Uttar Pradesh

StateCommission

A/1151/2019

Prabandhak Shivgarh Resorts Ltd - Complainant(s)

Versus

Smt. Uruj Fatima - Opp.Party(s)

Prateek Saxena

12 Sep 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1151/2019
( Date of Filing : 25 Sep 2019 )
(Arisen out of Order Dated 10/09/2009 in Case No. C/223/2003 of District Barabanki)
 
1. Prabandhak Shivgarh Resorts Ltd
Park Road Lucknwo To Satyandra Singh M.D.
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt. Uruj Fatima
W/O Saiyad Irfan Ahmad Niwsi H.No. 109 Siddik Nagar Distt. Barabanki
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. Rajendra Singh JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 12 Sep 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-1151/2019

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, बाराबंकी द्धारा परिवाद सं0-223/2003 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 10.9.2009 के विरूद्ध)

1-    शिवगढ़ रिसार्टस लिमिटेड पार्क रोड़ लखनऊ द्वारा सत्‍येन्‍द्र सिंह मैनेजिंग डायरेक्‍टर।

2-    आर0पी0 सिंह, डायरेक्‍टर 5, पार्क रोड़, लखनऊ।

                                             .......... अपीलार्थी/विपक्षीगण

बनाम          

1-    श्रीमती उरूज फातिमा पत्‍नी सैयद इरफान अहमद, निवासी मकान नं0-109 सिद्दीक नगर, जिला बाराबंकी।

…….. प्रत्‍यर्थी/परिवादी 

2-    प्रबन्‍धक हाईवे युर्जर्स क्‍लब, ए ए काम्‍पलेक्‍स, फर्स्‍ट फ्लोर थापर हाउस, 5 पार्क रोड लखनऊ।

3-    प्रबन्‍धक, सुमन मोटल लि0, 42 अम्‍बेकर मार्ग, बडाला, मुम्‍बई-400031

4-    कमान्डिग आफिसर्स, सुमन मोटल लि0, तेज गौरव हाउस, 109 टेलिग रोड़-2 मटुगा (ई) मुम्‍बई-400019

…….. प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण 

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य                      

अपीलार्थीगण के अधिवक्‍ता     : श्री प्रतीक सक्‍सेना

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता          : श्री कुमार सम्‍भव

दिनांक :-12-9-2022           

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा इस आयोग के सम्‍मुख धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता आयोग, बाराबंकी द्वारा परिवाद सं0-223/2003 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 10.9.2009 के विरूद्ध योजित की गई है।

-2-

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री प्रतीक सक्‍सेना तथा प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री कुमार सम्‍भव को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का परिशीलन किया।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-1 के यहॉ से दिनांक 18.5.1998 को धनराशि रू0 50,000.00 की चेक जमा की तथा रसीद सं0-3364 प्राप्‍त की गई। उपरोक्‍त धनराशि जमा होने के बाद प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-1 द्वारा एक पत्र दिनांक 17.9.1999 को भेजा गया, जिसमें स्‍पष्‍ट उल्‍लेख है कि उपरोक्‍त धनराशि चार वर्ष के उपरांत दुगनी (डबल) हो जायेगी। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-2 व 3 की कम्‍पनी के सदस्‍य हैं एवं अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1, 4, 5 व 6 प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-2 व 3 के अधीनस्‍थ हैं। उपरोक्‍त चार वर्ष पूर्ण होने पर जब प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी, अपीलार्थी/विपक्षी सं0-5 के यहॉ दिनांक 17.6.2002 को 50,000.00 रू0 की दुगनी राशि का भुगतान लेने गयी, तब प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी से कहा गया कि उपरोक्‍त धनराशि के भुगतान के सम्‍बन्‍ध में प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-1, 2, 3, 4 व 6 से सम्‍पर्क करें, तदोपरांत प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा उपरोक्‍त सभी प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण से सम्‍पर्क किया गया, परन्‍तु किसी ने भी धनराशि का भुगतान नहीं किया तथा धनराशि के भुगतान से इंकार कर दिया, अत: विवश होकर प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है। 

जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख अपीलार्थी/विपक्षीगण पर नोटिस का तामीला होने के बावजूद भी प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत नहीं किया गया और न ही वे उपस्थित हुए, अत्एव जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपीलार्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध दिनांक 17.5.2007 को एक पक्षीय कार्यवाही का आदेश पारित किया गया।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरांत परिवाद को एक पक्षीय रूप से

