(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-869/2023
मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लि0 तथा एक अन्य
बनाम
श्रीमती सोनी
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
3. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री इसार हुसैन, विद्वान
अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक : 30.05.2023
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, इस न्यायालय के सम्मुख विद्वान जिला आयोग, शाहजहांपुर द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 9.5.2023 के विरूद्ध योजित की गई है, जिसके द्वारा विद्वान जिला आयोग ने परिवाद संख्या-29/2022 को स्वीकार करते हुए निम्नलिखित आदेश पारित किया गया :-
'' परिवादिनी का परिवाद पत्र विपक्षीगण के विरूद्ध ससंघर्ष एवं व्यय के साथ स्वीकार किया जाता है एवं विपक्षीगण द्वारा दिनांक 26.5.2022 को परिवादिनी को भेजा गया बिल संख्या 273900017095 निरस्त किया जाता है। विपक्षीगण को निर्देश दिया जाता है कि कनेक्शन लेने के तिथि से लेकर आज निर्णय पारित होने की तिथि के बीच के प्रत्येक माह का 80 यूनिट प्रतिमाह विद्युत उपभोग की दर से बिना सरचार्ज जोड़े विद्युत बिपत्र तैयार करके इस जिला आयोग में निर्णय पारित होने की तिथि से एक माह के अन्दर प्रस्तुत करेंगे एवं उसमें से परिवादिनी द्वारा पूर्व में जमा की
-2-
गयी धनराशि को समायोजित करके नया बिपत्र जारी करेंगे। तत्पश्चात परिवादिनी का दायित्व होगा कि नया बिपत्र प्राप्ति से 15 दिनों के अन्दर बकाया धनराशि विपक्षी के कार्यालय में जमा कर देगी और यदि सन्तुष्ट नहीं होगी तो विपक्षी को आपत्ति प्रस्तुत करेगी जिस पर विचार करके विपक्षी आदेश पारित करेंगे।
यदि उपरोक्त विहित समय सीमा के अन्दर विपक्षी निर्देशों का पालन नहीं करते हैं तो 3,000/-रू0 (रूपया तीन हजार मात्र) वाद व्यय व अधिवक्ता व्यय के रूप में भुगतान करना होगा और यदि विपक्षी भुगतान करने के उत्तरदायी होते हुये भी भुगतान नहीं करेंगे तो परिवादिनी विधि की विहित प्रक्रिया अपनाते हुए वाद व्यय एवं अधिवक्ता व्यय की धनराशि विपक्षी से वसूल कर सकती हैं। ''
वाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादिनी एक किलोवाट विद्युत कनेक्शन की उपभोक्ता है। विद्युत कनेक्शन लेने के उपरांत मीटर घर के बाहर लगा दिया गया। दिनांक 31.5.2017 को अंकन 1510/-रू0 का बिल परिवादिनी ने भुगतान कर दिया। दिनांक 17.9.2021 को रीडर मीटर रीडिंग लेकर गया और परिवादिनी को फर्जी बिल दे दिया गया, जो अंकन 84,849/-रू0 का था। परिवादिनी के पति विपक्षी के कार्यालय गए और सही बिल बनाने का निवेदन किया, किंतु कोई सुनवाई नहीं हुई, इसलिए परिवाद प्रस्तुत किया गया।
विपक्षीगण ने वादोत्तर दाखिल करते हुए परिवाद का विरोध किया और कथन किया कि यदि मीटर रीडिंग के आधार पर बिल नहीं बनता है तो उपभोक्ता कार्यालय जाकर बिल बनवा सकता है। परिवादिनी की मंशा बिल जमा करने की नहीं रही है, इसलिए ऐसा आरोप लगा रही हैं।
विद्वान जिला आयोग ने उभय पक्ष द्वारा प्रस्तुत की गई साक्ष्य पर विचार करने के उपरांत उपरोक्त वर्णित निर्णय एवं आदेश पारित किया गया।
-3-
अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री इसार हुसैन को अंगीकरण के बिन्दु पर ही विस्तार से सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।
पत्रावली पर उपलब्ध प्रपत्रों का अवलोकन किया गया तथा समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए हमारे विचार से विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश में हस्तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं हैं, परन्तु हमारे विचार से विद्वान जिला आयोग द्वारा वाद व्यय व अधिवक्ता व्यय के रूप में अंकन 3,000/-रू0 अदा करने हेतु आदेशित किया गया है, उसे न्यायहित में समाप्त किया जाना उचित है।
तदनुसार प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है तथा विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 9.5.2023 को संशोधित करते हुए विद्वान जिला आयोग द्वारा वाद व्यय व अधिवक्ता व्यय के रूप में अंकन 3,000/-रू0 (तीन हजार रूपये) हेतु पारित आदेश को समाप्त किया जाता है। विद्वान जिला आयोग का शेष आदेश यथावत् रहेगा।
उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थीगण द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-1