राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
पुनरीक्षण संख्या-182/2015
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता फोरम-द्वितीय, लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या 367/2014 में पारित आदेश दिनांक 06.11.2015 के विरूद्ध)
Axis Bank, G-04, G-05, F-08, D-1, ALPHA COMMERCIAL BELT-1, GREATER NOIDA, U.P. – 201308 through its Branch Head.
....................पुनरीक्षणकर्ता/विपक्षी सं04
बनाम
1. Smt. Sunita Pandey wife of Sri Ramesh Kumar Pandey R/o Vill-
Pachhimi Sidhari, Pathan Toli, P.S. Sidhari, Azamgarh-276001.
2. Bharat Oil and Gas Corporation Limited, Kasana Tower, 4th Floor, B-1,
Alpha Commercial Belt, Near Pari Chowk, Greater Noida,
U.P. – 201308.
3. Dinesh Chandra Katiyar son of Sri Chhote Lal Katiyar resident of
Rajpur, Post- Keeratpur, P.S. Kotwali, Distt. Kannauj.
4. Sunder Prakash Kapoor son of Sri P.S. Kapoor resident of H.No.
18/239, Kursawa, P.S. Philkhana, Distt. Kanpur.
................प्रत्यर्थीगण/परिवादिनी तथा विपक्षी सं0 1,2 व3 समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
2. माननीय श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य।
पुनरीक्षणकर्ता की ओर से उपस्थित : श्री अमित जायसवाल,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं01 की ओर से उपस्थित : श्री राम गोपाल,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 02.08.2016
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-367/2014 श्रीमती सुनीता पाण्डेय बनाम भारत आयल एवं गैस कारपोरेशन लि0 व अन्य में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-द्वितीय, लखनऊ द्वारा पारित आदेश दिनांक 06.11.2015 के विरूद्ध यह पुनरीक्षण याचिका उपरोक्त परिवाद के विपक्षी संख्या-4 की ओर से धारा-17 (बी) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत प्रस्तुत की
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गयी है।
पुनरीक्षणकर्ता की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री अमित जायसवाल और प्रत्यर्थी संख्या-1 की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री राम गोपाल उपस्थित आए।
हमने उभय पक्ष के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है। आक्षेपित निर्णय के द्वारा जिला फोरम ने पुनरीक्षणकर्ता, जो परिवाद का विपक्षी संख्या-4 है, को आदेशित किया है कि वह अपने बैंक में विपक्षीगण संख्या-1 ता 3 की जमा धनराशि 16,00,000/-रू0 (सोलह लाख रूपए) जिला फोरम के खाते में अविलम्ब जमा करे।
पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि पुनरीक्षणकर्ता के बैंक में परिवाद के विपक्षीगण संख्या-1 ता 3 का 16,00,000/-रू0 (सोलह लाख रूपए) जमा है, जो आपराधिक वाद एवं अन्य वादों का विवाद वस्तु है और उसके सम्बन्ध में सी0बी0आई0 जांच लम्बित है। अत: उक्त धनराशि पुनरीक्षणकर्ता बैंक को जिला फोरम में जमा करने का जो आक्षेपित आदेश पारित किया गया है, वह विधि विरूद्ध है।
प्रत्यर्थी संख्या-1 के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि प्रश्नगत आदेश उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-13 (3) (बी) के अन्तर्गत पारित अंतरिम आदेश के अनुपालन में पारित किया गया है और विधिसम्मत है।
हमने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है। जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित आदेश से यह स्पष्ट है कि पुनरीक्षणकर्ता के यहॉं जमा परिवाद के विपक्षीगण संख्या-1 ता 3 की प्रश्नगत धनराशि के सम्बन्ध में सी0बी0आई0 तथा विभिन्न थानों में विवेचना लम्बित है और यह धनराशि उक्त आपराधिक वादों का भी विवाद वस्तु है, अत: जिला फोरम द्वारा अपने अंतरिम आदेश के अनुपालन में यह धनराशि पुनरीक्षणकर्ता बैंक को जिला फोरम में जमा करने का आदेश दिया जाना विधि के अनुकूल नहीं प्रतीत होता है। जिला फोरम को
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अपने अंतरिम आदेश के अनुपालन हेतु इस धनराशि को सुरक्षित रखने हेतु यह आदेशित किया जाना उचित होगा कि जिला फोरम के अग्रिम आदेश तक पुनरीक्षणकर्ता उक्त धनराशि को परिवाद के विपक्षीगण संख्या-1 ता 3 को अवमुक्त न करे।
अत: उपरोक्त विवेचना के आधार पर वर्तमान पुनरीक्षण याचिका स्वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश दिनांक 06.11.2015 संशोधित करते हुए पुनरीक्षणकर्ता, जो जिला फोरम के समक्ष लम्बित परिवाद का विपक्षी संख्या-4 है, को आदेशित किया जाता है कि वह जिला फोरम द्वारा अग्रिम आदेश पारित किए जाने तक परिवाद के विपक्षीगण संख्या-1 ता 3 के खाते में जमा प्रश्नगत धनराशि परिवाद के विपक्षीगण संख्या-1 ता 3 को अवमुक्त न करे।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (बाल कुमारी)
अध्यक्ष सदस्य
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1