(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2116/2005
लाइफ इंश्योरेंस कारपोरेशन आफ इण्डिया
बनाम
श्रीमती सुमन सिंह पत्नी स्व0 शिव कुमार सिंह
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री पवन कुमार श्रीवास्तव,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक : 12.10.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-8/2001, श्रीमती सुमन सिंह बनाम जीवन बीमा निगम में विद्वान जिला आयोग, बहराइच द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 26.10.2005 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री पवन कुमार श्रीवास्तव को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए बीमाधारक की मृत्यु पर दुर्घटना हित लाभ एक माह में अदा करने का आदेश दिया है और यदि उक्त अवधि में अदायगी नहीं की जाती है तब इस राशि पर 10 प्रतिशत ब्याज भी अदा किए जाने हेतु आदेशित किया है।
3. बीमा निगम का यह कथन रहा है कि बीमाधारक की हत्या कारित की गई है, जिस पर विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया
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गया कि आश्यपूर्वक हत्या का कोई निष्कर्ष सक्षम न्यायालय द्वारा नहीं दिया गया है। तदनुसार बीमाधारक की मृत्यु पर दुर्घटना हित लाभ अदा करने का आदेश विद्वान जिला आयोग द्वारा दिया गया है, जिसमें कोई अवैधानिकता नहीं है, परन्तु ब्याज अत्यधिक उच्च दर (10 प्रतिशत) से अधिरोपित की गयी है। अत: ब्याज दर 10 प्रतिशत के स्थान पर 6 प्रतिशत किया जाना न्यायोचित है। तदनुसार प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
4. प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 26.10.2005 इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है विद्वान जिला आयोग द्वारा आदेशित दुर्घटना हित लाभ की राशि पर ब्याज 10 प्रतिशत के स्थान पर 6 प्रतिशत देय होगा। शेष निर्णय/आदेश यथातव् रहेगा।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित विद्वान जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3