Uttar Pradesh

StateCommission

A/2003/350

Meerut Development Authority - Complainant(s)

Versus

Smt. Surendra Kaur - Opp.Party(s)

Ram Raj

12 Oct 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2003/350
( Date of Filing : 13 Feb 2003 )
(Arisen out of Order Dated 15/01/2003 in Case No. C/432/2002 of District Meerut)
 
1. Meerut Development Authority
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt. Surendra Kaur
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 12 Oct 2022
Final Order / Judgement

(मौखिक)

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-350/2003

मेरठ डेवलपमेंट अथारिटी, मेरठ द्वारा सेक्रेटरी।

                             अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम्  

श्रीमती सुरेन्‍द्र कौर पत्‍नी श्री रमेन्‍द्र सिंह, निवासिनी 83, मानसरोवर, मेरठ।

                      प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी

 

समक्ष:-                                                              

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सद्‍य

2. माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित         : श्री राम राज के सहायक श्री

                                                          पीयूष मणि त्रिपाठी।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित                : कोई नहीं।

दिनांक:  12.10.2022 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.                    परिवाद संख्‍या-432/2002, श्रीमती सुरेन्‍द्र कौर बनाम मेरठ विकास प्राधिकरण में विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग, मेरठ द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 15.01.2003 के विरूद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है।

2.          परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादिनी द्वारा अपीलार्थी विकास प्राधिकरण से एक दुकान आवंटित कराई गई थी तथा रू0 13,343.51 पैसे दिनांक 23.03.1991 को जमा किए गए थे और शेष राशि रू0 40,030.54 पैसे चार छमाही किश्‍तों में अदा किया जाना था। परिवादिनी द्वारा अंकन 16,160/- रूपये दिनांक 31.03.1992 को प्राधिकरण में जमा किए गए, परन्‍तु दुकान पूर्ण विकसित करके उपलब्‍ध नहीं कराई गई, परन्‍तु फिर भी प्राधिकरण द्वारा शेष राशि की मांग की गई, जो अदा नहीं करने पर आवंटन निरस्‍त करने की धमकी दी गई, इसलिए परिवादिनी ने जमा राशि वापस प्राप्‍त करने के लिए परिवाद प्रस्‍तुत किया।

-2-

3.          विपक्षी प्राधिकरण का कथन है कि परिवादिनी ने केवल आवंटन राशि जमा की है और शेष राशि जमा नहीं की है, इसलिए आवंटन निरस्‍त कर दिया गया। दुकान कब्‍जा के लिए तैयार थी और अब भी तैयार है।

4.          दोनों पक्षकारों की साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि प्राधिकरण द्वारा वायदे के अनुसार दुकान का कब्‍जा प्राप्‍त करने के लिए पूर्ण विकास कार्य नहीं किए गए और परिवादिनी द्वारा जमा राशि का उपभोग किया गया, इसलिए परिवादिनी जमा राशि वापस प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है।

5.          इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने इस बिन्‍दु पर विचार नहीं किया कि परिवादिनी स्‍वंय डिफाल्‍टर रही है, इसलिए हर्जा अधिरोपित किए जाने का आदेश देने का कोई औचित्‍य नहीं था।

6.          अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता उपस्थित आए। प्रत्‍यर्थी पर्याप्‍त तामील के बावजूद उपस्थित नहीं है। अत: केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता को सुना गया तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।

7.          प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश के अवलोकन से जाहिर होता है कि परिवादिनी द्वारा केवल प्रथम किश्‍त जमा की गई शेष राशि जमा नहीं की गई, परन्‍तु परिवादिनी ने सशपथ यह भी साबित किया है कि प्राधिकरण द्वारा भी समयावधि के अन्‍दर विकास कार्य पूर्ण नहीं किए गए, इसलिए शेष किश्‍तें जमा नहीं की गई, इस स्थिति में केवल जमा राशि की वापसी का आदेश देना पर्याप्‍त था। प्राधिकरण पर हर्जा अधिरोपित किया जाना विधिसम्‍मत नहीं है। अपील तदनुसार आंशिक रूप से स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

8.             प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 15.01.2003 इस प्रकार  परिवर्तित किया जाता है कि बतौर हर्जा अधिरोपित करने की राशि अंकन

 

-3-

4,000/- रूपये प्राधिकरण द्वारा परिवादिनी को देय नहीं होगी। शेष निर्णय एवं आदेश पुष्‍ट किया जाता है।

उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वंय वहन करेंगें।

      आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

(विकास सक्‍सेना)                        (सुशील कुमार)

  सदस्‍य                                सदस्‍य

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0,  

    कोर्ट-3

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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