एक मुश्‍त समाधान योजना के तहत अंकन 80 हजार रूपये प्राप्‍त कर ऋण समाप्‍त कर दिया गया है, इसलिए अंकन 80 हजार रूपये जमा करने के बाद परिवादिनी पर कोई अवशेष बकाया नहीं है। परिवादिनी के पति के खाते से अंकन 10 हजार रूपये अवैध रूप से जमा कराए गए हैं, यह निष्‍कर्ष साक्ष्‍य पर आधारित नहीं है। यद्यपि परिवाद पत्र में यह उल्‍लेख किया गया है कि दिनांक 19.04.2010 को एक मुश्‍त समाधान योजना के तहत अंकन 80 हजार रूपये जमा किए गए हैं। एक मुश्‍त समाधान योजना के संबंध में कोई साक्ष्‍य पत्रावली पर मौजूद नहीं है। यदि एक मुश्‍त समाधान योजना को अपनाया जाता तब परिवादिनी पर जो राशि बकाया थी, उस सब का भुगतान कर खाते को बंद कर दिया जाता, जबकि खाते के विवरण से ज्ञात होता है, जो पत्रावली पर 28 लगायत 33 के रूप में मौजूद है, जिस  दिन  अंकन  80 हजार रूपये जमा किए गए हैं, उससे तुरंत पूर्व

-3-

परिवादिनी पर 98,156/- रूपये बकाया थे। अंकन 80 हजार रूपये जमा करने के बाद भी परिवादिनी पर अंकन 98,156/- रूपये बकाया रह गए, इसलिए इस राशि पर ब्‍याज लगता रहा। परिवादिनी के पति के खाते से अंकन 10 हजार रूपये निकाल कर जमा करने के बावजूद भी परिवादिनी पर ऋण की राशि अवशेष रही और इस अवशेष राशि पर ब्‍याज लगातार बढ़ता रहा, इसलिए विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश साक्ष्‍य पर आधारित न होने के कारण अपास्‍त होने योग्‍य है। अपील तदनुसार स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

6.             प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 12.01.2016 अपास्‍त किया जाता है तथा परिवाद खारिज किया जाता है।

           उभय पक्ष व्‍यय भार स्‍वंय अपना-अपना वहन करेंगे।

           अपीलार्थी द्वारा अपील प्रस्‍तुत करते समय अपील में जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित (यदि कोई हो) विधि अनुसार एक माह में अपीलार्थी को वापस की जाए।

     आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

(सुशील कुमार)                           (राजेन्‍द्र सिंह)

  सदस्‍य                                  सदस्‍य

 

 

           निर्णय/आदेश आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

 

(सुशील कुमार)                           (राजेन्‍द्र सिंह)

  सदस्‍य                                  सदस्‍य

 

लक्ष्‍मन, आशु0, कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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