-3-

विपक्षीगण के विरूद्ध स्‍वीकार करते हुए विपक्षीगण को निर्देशित किया गया कि वे परिवादिनी को उपरोक्‍त 1,00,000.00 रू0 पर परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से अदायगी तक 11 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज सहित अदा करें, साथ ही 5,000.00 रू0 क्षतिपूर्ति एवं 2,000.00 रू0 वाद व्‍यय अदा करने हेतु भी आदेशित किया गया है। 

जिला उपभोक्‍ता आयोग के उपरोक्‍त निर्णय/आदेश से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/विपक्षी सं0-5 एवं 6 द्वारा प्रस्‍तुत अपील योजित की गई है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: तथ्‍य और विधि के विरूद्ध है क्‍योंकि कि प्रस्‍तुत निर्णय/आदेश गुणदोष पर पारित नहीं किया गया है। यह भी कथन किया गया है कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश एक पक्षीय है एवं प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा 50,000.00 रू0 प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-1 के जमा किया गया था, इसलिए प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी अपीलार्थीगण का उपभोक्‍ता नहीं है। यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को किसी प्रकार की कोई सेवा का न तो आश्‍वासन दिया और न ही किसी सेवा के बदले किसी प्रकार का कोई शुल्‍क अदा किया। अपीलार्थी की ओर से यह भी कथन किया गया है कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा बिना उपयुक्‍त क्षेत्राधिकार के परिवाद को श्रवण हेतु ग्रहण किया गया है, जो अनुचित है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह भी कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा मात्र प्रत्‍यर्थी/परिवादी के अभिकथनों पर विचार करते निर्णय पारित किया गया है, जो कि अनुचित है। यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थी द्वारा सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की गई है। अपीलार्थी द्वारा प्रस्‍तुत अपील को स्‍वीकार कर जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश अपास्‍त किये जाने की प्रार्थना की गई है।

-4-

प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश विधि के अनुकूल है और उसमें किसी प्रकार के हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है। यह भी कथन किया गया कि है कि अपीलार्थी द्वारा प्रस्‍तुत अपील 09 वर्ष के विलम्‍ब से इस आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत की गई है और विलम्‍ब का कोई समुचित एवं उचित कारण दर्शित नहीं किया गया है, अत्एव प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त किये जाने योग्‍य है। 

हमारे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।

वर्तमान प्रकरण में यह तथ्‍य निर्विवादित रूप से पाया जाता है कि प्रस्‍तुत अपील इस आयोग के सम्‍मुख लगभग 09 वर्ष के विलम्‍ब से विलम्‍ब देरी क्षमा प्रार्थना पत्र के साथ प्रस्‍तुत की गई है तथा विलम्‍ब देरी क्षमा प्रार्थना पत्र में अपील योजित करने में हुई देरी का मुख्‍य आधार मात्र रिकवरी के आदेश प्राप्‍त होने एवं जिला उपभोक्‍ता आयोग के प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश की प्रति दिनांक 30.8.2019 को प्राप्‍त होने पर अपील योजित किया जाना उल्लिखित किया गया है, जो कि पीठ की राय में अपील को ग्रहण किये जाने हेतु पर्याप्‍त एवं उचित प्रतीत नहीं होता है, अत्एव अपील योजित किये जाने में हेतु प्रस्‍तुत विलम्‍ब देरी क्षमा देरी प्रार्थना पत्र अस्‍वीकार किया जाता है।

परन्‍तु जहॉ तक विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश का प्रश्‍न है उक्‍त के सम्‍बन्‍ध पत्रावली के परिशीलनोंपरांत यह पाया जाता है कि परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-1 प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-2 व 3 की कम्‍पनी के सदस्‍य हैं एवं अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1, 4, 5 व 6 प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-2 व 3 के अधीनस्‍थ हैं, अत्एव जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपने प्रश्‍नगत निर्णय में जो अपीलार्थी/विपक्षीगण को 1,00,000.00 रू0 की धनराशि मय ब्‍याज की अदायगी हेतु आदेशित किया गया है, वह तथ्‍य और विधि के अनुकूल है,

-5-

उसमें किसी प्रकार की कोई अवैधानिकता अथवा विधिक त्रुटि अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा अपील स्‍तर पर इंगित नहीं की जा सकी है, तद्नुसार प्रस्‍तुत अपील बलहीन होने के कारण निरस्‍त की जाती है।

       अपीलार्थी को आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्‍त आदेश का अनुपालन 30 दिन की अवधि में किया जाना सुनिश्चित करें।

धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाये।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की बेवसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

         (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                    (राजेन्‍द्र सिंह)        

             अध्‍यक्ष                                             सदस्‍य                                                                        

हरीश आशु.,

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
JUDICIAL MEMBER
 

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