राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
(मौखिक)
अपील संख्या-840/2023
यूनियन आफ इण्डिया व एक अन्य
बनाम
श्रीमती सुशीला देवी पाण्डेय पत्नी स्व0 रमाशंकर पाण्डेय
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री बृजेन्द्र चौधरी,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री अम्बरीश कौशल श्रीवास्तव,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 17.08.2023
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील अपीलार्थीगण द्वारा इस न्यायालय के सम्मुख जिला उपभोक्ता आयोग, गोरखपुर द्वारा परिवाद संख्या-433/2015 श्रीमती सुशीला देवी पाण्डेय बनाम यूनियन आफ इण्डिया व एक अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 24.03.2023 के विरूद्ध योजित की गयी है।
हमारे द्वारा अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री बृजेन्द्र चौधरी एवं प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री अम्बरीश कौशल श्रीवास्तव को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादिनी अपने पति स्व0 रमाशंकर पाण्डेय, जिनकी उम्र 64 वर्ष थी, के साथ दिनांक 06.10.2015 को नई दिल्ली से शहीद एक्सप्रेस ट्रेन संख्या-14674 ए0सी0 द्वितीय श्रेणी से गोरखपुर आने के लिए यात्रा प्रारम्भ की तथा यात्रा प्रारम्भ करने के करीब एक घण्टे के उपरान्त
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परिवादिनी के पति के हृदय में आकस्मिक दर्द की शिकायत हुई। परिवादिनी द्वारा कोच अटेन्डेन्ट से तत्काल मेडिकल एड उपलब्ध कराने हेतु अनुरोध किया गया, परन्तु उनके द्वारा कोई रूचि नहीं ली गयी।
परिवादिनी का कथन है कि उक्त ट्रेन बाराबंकी पहुँचने पर रेल कर्मियों द्वारा परिवादिनी के पति को ट्रेन से उतार कर जिला अस्पताल बाराबंकी ले जाया गया, जहॉं डॉक्टरों द्वारा उन्हें मृत घोषित किया गया। विपक्षीगण द्वारा परिवादिनी के पति को तत्काल मेडिकल सुविधा उपलब्ध न करवाये जाने के कारण परिवादिनी के पति की मृत्यु हो गयी।
परिवादिनी का कथन है कि विपक्षीगण द्वारा कोई मुआवजा न दिये जाने पर परिवादिनी द्वारा विपक्षीगण को दिनांक 13.10.2015 को विधिक नोटिस दी गयी, जिसका जवाब दिनांक 06.11.2015 को देते हुए कहा गया कि प्रश्नगत मामला उत्तर रेलवे से सम्बन्धित है। विपक्षी संख्या-2 द्वारा दिनांक 16.11.2015 को परिवादिनी को अवगत कराया गया कि रेलवे एक्ट-1989 तथा आर0सी0टी0 एक्ट-1987 में दिये गये प्राविधान के अनुसार मुआवजे की कार्यवाही की जा सकती है। अत: क्षुब्ध होकर परिवादिनी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रस्तुत करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।
जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख विपक्षीगण द्वारा जवाबदावा दाखिल किया गया तथा मुख्य रूप से कथन किया गया कि परिवादिनी द्वारा प्रश्नगत घटना की सूचना कोच कन्डक्टर को नहीं दी गयी तथा न ही कोई शिकायत दर्ज करायी गयी। परिवादिनी द्वारा जानबूझकर हेल्प लाइन नम्बर का प्रयोग नहीं किया गया। राजकीय रेलवे पुलिस बाराबंकी द्वारा मृत अवस्था में तथाकथित व्यक्ति को प्रश्नगत अस्पताल ले जाया गया। परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार जिला उपभोक्ता आयोग को नहीं है तथा
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परिवाद में आवश्यक पक्षकारों के संयोजन एवं कुसंयोजन का दोष है। परिवाद निरस्त होने योग्य है।
जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्त परिवाद स्वीकृत करते हुए निम्न आदेश पारित किया गया है:-
''विपक्षीगण को संयुक्त: एवं पृथकत: सेवा में कमी के लिए दायित्वाधीन पाया जाता है और विपक्षी सं0-1 को आदेश दिया जाता है कि वे निर्णय व आदेश के दिनांक से 45 दिन के अन्दर परिवादिनी को 1015000.000 रू0 (दस लाख पन्द्रह हजार रूपये मात्र) अनु0-4 के आलोक में वाद कारण की तिथि दि0 16.11.15 से 08 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ भुगतान करे। चूक की स्थिति में 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से उक्त क्षतिपूर्ति देय होगी। इसके अतिरिक्त शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक क्षति के लिए 20000.00 रू0 (बीस हजार रू0 मात्र) एवं वाद व्यय हेतु 8000.00 रू0 (आठ हजार रू0 मात्र) भी नियत अवधि में भुगतान करे।''
अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता द्वारा पीठ का ध्यान अपील पत्रावली के पृष्ठ संख्या-48 पर उपलब्ध प्रपत्र की ओर आकर्षित किया गया, जो मृतक की पुत्री नीलम पाण्डेय द्वारा प्रभारी निरीक्षक, थाना-कोतवाली, जनपद-बाराबंकी को दिये गये प्रार्थना पत्र दिनांकित 07.10.2015 की प्रति है, जिसमें निम्न तथ्य उल्लिखित किया गया है:-
''सविनय निवेदन है कि मेरे पिता श्री रमाशंकर पाण्डेय दिल्ली से ट्रेन से आ रहे थे, वे पहले से हृदय रोग के मरीज थे। लखनऊ आते-2 हृदय गति धीमी पड़ गयी, जिससे उनकी मौत हो गयी।
प्रार्थिनी यह निवेदन कर रही है कि शव का पोस्टमार्टम न कराया जाय हमें कोई आपत्ति नही है। यह घटना किसी अपराध से सम्बन्धित नही है।
अत: मेरे पिता की शव मुझे देने की कृपा करे।''
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उपरोक्त प्रार्थना पत्र के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि परिवादिनी के पति पूर्व से हृदय रोग से पीडि़त थे, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि उनकी मृत्यु यात्रा के दौरान विपक्षी रेलवे विभाग की सेवा में कमी के कारण हुई है तथा यह कि परिवादिनी द्वारा ऐसा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया जिससे कि यह स्पष्ट हो सके कि उनके द्वारा विपक्षी रेलवे विभाग के सम्बन्धित कोच अटेन्डेन्ट या अन्य सम्बन्धित कर्मचारी अथवा हेल्प लाइन नम्बर पर शिकायत की गयी हो।
उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुनने तथा समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए तथा जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का सम्यक परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त हम इस मत के हैं कि जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश विधिसम्मत नहीं है, जो अपास्त किये जाने योग्य है।
तदनुसार प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है तथा जिला उपभोक्ता आयोग, गोरखपुर द्वारा परिवाद संख्या-433/2015 श्रीमती सुशीला देवी पाण्डेय बनाम यूनियन आफ इण्डिया व एक अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 24.03.2023 अपास्त किया जाता है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थीगण द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थीगण को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1